नरक की चौथी गवाही - Narak Ki Chauthi Gawahi - Fourth Testimony of Hell - Pastor Bablu Kumar


झूठे अभिमान या अहंकार के कारण नर्क में हूँ


   भाईयों परमेश्वर आपको आशीष दे। जिस क्षण प्रभु ने मेरा हाथ थामा, मैं देख सकता था कि हम एक चट्टान पर खड़े थे। मैंने हमारे पीछे देखा और मैंने एक स्वर्गदूत को देखा और तब हम बहुत तेज गति से उस सुरंग में होकर नीचे की ओर जाने लगे। सहसा मैं पीछे मुड़ा, मेरी नजरों ने तलाशा, परन्तु वह स्वर्गदूत वहाँ कहीं भी नजर नहीं आया, और मैले महसूस किया कि भय ने मुझे जकड़ लिया है। मैंने प्रभु से पूछा, "प्रभु वह स्वर्गदूत कहाँ है? वह यहाँ अब क्यों नहीं है? प्रभु ने मुझे उत्तर देते तुर समझाया कि अब जहाँ पर हम जाने वाले है वह वहाँ पर नहीं जा सकता।

हम लगातार नीचे की ओर जा ही रहे थे कि तब अचानक रूक गो जैसे कि लिफ्ट रूक जाती है। मैंने देखा कि वहाँ बहुत सी सुरंगे थी. और जैसा कि मेरी बहन सैण्ड्रा ने बताया था। हमने उनमें से एक में प्रवेश किया। यह एक ऐसी जगह थी जहाँ पर लोग सिरों के द्वारा डुकों में फंसे थे और कलाईयों में बेड़ियाँ लगी हुईं थीं। मैंने वह दीवार भी देखी जहाँ लोग इस प्रकार लटकाये गये थे; वह दीवार इतनी लम्बी थी कि जिसकी लम्बाई नापी न जा सके और लाखों लोग उस पर लटके हुये थे।

इन व्यक्तियों के शरीरों पर हर तरफ केंचुए ही केंचुए रेंग रहे थे। मैंने आगे की ओर देखा, बिलकुल पहले वाली दीवार की मानिन्द ही एख दूसरी दीवार दिखी और मैंने प्रभु से कहा, "हे प्रभु, यहाँ इस स्थान परतते इतने ज़्यादा लोग हैं!"। तुरन्त उसी क्षण में ही, एक वचन मेरे दिमागण आया कि मैं विश्वास नहीं कर सका, और तब प्रभु ने मुझे बताया, "नरक और विनाशलोक हमेशा भूखे ही रहते हैं ये तृप्त नहीं होते"।

हमने वह स्थान चोड़ दिया, और हम एक नये स्थान पर पहुंचे जिल हम, "कड़ाहों की घाटी" के नाम से पुकारते हैं। ये कड़ाहियाँ उबलते अथवा खौलते हुए गन्दे कीचड से भरपूर थीं और हम उनमें से एक के निकट पहुंचने लगे। पहिला व्यक्ति जिसे मैंने देखा वह एक स्त्री थी। उन स्त्री का शरीर कीचड और गन्दगी में डूबा हुआ था। वह गन्दगी में खोल रही थी और वह उसमें तैर रही थी, परन्तु जब प्रभु ने उसकी तरफ देखा उसका उस कीचड़ में जो कि उबल रही थी; हिलते रहना थम गया और वह कमर तक उसमें डूबी हुयी थी। प्रभु ने उसकी तरफ देखा और पूछा "हे महिला तुम्हारा नाम क्या है?" उसने उत्तर दिया, "मेरा नाम रूबीला है"।

मैं देख सकता था कि किस प्रकार उस स्त्री के बाल अथवा पूरा सिर उबलते हुए कीचड़ से लथपथ था। हड्डियों जो कि पहिले ही ज्वाला से काली पड़ चुकी थी उन्हीं पर उस स्त्री का शरीर लोथड़े की मानिन्द लटक रहा था। उसकी आँखों की जगह गढ्‌ढे थे जिनमें होकर केंचुओं ने प्रवेश किया और भीतर जाकर तब वे उसके मुंह से बाहर आये, उन केंचुओं ने फिर से नाक में से अन्दर प्रवेश न कर सके तो जो बाहर रह गये थे, उन्होंने शरीर के अन्य हिस्सों में खोद खोदकर छेद बना लिये ताकि अन्दर प्रवेश कर सकें इस कारण उसे जो पीड़ा पहुंची वह बयान से बाहर थी। दर्द से कराहते भयानक वेदना से भरकर, उसने प्रभु से कहा, "प्रभुजी कृपया! मुझे इस स्थान से बाहर निकालिये। मुझ पर दया कीजिए। मैं इस दशा में और अधिक नहीं रह सकती। कृपा करके यह बन्द कर दीजिये प्रभुजी! मैं और अधिक निरन्तर यह सब नहीं सह सकूंगी। कृपया मुझ पर दया कीजिये"।

