सेवक से बाइबल क्या कहती है - SEVAK SE BIBLE KYA KAHATI HAI ?
अध्याय 3
एक सेवक के रूप में आपका उध्देश्य क्या होना चाहिए
एक सेवक होने के लिए परमेश्वर ने आपको क्यों बुलाया हैं? आपको बुलाने में उसके क्या उध्देश्य हैं? परमेश्वर के पास अनेक अत्यन्त विशिष्ट उध्देश्य हैं जो वह आप के व्दारा पूरा करना चाहता हैं। ये उध्देश्य क्या हैं इसे वर्णित करने में पवित्रशास्त्र स्पष्ट हैं।
विषय सूची
1. आप को इस महान सत्य का नमूना होना हैं कि परमेश्वर पापियों को बचाता हैं - परमेश्वर की दया का एक जीवित उदाहरण।
2. आप को जाकर सब जातियों को चेला बनाना हैं।
3. आप को प्रत्येक मनुष्य को मसीह यीशु में सिध्द प्रस्तुत करना हैं।
4. आप को प्रभु यीशु मसीह के लिए एक गवाह होना हैं।
1. आप को इस महान सत्य का नमूना होना हैं कि परमेश्वर पापियों को बचाता हैं - परमेश्वर की दया का एक जीवित उदाहरण।
1 तीमुथियुस 1:16
पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
1 तीमुथियुस 4:12
कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
तीतुस 2:7-8
सब बातों में अपने आप को भले कामों का नमूना बना: तेरे उपदेश में सफाई, गम्भीरता
और ऐसी खराई पाई जाए, कि कोई उसे बुरा न कह सके; जिस से विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्ज़ित हों।
विचार
परमेश्वर आप के प्रति धैर्यवान रहा हैं- अत्यन्त धैर्यवान। उसने आप पर दया की हैं, आपको बचाया है, और जगत के लिए उसका सेवक होने के लिए आप को बुलाया है। परन्तु आप के लिए परमेश्वर व्दारा इतना कुछ करने का एक कारण हैं; जिससे कि उसके धैर्य और दया के आप एक जीवित उदाहरण हों।
आप को एक नमूना होना हैं- एक प्रदर्शन, एक उदाहरण कि परमेश्वर धैर्यवान हैं और यह नहीं चाहता कि कोई नाश हो या मरे। आप को परमेश्वर की दया का एक नमूना होना हैं, कि दया के लिए जो भी उसके पास आए वह उस पर दया करेगा। और ध्यान दें; जगत के लिए आप परमेश्वर के सेवक होः इसलिए परमेश्वर के धैर्य और दया के आप को प्रथम-प्रमुख उदाहरण होना है। आप को प्रथम होना हैं जीवित रहकर परमेश्वर के धैर्य और दया की घोषणा करने के लिए।
आप को सब विश्वासियों के लिए एक उदाहरण होना हैं,
* वचन में,
* पवित्र आत्मा में,
* पवित्रता में,
* प्रेम में,
*व्यवहार में,
* विश्वास में,
आप को एक नमूना एक उदाहरण होना हैं भले कार्यों का सिध्दान्तों और शिक्षा में,
* एक शुध्द शिक्षा के प्रचार में,
* संदेश का प्रचार सच्चाई और सम्मान के साथ करने में,
* संदेश का प्रचार ठीक शब्दों में करने में
जैसा कि कहा गया हैं, आप को परमेश्वर के धैर्य और दया का प्रथम - प्रमुख उदाहरण होना हैं मानव जाति के लिए। सब भले कार्यों और परमेश्वर के संदेश को शुध्द रखने में आप को एक ज्वलन्त उदाहरण ठहरना हैं।
