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नरक की दूसरी गवाही - Narak Ki Dusari Gawahi - Second Testimony of Hell - Pastor Bablu Kumar
हे, अत्यधिक प्रिय भाईयों, प्रभु आपको आशीष दें। आइये प्रभु का वचन पढ़ें जो कि भजनसंहिता 18वें अध्याय में है और जहाँ इस प्रकार लिखा है कि, 9वां वचन - "और वह स्वर्ग को नीचे झुकाकर उतर आया. और उसके पांवों तले घोर अन्धकार था"।
जब प्रभु ने मेरा हाथ पकड़ना चाहा, मैंने तुरन्त झपटकर उसके हाथ को कसकर थाम लिया और तब हम उस अंधेरी सुरंग में नीचे की ओर उतरने लगे। ज्यों-ज्यों हम आगे बढ़ते गये वह सुरंग अंधेरी और अंधेरी होती गयी यहाँ तक कि मेरा दूसरा हाथ जो प्रभु का हाथ नहीं पकड़े हुए था वह मेरा दूसरा हाथ भी मैं नहीं देख सकती थी। एकाएक हम कुछ अंधियारे और चमकवाले प्रकाश से होकर गुजरने लगे, कुछ जो कि शोर पैदा कर रहा था। अंधियारा इतना 'घना' था कि आप अपने हाथों से भी सुरंग की दीवार टटोल नहीं सकते थे। हम इतनी तीव्र गति से नीचे की ओर जा रहे थे कि मुझे लगता था कि मेरी आत्मा ही मानो शरीर से अलग हो रही हो। इसी तरह हम नीचे की ओर जा रहे थे, तो मैंने महसूस करना शुरू किया कि एक बहुत तेज़ दुर्गन्ध आने लगी है और वह दुर्गन्ध ऐसी थी मानो कि सड़ी हुई मछली की दुर्गन्ध हो। प्रतिक्षण दुर्गन्ध तेज़ होती जा रही थी।
अचानक, मेरे कानों को ऐसा अनुभव हुआ कि जैसे लाखों लाख लोगों के अंतहीन जोर-जोर से चिल्लाने का शोर गूंज रहा हो, वे लोग तेज़ आवाज़ में कराह रहे थे। तब मैं प्रभु की ओर पलटी क्योंकि मैं बेहद भयभीत थी, और मैंने कहा, "प्रभु आप मुझको कहाँ लिये जा रहे हैं? प्रभु मुझ पर कृपा कीजिये ! कृपया मुझ पर दया करें!" प्रभु ने केवल इतना ही कहा, "यह आवश्यक है कि तुम यह देखो, इसलिये कि तुम प्रत्येक को बता सको"।
हम इस सींग के आकार की सुरंग से होकर लगातार नीचे की ओर जा रहे थे जब तक कि हम इस स्थान पर आक्कर ठहरे। यह स्थान पूर्णतया अन्धकार मग्न था। ऐसा लगा कि जैसे मेरी आँखों के सामने से एक भारी-भरकम परदा सरकाया जा रहा हो, मैंने लाखों लाख अग्नि ज्वालाएँ देखनी शुरू की। इससे भी बदतर दशा यह थी कि मैं उन तड़पन भरी चीख पुकार को सुन सकती थी, परन्तु मैं किसी को भी देख न सकी, इसलिये मैं वास्तव में बहुत अधिक भयभीत होने लगी। मैंने प्रभु से कहा, "ओह, प्रभु कृपा कीजिये, मुझ पर कृपा कीजिये ! ओह प्रभु कृपया मुझ पर दया करें, मुझे इस स्थान को मत ले जाईये! मुझे क्षमा कर दीजिये !” उस क्षण में, मैंने नहीं सोचा कि मैं नरक में केवल एक दर्शक ही हूँ, मैंने सोचा यह पापों की सज़ा का दिन है। जब मैं प्रभु यीशु के सामने खड़ी थी, मैं बहुत जोर से काँप रही थी क्योंकि मैंने वास्तव में सोचा था कि यह मेरे जीवन का अन्तिम समय है।