प्रभु ने उस स्त्री से पूछा कि वह वहाँ क्यों थी। जवाब देते हुए उसने बताया कि वह झूठे अभिमान या अहंकार के कारण उस स्थान में थी, और ये वे ही शब्द थे, जो कि उसकी छाती पर लगी हुई घातुई प्लेट पर लिखे गये थे। उसके हाथ में एक शीशी थी और मुझे वह एक सामान्य सी शीशी दिखाई दी, परन्तु उसकी नज़रों में वह एक बहुमूल्य इत्र की शीशी थी। रूबीला ने वह शीशी लेकर इत्र समझकर अपने पूरे शरीर पर डाल दिया. परन्तु शीशी का तेजाब (acid) उसने डाल लिया था। जिस क्षण उसने ऐसा किया भयानक तेजाब शरीर में जहाँ-जहाँ स्पर्श हुआ और तब उसके लिये यह दर्द असहनीय हो गया। कराहते कराहते उस जोर से प्रभु को पुकारा और कहा, "प्रभु जी, कृपा कीजिए, मुझ पर द कीजिए। मैं इस दशा में यहाँ और सहन नहीं कर सकती"।

मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि इसे इस्तेमाल करना गुनाह है, परन्तु प्रभु ने हमें बताया कि उसके अहंकार के कारण वह स्त्री वहाँ थी। प्रभु क वचन हमें व्यवस्था विवरण पाँचवें अध्याय के सातवें वचन में बताता "तू मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्वर करके न मानना"।

उस स्त्री ने अपने जीवन में सुन्दरता, सुगन्धित द्रव्य और अहंका को पहिला स्थान दिया था, इसी कारण वह वहाँ पर रखी गयी थी। यद्यि यीशु जो प्रभु है, वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है उसे आपने जीवन में पहिला स्थान मिलना चाहिये। उस स्त्री ने उसे दूसरा, और तीसरा स्थान दिया था, यही वह कारण था, कि वह स्त्री उस भयानक पीड़ा के स्थान में रखी गयी थी। प्रभु ने दुःख से भरकर उसकी ओर देखा और बताया "रूबीला तुम्हारे लिये अब बहुत देर हो चुकी है, केंचु तुम्हारा बिछौना होंगे, और केंचुए तुम्हें ढंक लेंगे"। जब प्रभु ने ऐसा कहा आग की लपटों ने ओढ़ना बनकर कम्बल की मानिन्द उसे पूरी तरह से लपेट लिया जबकि उसका शरीर उस कड़ाहे के भीतर नष्टप्राय ही था। और वह भयानक वेदना से तडपने लगी। जब तक हम इस पृथ्वी पर है तब तक इस नरक से बचने के लिये अवसर है सो आइए हम अपने जीवन को सुधारें और इस नरक से बच जाएँ।


मैं संगीत सुनने और डांस करने के कारण नर्क में हुँ ।


हम उस स्थान से दूर जाने लगे और अन्य किसी ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां बडे-बड़े द्वार थे। हम उन द्वारों के निकट पहुँचे और वे हमारे लिये खुल गये। हम देख सकते थे कि परली और एक बड़ी गुफा जैसी कन्दरा थी। मैने नजर ऊपर उठायी और तब बादल की तरह अलग-अलग रंगो की रोशनियाँ घूम रही थीं। अचानक हमें संगीत की ध्वनि ने चौंका दिया और साल्सा, बेलेनारो, रॉक और तरह-तरह की प्रचलित संगीत ध्वनियों का शोर हमारे कानों तक पहुंचा जिन्हें लोग रेडियो पर सुना करते हैं।

