नरक की पहली गवाही - Narak Ki Pahali Gawahi - The first Testimony of Hell - Pastor Bablu Kumar
अविश्वसनीय दर्शन
"और अन्त के दिनों में ऐसा होगा." परमेश्वर कहता है, "कि मैं अपनी आत्मा
सब मनुष्यों पर उण्डेलूंगा, और तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ भविष्यद्वाणी करेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे, यहाँ तक कि मेरे दासों पुरुषों और स्त्रियों
दोनों पर मैं उन दिनों में मेरी आत्मा उण्डेलूंगा, और वे भविष्यद्वाणी करेंगे" (प्रेरितों
के काम 2:17)।
स्वर्ग और नरक के विषय में पवित्रशास्त्र में परमेश्वर का वचन बहुत ही स्पष्टता
से बताता है। विशेषकर इस हिस्से में जो हम ध्यान देकर पढ़े, प्रभु हमें दो स्थानों के बारे में बताते
हैं, स्वर्ग और नरक, दोषारोपण अथवा उद्धार। मनुष्य पृथ्वी
पर से कूच करके स्वर्ग को जाने के रास्ते में कल्पित रूप से वहाँ इन दोनों के बीच में
अन्य कोई स्थान नहीं है।
परमेश्वर ने हमें प्रकाशन दिया है और वह हमारे जीवनों को कराकर पथ को बदल सकता है। हमने अभी परमेश्वर और उसके वचन के बारे में जानने की केवल शुरूआत ही की है। हम लोग सात जवान हैं जिन्हें परमेश्वर ने विशेष अधिकार और महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी हैं कि दिये गये प्रकाशन को संसार के साथ बाँटें।
सब कुछ सुबह लगभग दस बजे शुरू हुआ। हम प्रार्थना कर रहे थे और अचानक एक तेज़ चमकदार सफेद रोशनी खिड़कियों में से होकर हमारे कमरे में चमकी। जब वह रोशनी चमकी, हम सभी ने पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पा लिया। उसी क्षण हम सभी चकित होकर और जो कुछ देखा था, उससे मंत्र मुग्ध से हो गये थे।
वह महिमामय प्रकाश पूरे कमरे में प्रकाशित था जहाँ कि हम लोग थे। वह एक ऐसा अद्भुत प्रकाश था जो कि सूर्य के प्रकाश से भी अधिक तेजोमय था। और उस प्रकाश के मध्य में हमने श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित स्वर्गदूतों की एक सेना देखी। वे स्वर्गदूत बहुत ही सुन्दर ऊँचे और देखने में बहुत अच्छे लग रहे थे। उन सभी स्वर्गदूतों के मध्य में चकित करने वाला एक विषय देखा, और वह एक मनुष्य की आकृति थी। वह रूप बहुत ही विशिष्ट था। ऐसा मनुष्य जो बहुत चमकदार श्वेत लबादे जैसी पोशाक पहने हुए था। उसके बाल सोने के तार की मानिन्द थे। हम उसका चेहरा न देख सके क्योंकि वह बहुत अधिक दैदीप्यमान था। किसी तरह तौभी हम ने उसकी छाती के चारों तरफ एक सुनहरा बैल्ट देखा और उस बैल्ट पर सुनहरे अक्षरों में ये शब्द लिखे थेः "राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु”। उसने अपने पैरों में शुद्ध सोने की सैण्डिलें पहनी थीं और उसकी सुन्दरता अद्वितीय थी।