हमारे सामने जो एक बड़ी ज्वाला थी उसके हम बहुत समीप पहुंच गये, वह बहुत ही विशाल और क्रोध के प्रकोप से प्रज्जवलित थी। मैं लाखों आत्माओं के करूण क्रन्दन और एक आवाज में उनकी चीख पुकार सुनते हुए और अग्नि ज्वालाओं का बड़ा समूह देखते हुए धीरे-धीरे नीचे जा रहीं थीं, वे सभी एक जैसी बियर की बोतलें थीं। वे ताज़ा करनेवाली पेय पदार्थ की बोतलें जैसी दिखाई देती थीं परन्तु आग से भरी हुई थीं। जैसे मैं इस ओर देख ही रही थी, कि अचानक एक आदमी दिखाई दिया। उसकी देह लगभग सम्पूर्ण रूप से नष्ट प्रायः थी। कपड़ों के नाम पर उसकी देह पर जो बचा था वह कीचड़ से सना व जला कुटा था। वह पहले ही अपनी आँखें, मुंह और सारे बाल जो थे वह आग में खो दिया था। उसकी आँखें नहीं थी यह सच था परन्तु इसके बावजूद वह मुझे देख सकता था।
इसलिये मैं आपको अभी बताती हूँ कि यह शारीरिक देह नहीं परन्तु, यह एक व्यक्त्ति की आत्मा है जो सोचती है, तर्क वितर्क करती है और सच में देखती है। यह आदमी मुझे देख सकता था। उस आदमी ने जो कि बहुत दुबला था, अपना कमज़ोर हाथ प्रभु की ओर बढ़ाया और चिल्लाकर कहना शुरू किया, "हे प्रभु, मुझ पर दया कीजिये ! प्रभु, मुझ पर दया कीजिये! मैं पीड़ा में हूँ! मैं जल रहा हूँ। कृपया मुझ पर दया कीजिये और मुझे इस स्थान से बाहर निकालिये!" प्रभु ने तरस से भरकर उसकी तरफ निहारा, और मैंने यह अनुभव करना शुरू किया कि मेरे हाथों में कुछ गर्म-गर्म है। जैसे ही मैंने देखा, वह लहू था...... यीशु का लहू! यह प्रभु का लहू था जो उसके हाथ से बहा था जब वह उस आदमी को चारों ओर लपटों से घिरा और पीड़ा सहते हुए देख रहा था।
और उसी क्षण में वह आदमी नज़रें फेर कर मेज की ओर टकटकी ब्राँध कर देखने लगा और बोतलों की तरफ चला। उसका हाथ बोतल उठाने के लिये बढ़ा, और जैसे ही उसने उसमें से पीना चाहा, आग और धुंआ बोतल में से निकल पड़ा। उसने अपने सिर को पीछे खींचा और इतने जोर से चीखा की मैंने पहले ऐसी भयानक चीख नहीं सुनी थी। वह बहुत पीड़ा और दुख के साथ चिल्लाया। तब उसने उस बोतल में जो था उसे पीना शुरू किया। फिर भी, बोतल तो तेजाब से भरी हुई थी और इस कारण उसका गला पूरी तरह नष्ट हो गया। हम देख सकते थे, कि कैसे यह तेजाब उसके पेट से गुज़र कर उसे नुकसान पहुंचा रहा था।
इस व्यक्ति के माथे पर उसकी त्वचा में एक संख्या खुदी हुई थी। यह संख्या 666 थी। उसके सीने पर, जानी न जा सके ऐसी अज्ञात घातु पदार्थ की बनी हुई प्लेट लगी हुई थी, वह किसी भी वस्तु के द्वारा नष्ट नहीं हो सकती थी, यहाँ तक कि अग्नि-ताप अथवा कीड़ों के द्वारा भी वह नष्ट नहीं हो सकती थी। इस धातु को कुछ भी नष्ट नहीं कर सकता था। इस पर अक्षरों में कुछ लिखा हुआ था पर हम उसे समझ नहीं सके थे, परन्तु प्रभु ने अपनी महान दया से वह जो कुछ उस प्लेट में लिखा हुआ था, उसका अनुवाद हमें दे दिया। वह यह था, "मैं यहाँ हूँ, क्योंकि मैं एक शराबी (पियक्कड़) हूँ"। वह प्रभु से दया की याचना करने लगा, परन्तु प्रमु का वचन एकदम स्पष्ट है, जबकि यह हमें । कुरिन्थियों 6:10 में बताया गया है, "न चोर, न लोभी, न ही पियक्कड़, न मिथ्या निन्दक (गाली देने वाले । और न ही, अत्याचारी या लुटेरे परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे"।