2. आप को जाकर सब जातियों को चेला बनाना हैं।
मत्ती 28:19-20
इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।
और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥
2 तीमुथियुस 2:2
और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।
विचार
उसके अनुयायियों के लिए यह यीशु मसीह का महान आदेश हैं (मत्ती 28:19-20)
समस्त बाइबिल में सब से महत्वपूर्ण वचनों में से यह एक हैं, क्योंकि यह आप से कहता हैं कि सुसमाचार के एक सेवक के रूप में आपका उद्देश्य और कार्य यथार्थ में क्या हैं; आप को जा कर सब जातियों को चेला बनाना हैं। कुछ अनुवादों में "सिखाओं" शब्द यूनानी में "चेला बनाओं" हैं। "चेला बनाने" का क्या अर्थ है? इस का अर्थ हैं ठीक वही करना जो मसीह ने किया। जब मसीह ने एक व्यक्ति को पाया जो अपने जीवन को परमेश्वर को - पूर्णतः उसके जीवन को समर्पित करने को तैयार था तो मसीह स्वयं उस व्यक्ति से जुड़ गया। मसीह उस व्यक्ति को अपने स्वरूप में ढालने लगा। "जुड़ना" कुंजी शब्द हैं। संभवतः यह शब्द शिष्यता का सर्वोत्तम वर्णन हैं। मसीह ने मनुष्यों को चेला बनाया स्वयं को उन से जोड़ने के व्दारा, और उस व्यक्तिगत जुड़ने के व्दारा वे उस के जीवन और बातचीत का अवलोकन कर सके। उसे देखने और सुनने में, वे उस के चरित्र और व्यवहार को आत्मसात करने और अपनाने लगे। वे अधिक निकटता से उस के पीछे चलने और सेवा करने लगे। सरल शब्दों में यही हैं जो हमारे प्रभु ने किया। इसी रीति से उसने चेले बनाए। यही उस का जीवनकार्य और उसका तरीका, उसकी बाध्यता थीः इच्छुक विश्वासियों से स्वयं को जोड़ना ।
मसीह ने जो किया उसका वर्णन करने का एक और तरीका हैं। मसीह ने कुछ दर्शन देखा था जो उस से परे और उसके दिन और समय से परे था। उसने दर्शन देखा स्वयं के विस्तरण का, उसके अस्तित्व के एक विस्तरण का, और उसके जीवन-कार्य और तरीके के एक विस्तरण का। जिस रीति से उस ने स्वयं के विस्तार करने का चुनाव किया वह शिष्यता थी, प्रतिबध्द व्यक्तियों के साथ स्वयं को जोड़ना, और जुड़ने के व्दारा उन व्यक्तियों ने प्रभु के चरित्र और जीवन कार्य को आत्मसात कर अपना लिया। अपनी बाहरी में उन्होंने स्वयं को दूसरों से जोड़ लिया और उन को चेला बनाया। वे भी उन के चेलों से अपेक्षा करते थे कि वे दूसरों को चेला बनाएंगे जो उनके जीवनों को मसीह को समर्पित करना चाहते थे। यही तरीका था मसीह के महिमामय संदेश का शताब्दियों से बढ़ते रहने का
2 तीमुथियुस 2:2
इस में कोई प्रश्न नहीं हैं कि हमारे प्रभु का आदेश क्या हैं: हमें जाना हैं। परन्तु इस से अधिक, हमें चेला बनाना हैं, उन व्यक्तियों से स्वयं को जोड़ना हैं जो हमारे प्रभु के पीछे चलेंगे जब तक कि वे उनकी बारी में चेले बना सकें
परमेश्वर के एक सेवक के रूप में आपका उद्देश्य हैं...
