सेवक से बाइबल क्या कहती - अध्याय 6 - भाग 1
आप के संदेश आप के प्रचार और शिक्षण को - क्या होना चाहिए
परमेश्वर स्वयं को जगत पर प्रकट करना चाहता हैं, उस की हार्दिक इच्छा हैं कि सब मनुष्य उसे जानें, उसे व्यक्तिगत रूप से जानें। इसी कारणवश परमेश्वर ने मनुष्य को सृजा, कि मनुष्य उसे व्यक्तिगत रूप से जाने। इसलिए आपका प्रथम कर्तव्य हैं कि परमेश्वर के वचन को उसके संदेश, उसके प्रकाशन को -जगत के साथ बांटें। आप जो प्रचार करते और शिक्षा देते हो, वह परमेश्वर के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। मसीह के एक सेवक के रूप में पवित्रशास्त्र को आप से आप के प्रचार और शिक्षा के विषय में कहीं अधिक कहना हैं किसी अन्य विषय की अपेक्षा। (अध्याय 6 और 7 दोनों देखें)।
अ. आप और आप का संदेश
ब. आप और आपका प्रचार और शिक्षण
1. आप को ठीक शिक्षा पर बने रहना हैं और ठीक शिक्षा का ही प्रचार और शिक्षण करना हैं।
2. आप को परमेश्वर के वचन, पवित्रशास्त्र का प्रचार करना और शिक्षा देना हैं।
3. आप को यीशु मसीह और उस के क्रूसित होने की घोषणा करना हैं।
4. आप को घोषणा करना हैं कि यीशु मसीह गाड़ा गया और मुर्दो में से जी उठा।
5. आप को परमेश्वर और स्वर्ग के राज्य का प्रचार करना और शिक्षा देना हैं।
6. आप को परमेश्वर के वचन का अनुचित प्रयोग नहीं करना हैं।
1. आप को यह सुनिश्चित करना हैं कि आप का जीवन आप के प्रचार और शिक्षा के अनुरूप हैं।
2. आप को सुसमाचार का प्रचार एक अत्यन्त आवश्यकता के साथ करना हैं।
3. आप को परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ में प्रचार करना हैं मनुष्यों को मनानेवाले विचारों के साथ नहीं।
4. आप को मनुष्यों को नहीं, परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए प्रचार करना हैं। समर्थन पाने के लिए आप को सुसमाचार को पतला नहीं करना हैं और न चापलूसी के शब्दों का उपयोग करना हैं।
5. आप को स्वयं की महिमा नहीं करना हैं, आप को केवल क्रूस की ही महिमा करना हैं। आप को संसारिक लोकप्रियता और मान्यता की खोज नहीं करना हैं, और न अच्छा प्रभाव डाल कर स्वयं पर ध्यानाकर्षण करने का प्रयत्न करना हैं।
6. आप को स्वयं का प्रचार नहीं करना हैं- स्वयं की महिमा नहीं - परन्तु मसीह यीशु प्रभु का प्रचार करना हैं।
7. आप में स्थिरता होना हैं और समय की एक लम्बी अवधि तक शिक्षा देना हैं।
अ. आप और आप का संदेश
1.आप को ठीक शिक्षा पर बने रहना हैं और ठीक शिक्षा का ही प्रचार और शिक्षण करना हैं।
"जो खरी बातें तूने मुझ से सुनी हैं उनको उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में हैं, अपना आदर्श बनाकर रख"; (2 तीमु. 1:13)।
"पर तू ऐसी बातें कहा कर जो खरे उपदेश के योग्य हैं"; (तीतु. 2:1)।
विचार
एक सेवर के रूप में, जो प्रथम आप को करना हैं वह हैं खरी शिक्षा पर बने रहना (2 तीमु. 1:13)। "खरी" (ह्यूजियाइनौनटोन) शब्द रूचिकर हैं। इसका अर्थ हैं स्वस्थ और स्वास्थ्य प्रदान करनेवाली। आप को खरे, स्वास्थ्य देनेवाले वचनों को थामे रहना हैं, अर्थात्, वचन जो आप को और आप के लोगों को खरा और स्वस्थ रखें। कौन से वचन आप को और आप के लोगों को खरा और स्वस्थ रखेंगे? वचन जो इस पवित्रशास्त्र व्दारा अच्छादित हैं:
* सुसमाचार के वचन (2 तीमु. 1:9)।
* उध्दार को वचन (2 तीमु. 1:9)
* यीशु मसीह के विषय के वचन, यह महिमामय संदेश कि उसने मृत्यु को मिटा दिया हैं और मनुष्य के लिए जीवन और अमरता ले आया हैं (2 तीमु. 1:9-10)।
* जो वचन स्वयं पौलुस ने सिखाए, जो वचन उसने तीमुथियुस और आरम्भिक कलीसिया के विश्वासियों को सिखाए (2 तीमु. 1:13)।
सरलता से कहें, तो आप को पवित्रशास्त्र को, स्वयं परमेश्वर के वचन को थामें रहना हैं। केवल परमेश्वर का वचन मानव आत्मा के लिए स्वास्थ्य और जीवन ला सकता हैं। ध्यान दें कि यह वचन क्या कहता हैं (2 तीमु. 1:13)।
अ) आप को खरे वचनों को विश्वास में थामें रहना हैं। अर्थात्, आप को मसीह में विश्वास करना हैं, अपने हृदय और जीवन को उसे समर्पित करना हैं, और आप को मसीह के प्रति निष्ठावान होना हैं। यदि आप मसीह के विषय के वचनों और संदेश पर विश्वास नहीं करते हैं यदि मसीह में आप का विश्वास नहीं हैं- तब आप खरे वचनों को नहीं थामें हुए हैं। प्रथम चिंह कि एक व्यक्ति खरें वचनों को थामें हुए हैं, उसका मसीह में विश्वास हैं। यदि एक व्यक्ति मसीह में विश्वास नहीं करता हैं, तो वह एक झूठी शिक्षा पर विश्वास कर रहा हैं, जीवन के एक झूठे दर्शन पर, और इस के व्दारा वह नष्ट हो जाएगा। आप के लोगों के लिए स्वास्थ्य और खरापन लानेवाले एक मात्र वचन हैं मसीह के वचन उसके जीवनदायक उध्दार के वचन। आप को खरे वचनों को थामे रहना हैं मसीह यीशु में विश्वास करने के व्दारा, जो एक मात्र उध्दारकर्ता हैं जिस ने परमेश्वर के जीवन दायक वचनों को पृथ्वी पर लाया। यही एक मात्र तरीका हैं आप के बहुमूल्य लोगों के लिए सच्चा स्वास्थ्य और खरापन लाने का।
