एक सेवक के रूप में आप के संसाधन क्या हैं - अध्याय 4 - सेवक से बाइबल क्या कहती है - Sevak Se Bible kya Kahati Hai - Pastor Bablu Kumar


सेवक से बाइबल क्या कहती है - SEVAK SE BIBLE KYA KAHATI HAI ?

अध्याय 4
एक सेवक के रूप में आप के संसाधन क्या हैं


 अपने जीवन और सेवकाई के लिए परमेश्वर के उद्देश्यों को आप कैसे पूरा कर सकते हैं? परमेश्वर ने आप को अकेला नहीं छोड़ा हैं, उस ने आप को मात्र मानवीय बुध्दि और बल के साथ नहीं छोड़ दिया हैं, आप के कार्य को पूरा करने के लिए। परमेश्वर ने महान सहायता का प्राबधान किया हैं अविश्वसनीय संसाधनों का - उस के लिए जीने और आप के लिए उसके महान उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लैस करने के लिए।

विषय सूची
1. आपको मसीह का अनुग्रह और सामर्थ दी गई हैं।
2. आप को पवित्र आत्मा की उपस्थिति और सामर्थ दी गई हैं।
3. आप को परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ दी गई हैं।
4. आप को स्वयं परमेस्वर व्दारा जय का आश्वासन -संपूर्ण आश्वासन दिया गया हैं।
5. आप को परमेश्वर व्दारा एक आत्मिक वरदान दिया गया हैं।
6. आप को सेवकाई में बनाए रखने के लिए विश्वास दिया गया हैं।
7. आप को सेवकाई में विवश करने के लिए मसीह का प्रेम दिया गया हैं।
8. आप को सेवकाई में बनाए रखने के लिए पुनरूत्थान की आशा दी गई हैं।

1. आपको मसीह का अनुग्रह और सामर्थ दी गई हैं।

    "और उस ने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत हैं; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिध्द होती हैं; इसलिए मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमंड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। इस कारण मैं मसीह के लिए निर्बलताओं और निंदाओं में, और दरिद्रता में और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूँ; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्त होता हूँ" (2 कुरि. 12:9-10; तुलना 1 कुरि. 1:3-4; 2 कुरि 9:8)।

विचार
    मसीह आप में उसके अनुग्रह और सामर्थ को प्रकट करना चाहता हैं। परन्तु एक अत्यन्त महत्वपूर्ण सत्य पर ध्यान देंः जितना निर्बल पात्र होगा, उतनी अधिक महिमा मसीह पाएगा। यह चार महत्वपूर्ण बिन्दुओं में देखा जाता हैं।

अ)   मसीह का अनुग्रह आप के लिए बहुत हैं। परमेश्वर की उपस्थिति और उसका अनुग्रह किसी भी दुख से होकर जाने में आप की सहायता के लिए बहुत हैं। "बहुत" (आर्केई) शब्द का अर्थ हैं किसी भी खतरे का सामना करने के लिए सामर्थ या बल। आप के भीतर मसीह का अनुग्रह आप को किसी भी बात के पार लगा सकता हैं। पौलुस के प्रकरण में, यह शारीरिक कष्ट था। आप के प्रकरण में यह शारीरिक या आत्मिक आक्रमण हो सकते हैं, परन्तु कोई चिंता नहींः मसीह का अनुग्रह बहुत हैं यह देखने के लिए कि आप को जो भी कष्ट होता हैं उस से पार लगा दें।

ब)  मसीह का बल आपकी निर्बलता में सिध्द बनता हैं। जितना निर्बल सेवक हो, उतना अधिक मसीह सेवक में उसके बल को प्रदर्शित कर सकता हैं। यदि आप स्वयं - पर्याप्त हैं, तो आप को मसीह की आवश्यकता नहीं है; परन्तु यदि आप निर्बल हैं, तो आप को मसीह की आवश्यकता हैंः मसीह की सहायता, प्रावधान और पर्याप्तता की। आप को, इसलिए, उसके अनुग्रह और पर्याप्तता पर निर्भर होते हुए मसीह के समक्ष दीनता से चलना हैं।