सहसा प्रभु के हाथ ने कुछ हरकत की और हम देख सकते थे कि लाखों लाख लोग जिनके हाथों में जंजीरें थीं और उन जंजीरों के द्वारा वे टांगे गये थे। ये लोग ऊपर टंगे थे नीचे आग थी, और वे आग पर उछल रहे थे मानों बचना चाहते थे। प्रभु ने हमारी ओर देखा और हमें बताया, "देखो, ये इस प्रकार के डांस (नृत्य) करने वालों के प्रतिफल हैं"। वे संगीत की धुन पर असभ्यता से ऊपर नीचे थिरक रहे थे। यदि साल्सा की धुन बज रही थी तो वे उस धुन पर उछल रहे थे। यदि किसी अन्य प्रकार का संगीत बज रहा होता तो वे उस संगीत की धुन पर उछल कूद करने लगते और वे इस तरह उछल कूद करने से रूक नहीं सकते थे। इन सब में सबसे निकृष्ट बात यह नहीं थी कि वे इस तरह के डांस से रूक नहीं सकते थे, परन्तु वह यह थी कि उनके जूते साधारण तरह के जूते नहीं थे, परन्तु उनके जूतों के पेंदे में छह इंच लम्बी नुकीली कीलें थीं। उन्हें लगातार उछलते रहना और उनके पैरों में उन कीलों द्वारा छेदा जाना एक क्षण आराम किये बिना जारी था। जब कभी कोई इससे रूकने की कोशिश करता तो तुरन्त पिशाच आकर उसे भाले से चुभोकर आप देते हुए कहते थे कि, "उसे सराहो। अब यह तुम्हारा राज्य है, शैतान की स्तुति करो। उसकी तारीफ करो। तुम रूक नहीं सकते, उसकी प्रशंसा करो। उसकी प्रशंसा करो। तुम्हें उसकी प्रशंसा करनी है। तुम्हें उछलना है। तुम्हें नाचना है, तुम्हें एक सैकण्ड भी रूकना नहीं है"।

दूसरी भयानक बात यह थी कि वहाँ जो लोग थे उनमें से बहुत से मसीही लोग थे, जो प्रभु को जानते थे, परन्तु जब वे मरे थे. तब वे एक नाइट क्लब में थे। हो सकता है कि बहुत से लोग आश्चर्य करें और अपने आप से सवाल करें कि "बाइबिल में ऐसा कहाँ लिखा है कि डाँस करना गलत है?" याकूब की पत्री के चौथे अध्याय के चौथे वचन में परमेश्वर का वचन कहता है "हे व्यभिचारिणियों, क्या तुम नहीं जानतीं कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है? इसलिये जो कोई अपने आप को संसार का मित्र बनाता है वह परमेश्वर का शत्रु बन जाता है"।

पहला यूहन्ना उसके दूसरे अध्याय के पन्द्रहवें वचन से सत्रहवे वचन तक, यहाँ पर भी हम पढ़ते हैं कि, "तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम करो, जो संसार से प्रेम करता है उसके हृदा में परमेश्वर का प्रेम नहीं है, क्योंकि जो कुछ संसार में है वह शरीर के उत्तेजनाएँ, आँखों की अभिलाषाएँ, और जीवन का घमण्ड प्रदर्शन ही। जिनकी उत्पत्ति पिता से नहीं है, परन्तु संसार ही से है। और संसार औ उसकी लालसाएँ जाती रहती हैं, परन्तु जो परमेश्वर की इच्छा करता है। वह सदा बना रहेगा"। याद रखो कि संसार जाता रहेगा, सारी वस्तुएँ नाश हो जायेंगी, परन्तु जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है वह सदाकत जीवित रहेगा।

मेरे मित्रों और भाईयों जब हम इस स्थान से बाहर आये, हमने पुल की तरह बने कुछ रचनाएँ देखीं जो नरक को विभिन्न पीड़ादायक स्थानों में विभाजित करती थीं। हमने एक आत्मा को पैदल चलने वाले पुल पर चलते हुए देखा जो बिलकुल एक ऐसी गुड़िया की मानिन्द दिखाई दे रही थी जिसे हमने पृथ्वी पर देखा था, हम उसे खजाने का दानव कहकर पुकारते हैं। उनके सिर के बाल भिन्न थे क्योंकि वे विभिन्न रंगों के थे और उनके चेहरे वृद्ध पुरुष के और उनका शरीर बच्चे का था उनके शरीर में है स्त्री या पुरुष की जननेन्द्रियां थी ही नहीं। उनकी आँखें शैतानियत से भरी थी। इस आत्मा के हाथों में एक भाला था और वह उस पैदल-पुल पर तड़क भड़क के साथ एक रानी की तरह अथवा किसी खूबसूरत माडल की तरह चल रहा था। हर समय वह चलता रहता, जो उसके भाले के नीचे थे उन लोगों को वह भाले से चुभाता और वह उन्हें यह कहकर कोसता था कि, "वह दिन याद करो जब तुम एक मसीही गिरजाघर से बाहर खड़े थे, और तुम वहाँ भीतर जाना नहीं चाहते थे? याद करो वह दिन कि उन्होंने तुम्हें सुसमाचार प्रचार किया था और तुम सुनना नहीं चाहते थे? याद करो वह दिन कि उन्होंने तुम्हें सुसमाचार का एक पर्चा पढ़ने के लिये दिया था, और तुमने उसे दूर फेंक दिया था!"