ब) आप को खरे वचनों को प्रेम में थामे रहना है। मसीह के विषय में खरे वचनों में विश्वास करना ही पर्याप्त नहीं हैं; आप को वह करना भी हैं जो मसीह ने कियाः सब से प्रेम करना चाहे वे जो भी हों या उन्होंने जो भी किया हो। एक व्यक्ति जो वास्तव में सुसमाचार पर विश्वास करता हैं, और वह मसीह से प्रेम करता हैं और उन से भी जिन के लिए मसीह मरा और बचाने के लिए आया था।
बिन्दु यह हैं: यह असंभव हैं कि वास्तव में मसीह और उसके सुसमाचार में विश्वास करें और मसीह और उसके वचन से प्रेम न करें। यदि आप वास्तव में मसीह और उसके वचन से प्रेम करते हैं तो आप वही करते हैं जो मसीह ने कियाः आप जगत के लोगों को मसीह की आंखों से देखते हैं और आप सब से प्रेम करते हैं जैसे मसीह ने सब से प्रेम किया। आप खरे व का प्रेम में थामें रहते हैं: आप सब मनुष्यों के साथ स्वास्थ्य और खरेपन के वचनों को बांटने का प्रयत्न करते हैं। आप चाहते हैं कि सब मनुष्य उध्दार के खरे वचनों को जाने जो मानवीय आत्मा के लिए स्वास्थ्य और खरापन लाते हैं।
"इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुननेवालों के लिए भी उध्दार का कारण होगा" (1तीमु. 4:16)।
व्दितीय, आप को खरी शिक्षा का प्रचार और शिक्षा देना हैं (तीतु. 2:1)। यह उस झूठी शिक्षा से एक अंतर में हैं जिस पर तीतुस की पुस्तक में चर्चा की गई हैं। जैसा उपरोक्त हैं, "खरी" शब्द का अर्थ हैं स्वस्थ और स्वास्थ्य दायक। इसलिए "खरी शिक्षा" का अर्थ हैं परमेश्वर के वचन की शिक्षाएं और सिध्दान्त स्वस्थ और स्वास्थ्य दायक परमेश्वर के वचन की शिक्षाएं जो कि झूठे शिक्षकों की रोगगस्त शिक्षाओं से एक अंतर में हैं। झूठे शिक्षकों की शिक्षाएं मनुष्य के मन में केवल एक असाध्य रोग ही रोपण करेगी और मृत्यु और विनाश में परिणित होगी। इसलिए यह उपदेश अत्यावश्यक हैं। परमेश्वर के लोगों और कलीसिया का स्वास्थ्य और भविष्य दांव पर लगा हैं। आप को खरी शिक्षा का प्रचार करना और शिक्षा देना हैं जो कि परमेश्वर के वचन की शिक्षाएं हैं। आप को स्वयं के विचारों और धारणाओं का प्रचार और शिक्षा नहीं देना हैं, और न ईश्वर - ज्ञान के आधुनिकतम प्रचलनों की। आप को परमेश्वर के वचन में न तो कुछ जोड़ना हैं और न घटाना हैं। आप को परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं को उनके समस्त खरेपन में लेकर उनका प्रचार करना और शिक्षा देना हैं।
"कुछ को आज्ञा दे कि वे और प्रकार की शिक्षा न दें, और उन ऐसी कहानियों और अनन्त वंशावलियों पर मन न लगाएं, जिन से विवाद होते हैं, ईश्वरीय निर्माण की अपेक्षा जो विश्वास में है: ऐसा ही कर" (1 तीमु. 1:3-4)।
2. आप की परमेश्वर के वचन, पवित्रशास्त्र का प्रचार करना और शिक्षा देना हैं।
"परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूँ कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा के साथ उलाहना दे, और डांट, और समझा" (2 तीमु. 4:1-2)।
"पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गए; और बहुत और लोगों के साथ प्रभु के वचन का उपदेश करते और सुसमाचार सुनाते रहे" (प्रेरि. 15:35)।
"और वह वहां पर परमेश्वर का वचन सिखाते हुए डेढ़ वर्ष तक रहा" (प्रेरि. 18:11)।
विचार
एक सेवक के रूप में, परमेश्वर और मसीह की आंखें आप पर लगी हैं। आप (सदा) परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह के समक्ष हैं।" क्यों? यह देखने के लिए कि क्या आप परमेश्वर के वचन का प्रचार और शिक्षा दे रहे हैं। ध्यान दें 2 तीमु. 4:1-2 उपरोक्त पर। यही बात तो कही जा रही हैं। इस महान पाठ का दो पहिले के वचनों पर बल हैं:
"हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया हैं और उपदेश, और समझाने, और सुधारने और धर्म की शिक्षा के लिए लाभदायक हैं; ताकि परमेश्वर का जन सिध्द बने, और हर एक भले काम के लिए तत्पर रहे" (2 तीमु. 3:16-17)।
इसलिए, "मैं तुझे चिताता हूं... वचन का प्रचार कर" (2 तीमु. 4:1-2)।
आप को परमेश्वर के वचन का प्रचार करना हैं, क्योंकि परमेश्वर और मसीह देख रहे हैं: उन की आंखें आप पर हैं। वे देख रहे हैं कि क्या आप वचन का प्रचार कर रहे हैं। आप को अपने विचारों या अन्य लोगों के विचारों का प्रचार नहीं करना हैं। सुसमाचार का संदेश मानवीय दर्शन, मनोविज्ञान, समाजविज्ञान, या शिक्षा का संदेश नहीं है। यह स्वयं-रूप और व्यक्तिगत विकास का संदेश नहीं हैं। यद्यपि ये विषय सहायक हो सकते हैं, तथापि वे सुसमाचार नहीं हैं; वे परमेश्वर का वचन नहीं हैं।
परमेश्वर का वचन क्या हैं? वचन हमारे उध्दार का महिमामय सुसमाचार हैं। वचन पवित्रशास्त्र हैं जिसे हम अपने हाथों में पकड़ते हैं और अध्ययन करते और उन सब को सिखाते हैं जो सुनेंगे और ध्यान देंगे। परमेश्वर का वचन हैं...