* दूसरों को चेला बनानाः कुछ विश्वासियों को चुनें जो यीशु मसीह के प्रति सब कुछ और स्वयं को समर्पित करने के लिए तैयार हैं और उन के साथ स्वयं को जोड़ें। (उतने चुनें जितनों से आप निपट सकते हैं)।
* आप जो कुछ जानते हैं वह सब उन इच्छुक विश्वासियों को सिखानाः उसे अपने साथ चलने दें, अपने साथ बात करने दें और देखने दें कि आप कैसे जीते, प्रार्थना करते, सिखाते, सेवा करते, खाते और विश्राम करते हैं। उसे आपका दिन - प्रति-दिन जितना अधिक संभव हो अवलोकन करने दें और जो मसीह आप में हैं उसे अपनाने दें।
* सदा कुछ विश्वासियों को चेला बनाते रहें, और तब उन को दूसरों को चेला बनाने के लिए छोड़ दें। (एक लक्ष्य निर्धारित करें कि आप के विचार में प्रत्येक चेले के प्रशिक्षण में कितना समय लगेगा, और तब प्रत्येक को छोड़ दें दूसरों को चेला बनाने के लिए। जब आप प्रत्येक को छोड़ते हैं, तब एक और समर्पित विश्वासी को चुन लें आपके चेलों के समूह में स्थानपन्न के लिए)।
दूसरों को चेला बनाने का कार्य करें, क्योंकि यह मसीह का महानआदेश, और तरीका हैं जिसका प्रयोग उसने किया। हम शीघ्र ही संसार तक पहुंच सकते हैं यदि आप और अन्य सब सेवक मसीह के इस सरल निर्देश का पालन करें: चेला बनाएं - उन सब को चुन लें और स्वयं को उन से जोड़ दें जो उनके जीवनों को सेवकाई के लिए समर्पित करने के लिए तैयार हैं।
3. आप को प्रत्येक मनुष्य को मसीह यीशु में सिध्द प्रस्तुत करना हैं।
कुलुस्सियों 1:28
जिस का (मसीह का) प्रचार करके हम हर एक मनुष्य को जता देते हैं और सारे ज्ञान से हर एक मनुष्य को सिखाते हैं, कि हम हर एक व्यक्ति को मसीह में सिद्ध करके उपस्थित करें।
विचार
परमेश्वर चाहता हैं कि प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा जाए और उस के समक्ष सिध्द प्रस्तुत किया जाए। “सिध्द" का अर्थ हैं परिपक्व और पूर्ण। यह आप का महान उद्देश्य, आपका सर्वोच्च लक्ष्यः कि प्रत्येक व्यक्ति के पीछे जाएं-प्रत्येक आत्मा तक पहुंचने का प्रयास करें - और प्रत्येक व्यक्ति को मसीह यीशु में एक परिपक्व और पूर्ण विश्वासी के रूप में परमेश्वर को प्रस्तुत करें। आप इस कार्य को कैसे पूरा कर सकते हैं? इस वचन पर ध्यान दें:
* मसीह का प्रचार करें।
* प्रत्येक मनुष्य को चिताएं।
* प्रत्येक मनुष्य को सब बुध्दिमानी सिखाएं।
4. आप को प्रभु यीशु मसीह के लिए एक गवाह होना हैं।
यीशु मसीह पृथ्वी पर आया जिस से कि आप को जीवन मिले, भरपूर और अनन्त जीवन दोनों। पाप के दासत्व, मृत्यु और आनेवाले न्याय से आप को बचाने के लिए वह आया। उसके उध्दार के एक गवाह होने के लिए मसीह व्दारा आप बुलाए गए हैं। आप के अस्तित्व का उद्देश्य - एक सेवक होने के लिए - हैं मसीह के लिए एक गवाह होना।
प्रथम, आप को एक निर्लज्ज गवाह होना हैं।
2 तीमुथियुस 1:8
इसलिये हमारे प्रभु की गवाही से, और मुझ से जो उसका कैदी हूं, लज्ज़ित न हो, पर उस परमेश्वर की सामर्थ के अनुसार सुसमाचार के लिये मेरे साथ दुख उठा।
भजन संहिता 119:46
और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के साम्हने भी करूंगा, और संकोच न करूंगा;
2 पतरस 2:5
और प्रथम युग के संसार को भी न छोड़ा, वरन भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय भेजकर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया।
विचार
आप को न तो सुसमाचार से लज्जित होना हैं और न बलवान विश्वासियों से जो मसीह के लिए जी रहे हैं और गवाही दे रहे हैं। यह बिन्दु और वचन पर्याप्त स्पष्ट हैं। आप को संकोच नहीं करना हैं...