स) आप की समस्त दुर्बलताओं और परीक्षाओं में मसीह की सामर्थ आप पर रहेगी। इस कथन के बिन्दु पर ध्यान देंः दुर्बलताएं या निर्बलताएं उद्देश्यपूर्ण हैं। आप किसी कारण के लिए दुख उठाते होः जिससे कि आपके जीवन में मसीह की सामर्थ प्रदर्शित हो और स्पष्ट दिखाई दे। "छाया” (एपिस केनोसी) शब्द का अर्थ हैं किसी पर एक तम्बू तैनात करना। विचार यह हैं कि मसीह की सामर्थ दुख उठानेवाले सेवक पर उसी प्रकार छाई रहती हैं जैसे कि तम्बू के पवित्रस्थान में शेकीनाह महिमा छाई रहती थी। क्या ही महिमामय विचार हैं! मसीह का बल छा जाता हैं और आप के भीतर वास करने लगता हैं- आप को परमेश्वर की शेकीनाह महिमा से भरते हुए जब आप परीक्षाओं और प्रलोभनों से दुखी होते हो।

ड) जब आप किसी दुर्बलता या निर्बलता से ग्रसित होते हो, तो यह मसीह को अवसर देता हैं आप के भीतर सामर्थ भरने का और आप के लिए निर्बलता पर जय पाने का। आप की दुर्बलता मसीह को एक अवसर देती हैं स्वयं को प्रमाणित करने का। इसलिए, आप को आनन्दित होना हैं...

* "दुर्बलताओं में": एक सामान्य शब्द जिसका अर्थ सब प्रकार के कष्ट और निर्बलताएं हैं चाहे नैतिक हों या शारीरिक हों। मसीह की सामर्थ विश्वासी के लिए किसी भी निर्बलता या प्रलोभन पर जय पा सकती हैं।

* "निन्दाओं में": चाहे उपहास, अपमान, कलंक, अफवाह, या जो भी हो।

* "दरिद्रता में": कठिनाईयां, आवश्यकताएं, अभाव, भूख, प्यास, मकान या वस्त्रों, या किसी अन्य वस्तु का अभाव।

* "उपद्रवों में": शब्दों व्दारा या शारीरिक आक्रमण, दुरूपयोग, या हानि।

* "संकटों में": कठिन परिस्थितियां, असमंजस, गड़बड़ियां, व्याकुलता, समस्याएं जिन से बचा नहीं जा सकता और कठिनाईयां।

  जब आप निर्बल हैं, तब आप सबसे बलवान हैं। कैसे? मसीह की सामर्थ व्दारा। और मसीह की सामर्थ मानवजाति के सब संयुक्त बलों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।

    प्रभु के समक्ष अपनी निर्बलता को मान लेना आप की महान आवश्यकता हैं। जब आप यह करते हैं, तो प्रभु अपनी सामर्थ को आपकी बुध्दि और मन में डाल देता हैं। प्रभु आपको सब दुर्बलताओं और निर्बलताओं, और सब परीक्षाओं और प्रलोभनों पर जय पाने के लिए शक्तिमान बनाता हैं।

2. आप को पवित्रआत्मा की उपस्थिति और सामर्थ दी गई हैं।

   "परन्तु जब पवित्रआत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे, और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी के छोर तक मेरे गवाह होगे" (प्रेरि 1:8)।

   "परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया हैं, जो परमेश्वर की ओर से हैं, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं" (1 कुरि 2:12)।

विचार
   एक सेवक के रूप में, आप को परमेश्वर का स्वयं का आत्मा दिया गया हैं। इस से बड़ी शक्ति कभी भी किसी के पास नहीं हो सकती। यह स्पष्टता से देखा गया हैं: एक बार जब आरम्भिक चेलों ने परमेश्वर के आत्मा का उनके जीवनों में आने का अनुभव किया, तब फिर कभी उन्होंने सांसारिक शक्ति के विषय में नहीं पूछा।