* स्वयं परमेश्वर का प्रकाशन, उन बातों का लेख जो परमेश्वर चाहता हैं कि हम जाने, वह लेख जो पवित्रशास्त्र, पवित्र बाइबिल में लिखा हुआ हैं (2 तीमु. 3:16-17)।
* परमेश्वर का अविश्वसनीय प्रेम जो हमें परमेश्वर पुत्र, यीशु मसीह के विषय में बताता हैं, जो कि इस जगत के पाप, दुख और मृत्यु से मनुष्य को बचाने के लिए पृथ्वी पर आया (यूह 3:16; रोमि 5:1-5; 5:6-11)।
* परमेश्वर की महान दया जिसे उसने हमारे ऊपर उंडेला हैं उसके पुत्र प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा (इफि 2:4-7)।
* सब मनुष्यों का होनेवाला पुनरूत्थान और न्याय (मत्ती. 25:31-46; यूह. 5:28-30; 1 कुरि. 15:1-58)।
यह हैं परमेश्वर का वचन यही वह वचन हैं जिस का प्रचार आप को करना हैं। यही वह वचन हैं जिसका प्रचार आप को कोठों पर से इतनी निर्भीकता और साहस के साथ करना हैं। परीक्षणों या मनुष्यों की धमकियों की परवाह किए बिना आप को "वचन का प्रचार" - जीवते परमेश्वर के वचन का प्रचार करना हैं।
"सो परमेश्वर की सहायता से मैं आज तक बना हूं और छोटे बड़े सभी के सामने गवाही देता हूं और उन बातों को छोड़ कुछ नहीं कहता, जो भविष्यवक्ताओं और मूसा ने भी कहा कि होनेवाली हैं" (प्रेरि. 26:22)।
अब 2 तीमु. 4:1-2 पर फिर से ध्यान दें तीन प्रबल कारणों से आप को परमेश्वर के वचन का प्रचार करना हैं।
अ) प्रभु यीशु मसीह जीवतों और मृतकों का न्याय करेगा। उसके आगमन पर यदि आप जीवित हैं, तो वह आपका न्याय करेगा। यदि उसके आगमन से पूर्व आप मर जाते हैं, तो वह आपका न्याय करेगा। विचार दो गुणा हैं।
* प्रथम, वह आपका न्याय करेगा कि आप ने प्रचार किया था नहीं। यदि उसने आप को प्रचार के लिए बुलाया और आप प्रचार नहीं करते हैं, तो आप का न्याय करके दोषी ठहराया जाएगा।
* व्दितीय, वह आपका न्याय करेगा कि आप ने वचन का प्रचार किया था नहीं। यदि परमेश्वर के वचन की अपेक्षा आप मनुष्यों के विचारों का प्रचार करते हैं, तो आप का न्याय करके आपको दोषी ठहराया जाएगा। यदि आप परमेश्वर के वचन और मनुष्यों के विचारों के एक मिक्षण का प्रचार करते हैं, तो आप का न्याय करके दोषी ठहराया जाएगा। बिलियम बार्कले इसे सुव्यक्त करता हैं:
"एक दिन तीमुथियुस के कार्य की परीक्षा होगी, और वह परीक्षा स्वयं यीशु मसीह के अतिरिक्त कोई और नहीं करेगा। एक मसीही का कार्य मनुष्यों को संतुष्ट करने के लिए नहीं, परन्तु यीशु को संतुष्ट करने के लिए हैं। उसे प्रत्येक कार्य को इस प्रकार करना हैं कि वह उसे लेकर मसीह को अर्पण कर सके। उसे मनुष्यों की आलोचना या निर्णय की चिंता नहीं हैं। जिस एक बात की उसे लालच हैं वह हैं यीशु मसीह का अच्छा किया! "(तीमुथियुश, तीतुस और फिलेमोन की पत्रियां)।
"क्योंकि मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा" (मत्ती 16:27)।
"और उस ने हमें आज्ञा दी, कि लोगों में प्रचार करों; और गवाही दो, कि यह वही हैं; जिसे परमेश्वर ने जीवतों और मरे हुओं का न्यायी व्वहराया हैं" (प्रेरि. 10:42)।
"क्योंकि अवश्य हैं, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के व्दारा किए हों पाए" (2 कुरि. 5:10)।
ब) प्रभु यीशु मसीह महिमा में प्रगट होगा। वह पृथ्वी पर लौट रहा हैं और उसके लौटने को कोई नहीं रोक सकता। "प्रगट" (एपिफनियन) शब्द में यह दिखता हैं। इसका अर्थ हैं महिमा में प्रगट होना प्रभु यीशु का। इस शब्द का इतिहास पाया जाता हैं महान रोमी सम्राट के प्रकटिकरण में, विशेषकर जब उसे एक नगर में जाना होता था। सब तैयारियों की जाती थीः ईमारतों और सड़कों को साफ किया जाता था, लोग स्वयं और उनके नगर को उनके आनेवाले राजा के लिए तैयार करने के लिए कठिन परिश्रम करते थे। वे उसके आगमन के विषय में उत्तेजित थे और उसके आगमन पर उनका ध्यान और ऊर्जा केंद्रित किए हुए थे। एक सेवक के रूप में, ठीक यही आप को करना है: आप को वचन का प्रचार करना हैं, प्रभु यीशु मसीह के आगमन पर अपना ध्यान लगाए रखना हैं। उसके आगमन के लिए आप को तैयार रहना हैं, और आप तैयारी करते हैं वचन का प्रचार करने के व्दारा। विजयी प्रभु लौट रहा हैं; यदि आप वचन का प्रचार करने में चूक जाते हैं, तो आप बिना तैयारी के उस के सामने खड़े होंगे - व्याकुल और लज्जित । यदि इस समय आप उस की अधीनता में नहीं हैं उसके वचन का प्रचार नहीं करते हैं - तो आप अधीन किए जाएंगे और उसके व्दारा आपका -न्याय होगा।
"इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (मत्ती 24:44)।
"यहां तक कि किसी वरदान में तुम्हें घटी नहीं, और तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने की बाट जोहते रहते हो" (1 कुरिं 1:7)।
"कि तू हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष रख" (1 तीमु. 6:14)।
स) प्रभु यीशु मसीह अपने राज्य को सदा सर्वदा के लिए स्थापित करेगा। परमेश्वर के एक सच्चे सेवक के रूप में, आप प्रभु के राज्य के एक नागरिक होगे। आप की स्थिति और पद उस राज्य में आप को दिए गए उत्तरदायित्व की मात्रा आधारित होगी इस जगत में आपकी विश्वासयोग्यता पर। आप को अपनी आखें मसीह के राज्य पर उसी प्रकार से रखना हैं जैसे मसीह अपनी आंखें आपकी विश्वासयोग्यता पर रखे हुए हैं। "ऐसे जिएं और कार्य करें कि जब राज्य आए तो राज्य के नागरिकों की सूची में आपका पद ऊंचा हो" (विलियम बार्कले। तीमुथियुस, तीतुस, और फिलेमोन की पत्रियां, पृ. 234)।
"और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिए एक राज्य ठहराया हैं, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिए ठहराता हूं, ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओं -पिओं; वरन सिंहासनों पर बैठकर इस्त्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो" (लूका 22:29-30)।
3. आप को यीशु मसीह और उसके क्रूसित होने की घोषणा करना हैं।
"और हे भाइयों जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। क्योंकि मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं" (1 कुरि. 2:1-2)।
"परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के लिए मूर्खता हैं" (1 कुरिं 1:23)।
"और फिलिप्पुस सामरिया नगर में जाकर मसीह का प्रचार करने लगा" (प्रेरि. 8:5)।
"तब फिलिप्पुस ने अपना मुंह खोला, और इसी शास्त्र से आरम्भकर के उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया" (प्रेरि. 8:35)।
विचार
एक सेवक के रूप में, आपको यीशु मसीह और उसके क्रूसित होने की घोषणा करना हैं। वाक्यांश "मैंने ठाना" (एक्रीना) का अर्थ हैं निर्णय कर लेना, निश्चय कर लेना। पौलुस ने जानबूझ कर एक निर्णय किया, प्रबलता से ठान लिया कि केवल यीशु मसीह और उसके क्रूसित होने का ही प्रचार करेगा। उसका विषय नहीं था...