* सुसमाचार और सुसमाचार के प्रभु के साथ पहचान बनाने से
* बलवान विश्वासियों के साथ पहचान बनाने से जो मसीह के लिए जी रहे हैं और उसे बांट रहे हैं।
आप को सुसमाचार को बांटना हैं - मसीह के लिए जीने के व्दारा और उसका पक्ष लेने के व्दारा, उस के उध्दार करनेवाले अनुग्रह की गवाही देने के व्दारा । आप को उन का समर्थन करना हैं जो मसीह को बांटते हैं जब उन की हंसी उड़ाई जाती और सताया जाता हैं। वचन पर ध्यान दें: आप को सुसमाचार के कारण, आए सताव के भागीदार होना हैं। संसार व्दारा आप का विरोध किया जाएगा और गलत समझा जाएगा। क्यों? क्योंकि आप संसार के समान नहीं जीते हो; आप एक कामुक, अनैतिक, अधर्मी, और सांसारिक जीवन नहीं जीते हो। आप सांसारिक बातों के पीछे नहीं जाते हो। इसलिए आपका धर्मी और भक्त जीवन संसार को उसके अधर्मी कार्यों के लिए दोषी ठहराता हैं। इसलिए संसार आपकी हंसी उड़ाएगा और सताएगा। परन्तु आप इसे आप को रोकने न दें: आप को संकोच नहीं करना हैं सुसमाचार बौटने से और उसके लिए जीने से। आप को अन्य बलवान विश्वासियों के साथ कूद पड़ना हैं और एक भूखे और खोए हुए जगत के साथ सुसमाचार को बांटना हैं जो कि दुष्टता, भ्रष्टाचार और मृत्यु के भार के नीचे लड़खड़ा रहा हैं।
व्दितीय, आप को एक बलवान, साहसी गवाह होना हैं।
तीतुस 2:14-15
"जिसने अपने आप को हमारे लिए दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुध्द कर के अपने लिए एक ऐसी जाति बना ले जो भले - भले कामों में सरगर्म हो। पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह, और समझा और सिखाता रह; कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए" (तीतुस 2:14-15, तुलना करें व. 11-13 से)।
प्रेरितों के काम 18:9-10
और प्रभु ने रात को दर्शन के द्वारा पौलुस से कहा, मत डर, वरन कहे जा, और चुप मत रह।
क्योंकि मैं तेरे साथ हूं: और कोई तुझ पर चढ़ाई करके तेरी हानि न करेगा; क्योंकि इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं।
विचार
यीशु मसीह की मृत्यु का प्रचार सब अधिकार प्रबलता और साहस के साथ किया जाना हैं (तीतुस 2:14-15)।
* आप को मसीह की मृत्यु के विषय में बोलना हैं, कि उसकी मृत्यु मनुष्य का उध्दार करती हैं। परमेश्वर के अनुग्रह के विषय में कोई विवाद नहीं हैं, प्रभु यीशु मसीह और उसकी मृत्यु के विषय में कोई विवाद नहीं हैं। परमेश्वर जगत से प्रेम करता हैं, यह अप्रश्नीय हैं। उसने अपने प्रेम को प्रदर्शित किया हैं अपने पुत्र को जगत में भेजने के व्दारा कि मनुष्य का उध्दार हो। इसलिए आप को जगत के पापों के लिए मसीह की मृत्यु का प्रचार करना हैं।
* आप को कथन और संवाद के प्रत्येक तरीके का प्रयोग करना हैं। आप को परमेश्वर के अनुग्रह और उस के पुत्र की मृत्यु की घोषणा करना हैं, संसार के पापों के लिए।
* आप को मसीह की मृत्यु के विषय में लोगों को उपदेश देना हैं, कि किस प्रकार उसकी मृत्यु मनुष्य का उध्दार करती हैं। "उपदेश" शब्द का अर्थ हैं प्रोत्साहित करना। लोग अकेले, खाली, उद्देश्य रहित, निरूत्साह, व्याकुल, और आशाहीन हैं। उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह, प्रभु यीशु मसीह के महिमामय संदेश को सुनने की आवश्यकता हैं। उन को सुनने की आवश्यकता हैं उस अद्भुत जीवन के विषय में जो परमेश्वर हमें अब और अनन्तकाल के लिए देता हैं - सब प्रभु यीशु मसीह और उस की मृत्यु के व्दारा ।