और नाश होने वाली आत्माओं ने वे बातें सुनना न चाहा जो वह पिशाच उन्हें कोस रहा था इसीलिये उन आत्माओं ने कानों के वे स्थान ढंकते हुए पिशाच को जवाब देते हुए डाँटा, चुप रह! चुप रह! और ज्यादा मुझे मत बता! मैं ज़्यादा जानना नहीं चाहता, चुप रह! किसी तरह इस तरह की पैशाचिक आत्माएँ उन तड़पते हुए लोगों के दर्द को देखकर आनन्दित होती थीं।

मैं दोहरा जीवन जी रहा था, इसलिए मैं नरक में हूँ।

हम प्रभु के साथ लगातार चल रहे थे, और जब हम लोगों के एक झुण्ड की तरफ देख रहे थे, हमने एक आदमी की तरफ ध्यान दिया कि वह वहाँ जल रहे लोगों में से ज़्यादा तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था। यह आदमी कह रहा था, "हे पिता, हे पिता, मुझ पर दया कीजिए!" प्रभु ने उस आदमी की तरफ देखने के लिये रूकने की कोशिश नहीं की, परन्तु जब उन्होंने ये शब्द सुने, "हे पिता" इन शब्दों ने उन्हें झकझोर दिया और वे घूमते हुए पीछे मुड़े। यीशु ने उसकी ओर देखा और उसे बताया, "हे पिता? तुमने मुझे हे पिता कहकर पुकारा? नहीं मैं तुम्हारा पिता नहीं हूँ, और तुम भी मेरे पुत्र नहीं हो। यदि तुम मेरे पुत्र होते, तो तुम इस समय मेरे साथ स्वर्ग के राज्य में होते। तुम तम्हारे पिता शैतान की सन्तान हा"। 

उसी समय आग ने एक कम्बल की मानिन्द उठकर उसके पूरे शरीर को लपेट लिया। प्रभु ने हमें इस आदमी के पृथ्वी पर के जीवन से सम्बन्धित कहानी बतायी। उन्होंने हमें बताया कि इस आदमी ने उन्हें पिता कह कर सम्बोधित किया क्योंकि वह आदमी प्रभु को जानता था। यह आदमी जो गिरजाघर (चर्च) गया था और उसने परमेश्वर के वचन की बातें सुनीं थी। वह ऐसा आदमी था जिसे परमेश्वर से बहत प्रतिज्ञाएँ मिली थी।

जब हम यह सुन रहे थे, हमने पूछा, क्या हुआ प्रभु? तब यह यहाँ क्यों है? प्रभु ने जवाब दिया, "वह एक दोहरा जीवन जी रहा था, वह घर में एक तरफ से जी रहा था, और गिरजाघर (चर्च) में दूसरी तरह से जी रहा था। उसने अपने हृदय में सोचा, अच्छा है, वहाँ मेरे साथ मेरे करीब जीनेवाला कोई नहीं है, न कोई पास्टर, न कोई अन्य सेवक भाई जो मुझे करीबी से जानता हो, इसलिये मैं जो चाहूं सो कर सकता हूँ। परन्तु वह भूल गया कि प्रभु की आँखें हमारी सारी गतिविधियों पर लगीं हैं और न कोई झूठ बोल सकता है और न छुप सकता है कि प्रभु न देखे"।

प्रभु का वचन हमें बताता है, "अपने आप से झूठ मत बोलो परमेश्वर को धोखा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि प्रत्येक मनुष्य जो बोता है वही वह काटेगा भी"। यह आदमी अन्य किसी की तुलना में एक हज़ार गुना अधिक दण्ड नरक में सहन कर रहा था। वह दूना दण्ड पा रहा था। एक उसके अपने पापों के लिये और एक उस सोचे गये विचार के लिये क्योंकि उसने यह सोचा था कि वह प्रभु को धोखा दे देगा।

आजकल लोग पापों की गम्भीरता के अनुसार वर्गीकरण करते या दर्जा देते हैं; वे सोचते हैं कि समलैंगिक लोग, चोर और हत्यारे आदि झूठ बोलने वालों अथवा व्यर्थ बातें करने वालों से तुलना में अधिक बड़े पापी है. परन्तु प्रभु की नजरों में ये सारे ही पाप एक समान हैं और इनका बदला भी समान ही है। और बाइबिल हमें बताती है, "पाप की मज़दूरी मृत्यु है, जो प्राणी पाप करे वह मरेगा"।

मेरे मित्रों और भाईयों, मैं अभी आपको यीशु को ग्रहण करने के लिये आमन्त्रित करता हूँ। यदि आप पश्चात्ताप करेंगे तो प्रभु उसका दया का हाथ आपके जीवन की ओर बढ़ा रहा है। प्रभु का वचन हमें बताता है कि जो अपने बुराई के मार्गों से फिरेगा और पश्चात्ताप करेगा उस पर दया की जाएगी। रूकने और अपने अनुभवों द्वारा पता लगाने से बेहतर यही है कि आप अभी विश्वास करें। परमेश्वर आपको आशिष दें। Read More...