* यीशु मनुष्यों के लिए महान आदर्श।
* यीशु महान गुरू।
* यीशु उध्देश्य का महापुरूष।
* यीशु महान नमूना।
* यीशु महान शहीद।
पौलुस का संदेश था यीशु मसीह, परमेश्वर के पुत्र के रूप में उसका व्यक्तित्व जो हमारे लिए "ज्ञान, और धार्मिकता और पवित्रता, और छुटकारा बनाया गया" (1 कुरि. 1:30-31)। पौलुस का संदेश था यीशु मसीह जो क्रूसित हुआ। पौलुस घोषणा करता हैं, "मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं" (1 कुरि. 2:2)। यह एक प्रबल, बलवान वक्तव्य हैं:
* पौलुस के प्रचार का मुख्य बिन्दु यीशु मसीह की मृत्यु थी।
* पौलुस के प्रचार का विषय था यीशु मसीह की मृत्यु।
* पौलुस के प्रचार का संदेश था यीशु मसीह की मृत्यु।
* पौलुस के प्रचार का सिध्दान्त था यीशु मसीह की मृत्यु।
* पौलुस के प्रचार का हृदय स्थल था यीशु मसीह की मृत्यु।
आप को भी यीशु मसीह और उसके क्रूसित होने के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं जानता हैं। आप को वही करना हैं जो पौलुस ने कियाः यीशु मसीह की मृत्यु पर ध्यान केद्रित करें। कारण स्पष्ट हैं जब हम पवित्रशास्त्र में देखते हैं कि वह हमारे प्रभु की मृत्यु के विषय में क्या कहता हैं (देखें यीशु मसीह, मृत्यु, प्रचारक की रूपरेखा और उपदेश बाइबिल, पुस्तक 14- मुख्य रूपरेखा और विषय सूची अधिक चर्चा के लिए)।
* यीशु मसीह की मृत्यु के व्दारा ही आप सब पाप से शुध्द और स्वतन्त्र होते हैं।
"क्योंकि नई वाचा का यह मेरा लोहू हैं जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के लिए बहाया जाता हैं" (मत्ती 26:28)1
"वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया, जिससे हम पापों के लिए मर करके धार्मिकता के लिए जीवन बिताए; उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए" (1 पत 2:24; तुलना यूह. 1:29; 1 कुरि. 15:3; इब्रा 9:22; 9:26; 9:28; 1 यूह 1:7; 3:5)
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप स्वीकार्य हैं और परमेश्वर से मेल - मिलाप करते हैं।
"कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो, जिसे उसने हमें उस प्यारे में सेंतमेत दिया। हम को उसमें उसके लोहू के व्दारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, उस के उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला हैं" (इफि. 1:6-7)।
"और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के व्दारा मेलमिलाप करके, सब वस्तुओं का उसी के व्दारा अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की" (कुलु. 1:20)।
यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप धर्मी ठहराए गए हैं। "सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके व्दारा क्रोध से क्यों न बचेंगे" (रोमि. 5:9)।
यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप का अनन्तकालीन छुटकारा हैं। "जिसमें हमें छुटकारा अर्थात् पापों की क्षमा प्राप्त होती हैं (कुलु. 1:14)।
"क्योंकि परमेश्वर एक ही हैं: और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई हैं, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य हैं; जिसने अपने आप को सबके छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उसकी गवाही ठीक समयों पर दी जाए" (1 तीमु. 2:5-6; तुलना रोमि 3:24-25; इब्रा. 9:12; 1 पत 1:18; प्रका. 5:9)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप मृत्यु से छुटकारा पाते हैं।
"पर अब हमारे उध्दारकर्त्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के व्दारा प्रकाश हुआ, जिसने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के व्दारा प्रकाशमान कर दिया" (2 तीमु. 1:10)।
"पर हम यीशु को जो स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं, ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिए मृत्यु का स्वाद चरवे" (इब्रा 2:9)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप दोषी ठहराए जाने से बचते हैं।
"कौन हैं जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह हैं जो मर गया वरन मुर्दो में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दहिनी ओर हैं, और हमारे लिए विनती भी करता हैं" (रोमि.8:34)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप व्यवस्था के श्राप से छुटकारा पाते हैं, अर्थात्, मृत्यु से और परमेश्वर से अलगाव से।
"मसीह ने जो हमारे लिए श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया क्योंकि लिखा हैं, जो कोई काठ पर लटकाया जाता हैं बह श्रापित हैं" (गला 3:13)।
"परन्तु जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के अधीन उत्पन्न हुआ; ताकि व्यवस्था के अधीनों को मोल लेकर छुड़ा ले, और हम को लेपालक होने का पद मिले" (गला 4:4-5)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप आनेवाले न्याय और क्रोध से छुटकारा पाते हैं।
और उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात् यीशु की, जो हमें आनेवाले प्रकोप से बचाता हैं" (1 थिस्स 1:10)।
"क्योंकि परमेश्वर ने हमें क्रोध के लिए नहीं, परन्तु इसलिए ठहराया कि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के व्दारा उध्दार प्राप्त करें। वह हमारे लिए इस कारण मरा, कि हम चाहे जागते हों, चाहे सोते हों; सब मिलकर उसी के साथ जींए" (1 थिस्स. 5:9-10)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप इस वर्तमान बुरे (नाशमान और मरनहार) जगत से छुटकारा पाते हैं।
"उसी ने अपने आप को हमारे पापों के लिए दे दिया, ताकि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्छा के अनुसार हमें इस बर्तमान बुरे संसार के छुड़ाए" (गला 1:4)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही मृत्यु और जगत पर शैतान की शक्ति तोड़ी और नष्ट की जाती हैं।
"प्रधानताओं और अधिकारों (शैतान और उसकी दुष्ट सेनाओं) को लूटकर, उसने उनका खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया, उस में (क्रूस) उन पर जय पाते हुए" (कुलु. 2:14-15)।
"इसलिए जबकि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो आप भी उन के समान उनका सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के व्दारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात् शैतान को निकम्मा कर दे; और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले" (इब्रा 2:14-15; प्रका 12:11)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप चंगे हुए।
"परन्तु हमारे अपराधों के कारण वह घायल किया गया, हमारे पापों के लिए वह कुचला गया; हमारी शांति का दण्ड उस पर था; और उसके कोड़े खाने से हम चंगे हुए" (यशा 53:5)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप को सब कुछ मिलता हैं।