* आप को लोगों को मसीह की मृत्यु के विषय में डांटना हैं। पाप में रहने और परमेश्वर के अनुग्रह का तिरस्कार करने के लिए मनुष्यों के पास कोई बहाना नहीं हैं। उसके पुत्र, मसीह यीशु में, परमेश्वर ने हमारे लिए अत्याधिक किया हैं। एक मनुष्य मूर्ख है अनन्त जीवन का तिरस्कार करने में, उस महिमामय उध्दार और आशा का जो मसीह देता है। मनुष्यों को सत्य बताए जाने, डांटे जाने और दोषी ठहराए जाने की आवश्यकता हैं, परमेश्वर के अनुग्रह और यीशु मसीह की मृत्यु के आप के प्रचार व्दारा।
तृतीय, आप को मसीह का गवाह होना हैं।
2 कुरिन्थियों 5:20
सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
विचार
आप मसीह के एक राजदूत हैं। परमेश्वर की दृष्टि में, आपका सर्वोच्च पद हैं, जो कि आप के प्रभु और स्वामी का एक राजदूत होना हैं। मसीह के राजदूत के रूप में, आप के विषय में चार बातें सत्य हैं (यही चार बातें एक राष्ट्र के राजदूत के विषय में सदा सत्य हैं);
* आप - प्रभु के राजदूत - मसीह के हैं, जिस ने आप को बाहर जगत में भेजा हैं।
* आप - प्रभु के राजदूत नियुक्त किए गए हैं बाहर भेजे जाने के लिए। अब आपका अस्तित्व हैं केवल उस उद्देश्य के लिए जिस के लिए आप बाहर भेजे गए थे।
* आप - प्रभु के राजदूत - मसीह का संपूर्ण अधिकार और सामर्थ रखते हो, जिस ने आप को जगत में बाहर भेजा हैं।
* आप - प्रभु के राजदूत - मसीह के संदेश के साथ भेजे गए हैं, जो विश्व का प्रभु हैं। आप स्वयं के संदेश या किसी अन्य के संदेश को पहुंचाने के लिए स्वतन्त्र नहीं हैं। आप मसीह व्दारा नियुक्त किए गए हैं। उसके राजदूत के रूप में उसका संदेश और केवल उसी का संदेश पहुंचाने के लिए।
एक अत्यन्त महत्वपूर्ण सत्य पर ध्यान दें: आप को सब से महान संदेश पहुंचाने के लिए दिया गया हैं - " परमेश्वर से मेलमलाप कर लो।"
चतुर्थ, आप को एक पारिवारिक और सामाजिक गवाह होना हैं।
मरकुस 5:19
अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।
विचार
आप को प्रथम अपने स्वयं के परिवार और घर में गवाही देना हैं। बहुधा इसका विपरीत सत्य हैं: हमारे घर - जीवन साथी और संतान दोनों बहुधा उपेक्षित और अनदेखे किए जाते हैं। हम अपने प्रिय जनों के लिए सुसमाचार को स्पष्टता से प्रस्तुत नहीं कर पाते। परन्तु ऐसा नहीं होना है यदि आप मसीह के एक सेवक हैं। आपका प्रथम कर्त्तव्य है परिवार को गवाही देना।
पंचम, आप को एक विश्वव्यापी गवाह होना हैं।
मत्ती 28:19-20
"इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओं और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी हैं, मानना सिखाओ। और देखो, मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे संग हूं"।
मरकुस16:15
"और उसने उनसे कहा तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो"।
प्रेरितों के काम 22:15
क्योंकि तू उस की ओर से सब मनुष्यों के साम्हने उन बातों का गवाह होगा, जो तू ने देखी और सुनी हैं।
विचार
प्रेरितों के काम 1:8
मसीह ने आप ने अनुकरण के लिए तरीका दिया हैं जब आप उस के लिए गवाह होते हैं।
अ) आप को गवाही देना हैं जहां आप हैं (यरूशलेम) और क्रमशः बाहर जाना हैं, (यहूदिया और सामरिया) जब तक कि जगत के छोर तक पहुंचने में आप भागीदार न हो जाएं।
* आप को जाना हैं - व्यक्तिगत रूप से जाना हैं - जितनी दूर आप जा सकते हैं।
* आप को बलिदानात्मक रूप से देना हैं जिस से कि दूसरे जा सकें।
* आप को प्रत्येक तरीके और सेवकाई का उपयोग करना हैं जो आप कर सकें जगत तक पहुंचने के लिए।
ब) प्रथम आप को गवाही देना हैं जहां आप हैं। यह देखें कि मसीह अच्छी तरह जाना जाता हैं आप के पूरे घर और समाज में इससे पूर्व कि आगे बढ़ें। परन्तु एक बार जब मसीह अच्छी तरह जाना जाता है तब आप को बाहर निकलना हैं, जहां आप हैं वहां से सदा बाहर बढ़ते हुए। आपकी प्रथम गवाही होना हैं...