प्रभु ने मुझे इस आदमी के पृथ्वी पर के अन्तिम क्षणों को देखने के लिये अगुवाई किया। चलचित्र की तरह अथवा सिनेमा के समान इत्स आदमी के जीवन की अन्तिम घड़ियां दिखाई देनी शुरू हो गयीं। यह एक बहुत बड़े दूरदर्शन के स्क्रीन (पर्दे) की तरह था, जो मुझे उसकी (उत्स आदमी की) मृत्यु-पूर्व के अन्तिम क्षणों को दिखा रहा था। इस आदमी का नाम लुईस था और वह इतना बड़ा शराबी था कि वह एक शराबखाने में बैठकर शराब पी रहा था। मैंने एकदम वही भेज़ एवं वही बोतलें उस शराबखाने में देखीं जो कि कुछ देर पहले नरक में देखी थी: उस मेज के चारों ओर उसके मित्र भी बैठे हुए थे। यहाँ अभी मैं आपको बता सकती हूँ कि वहाँ केवल एक ही सच्चा मित्र है, और उसका नाम यीशु मसीह है। वह विश्वासयोग्य मित्र है। उसके मित्र पहले ही पी चुके थे और लुईस था जो वहाँ पी रहा था। उसके अच्छे मित्र ने एक बोतल उठायी और उसे तोड़ डाला, तब वह उससे लुईस पर आघात करने लगा। लुईस फर्श पर पड़ा देखकर भाग गया। उस मित्र लुईस का खून बहता रहा और वह फर्श पर पड़ा हुआ मर गया। सबसे दःखद बात यह थी कि वह प्रभु को ग्रहण किये बिना मर गया था।
जैसे कि नरक में वे सारी आत्माएँ तड़प के साथ आवाजें कर रही थीं, इस सबके बीच मैंने प्रभु से पूछा, "हे प्रभु कृपया मुझे बतायें, क्या यह आदमी आपको जानता था? क्या वह, आपके दिये हुए उद्धार के बारे में जानता था?" और दुख से भरकर प्रभु ने उत्तर में कहा, "हाँ ल्यूप, वह मेरे बारे में जानता था। उसने मुझे अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता ग्रहण किया था, परन्तु उसने मेरी सेवा नहीं की"। तब मैं अत्यधिक भय से घिर गयी। तब लुईस और भी अधिक तेज़ आवाज़ में चिल्लाता और पुकारता रहा. "प्रभु यह मुझे दर्द देता है! इससे मुझे तकलीफ होती है! कृपया मुझ पर दया करें!" उसने पुनः अपने हाथ प्रभु की ओर फैलाये, परन्तु प्रभु ने उसके बदले मेरे हाथ को पकड़ लिया और हम उस ज्वाला से दूर जाने लगे। ज्वालायें अधिक प्रबल होकर लुईस को जलाने लगीं और वह जोर से चिल्लाया, "मुझ पर दया हो! मुझ पर दया हो!" फिर वह ज्वालाओं में खो गया।
यीशु और मैं उस स्थान में लगातार चल रहे थे। यह स्थान इतना विशाल था! यह उभरा हुआ था। हम चलते ही रहे जब तक कि हम अन्य ज्वाला कि स्थान तक न पहुंच गये। मैंने प्रभु से कहा, "प्रभु नहीं, कृपा करें मैं और अधिक देखना नहीं चाहती। मैं आपसे क्षमा चाहती हूँ। कृपया मुझे क्षमा करें। मैं यह देखना नहीं चाहती"। अतः मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली, परन्तु मैं अपनी आँखें खुली रखूँ या बन्द करूँ। इससे कुछ भी अंतर नहीं पड़ता क्योंकि मैं अब भी प्रत्येक वस्तु देख सकती थी।