जब हमने उस पुरूष को उपस्थित देखा हम सभी घुटनों के बल पर गिर पड़े। जब हमने उसकी आवाज़ सुननी शुरू की, वह आवाज़ बहुत विशेष और अद्भुत थी। प्रत्येक शब्द मानों दोधारी तलवार की मानिन्द हमारे हृदयों को बंध रहा था। जैसा कि परमेश्वर के वचन में यह लिखा हुआ है (इब्रानियों 4:12)। उसने हमसे बहुत साधारण तरीके से कहा, परन्तु उसके शब्दों में सामर्थ थी। हम उसके द्वारा कही गयी बात को सुन सकते थे क्योंकि वह कही जाने वाली बात सुनी जाने लायक थी। वह हमसे कह रहा था, "मेरे नन्हें बच्चों, भयभीत मत होना, मैं नासरत का यीशु हूँ, और मैंने तुम से इसलिये भेंट की है कि तुम्हें एक गुप्त भेद दिखाऊं, ताकि तुम उसे देखकर शहरों, देशों, नगरों, आराधनालयों और सब जगहों पर दिखा और बता सको। जहाँ मैं तुम्हें जाने के लिये कहूँ वहाँ तुम जाना, और जहाँ मैं तुम्हें जाने से मना करूँ वहाँ मत जाना।"
एकाएक उसी समय में एक अजीब घटना घट गयी। हमारे कमरे के मध्य में एक चट्टान प्रकट हुई. और प्रभु ने जो हमारे साथ था वह हमें उस चट्टान पर ले लिया। वह चट्टान फर्श से लगभग आठ इन्च ऊपर थी। फिर फर्श में एक विशाल छेद बन गया। वह एक काली, विशाल, भयंकर गुफा की तरह था। एक ही क्षण में, हम सब उस चट्टान के ऊपर गिरने लगे और फर्श के उस छेद में गिरने लगे। वहाँ घना अन्धकार था और यह हमें पृथ्वी के अन्दर मानों पृथ्वी केन्द्र की ओर ले गया। हम उस गहरे अन्धकार में डूब गये, और हम इतने अधिक डरा हुआ हुए थे, और हम इतने डर गये थे, कि हम लोगों ने प्रभु से कहा, "प्रभु, हम उस स्थान की ओर जाना नहीं चाहते। प्रभु, हमें उस स्थान पर मत ले जाइये। प्रभु, कृपया हमें यहाँ से बाहर ले चलिये!" प्रभु ने हमें बहुत सुन्दर और हमदर्दी से भरपूर आवाज़ में जबाब दिया, "यह अनुभव बहुत ही आवश्यक है इसलिये कि तुम इसे देखो और दूसरों को बताओ"।
तुरही के आकार की उस सुरंग के अन्दर की ओर हमें परछाइयाँ, पिशाच और आकृतियाँ दिखाई देनी शुरू हो गयी जो एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर जा रही थीं। क्षण प्रतिक्षण हम गहराई में नीचे और नीचे जा रहे थे। कुछ ही सेकंड़ों में सूनापन महसूस होने लगा और हम डर से काँपने लगे। हम कुछ भुलभुलैया जैसी जगहों पर कुछ भयानक द्वार एवं कुछ गहरी खंदक जो पत्थरों में खोदी गयी होती है ऐसे स्थानों तक पहुँच गये थे। हम और अन्दर की ओर बिल्कुल नहीं जाना चाहते थे। हमने ऐसा महसूस किया कि एक भयानक दुर्गन्ध एवं गर्मी से हम घुट रहे हों। एक बार जब हम उस स्थान में प्रवेश कर गये, हमें भयंकर चीजें दिखाई देनी शुरू हो गयीं, हमने बहुत भयंकर और वीभत्स आकृतियाँ देखीं। वह सारा स्थान ज्वाला से घिरा हुआ थाः और उन ज्वालाओं के बीच में हजारों की संख्या में मानव शरीर थे जो भयानक थे, कि जो कुछ हमें दिखाया गया था हम वह सब बिल्कुल भी देखना नहीं चाहते थे।
हम देख सकते थे कि वह स्थान पीड़ादायक और कष्टदायक स्थानों में अलग-अलग विभाजित था। उसमें से पहले हिस्से में जिसमें प्रभु ने हमें देखने की अनुमति दी थी उसे हम कड़ाही की शक्ल की घाटी के नाम से पुकारते हैं और वहाँ ऐसी दस लाख कड़ाही के शक्ल की घाटियाँ थीं। वे घाटियाँ जो बड़ी कड़ाही कि शक्ल में थी. पृथ्वी की सतह पर मानों गाड़ी गयी थीं और उनमें प्रत्येक कड़ाहे के भीतर अग्निमय लावा था। हर एक कड़ाहे के उस लावा में हर एक मर कर नरक को पहुँच चुके व्यक्ति की आत्मा थी। जैसे ही उन आत्माओं ने प्रभु को देखा वे चिल्लाकर पुकारने लगे प्रभु हम पर दया कीजिए हे प्रभु मुझे एक बार यहाँ से बाहर जाने का मौका दीजिए। प्रभु, मुझे यहाँ से बाहर आने दीजिए और मैं संसार को बताऊंगा कि वास्तव में यह स्थान यहाँ पर है। प्रभु ने उनकी ओर देखा तक नहीं।