* यरूशलेम मेंः जहां आप, आपका घर और स्थानीय समाज हैं। (देखें प्रचारक की रूपरेखा और उपदेश बाईबिल, अधिक चर्चा के लिए - लूका 9:4 पर ध्यान दें।)
लूका 9:4
और जिस किसी घर में तुम उतरो, वहीं रहो; और वहीं से विदा हो।
* पूरे यहूदिया मेंः अन्य समाजों और क्षेत्रों और नगरों और प्रांतों में। "पूरे यहूदिया" शब्द पर ध्यान दें। सामरिया में: अन्य जातियों और देशों में, कदाचित वहां भी जहां लोग विरोधी हैं। यहूदियों और सामरियों के बीच बड़ी घृणा थी। तथापि, मसीह अपने गवाहों से कहता हैं कि उध्दार के संदेश को उन के शत्रुओं तक ले जाएं।
* जगत के छोर तकः जगत के अज्ञात देशों और क्षेत्रों तक।
एक अत्यन्त महत्वपूर्ण बिन्दु यह हैं: आप को देखना हैं कि प्रत्येक क्षेत्र मसीह के संदेश को पाए। आप को वहां रहना हैं इस से पूर्व कि आप बाहर पहुंचें। परन्तु एक बार जब वह क्षेत्र संदेश जान लेता हैं आप की सेवकाई और वरदान पा लेता हैं - तो संदेश को अन्य क्षेत्र में ले जाना हैं।
छटवां, आप को एक आज्ञाकारी गवाह होना हैं।
प्रेरितों के काम 5:20-21
कि जाओ, मन्दिर में खड़े होकर, इस जीवन की सब बातें लोगों को सुनाओ।
वे यह सुनकर भोर होते ही मन्दिर में जाकर उपदेश देने लगे:
यिर्मयाह 20:9
यदि मैं कहूं, मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता। (गवाही देने से इंकार अब नहीं कर सकता)"
विचार
गवाही देना बहुधा कठिन होता हैं। इस के अनेक कारण हैं।
* आप व्यस्त या शीघ्रता में हो सकते हैं।
* आप थके हुए हो सकते हैं: आप को विश्राम की आवश्यकता हो सकती हैं।
* आप को विरोध, उपहास, बंदी बनाए जाने, या स्पष्ट सताव का सामना करना पड़ सकता हैं।
* आप पर अन्य कर्तव्यों के दबाव हो सकते हैं जो आप के तत्काल ध्यान की मांग कर रहे हों।
* आप को अकेले बाहर जाकर मिलना और गवाही देना पड़ सकता हैं। आप के साथ जाने के लिए कोई उपलब्ध या इच्छुक न हो।
परन्तु परमेश्वर का आदेश आप के लिए, जो उसके सेवक हो, स्पष्ट हैं: "जाओं, खड़े होकर... लोगों को सुनाओं" ( प्रेरितों के काम 5:20-21 )। यूनानी वचन बलवान हैं, निर्भीकता और साहस की मांग करते हुए।
* "जाओं": अब जाओ, तुरन्त
* "खड़े होकर": घोषणा, प्रचार, उपदेश दो साहस के साथ, हियाव के साथ, बिना भय के।
* "इस जीवन की सब बातें:" उध्दार का पूरा सुसमाचार; मसीह की मृत्यु और पुनरूत्थान का महीमामय संदेश; बिना कुछ पतला किए या परिवर्तन किए; बिना कुछ रोके; अधिक ग्रहणीय बनाने के लिए संदेश को नरम करने का प्रयास किए बिना।