यह ज्वाला धीरे-धीरे नीचे की ओर जाने लगी और मुझे एक औरत दिखने लगी। वह कीचड से सनी हई थी और वह कीचड़, केंचुओं से भरी हई थी। उसके बहुत ही थोडे बाल रह गये थे और वे हलचल कर करके कष्ट देने वाले केंचुओं से भरी कीचड़ से कठोर हो गये थे। उसके सिर के ऊपर चारों ओर वह केंचुओं से भरपूर थी और वह चिल्लायी "प्रभु मुझ पर दया कीजिए। मेरी तरफ देखिये। ये मुझे दर्द पहुंचा रहे हैं। मुझ पर दया कीजिए। इन केंचुओं को दूर कर दीजिए। मुझे इस भयानक यातना से बाहर निकालिये क्योंकि ये मुझे बहुत पीड़ा पहुँचा रहे हैं"।
प्रभु ने बहुत दुःख से एक बार उसे देखा। मैं यह बतास की क्योंकि हम उसके हाथ को पकड़े हुए थे इसलिये जब प्रभु ने उन सभी नाश होती हुयी, नरक की आग की लपटों में हमेशा के लिये अथवा अनन्त काल के लिये जलते हुए देखा उस समय प्रभु के हृदय में जो दर्द और दुःख समा गया था हम उसे महसूस कर सकते थे। इस औरत के न तो आँखें थी और न ही होंठ थे, परन्तु वह फिर भी देख सकती थी और महसूस कर सकती थी। सारा दर्द बहुत ही भयानक और गहरा था। उस औरत के हाथों में एक बोतल दिखी जो तेजाब से भरपूर थी, परन्तु उसका ऐसा विश्वास था कि वो सुगंधद्रव्य है। कुछ भी हो, मैं देख सकती थी कि वह तेजाब है और उस समय वह औरत उसे अपने शरीर पर (स्प्रे) लगाती थी, उस तेजाब ने उसे जला डाला। तो भी वह उस तेजाब को अपने शरीर पर बार-बार स्प्रे करती रही उसने वह छिडकाव करना चालू ही रखा। वह यह कहती रही कि यह बहुत ही कीमती सुगन्ध द्रव्य है।
वह यह भी विश्वास करती थी कि उसने एक आकर्षक हार पहन रखा है, परन्तु मैंने देखा कि वह सब सांप थे जो उसके गले से लिपटे थे। उसका ऐसा विश्वास था कि उसने बहुत कीमती कंगन पहन रखे हैं, परन्तु मैंने देखा कि वे लगभग एक फीट लम्बे केंचुए थे जो उसके हाथ की हड्डियों को तेजी से खोदकर गहरा कर रहे थे। इस औरत ने कहा कि जो वह पहिने हुए है वह सब उसके गहने हैं। मैंने देखा बिच्छु और केंचुए उसके पूरे शरीर पर थे, और नरक में सब पर एक-एक धातुई प्लेट लगी थी। वह प्लेट बताती थी, "मैं चोरी के कारण यहाँ हूँ"।
इस औरत को अपने पापों के लिये कोई पछतावा नहीं था।, तब प्रभु ने उससे पूछा, "मैग्डेलिना, तुम इस स्थान में क्यों हो?” उसने जवाब में कहा, "दूसरों के गहने चुराने में मुझे कोई परेशानी नहीं होती थी। मैं केवल इसी बात की सावधानी रखती थी मेरे पास गहने हों और बहुत सारे कीमती इत्र प्राप्त करूँ। जिन्हें मैं लूटती थी उनकी परवाह नहीं करती थी, केवल यह ध्यान रखती थी कि मैं बहुत समय तक अच्छी दिखती रहूँ"।
मैंने लगातार यीशु के हाथ को पकड़े रखा था, और देखा कि केंचुओं ने इस औरत के सारे शरीर में छेद बना लिये थे। तब मैग्डेलिना कुछ तलाश करते हुए पीछे घूमी। मैंने एक बार प्रभु से पूछा, "प्रभु क्या यह आपके बारे में जानती थी?" और प्रभु ने जवाब दिया, "हाँ, यह मेरे बारे में जानती थी"। मैग्डेलिना ने अपने चारों ओर यह कहते हुए देखना शुरू किया, "प्रभु, वह स्त्री कहाँ है जिसने मुझसे आपके बारे में कहा था? वह कहाँ है? मैं पद्रह वर्षे से नरक में हूँ"।