  परमेश्वर के आत्मा की उपस्थिति और सामर्थ का अनुभव उन के जीवनों में करना शिखर था, उन के जीवनों का सर्वोच्च अनुभव था। इस के अतिरिक्त किसी अन्यवस्तु की कभी कोई आवश्यकता नहीं थी। यही तो हैं जिस के लिए मनुष्य का हृदय लालसा करता हैं, और एक बार जब परमेश्वर का आत्मा वास्तव में सेवक के भीतर वास करता हैं, तब वह सेवक सर्वोच्च रूप से परिपूर्ण और संतुष्ट हो जाता हैं। कोई अन्य वस्तु कभी भी संतुष्ट नहीं कर सकती - न पदवी न अधिकार, मान्यता या प्रसिध्दि नहीं यदि उस सेवक ने यथार्थ में परमेश्वर के आत्मा को उसके जीवन और हृदय में ग्रहण किया हैं।

  बिन्दु यह हैं: परमेश्वर व्दारा आप को एक कार्य दिया गया हैं, पृथ्वी पर एक जीवन - कार्य को करना हैं। उस कार्य को करने की सामर्थ आप के पास, आप के भीतर नहीं हैं। स्वयं परमेश्वर की, उसके आत्मा की सामर्थ की आवश्यकता हैं। इसलिए, मसीह प्रतिज्ञा करता हैं: "तुम सामर्थ - पाओंगे जब पवित्रआत्मा तुम पर आएगा (प्रेरि 1:8)। परमेश्वर के आत्मा और उसकी सामर्थ दोनों की प्रतिज्ञा हैं। परन्तु एक महत्वपूर्ण बिन्दु पर ध्यान दें: पवित्र आत्मा आप पर एक लैस करनेवाली सामर्थ के रूप में आता हैं। उसके आने का एक बड़ा उद्देश्य हैं आप को लैस करना परमेश्वर के लिए आपके कार्य को करने के लिए।

3. आप को परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ दी गई हैं।

   "परन्तु हमारे पास यह धन मिट्टी के बरतनों में रखा हैं, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे" (2 कुरि. 4:7)।

"क्योंकि दाऊद उसके विषय में कहता हैं, कि मैं प्रभु को सर्वदा अपने सामने देखता रहा क्योंकि वह मेरी दहिनी ओर हैं, ताकि मैं डिग नजाऊं" (प्रेरि 2:25)।

   "परन्तु मैं तो यहोवा की आत्मा से शक्ति, न्याय और पराक्रम पाकर परिपूर्ण हूँ कि मैं याकूब को उसका अपराध और इस्त्राएल को उसका पाप जता सकूं" (मीका 3:8)।

विचार
   यह एक बहुमूल्य, तथापि अत्यन्त महत्वपूर्ण वचन (2) कुरि. 4:7) हैं। "यह धन" संदर्भहैं पहिले के वचन (व.6) का। यह धन स्वयं परमेश्वर की उपस्थिति हैं जो विश्वासी के मिट्टी के बर्तन, उसके हृदय, उसके पृथ्वी के शरीर में हैं। तीन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान दें।

अ)  परमेश्वर की उपस्थिति एक धन हैं, एक बहुमूल्य धन।

ब) परमेश्वर की उपस्थिति मिट्टी के बरतनों में रखी हैं। परमेश्वर आपके शरीर में प्रवेश करता हैं, एक शरीर जो कि एक मिट्टी या कांच के बने बरतन के समान हैं। आपका शरीर इतना निर्बल और मूल्यहीन, नाशमान और विनाशी हैं। तथापि कल्पना करें - कि परमेश्वर की उपस्थिति ऐसे एक मिट्टी के शरीर में हैं!

स) आप के शरीर में प्रवेश करने का परमेश्वर का उद्देश्य हैं उसकी सामर्थ को दर्शाना सब निर्बलताओं सब परीक्षाओं और प्रलोभनों, सब बाधाओं और दुर्बलताओं - मृत्यु तक पर जय पाने के व्दारा।

* "असीम सामर्थ" एक चित्रण हैं उसकी सामर्थ के प्रताप, महिमा और सर्वोच्चता का। परमेश्वर की महान और विजयी सामर्थ की यह सर्वश्रेष्ठता हैं।
आपके हृदय और शरीर में परमेश्वर की उपस्थिति सामर्थ हैं।