"जिसने अपने निज पुत्र तक को न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिए दे दिया, वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?" (रोमि 8:32)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही निर्बलों का उध्दार होता हैं।
"क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिए मरा" (रोमि 5:6)।
"और तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिस के लिए मसीह मरा नाश हो जाएगा" (1 कुरि. 8:11)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही अधर्मियों का उध्दार होता हैं।
"क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिए मरा" (रोमि 5:6)
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही पापियों का उध्दार होता हैं।
"परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता हैं, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा" (रोमि. 5:8)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही परमेश्वर के शत्रुओं का उध्दार होता हैं।
"क्योंकि, यदि, जब हम बैरी थे, तो उसके पुत्र की मृत्यु के व्दारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उध्दार क्यों न पाएंगे?" (रोमि 5:10)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही अधर्मियों का उध्दार होता हैं।
"इसलिए कि मसीह ने भी, अर्थात् अधर्मियों के लिए धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाएः वह शरीर में तो घात किया गया परन्तु आत्मा व्दारा जिलाया गया" (1 पत 3:18)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही सब मनुष्य मसीह की ओर खींचे जाते हैं।
"और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपने पास खींचूंगा” (यूह 12:32)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप की पहुंच परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति में होती हैं।
"सो हे भाइयों, जब कि हमें यीशु के लोहू व्दारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया हैं, जो उसने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिए अभिषेक किया हैं" (इब्रा. 10:19-20)
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही परमेश्वर का महान प्रेम आप पर प्रकट होता हैं।
"और प्रेम में चलो; जैसा मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिए अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिए परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया" (इफि. 5:2; तुलना रोमि 5:8)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप एक स्वार्थी जीवन से मुक्त होकर मसीह के लिए जीते हैं।
"और वह इसलिए सब के लिए मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिए न जिए, परन्तु उसके लिए जो उन के लिए मरा और फिर जी उठा" (2 कुरि. 5:15)।
"मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिए अपने आप को दे दिया" (गला 2:20; तुलना 2 कुरि. 4:10-11; 1 पत. 4:1)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप एक धर्मी जीवन जीने के योग्य बनाए जाते हैं।
"क्योंकि दाम देकर मोल लिए गए हो (मसीह की मृत्यु): इसलिए अपनी देह में परमेश्वर की महिमा करो, और अपनी आत्मा में, जो कि परमेश्वर के हैं" (1 कुरि. 6:20)।
"जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया, कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं" (2 कुरि. 5:21; तुलना 1 पत 2:24)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप को प्रेम करने और दूसरों के लिए अपने प्राण को बलिदान करने की शिक्षा मिलती हैं।
"और प्रेम में चलों; जैसा मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिए अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिए परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया" (इफि. 5:2)।
"हमने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिए प्राण देना चाहिए" (1 यूह 3:16)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आपका अंतः कारण वास्तव में शुध्द होता है जिससे कि आप परमेश्वर की सेवा करके फल ला सकते हैं।
"जिसने अपने आपको हमारे लिए दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अथर्म से छुड़ा ले, और शुध्द करके अपने लिए एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो" (तीतु 2:14)।
"तो मसीह का लोहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के व्दारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुध्द करेगा, ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करों" (इब्रा 9:14)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप परमेश्वर की सामर्थ को जानते हो।
"क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता हैं, परन्तु हम उध्दार पानेवालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ हैं" (1 कुरि. 1:18)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप अपने पुराने पापों को निकालने के योग्य बनते हो।
"पुराना खमीर निकाल कर, अपने आप को शुध्द करो; कि नया गूंधा हुआ आटा बन जाओं; ताकि तुम अखमीरी हो, क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह हैं बलिदान हुआ हैं" (1 कुरि. 5:7)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही आप का मेलमिलाप मनुष्यों से होता हैं।
"पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू व्दारा निक हो गए हो। क्योंकि वही हमारा मेल हैं, जिसने दोनों को एक कर लियाः और अलग करनेवाली दीवार को जो बीच में थी ढा दिया... जिससे कि क्रूस पर बैर को नाश करके इसके व्दारा दोनों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए... क्योंकि उस ही के व्दारा हम दोनों की एक ही आत्मा में पिता के पास पहुंच होती हैं" (इफि, 2:13-14,16,18)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही मसीह ने जीवतों और मृतकों के प्रभु होने का उच्चाधिकार प्राप्त किया।
"क्योंकि मसीह इसीलिए मरा और जीभी उठा कि वह मरे हुओं और जीवतों, दोनों का प्रभु हो" (रोमि 14:9)।
"और विश्वास के कर्ता और सिध्द करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहे, जिसने उस आनन्द के लिए जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिंता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दहिने जा बैठा" (इब्रा 12:2; तुलना फिलि 2:8-11; इब्रा 1:3)।
* यीशु मसीह की मृत्यु व्दारा ही परमेश्वर की कलीसिया मोल ली गई।