वहाँ लाखों की संख्या में पुरुष, स्त्री और जवान लोग भी उस स्थान में थे। हमने वहाँ पर समलैंगिकों और पियक्कड़ों को भी पीड़ा में तड़पते देखा। हमने वहाँ पर उनको भयानक पीड़ा के मारे चिल्लाते हुए देखा।
इन दृश्यों से हमारे दिल दहल गये क्योंकि हमने
देखा कि किस तरह उनके शरीर नाश हो रहे थे। उनकी आँखों के छेद से जो कि खाली हो चुके
थे, कीड़े भीतर
जा रहे थे और बाहर आ रहे थे। वे कीड़े मुंह और कान में भी भीतर बाहर आ जा रहे थे। उनके
शरीरों की त्वचा में ये कीड़े आर-पार हो रहे थे। ये बातें परमेश्वर के वचन को पूरा
करती हैं जैसा कि यशायाह की पुस्तक में 66:24 में लिखा है, "तब वे निकलकर उन लोगों की लोथों पर जिन्होंने मुझ से बलवा किया, दृष्टि डालेंगे, क्योंकि उनमें पड़े हुये कीड़े कभी न
मरेंगे, उनकी आग कभी न बुझेगी, और सारे मनुष्यों को उन से अत्यन्त घृणा
होगी"। आगे मरकुस 9:44 में हम पढ़ते हैं कि, वहाँ उनका कीड़ा कभी नहीं मरता और आग
नहीं बुझती है"।
उस क्षण में जो कुछ हमने देखा था उसे
देखकर हम सभी भयाक्रांत थे। जो ज्वाला हमने जलते हुये देखीं थीं वे लगभग 9 से 12 फीट ऊंची थी। उस प्रत्येक
ज्वाला में एक ऐसे व्यक्ति की आत्मा थी जो मर चुकी थी व मरकर नरक में आ चुका था।
प्रभु ने हमें एक ऐसे व्यक्ति को देखने के लिये अनुमति दिया जो ऐसे कड़ाहों में से एक कड़ाहे के भीतर था। उसका सिर नीचे की ओर और उसके चेहरे का मांस टुकड़ों में नीचे गिर रहा था। वह एक टक प्रभु की तरफ देखे जा रहा था; और तब उस व्यक्ति ने चिल्लाकर और यीशु का नाम लेकर पुकारा। उसने कहा, "हे प्रभु, मुझपर दया कर! प्रभु मुझे एक मौका दीजिए! प्रभु यीशु ने उसकी तरफ देखना भी न चाहा। यीशु ने धीरे से अपनी पीठ उसकी तरफ फेर दी।
जब यीशु ने ऐसा किया उस आदमी ने प्रभु की निन्दा करना और उसे कोसना शुरू कर दिया। वह व्यकित जॉन लेनन था जो एक संगीत झुण्ड "द बीटल्स" का सदस्य था। जॉन लेनन एक ऐसा व्यक्ति था जिसने अपने जीवन काल में प्रभु को ठट्ठों में उड़ाया और उसका मजाक बनाया था। उसने कहा था कि मसीहियत समाप्त होने जा रही है और यीशु मसीह को हर एक जन भूल जाएगा। जिस तरह आज यह आदमी नरक में है और यीशु मसीह जिन्दा है! और मसीहियत भी विलुप्त नहीं हो गयी। यदि आप जानना चाहते हैं कि किस रीति से जॉन लेनन, मसीह को अपनाया और दुबारा शैतान की ओर फिर गया।
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ज्योंही हमने उस स्थान के किनारे किनारे चलना शुरू किया, बहुत आत्माओं ने अपने हाथ हमारी ओर बढ़ाकर दया की भीख मांगी। उन्होंने यीशु से उस स्थान से उन्होंने बाहर जाने की अनुमति चाही, परन्तु प्रभु ने उस तरफ ध्यान भी नहीं दिया। तब हम अन्य दूसरे हिस्से से होकर गुज़रने लगे। विशेषकर वह हिस्सा जो नरक का सबसे भयानक हिस्सा था। यह स्थान जहाँ कि सबसे भीषण पीड़ा दी जाती है, यह नरक का केन्द्र स्थान है। ये पीड़ा के सबसे अधिक खतरनाक रूप हैं, यह यातनाएँ ऐसी भयानक थीं कि कोई भी मनुष्य उनका वर्णन कभी नहीं कर सकता।