* आप को एक नई सृष्टि में परिवर्तित करने और रूपान्तर करने की यह सामर्थ हैं।
"सो यदि कोई मसीह में हैं तो वह नई सृष्टि हैं; पुरानी बातें बीत गई हैं, देखो, वे सब नई हो गईं" (2 कुरि 5:17)।

* आप को एक नए मनुष्य में परिवर्तित करने और रूपान्तर करने की यह सामर्थ हैं।

"और नए मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया हैं। (इफि 4:24)।

"और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया हैं जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिए नया बनता जाता हैं" (कुलु 3:10)।

* आप को सब परीक्षाओं और प्रलोभनों से छुटकारा देने की यह सामर्थ हैं।

"तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने के बाहर हैंः और परमेश्वर सच्चा हैंः वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको" (1 कुरि 10:13)।

"परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्सव में लिए फिरता हैं, और अपने ज्ञान की सुगन्ध हमारे व्दारा हर जगह फैलाता हैं" (2 कुरि. 2:14)।

* आप में उस के ईश्वरीय स्वभाव को डालने की यह सामर्थ हैं।
   "जिनके व्दारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के व्दारा तुम उस सड़ाहट से छूटकर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती हैं, ईश्वरीय स्वभाव के सहभागी हो जाओ"

* यह आप को जीवन देने की सामर्थ हैं, बहुतायत और अनन्तजीवन दोनों।

"मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाएं और बहुतायत से पाएं" (यूह. 10:10)।

  "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया कि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूह 3:16)।

   बिन्दु यह हैं: परमेश्वर की उपस्थिति का धन आपके मिट्टी के बरतों में हैं, आपके सांसारिक शरीर में जो कि इतना निर्बल और नश्वर हैं। परमेश्वर आपके लिए इतना कुछ करता हैं, और यह सब उसी के व्दारा किया जाता हैं। इसलिए, परमेश्वर और केवल परमेश्वर को सब श्रेय जाता हैं, और इसके व्दारा उसकी प्रशंसा होती हैं। जैसो कि वचन कहता हैं, सामर्थ परमेश्वर की हैं, हमारी नहीं।


4. आप को स्वयं परमेश्वर व्दारा जय का आश्वासन संपूर्ण आश्वासन - दिया गया हैं।

   "परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्सव में लिए फिरता हैं, और अपने ज्ञान की सुगन्ध हमारे व्दारा हर जगह फैलाता हैं" (2 कुरि. 2:14)।

विचार
  एक सेवक के रूप में, आप मसीह में सदा विजयी हो। परमेश्वर आप को जय का संपूर्ण आश्वासन देता हैं। परमेश्वर कभी असफल नहीं होता उसके प्रिय सेवक ।

   जय का चित्रण वर्णनात्मक हैं। यह एक सेनापति का चित्रण हैं जो रोम को लौटता हैं किसी महान विजय के बाद। एक महान विजय समारोह के जुलूस में नगर में सदा सेनापति का स्वागत किया जाता था। अधिकांश लोगों ने फिल्मों में या टेलीविजन पर ऐसे दृश्यों को देखा हैं।

   जिसका चित्रण पौलुस करता हैं वह मसीह की विजय हैं। वह परमेश्वर को देखता हैं मसीह को उस महिमामय विजय को देते हुएः जय प्राप्त होती हैं जब पूरे जगत में परमेश्वर के वचन की घोषणा की जाती हैं। और पौलुस स्वयं को देखता हैं, परमेश्वर के एक सेवक के रूप में, उस महिमामय और जयवन्त विजय के एक भाग के रूप में। अनेक बिन्दुओं पर ध्यान दें।

अ) यह परमेश्वर हैं जो आप की विजय का कारण हैं। स्वयं परमेश्वर आप की देख -भाल कर रहा हैं, उसके प्रिय सेवक के रूप में आप पर से कभी भी उसकी आंखों को न हटाते हुए। यात्रा कभी कभी कठोर हो सकती हैं, और आप पर आक्रमण और दुरूपयोग किया जा सकता हैं, परन्तु परमेश्वर आप को कभी नहीं छोड़ता हैं।