"इसलिए अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिसमें पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया हैं, कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उसने अपने लोहू से मोल लिया है" (प्रेरि. 20:28)।
"जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिए दे दिया" (इफि. 5:25)।
परमेश्वर ने आपके लिए क्रूस के व्दारा इतना कुछ किया हैं - विश्वासियों और अविश्वासियों दोनों के लिए इतना कुछ किया हैं। यही कारण हैं कि आप को यीशु मसीह और उसके क्रूसित होने के अतिरिक्त कुछ भी जानना नहीं हैं, यही कारण हैं कि आपको अपने प्रचार और शिक्षा को मसीह की मृत्यु पर केंद्रित्त करना है। हमारे प्रभु की मृत्यु को आपके जीवन और सेवकाई का उपयोग करना है, क्योंकि उसकी मृत्यु हमारा उध्दार और जीवन हैं और एकमात्र आशा हैं एक ऐसे जगत के लिए उपयोग करना हैं, क्योंकि उसकी मृत्यु हमारा उध्दार और जीवन हैं और एकमात्र आशा हैं एक ऐसे जगत के लिए जो विनाश और मृत्यु में खोया हुआ हैं।
4. आप को घोषणा करना हैं कि यीशु मसीह गाड़ा गया और मुर्दो में से जी उठा।
"इसी कारण मैंने सबसे पहिले तुम्हें वही बांत पहुँचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिए मर गया; और गाड़ा गया; और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा" (1 कुरि. 15:3-4)।
"यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा, मेरे सुसमाचार के अनुसार" (2 तीमु. 2:8)।
विचार
एक सेवक के रूप में, आपको यीशु मसीह के गाड़े और पुनरूत्थान की घोषणा करना हैं। उपरोक्त 1 कुरि 15:3-4 में तीन महत्वपूर्ण सत्यों पर ध्यान दें।
अ) यीशु मसीह का गाड़ा जाना महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह दो महत्वपूर्ण बातों को प्रमाणित करता हैं।
* यह प्रमाणित करता हैं कि यीशु मसीह मरा। एक मनुष्य को गाड़ा नहीं जाता जब तक कि वह मृत न हो।
* यह पुनरूत्थान को प्रमाणित करता हैं। खाली कब्र प्रमाण हैं कि मसीह मृतकों में से जी उठा।
ब) यीशु मसीह मृतकों में से जी उठा। यीशु मसीह का पुनरूत्थान विश्वासी को निश्चय दिलाता हैं कि उसे भी मृतकों में से जिलाया जाएगा।
* मसीह का पुनरूत्थान प्रमाणित करता हैं कि परमेश्वर हैं: यह कि उसका अस्तित्व हैं और पृथ्वी की चिंता करता हैं। पृथ्वी पर कोई शक्ति नहीं हैं जो एक मनुष्य को मृतकों में से जीवित कर दे। केवल एक सर्वोच्च अनन्त शक्ति और व्यक्ति ही यह कर सकता हैं। केवल परमेश्वर ही मृत वस्तु को पृथ्वी की धूल को जीवन दे सकता हैं। यह सत्य कि यीशु मसीह मृतकों में से जिलाया गया था प्रमाणित करता हैं कि परमेश्वर हैं और पृथ्वी की चिंता करता हैं।
* यीशु मसीह का पुनरूत्थान प्रमाणित करता हैं कि यीशु मसीह वही हैं जो होने का दावा उसने किया था, स्वयं परमेश्वर का पुत्र। यह सिध्द करता हैं कि यीशु मसीह को पृथ्वी "र भेजा गया था एक निष्पाप जीवन जीने और मनुष्य के लिए आदर्श धार्मिकता को सुरक्षित करने के लिए। यह सिध्द करता हैं कि मनुष्य के लिए उसे मरने और मृतकों में से जी उठने के लिए भेजा गया था।
"और पवित्रता की आत्मा के अनुसार, मरे हुओं में से जी उठने के कारण सामर्थ के साथ परमेश्वर का पुत्र घोषित किया गया" (रोमि 1:4)।
जो (परमेश्वर की शक्तिशाली सामर्थ) उसने मसीह में किया, गाना जब उसने उसे मृतकों में से जिलाकर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दहिनी और बैठाया" (इफि. 1:20)।
* मसीह का पुनरूत्थान सिध्द करता हैं कि यीशु मसीह जगत का उध्दारकर्ता हैं। यह सिध्द करता हैं कि मसीह वही हैं जिसे परमेश्वर ने पृथ्वी पर भेजा कि मनुष्यों को मृत्यु से बचाए और उन्हें जीवन दे अब और अनन्तकाल के लिए।
"वह हमारे अपराधों के लिए पकड़वाया गया और हमारे धर्मी ठहरने के लिए जिलाया भी गया" (रोमि 4:25)।
"कि यदि तू अपने मुह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उध्दार पाएगा" (रोमि. 10:9)।
"उसी (सुसमाचार) के व्दारा तुम्हारा उध्दार भी होता हैं, यदि उस सुसमाचार को जो मैंने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो, नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ। इसी कारण मैं ने सबसे पहिले तुम्हें वही बात पहुचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिए मर गया; और गाड़ा गया; और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा" (1 कुरि. 15:2-4)।
* मसीह का पुनरूत्थान सिध्द करता हैं कि यीशु मसीह "जीवन का आत्मा" है। यह सिध्द करता हैं कि मसीह जीवन की उर्जा और बल हैं, जीवन की सामर्थ और व्यक्ति हैं, और यह सिध्द करतो हैं कि वह उसी "जीवन के आत्मा" को मनुष्यों को दे सकता हैं। वह मनुष्यों को मृतकों में से जिला सकता है, जैसे वह मृतकों में से जी उठा।
"और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ हैं; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के व्दारा जो तुम में बसा हुआ हैं जिलाएगा" (रोमि. 8:11; तुलना रोमि. 8:2)।
"क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा" (1 थिस्स 4:14)।
"हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के व्दारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म दिया। अर्थात् एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिए जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी हैं"(1 पत 1:3-4; तुलना 1 पत 3:18)।
स) यीशु मसीह "पवित्रशास्त्र के अनुसार.. पुनरूत्थित हुआ।"
* यीशु मसीह ने कहा कि योना उसके पुनरूत्थान का एक प्रतीक था। "यूनुस तीन रात दिन जल जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा" (मत्ती 12:40)।
* यूहन्ना का सुसमाचार कहता हैं कि पुराने नियम में पुनरूत्थान का पूर्वकथन हैं। यीशु मसीह ने उसकी मृत्यु और उसके महिमा में लौटने (पुनरूत्थान) के पूर्वकथनों पर विश्वास न करने के लिए चेलों को डांटा।
"तब उसने उनसे कहा; हे निर्बुध्दियो, और भविष्यवक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियो। क्या यह अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे? तब उसने मूसा से और सब भविष्यवक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ उन्हें समझा दिया" (लूका 24:25-27)।
"वे तो अब तक पवित्रशास्त्र की वह बात न सझते थे, कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा" (यूह 20:9)।
* मसीह के पुनरूत्थान के विषय में पुराने नियम के पूर्वकथन की घोषणा पौलुस ने की।
"सो परमेश्वर की सहायता से मैं आजकल बजा हूं और छोटे बड़े सभी के सामने गवाही देता हूँ और उन बातों को छोड़ कुछ नहीं कहता, जो भविष्यवक्ताओं और मूसा ने भी कहा कि होने वाली हैं: कि मसीह को दुख उठाना होगा, और वहीं सबसे पहिले मरे हुओं में से जी उठकर, हमारे लोगों में और अन्यजातियों में ज्योंति का प्रचार करेगा" (प्रेरि. 26:22-23)।