नरक में रहते समय सभी व्यक्ति प्रत्येक बात स्मरण कर सकते हैं, मैग्डेलिना ने पूछना जारी रखा "वह औरत कहाँ है? मैं उसे नहीं देख सकती"! मैं जानती थी कि उसका शरीर घूमकर मुड़ नहीं सकता क्योंकि उसका शरीर उसी दशा में था। उसने मुड़कर अन्य ज्वालाओं को देखने की कोशिश की, उस औरत को ढूंढने की कोशिश कर रही थी जिसने उससे परमेश्वर के बारे में बातचीत की थी। तब प्रभु ने उससे कहा, "नहीं, नहीं, मैग्डेलिना, वह यहाँ नहीं है। जिस औरत ने तुम्हें मेरे बारे में बताया वह मेरे साथ स्वर्ग के राज्य में है"। जब उसने यह सुना, उसने स्वयं को नीचे ज्वाला में झोंक दिया और उन्होंने उसे अपनी ज्वालाओं में समेट लिया और तेजी से जलने लगी। कुछ भी हो उसकी धातुई प्लेट ने उस पर दोष लगा दिया कि वह एक चोर थी। मैं चाहती हूँ कि आप परमेश्वर के वचन में से पढ़े। यशायाह में से तीसरा अध्याय, चौबीस वचन। "सारे सुगन्ध की सन्ती सड़ाहट, सुन्दर कर्धनी की सन्ती बन्धन की रस्सी, गुन्थे हुए बालों की सन्ती गंजापन, सुन्दर पटुके की सन्ती टाट की पेटी, और सुन्दरता की सन्ती दाग होंगे" (यशायाह 3:24)।
हम प्रभु के साथ लगातार चलते रहे। अगले ही क्षण में मैंने एक बहुत विशाल स्तम्भ देखा जो कि कीड़ों से भरा हुआ था और उस स्तम्भके चारों ओर लाल तप्त धातु की एक पट्टिका बनी हुई थी। उस स्तम्भ पर एक चमकीला विज्ञापन लगाने वाला बोर्ड भी डण्डे पर टाँगा गया था, कि वह किसी भी तरह से दिखाई दे सके, वह बताता है, "सारे झूठ बोलने वालों और गप्पे मारने वालों का स्वागत है"। इस पट्टिका के अन्त में, वहाँ उथले किनारों वाली एक छोटी झील थी, वह उबल रही थी और वह ऐसी दिखती थी कि जलते हुए गन्धक की झील थी।
तब तक बिलकुल वस्त्रविहीन व्यक्ति उस पट्टिका के नीचे आता हुआ दिखायी दिया। जैसे ही वह व्यक्ति फिसला उसकी त्वचा निकल गयी और वह उस पट्टिका (slide) पर चिपक गया। जैसे ही वह उस जलती हुई झील में गिरा उसकी जीभ फैलती चली गयी जब तक कि फट न गयी और कीड़ों ने जीभ के स्थान में प्रवेश किया कि उसे यातना देना शुरू करें। परमेश्वर का वचन भजन संहिता 73:18,19 में ऐसा लिखा है, "निश्चय तू उन्हें फिसलनेवाले स्थान में रखता है; और गिरकर सत्यानाश कर देता है। अहा, वे क्षण भर में कैसे उजड़ गये हैं। वे मिट गये, वे घबराते, घबराते नाश हो गये हैं"।
इसी दृश्य के बाद हम लौट गये। आपको मैं बताना चाहती हूँ कि नरक और स्वर्ग वास्तविक में उपस्थित हैं। हम जितना भौतिक संसार को समीप से जानते हैं नरक और स्वर्ग उससे भी कहीं ज्यादा वास्तविक हैं। अब हम यहाँ तक आ पहुँचे हैं कि आपको अपनी दिशा-निर्धारण करना है चाहे आप नित्यता में सदाकाल के लिये जाकर प्रभु यीशु के साथ रहें अथवा जलते हुए नरक में जायें; फैसला आपके हाथ में है। प्रभु हम से कह रहे थे; "पवित्रता के बिना कोई मनुष्य मुझे देख नहीं सकता, पवित्रता के बिना कोई मुझे देख नहीं सकता" ऐसा क्यों है, मैं आपको बताती हूँ, क्योंकि यही बात परमेश्वर के वचन में इब्रानियों के बारहवें अध्याय के चौदहवें वचन में भी लिखा हुआ है कि पवित्रता के बिना तुम प्रभु को कदापि नहीं देख सकते। Read More...



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