ब) परमेश्वर सदा आप को जयवन्त बनाता हैं। परमेश्वर के एक सच्चे सेवक के रूप में, आप स्थायी रूप से पराजय को कभी नहीं जानेंगे। कुछ समय के लिए यदि आप गिरें और असफल हो, तो अन्त में परमेश्वर आप तक पहुंच कर आप को बहाल करेगा, और वह आप का उपयोग करता रहेगा। परमेश्वर सदा अपने प्रिय सेवक को सब पर जयवन्त करेगा। ऐसा कुछ नहीं हैं, कुछ भी नहीं हैं, जो कि आप पर जय और अंतिम विजय पा सके यदि आप की सच्ची बुलाहट परमेश्वर व्दारा हैं - यदि आप उसकी सच्ची सेवा करते हैं। सब पर महिमामय विजय निश्चित हैं।

स) विजय "मसीह में" और केवल मसीह में हैं। आप को अवश्य

* मसीह में विश्वास
* मसीह में सेवा
* मसीह में भरोसा
* मसीह में जीना
* मसीह में बुलाए जाना
* मसीह में चलना
* मसीह में सेवकाई करना
* मसीह में होना हैं।

   आप किसी और से भिन्न नहीं हैं: आपकी जय केवल मसीह में हैं। आप को मसीह में भरोसा करना और जीना हैं किसी भी दूसरे के समान। मसीह से अलग आप परमेश्वर के लिए ग्रहणयोग्य नहीं हैं। परमेश्वर के समक्ष आपकी मान्यता उसी बात पर आधारित हैं जिस पर अन्य सब की हैंः मसीह में विश्वास। इसलिए, "मसीह में" जय पाने के लिए आप को "मसीह में" होना हैं; अर्थात्, आप को मसीह में विश्वास करना और जीना हैं। आप की जय मसीह में है और केवल मसीह में।

ड) परमेश्वर आपका, सेवक का, उपयोग करता हैं मसीह के ज्ञान को सर्वत्र फैलाने के लिए। यही कारण हैं कि परमेश्वर आपको जय देता हैं: जिस से कि मसीह का महिमामय संदेश संसार भर में फैल जाए। परमेश्वर हर संभव व्यक्ति तक पहुंचना चाहता हैं: यह देखना चाहता हैं कि प्रत्येक व्यक्ति मसीह के प्रेम के विषय में जाने। "सुगन्ध" शब्द का अर्थ हैं खुशबू या महक, जैसे कि एक फूल की खुशबू । परमेश्वर उसके वचन की खुशबू आप, उसके सेवक, व्दारा फैलाता हैं।

5. आप को परमेश्वर व्दारा एक आत्मिक वरदान दिया गया हैं।

   "और उसने कितनों को प्रेरित नियुक्त करके, और कितनों को भविष्यवक्ता, कितनों को सुसमाचार, प्रचारक, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया" (इफि 4:11)।

   "और परमेश्वर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए हैं; प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यवक्ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ के काम करनेवाले, फिर चंगा करनेवाले और उपकार करनेवाले और प्रधान, और नाना प्रकार की भाषा बोलनेवाले" (1 कुरि 12:28)।

विचार
    परमेश्वर ने आप को सेवकाई के लिए लैस किया हैं। जो कुछ भी करने के लिए उस ने आप को बुलाया हैं, उस ने आप को उस विशिष्ट सेवकाई के लिए वरदान दिया हैं। आप को परमेश्वर ने सब आवश्यक वस्तुए दी हैं आप की बुलाहट और सेवकाई को पूरा करने के लिए।

* आत्मिक पद
* आत्मिक वरदान और योग्यता
* अधिकार और सामर्थ
* आपकी सेवकाई को पूरा करने के लिए सब परीक्षाओं और प्रलोभनों को सहने का अनुग्रह।