* प्रभु के पुनरूत्थान की पुराने नियम की भविष्यवाणियों की घोषणा पतरस ने की।
"इसलिए उसने एक और भजन में भी कहा हैं, कि तू अपने पवित्रजन को सड़ने न देगा। क्योंकि दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा कर के सो गया; और अपने बापदादों में जा मिला; और सड़ भी गया परन्तु जिस को परमेश्वर ने जिलाया वह सड़ने नहीं पाया" (प्रेरि. 13:35-37)।
* भजन 16:10 प्रभु के पुनरूत्थान का एक स्पष्ट पूर्वकथन हैं।
"क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा; और न अपने पवित्रजन को सड़ने देगा" (भज 16:10)।
* मसीहा के अनन्त राज्य के पुरानेनियम के सब पूर्वकथन उसके पुनरूत्थान की भविष्यवाणियां हैं। यह स्पष्ट हैं, क्योंकि वह अनन्तकाल तक तब ही राज्य कर सकता था यदि वह मृतकों में से जिलाया जाता। (देखें प्रचारक की रूपरेखा और उपदेश बाइबिल, ध्यान दें, यीशु मसीह, दाऊदी वारिस - लूका 3:24-31 भविष्यवाणियों और उन के पूरे होने के लिए।)
सब विश्वासियों के लिए इस सत्य की लपेट पर ध्यान दें। कोई भी मनुष्य अनन्तकाल तक नहीं जी सकता यदि वह (उसकी देह के मूल तत्व) मृतकों में से जिलाया न जाए, क्योंकि सब मनुष्यों को मरना हैं। इसलिए, विश्वासियों के अनन्तकाल तक जीने के विषय की सब भविष्यवाणियां केवल तब ही पूरी हो सकती हैं जब हम मृतकों में से जिलाए जाएंगे। इसलिए, आप को परमेश्वर के सेवक के रूप में, यीशु मसीह के महिमामय पुनरूत्थान की घोषणा करना हैं।
5. आपको परमेश्वर और स्वर्ग के राज्य का प्रचार करना और शिक्षा देना हैं।
"और चलते चलते प्रचार कर कहो कि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया हैं" (मत्ती 10:7)।
"यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया और कहा, समय पूरा हुआ हैं, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया हैं; मन फिराओं और सुसमाचार पर विश्वास करो" (मर 1:14-15)।
"परन्तु उसने उन से कहा; मुझे और नगरों में भी परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना अवश्य हैं, क्योंकि मैं इसीलिए भेजा गया हूँ" (लूका 4:43)।
"इसके बाद वह नगर नगर और गांव गांव प्रचार करता हुआ और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ फिरने लगाः और वे बारह उसके साथ थे” (लूका 8:1)।
"और उन्हें परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने, और बीमारों को अच्छा करने के लिए भेजा" (लूका 9:2)।
"परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस की प्रतीति की जो परमेश्वर के राज्य और यीशु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरूष, क्या स्त्री बपतिस्मा लेने लगे" (प्रेरि. 8:12)।
"और अब देखों, मैं जानता हूं, कि तुम सब जिनमें मैं परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता फिरा, मेरा मुंह फिर न देखेंगे" (प्रेरि. 20:25)।
"तब उन्होंने उसके लिए एक दिन ठहराया, और बहुत लोग उसके वहां इकट्ठे हुए, और वह परमेश्वर के राज्य की गवाही देता हुआ, और मूसा की व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों से यीशु के विषय में समझा समझाकर भोर से सांझ तक वर्णन करता रहा" (प्रेरि. 28:23)।
"और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक - टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिरवाता रहा" (प्रेरि. 28:31)।
"क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परन्तु धर्म और मिलाप और वह आनन्द हैं जो पवित्र आत्मा में हैं" (रोमि. 14:17)।
विचार
एक सेवक के रूप में आपको परमेश्वर के और स्वर्ग के राज्य का प्रचार करना और शिक्षा देना हैं। ध्यान दें कि मसीह क्या कहता है: "और चलते चलते प्रचार करो, यह कहते हुए, कि स्वर्ग का राज्य निकट हैं" (मत्ती 10:7)। आपका संदेश एक दिया हुआ संदेश हैं, स्वयं प्रभु व्दारा दिया गया। आप कोन अपने स्वयं के विचारों की और न दूसरों के विचारों की घोषणा करना हैं। आप को प्रभु व्दारा दिए गए संदेश का प्रचार करना है। चाहे जो भी पीढी हो, आवश्यक संदेश हैं परमेश्वर के और स्वर्ग के राज्य का संदेश। प्रत्येक पीढ़ी के लिए संदेश को बार-बार दोहराए जाने की आवश्यकता हैं:
* यह कल, आज और अनन्तकाल तक एक-सा हैं (इब्रा 13:8)।
* यह मसीह का संदेश था (मत्ती 4:17,23)।
* यह यूहन्ना का संदेश था (मत्ती 3:2)।
* यह मसीह के प्रेरितों और सेवकों का संदेश था।
परमेश्वर का राज्य क्या हैं? यह तो वही हैं जो कोई भी राज्य हैः एक राजा का देश और एक राजा का शासन और राज्य। परमेश्वर का राज्य है...
* स्वर्ग, जहां पर परमेश्वर इस समय उन सब पर शासन और राज्य करता है जो वहां हैं।
* भविष्य का राज्य या विश्व जो पुननिर्मित और अनन्तकाल के लिए सिध्द किया जाएगा। परमेश्वर एक सिध्द विश्व पर एक भविष्य के समय में शासन करने और राज्य करनेवाला हैं। समस्त विश्व पर और सब आयामों और जगतों पर उसका शासन और राज्य सिध्दतापूर्वक किया जाएगा।
* परमेश्वर का वर्तमान शासन और राज्य पृथ्वी पर हृदयों में और जीवनों में हैं।
अ) आपको प्रचार करना हैं कि परमेश्वर का राज्य अस्तित्व में अब हैं, इसी समय एक व्यक्ति आज परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकता हैः वह अपने हृदय को खोलकर इसी समय मसीह को उसके जीवन में शासन और राज्य करने दे सकता हैं। इसलिए, आप को राज्य का प्रचार अभी करना हैं।
* आप को प्रचार करना हैं कि मनों और जीवनों में परमेश्वर अभी प्रवेश करना चाहता हैं।
* आप को प्रचार करना हैं कि एक व्यक्ति राज्य में प्रवेश केवल तब ही कर सकता हैं जब वह परमेश्वर के समक्ष स्वयं को एक छोटे बच्चे के समान नम्र बनाता हैं।
"बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो; क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है (मर 10:14)।
* आप की प्रचार करना हैं कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए एक व्यक्ति को नया जन्म पाना हैं।
"यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे सेन जन्में तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता" (यूह 3:3)।
* आप को प्रचार करना हैं कि घमंडी और आत्म धर्मी धर्मावलम्बियों से पूर्व राज्य में पापी प्रवेश करते हैं।
"मैं तुम से सच कहता हूँ, कि महसूल लेनेवाले और वेश्या तुम से पहिले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं" (मत्ती 21:31)।
"मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाई ग्रहण न करे, वह उसमें कभी प्रवेश करने न पाएगा" (मर 10:15)।
* आप को प्रचार करना हैं कि राज्य एक आत्मिक, जीवन परिवर्तित करनेवाली आशीश हैं।