वहाँ पर केवल ऐसे लोग थे जो यीशु को और परमेश्वर के वचन को जानते थे। वहाँ पर पादरी, सुसमाचार प्रचारक, धर्मोपदेशक और सभी तरह के ऐसे लोग थे जिन्होंने एक बार प्रभु को ग्रहण किया था और सच्चाई को जानते थे, परन्तु एक दोहरा जीवन जिया। वहाँ पीछे हटे हुए अर्थात प्रभु को ग्रहण करके बाद में फिर गये ऐसे लोग भी थे। इस तरह के लोग वहाँ पर किसी अन्य की तुलना में हजार गुणा अधिक बुरी दशा में पीड़ा सह रहे थे। ये लोग भी प्रभु से चिल्ला चिल्लाकर दया की याचना कर रहे थे, परन्तु जैसा कि परमेश्वर का वचन इब्रानियों की पुस्तक 10:26 में कहता है कि, "क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं"। हाँ, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग की ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगी।
(यीशु ने भी कहा कि, "और वह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था और तैयार न रहा और न उसकी इच्छा के अनुसार चला बहुत मार खाएगा। परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे, वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिये जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जाएगा, और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से बहुत माँगेंगे" (लूका 12:47,48)
जिन्होंने प्रचार किया, उपवास रखा, गीत गाये, और जिन्होंने कलीसिया में अपने हाथ खड़े किये (हो सकता प्रभु की स्तुति करते समय अथवा कलीसिया चुनाव के समय भी) परन्तु सड़कों में और उनके अपने घरों में वे लोग व्यभिचार (चाहे परस्त्रीगमन हो अथवा परपुरुषगमन हो) अर्थात् दूसरे की पत्नी अथवा दूसरे के पति से शारीरिक सम्बन्ध रखे थे, कुवारियों से बिना विवाह किये, कई कुवांरियों से शारीरिक सम्बन्ध रखकर व्यभिचारी बन गये थे, झूठ बोला करते थे, और डाके डाला करते थे. ऐसे सभी लोगों की आत्माएँ वहाँ पर पीड़ाएँ झेल रहीं थीं। हमें परमेश्वर से झूठ बोलना नहीं चाहिये। पवित्र शास्त्र बाइबिल कहती है कि जिसे अधिक दिया गया है, उससे अधिक माँगा भी जाएगा। वहाँ परमेश्वर ने हमें दो ऐसी स्त्रियों को दिखाया जो पृथ्वी पर मसीही बहिनें थीं, परन्तु उन बहिनों ने प्रभु के सामने धार्मिकता पूर्ण जीवन नहीं बिताया था। पहली ने दूसरी से कहा, "नीच दुष्ट, तू श्रापित है, यह तेरी गलती थी जिसके कारण मैं यहाँ इस स्थान पर हूँ। तूने मुझे पवित्र सुसमाचार प्रचार नहीं किया और चूंकी तूने मुझे सत्य के बारे में नहीं बताया मैं अब यहाँ नरक में हूँ।"
उन आग की ज्वालाओं के बीच में वे आपस में ऐसी बातें कह रही थीं और वे एक दूसरे
से घृणा कर रही थीं। क्योंकि वहाँ प्रेम नहीं है, दया नहीं है, क्षमा नहीं है क्योंकि वह नरक है। वहाँ
पर ऐसी हजारों आत्माएँ हैं जो परमेश्वर का वचन जानती थी, परन्तु परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति
के सामने उनके जीवन शुद्ध नहीं थे। तुम परमेश्वर को धोखा नहीं दे सकते अथवा नरक की