    यह ध्यान देना महत्वपूर्ण हैं कि आत्मिक वरदानों का क्या अर्थ हैं। एक आत्मिक वरदान का अर्थ वह स्वाभाविक योग्यता या एक व्यक्ति की निपुणता नहीं हैं। अवश्य ही, परमेश्वर स्वाभाविक योग्यताओं और निपुणताओं को ध्यान में रखता हैं जब वह एक व्यक्ति को वरदान देता हैं, परन्तु आत्मिक वरदान विश्वासियों को दिए गए विशेष वरदान हैं। वे अत्यन्त विशेष वरदान हैं वरदान जो कलीसिया में विश्वासियों को उन्नत करने और जगत में गवाही देने और सेवा करने के लिए दिए गए हैं। ध्यान देने योग्य बिन्दु यह हैं: आप ने एक आत्मिक वरदान, एक अत्यन्त विशेष वरदान पाया हैं। आप ने अपना वरदान पाया हैं पृथ्वी पर प्रभु की सेवकाई को पूरा करने के लिए।

  एक और महत्वपूर्ण बिन्दु पर ध्यान देंः यीशु मसीह आपको आपके वरदान का उपयोग करने के लिए अनुग्रह देता हैं। अनुग्रह का अर्थ हैं बल, बुध्दि, साहस, प्रेरणा, प्रेम, चिंता, देख - भाल, सामर्थ मसीह की सब आशीषे और पक्ष। वरदान का उपयोग करने के लिए जो भी आवश्यकता हैं, मसीह आप को देता हैं। एक वरदान के सर्वाधिक उपयोग के लिए आवश्यक अनुग्रह की ठीक ठीक मात्रा वह नाप कर देता हैं।

  क्या ही महिमामय सत्य! प्रोत्साहन की क्या चिंगारी! आप मसीह व्दारा वरदान युक्त हो - एक अत्यन्त विशेष वरदान के साथ। और आप के पास अनुग्रह की वह मात्रा हैं - जो भी मात्रा आवश्यक हैं आप के वरदान के उपयोग के लिए। मसीह आप पर उसका अनुग्रह उंडेलता हैं, पृथ्वी पर आप के कार्य को पूरा करने के लिए आप को लैस करते हुए। यह महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इसका अर्थ हैं कि आपका वरदान मसीह का वरदान हैं। आप के लिए यह सर्वोत्तम वरदान हैं। आप को अपने वरदान से अप्रसन्न नहीं होना हैं, और न किसी दूसरे के वरदान की लालच करना हैं। मसीह ने आप को आपकी सेवकाई में रखा हैं और आप को सर्वोत्तम वरदान दिया हैं यदि आप वास्तव में उसके हैं, उसकी सेवा करने के लिए समर्पित और प्रतिबध्द ।

6. आप को सेवकाई में बनाए रखने के लिए विश्वास दिया गया है।

   "और इसलिए कि हम में वही विश्वास की आत्मा हैं जिस के विषय में लिखा हैं, कि मैंने विश्वास किया, इसलिए मैं बोला; सो हम भी विश्वास करते हैं, इसीलिए बोलते हैं (2) कुरि 4:13; तुलना प्रेरि 27:25; रोमि 4:20-21; इब्रा 11:6)।

विचार
   एक सेवक के रूप में जब आप को कोई और बात बनाए न रखे, तब आपका विश्वास आप को बनाए रखेगा। आप को हार मान लेने का प्रलोभन हो सकता हैं: आप के विरूध्द संकट और दबाव इतना भारी हो सकता हैं कि आप सेवकाई छोड़ने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं, सुसमाचार को फिर कभी न बांटने के लिए। तथापि जैसा कहा गया हैं, जब आप को कोई और बात बनाए न रखे, तब आपका विश्वास आप को बनाए रखेगा।

   "और उन सबके साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिससे तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सकों" (इफि 6:16)।

   यदि आप मसीह में अपने विश्वास को पकड़े रहेंगे प्रार्थना करेंगे और परमेश्वर के मुख की खोज करेंगे, विश्वास करेंगे और कभी भी हार न मानेंगे चाहे आप पर जो भी आक्रमण हो - आप कभी नहीं गिरेंगे, अधिक समय के लिए नहीं।