"क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परन्तु धर्म और मिलाप और आनन्द हैं पवित्र आत्मा में" (रोमि 14:17)।
* आप को प्रचार करना हैं कि विश्वासियों व्दारा खोजी जानेवाली वस्तुओं में राज्य को प्रथम होना हैं।
"परन्तु पहिले तुम परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज करो; तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी" (मत्ती 6:33)1
* आप को प्रचार करना हैं कि परमेश्वर का राज्य जो आजकल पृथ्वी पर हैं, उस में अनेक व्यक्ति हैं जो कि एक झूठा अंगीकार करते हैं। वे एक भक्त और धर्मी जीवन जीने का अंगीकार करते हैं परन्तु वे ऐसे हैं नहीं। अपने जीवनों में वे परमेश्वर को शासन और राज्य करने नहीं देते हैं।
"उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान हैं जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया (अच्छे मनुष्य)ः पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूं के बीच जंगली बीज (बुरे मनुष्य) बोकर चला गया" (मत्ती 13:24-25)।
ब) आप को प्रचार करना हैं कि परमेश्वर का अनन्त राज्य भविष्य में आ रहा हैं-शीघ्र आ रहा हैं।
* आप को प्रचार करना हैं कि परमेश्वर एक सिध्द विश्व में अनन्तकाल तक राज्य और शासन करने जा रहा हैं।
"परन्तु प्रभु का दिन चोर की नाई आ जाएगा, उस दिन आकाश एक बड़ी आवाज के साथ जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही ताप से पिघल जाएंगे, पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे। तो जब कि ये सब वस्तुएं इस रीति से पिघलरेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल-चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिए कैसा यत्न करना चाहिए; जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तत्प होकर गल जाएंगे। पर उसकी प्रतिज्ञा के कारण हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी" (2 पत 3:10-13)।
"फिर मैंने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी", (प्रका. 21:1)।
इसके बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिका आऔर सामर्थ का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा" (1 कुरि. 15:24)।
* आप को प्रचार करना हैं कि परमेश्वर विश्वासियों को सिध्द करने जा रहा हैं, वह उनके लिए एक सिध्द देह की रचना करने जा रहा हैं, और उन को एक सिध्द जीवन देगा।
"हें भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता हैं। देखों, मैं तुमसे भेद की बात कहता हूं: कि हम सबतो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे। और वह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगाः क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएंगे, और हम बदल जाएंगे। क्योंकि अवश्य हैं, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले और मरनहार देह अमरता को पहिन ले" (1 कुरि 15:50-53; तुलना फिलि 3:20-21)।
"और परमेश्वर उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप न पीड़ा रहेगी; पिछली बातें जाती रहीं। और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं; फिर उसने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं" (प्रका 21:4-5)।
6. आपकों परमेश्वर के वचन का अनुचित प्रयोग नहीं करना हैं।
"इसलिए जब हम पर ऐसी दया हुई, कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते; परन्तु हमने लज्जा के गुप्त कामों को त्याग दिया हैं, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के सामने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं" (2 कुरि. 4:1-2)।
विचार
एक सेवक के रूप में आप को एक सच्चा और ईमानदारी का जीवन जीना हैं, और आप को परमेश्वर के वचन का किसी भी परिस्थिति में अनुचित प्रयोग नहीं करना हैं। उपरोक्त पाठ में चार महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान दें।
* आप को बेईमानी का तिरस्कार करना हैं, "बेईमानी की गुप्त बातों का।" (ऐसचूनेस) का अर्थ हैं लज्जा, कलंक, निंदा। निंदा का कारण बनने वाली गुप्त या छिपी हई बातें जो मनुष्यों को लज्जित और कलंकित करती है, उन का आपके जीवन में कोई अंश नहीं होना हैं। आप को छोडना है सब गुप्त और छिपी...
* अनैतिकता * लालसाएं
* विचार * भावनाएं
* लालच * आकांक्षाएं
* लोभ * तरीके
आप को एक खुला और प्रगट जीवन जीना हैं, एक सच्चाई और ईमानदारी का जीवन। यही एकमात्र तरीका हैं जिस से आप एक शुध्द सुसमाचार का प्रचार और शिक्षण कर सकते हैं।
ब) आप को "चतुराई" (पानौरगियाई) में नहीं चलना हैं। इस शब्द का अर्थ हैं धोखाधड़ी, चतुराई, चालाकी, होशियारी, बुरी आकांक्षा। इसका अर्थ हैं कि एक मनुष्य जो कुछ भी करेगा और किसी भी साधन का प्रयोग करेगा उसे पाने के लिए जो वह चाहता हैं। ध्यान देंः आप को इस रीति से नहीं "चलना” है; आप का लोगों का उपयोग और दुरूपयोग करते हुए नहीं चलना है, न परिस्थितियों, घटनाओं, और वस्तुओं का स्वयं के लाभ के लिए। परमेश्वर के एक सेवक के रूप में, आप को चलना हैं जैसा यीशु चला।
स) आप को "परमेश्वर के वचन को धोखाधड़ी" से (डोलौंटेस) प्रयोग नहीं करना हैं। "धोखाधड़ी" शब्द का अर्थ हैं झूठा करना, मिलावट करना, भ्रष्ट करना, धोखा देना, फंसाना। “परमेश्वर का वचन" परमेश्वर से आया हैं, मनुष्य से नहीं। परमेश्वर के वचन का लेखक परमेश्वर हैं। परमेश्वर के वचन का अधिकारी परमेश्वर हैं। आप परमेश्वर के केवल प्रवक्ता हैं; इसलिए आप को...
* परमेश्वर के वचन को झूठा नहीं बनाना हैं।
* परमेश्वर के वचन में मिलावट नहीं करना हैं।
* परमेश्वर के वचन को भ्रष्ट नहीं करना हैं।
* परमेश्वर के वचन का दुरूपयोग करने के व्दारा लोगों को धोखा नहीं देना हैं और न फांसना हैं।
परमेश्वर के वचन में आप को विचारों, परम्पराओं, दर्शनों या मनुष्यों की अटकलों को नहीं जोड़ना हैं। और न आप को पवित्रशास्त्र के कुछ अंशों को हटाना हैं, परमेश्वर के वचन के रूप में उनकी वैधता से इंकार करते हुए और न आप को परमेश्वर के वचन के कुछ भाग के विषय में चुप रहना हैं। आप को परमेश्वर के वचन को किसी भी प्रकार या रूप से विकृत नहीं करना हैं।
इ) आप को सत्य की घोषणा सच्चाई से, खुलेपन से, और शुध्दता से करना हैं। जैसा परमेश्वर के वचन में प्रगट किया गया हैं वैसा ही परमेश्वर के सत्य के प्रति आप को सच्चे होना हैं। आपके अध्ययन और प्रार्थना के जीवन में परमेश्वर के समक्ष आपको नम्र और ग्रहणशील दोनों होना हैं। स्वयं के घमंड में आप को बुध्दिमान नहीं होना हैं। और जब आप लोगों के सामने जाते हो तो आप को सत्य की घोषणा और शिक्षा वैसे ही देना हैं जैसा परमेश्वर का वचन प्रगट करता हैं। READ MORE...

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