ज्वालाओं को भी धोखा नहीं दे सकते, ऐसा प्रभु ने कहा। उसने हमें यह भी बताया कि, "मेरे बेटों, पृथ्वी पर के जो सारे कष्ट और पीड़ा
एक ही स्थान पर केन्द्रित हैं, वह कुछ भी नहीं है, उनमें से अर्थात् पृथ्वी के कष्ट या दुख पीड़ा में से किसी की
तुलना नरक के किसी अच्छे भाग में पीड़ा भोग रहे व्यक्ति की पीड़ाओं से नहीं की जा सकती।
अर्थात् नरक की पीड़ा यहाँ पृथ्वी की पीड़ाओं से बहुत ही बढ़कर है"।
यदि नरक की कम से कम पीड़ा भी वहाँ सहने वालों के लिये असहनीय है, तो फिर जिन्होंने एक बार परमेश्वर का वचन जान तो लिया पर उससे दूर ही भागते रहे, उस पर चलना न चाहा, उनके लिये जो नरक के केन्द्र में पीड़ा भोग रहे हैं उनकी दशा और भी कितनी बदतर होगी। इसी वक्त प्रभु ने हमे यह भी बतलाया कि हम पृथ्वी की आग से खेल सकते हैं: परन्तु नरक की आग से कभी नहीं खेल सकते।
हम लगातार विभिन्न स्थानों से होकर गुजरते रहे और प्रभु ने हमे कई अलग-अलग प्रकार के लोगों को दिखाया। हम वहाँ देख सकते थे कि वहाँ के लोग लगभग छः प्रकार की विभिन्न यातनाएँ भुगत रहे थे। वहाँ पीड़ित आत्माएँ पिशाचों के द्वारा कई प्रकार के दण्ड पा रहे थी।
एक दूसरा भयानक दण्ड यह था कि उनके अपने विवेक उन्हें कचोट रहे थे, कि याद करो, जब तुमने परमेश्वर का वचन सुना था, याद करो जब उन्होंने तुम्हें नरक के बारे में बताया था और तुम उन पर हँस रहे थे। उनके अपने विवेकों के द्वारा उन्हें याद कराया जाना मानो उनके लिये बड़ा भारी दण्ड था, जैसे कि कीड़े सारे शरीर पर इधर-उधर चल रहे हों और जैसे उसे भस्म करने वाली अग्नि के समान हो; जो हम गर्माहट जानते हैं उससे भी हज़ारों हज़ार गुना अधिक धधकती हुयी आग। जो शैतान की खोज करते या उसका अनुसरण करते हैं उनका यही भाग दिया जाएगा।
परमेश्वर का वचन प्रकाशित वाक्य 21:8 में जैसा कहता है, कि "पर डरपोकों और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है; यह दूसरी मृत्यु है"।
इसके पश्चात् प्रभु ने हमें एक ऐसे आदमी को दिखाया, जिसने छः व्यक्तियों की हत्याएँ की थीं। ये छः व्यक्ति अब उसको चारों ओर घेरे हुये थे और चिल्लाकर उससे कह रहे थे" यह तुम्हारी गलती है कि हम सभी इस स्थान में हैं, तुम्हारी गलती!" हत्यारा व्यक्ति अपने कानों को ढाँपने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि वह उनकी चीख चिल्लाहट और लगाये जाने वाले आरोपों को नहीं सुनना चाहता था; परन्तु वह उनकी बातों को सुनने से नहीं रोक पाया क्योंकि जब तक आप नरक में हैं तब आपकी सारी संवेदनाएँ बहुत ज़्यादा संवेदनशील बन जाती हैं।
और भी आत्माएँ जो कि पानी की असहनीय प्यास के कारण वहाँ तड़प रही थीं वे किसी भी तरह से संतृप्त नहीं हो सकती थीं, बिल्कुल बाइबिल में वर्णित उस धनवान मनुष्य के दृष्टान्त की तरह जो कहता था, कि केवल एक बून्द पानी ही उसके लिये काफी था और वह इब्राहीम से अनुनय विनय कर रहा था। प्रभु का वचन यशायाह की पुस्तक के 34:9 में कहता है, "और एदोम की नदियाँ राल से और उसकी मिट्टी गन्धक से बदल जाएगी; उसकी भूमि जलती हुई राल बन जाएगी"।