   आप का विश्वास आप को हताश नहीं होने देगा, उस बिन्दु तक नहीं कि आप सेवकाई छोड़कर निराशा की गहराईयों में डूब जाओ। विश्वास व्दारा आप को परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करना हैं। विश्वास व्दारा आपको सेवकाई में रहना हैं और बोलते रहना हैं वैसे ही जैसे परमेश्वर का वचन आप को करने के लिए उपदेश देता हैं।

   "क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ हैं, वह संसार पर जय प्राप्त करता हैं, और वह विजय जिससे संसार पर जय प्राप्त होती हैं हमारा विश्वास हैं। संसार पर जय पानेवाला कौन हैं? केवल वह जिसका विश्वास हैं, कि यीशु, परमेश्वर का पुत्र हैं" (1 यूह 5:4-5)।

7. आप को सेवकाई में विवश करने के लिए मसीह का प्रेम दिया गया हैं।

   "क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता हैं; इसलिए कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिए मरा तो सब मर गए" (2) कुरि 5:14)।

विचार
   एक सेवक के रूप में मसीह का प्रेम आप को सेवकाई को पकड़े रहने पर विवश करता हैं। ध्यान देंः पौलुस नहीं कहता कि सेवकाई के लिए वह विवश किया गया हैं...

* मसीह की महान शिक्षा
* मसीह के महान नमूने
* मसीह की महान सेवकाई
* मसीह के महान जीवन के कारण।

   प्रभु के जीवन के यह सब क्षेत्र अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं परन्तु हमारे उध्दार और सेवकाई के आधार वे नहीं हैं। विश्वासी के जीवन का आधार मसीह का प्रेम हैं। जैसा कि उपरोक्त वचन कहता हैं, मसीह का प्रेम क्रूस पर उसकी मृत्यु में देखा जाता हैं।

मसीह मरा जिससे कि सब व्यक्ति उस में मर जाएं। यूनानी में यह वचन कहता हैं:

* "एक सब के लिए मरा" (हीस ह्यूपर पैनटोन अपेथनेन)।
* "इसलिए, सब मर गए" (अरा होए पैनटेस अपेथनौन)।

ठीक - ठीक शब्दों पर ध्यान दें: "एक सब के लिए मरा; इसलिए सब मर गए।"
पौलुस कह रहा हैं...

* कि यीशु मसीह सब मनुष्यों के लिए मरा, इसलिए सब मनुष्य मर गए जब वह मरा।

* क्योंकि मसीह सब के लिए मरा, इसलिए तात्पर्थ हैं कि सब मनुष्य उस में मर गए।

* यह कि मसीह में सब मनुष्य प्रतीक के रूप में थे जब वह मरा।

* यह कि जब मसीह मरा तब सब मनुष्यों को मरे हुओं में गिना गया।

* यह कि मसीह वह आदर्श मृत्यु मरा जो मृत्यु सब मनुष्यों के लिए हैं।

   अवश्य ही, यह केवल उसी बात को भिन्न प्रकार से कहना हैं जिस से कि हम सरलता से समझ सकें कि पौलुस क्या कह रहा हैं। परन्तु ध्यान देंः "सब" शब्द विश्वव्यापी उध्दार की शिक्षा नहीं दे रहा हैं, अर्थात्, यह कि प्रत्येक मानव मसीह की मृत्यु व्दारा बचाया जाता हैं। इस पाठ को सदर्भित रखा जाना हैं बाकी पवित्रशास्त्र के साथ। "सब" शब्द का अर्थ हैं सब जो मसीह की मृत्यु में विश्वास व्दारा उध्दार पाते हैं।

  अति सरलता से कहा जाए, तो जब एक व्यक्ति विश्वास करता हैं कि यीशु मसीह उस के लिए मरा, तब परमेश्वर उस व्यक्ति के विश्वास को लेता हैं और मसीह में उसकी मृत्यु के रूप में उस को गिनता हैं।

* परमेश्वर गिनता हैं कि वह मसीह में मर गया।
* परमेश्वर उसे गिनता हैं मसीह में पहिले ही मरे हुए के रूप में।
* परमेश्वर मसीह की मृत्यु को उसके लिए गिनता हैं जिस से कि उसे कभी मरना नहीं हैं।

   इसी बात को कहने का एक और तरीका यह हैंः परमेश्वर उस व्यक्ति के विश्वास को लेता हैं और...

* उस व्यक्ति की पहचान मसीह की मृत्यु के साथ करता हैं।

* मसीह की मृत्यु को उस व्यक्ति की मृत्यु के रूप में स्वीकार करता हैं।

   यद्यपि ये कथन किसी की सहायता कर सकते हैं अधिक स्पष्टता से समझने में कि पौलुस क्या कह रहा हैं, पवित्रशास्त्र के कथन से अधिक स्पष्ट कोई कथन नहीं हैं: "मसीह सब के लिए मरा; इसलिए सब (उस में) मर गए"। यीशु मसीह की मृत्यु सब के लिए प्रतीकात्मक मृत्यु थी। उसकी मृत्यु सब लोगों की मृत्यु के रूप में हैं। किसी भी व्यक्ति को कभी भी मरना नहीं हैं। केवल उसे विश्वास करना हैं कि यीशु मसीह उसके लिए मरा - वास्तव में इस महिमामय सत्य के लिए उसके जीवन को समर्पित करना हैं और परमेश्वर उस के विश्वास को लेगा और उसकी गणना करेगा मसीह में पहिले ही उसके मर जाने के रूप में।

   बिन्दु यह हैं: यह मसीह का महिमामय प्रेम हैं जो आप को सेवकाई से जुड़े रहने प्रभु की सेवा इतनी विश्वासयोग्यता से करने पर विवश करता हैं। आप को मसीह का प्रेम दिया गया हैं आप को चलाने और विवश करने के लिए कि मसीह के संदेश को एक जगत के साथ बांटें जो कि सड़ाहट में जकड़ा हुआ और मर रहा हैं। (देखें प्रचारक की रूपरेखा और उपदेश बाईबिल के रोमि 5:1; 1 कुरि. 6:11 के धर्मी ठहराए जाने के लेख को, अधिक चर्चा के लिए।)

8. आप को सेवकाई में बनाए रखने के लिए पुनरूत्थान की आशा दी गई हैं।

   "क्योंकि हम जानते हैं, कि जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने सामने उपस्थित करेगा" (2 कुरि. 4:14)।

   "क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्स 4:16-17)।

   "और हमें चिताता हैं, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेनकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं। और उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेश्वर और उध्दारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें" (तीतु 2:12-13)।

विचार
  आप मसीह की सेवा एक बड़े कारण से करते होः आप जानते हो कि आप को एक दिन मरना हैं, और आप जानते हो कि मृतकों का एक पुनरूत्थान होने वाला हैं। सब से अधिक, जो एक बात आप चाहते हो वह हैं यीशु के साथ होना; इसलिए, पुनरूत्थान का वह महिमामय दिन, पूर्ण उध्दार का वह दिन, सदा आपकी आंखों के सामने हैं। आप सब दुख उठाते और सहते हैं - आप प्रचार करते और शिक्षा देते रहते, सेवा करते और लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते रहते हो सब कुछ इसलिए कि आप जानते हो कि पुनरूत्थान का दिन आ रहा हैं। जैसे परमेश्वर ने प्रभु यीशु को जिलाया, वैसे ही परमेश्वर आप को जिलाएगा उन सब के साथ रहने के लिए जिनकी आप ने सेवकाई की हैं।

   आप यह कैसे जानते हैं? क्योंकि परमेश्वर ने प्रभु यीशु को जिलाया। जब परमेश्वर ने मसीह को जिलाया, तब परमेश्वर ने प्रदर्शित किया कि यह उसकी इच्छा थी कि मृतकों को जिलाए, और उसके पास सामर्थ थी मृतकों को जिलाने की। आप जानते हैं कि आप भी, जिलाए जाएंगे, जिलाए जाएगे कि मसीह के साथ अनन्त काल तक जीवित रहें। यह आपकी महान आशा हैं, वह आशा जो सेवकाई में आप को बनाए रखती हैं। जैसा कि पौलुस ने कहा उसकी महान गवाही देते हुएः

   "और मैं उस को और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी होने के मर्म को जानू, और उसकी मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं। ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं" (फिलि 3:10-11)। Read More