वहाँ उस स्थान में, सारी आत्माएँ आग के बीच में थीं। लोगों ने उस आग के बीच में पारदर्शी नदियों की मृगतृष्णा को देखा, परन्तु जब उन्होंने वहाँ पहुंचने की कोशिश, की तो वे पानी की नदियाँ तुरन्त ही आग में बदल गयीं। उन्होंने ऐसे पेड़ों को भी देखा जिनमें फल लगे हुये हैं, जो पानी देने वाले फल हैं, परन्तु जब उन्होंने उन फलों को लेना चाहा उन फलों ने उनके हाथों को जला दिया और पिशाचों ने उनकी हँसी उड़ाई।
परमेश्वर ने हमें उस स्थान से जिस स्थान पर जाने की अनुमति दिया वह नया स्थान, पहले देखे गये सारे स्थानों से भी कहीं अधिक बदतर था। हमने आग और गन्धक की झील देखी। वहाँ उस झील में लाखों, लाखों और लाखों आत्माएँ थीं, जो प्रभु से पुकार-पुकार कर दया की याचनाएँ कर रहीं थीं। उन्होंने उससे कहा, "प्रभु, कृपया! थोड़े समय (कुछ क्षणों) के लिये ही हमें यहाँ से बाहर ले चलिये! कृपया मुझे बाहर जाने का एक मौका दीजिए!!!" फिर भी, प्रभु उनके लिये कुछ भी नहीं कर सकते थे क्योंकि उनका न्याय पहले से ही मुहरबन्द किया गया था।
उन लाखों और लाखों लोगों में से प्रभु ने एक व्यक्ति पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये हमें अनुमति दी। उस व्यक्ति का आधा शरीर आग की झील में डूबा हुआ था। प्रभु ने उसके विचारों को जानने और समझने के लिये हमें शक्ति दी। उस व्यक्ति का नाम मार्क था। अपने विचारों में यह व्यक्ति जो कुछ स्वयं से कहता था, हमें अचम्भे में डाल दिया। उसने इन विचारों के साथ हमें एक अनन्त पाठ सिखाया, "मैं अभी कुछ भी तुम्हारे स्थान में होने के लिये दे दूँगा! मैं एक मिनट के लिये पृथ्वी पर वापस जाने के लिये कुछ भी देने के लिये तैयार हूँ। मैं परवाह नहीं करूंगा यदि मैं संसार में सबसे अभागा, सबसे बीमार, सबसे घृणित और सबसे दरिद व्यक्ति बनूँ। मैं सब कुछ केवल एक मिनट पृथ्वी पर जाने के लिये दे दूंगा"
प्रभु यीशु मेरे हाथ पकड़े हुए थे और उसके विचारों को जानते थे। उन्होंने मार्क के विचारों का उत्तर देते हुये कहा, "मार्क, क्यों, तुम केवल एक मिनट के लिये पृथ्वी पर वापस जाना चाहते हो?" एक दर्दभरी तड़प के साथ उसकी आवाज उभरी। उसने प्रभु से कहा, "प्रभु, मैं केवल साधारण रूप से पश्चात्ताप करने और उद्धार पाने के लिये ही एक मिनट के लिये पृथ्वी पर वापस जाने के लिये अपना सब कुछ दे दूँगा"। जो कुछ मार्क ने कहा, जब प्रभु ने वह सुना, मैंने देखा कि प्रभु के जख्मों से लहू बह निकला और आँखें आँसुओं से भर गयी। फिर उसने उस मनुष्य स ऐसा कहा, "मार्क यह अब तुम्हारे लिये बहुत देर हो चुकी है। कीड़े तुम्हार बिछौने के लिये रखे गये हैं और केंचुए तुम्हें ढक लेंगे"। जब प्रभु ने उससे उन शब्दों को कहा, तब वह उस झील में हमेशा के लिये डूब गया। यह बड़ा ही दुखप्रद है कि उन आत्माओं के पास और आशा नहीं है। केवल हमारे ही पास मौका है कि आज हम पश्चात्ताप कर ले और अपने प्रभु यीशु मसीह के साथ स्वर्ग जायें। इस गवाही को आगे जारी रखेंगे; Road More...
Youtubes:https://youtu.be/FhbU2zZCiXk
नरक और स्वर्ग पर स्वप्न और दर्शन
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