परमेश्वर के पास भेजने के लिए उसके अनुयायियों के अतिरिक्त कोई नहीं हैं, और उसके अनुयाईयों के अगुवे उसके सेवक हैं। यदि गवाही देने में आप आज्ञाकारी नहीं हैं, तब दूसरे - आप के लोग, आप की कलीसिया, आपकी कक्षा, आपके साथी सेवक, आप के मित्र, आपके गतिशील सदस्य - गवाही नहीं देंगे। परमेश्वर के सेवक के रूप में आप को गवाही देने में अगुवाई करना हैं। विश्व के सर्वोच्च अधिकारी - स्वयं परमेश्वर ने आप को उसका गवाह होने के लिए नियुक्त किया हैं। इसलिए, आप को आज्ञाकारी होना हैं और उसके पुत्र, प्रभु यीशु मसीह के महिमामय सुसमाचार की गवाही देना हैं।
सातवां, आप को एक निरन्तर गवाह होना हैं।
प्रेरितों के काम 4:20
क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।
1 पतरस 3:15
पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
मलाकी 3:16
तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।
भजन संहिता 71:15
मैं अपने मुंह से तेरे धर्म का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूंगा, परन्तु उनका पूरा ब्योरा जाना भी नहीं जाता।
यशायाह 62:6
हे यरूशलेम, मैं ने तेरी शहरपनाह पर पहरूए बैठाए हैं; वे दिन-रात कभी चुप न रहेंगे। हे यहोवा को स्मरण करने वालो, चुप न रहो,
विचार
समस्त संसार में आप के पास सबसे महिमामय संदेश हैं: मनुष्य अब बहुतायत का जीवन जी सकता हैं और अनन्तकाल तक जी सकता हैं। मनुष्य को कभी मरना नहीं हैं; उसे कभी खालीपन, अकेलेपन, या चिंता को नहीं झेलना हैं; उसे कभी उद्देश्य, प्रेम, आनन्द, या शांति का अभाव नहीं होना हैं। संसार इस समाचार के लिए पुकार रहा हैं, यह समाचार कि उन्हें जीवन वास्तविक जीवन मिल सकता हैं- अभी और अनन्त तक।
इसलिए आप को सुसमाचार की घोषणा करना हैं और निरन्तर इसकी घोषणा करना हैं। आप को प्रत्येक अवसर को पकड़ना हैं, यहां तक कि अवसर का निर्माण करना हैं सुसमाचार बांटने के लिए। आप को कभी भी आप के कर्त्तव्य को नहीं त्यागना हैं, कभी किसी की उपेक्षा या उसे अनदेखा नहीं करना हैं। दिन- प्रतिदिन जब आप दूसरों से मिलते हैं, तो आप को निरन्तर सुसमाचार बांटना हैं, उस महिमा के समाचार को बांटना हैं जिसकी संसार को अत्यन्त आवश्यकता हैं, यह समाचार कि मनुष्य अब बहुतायत का और अनन्तकाल का जीवन जी सकता हैं।
आठवां आप को एक आत्मा से भरपूर गवाह होना हैं।
यूहन्ना 15:26-27
"परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात् सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता हैं, तो वह मेरी गवाही देगा। और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हों", तुलना करें, प्रेरितों के काम 1:8 से)।
प्रेरितों के काम 5:32
और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है, जो उस की आज्ञा मानते हैं॥
विचार
आप स्वयं पर भरोसा रखकर, स्वयं की शारीरिक और मानसिक शक्ति में गवाही देकर, लोगों को यीशु मसीह के लिए नहीं जीत सकते। न तो आप और न कोई अन्य व्यक्ति किसी के हृदय में प्रवेश करके ईश्वरीय स्वभाव - परमेश्वर के अविनाशी बीज को उस व्यक्ति में नहीं डाल सकता। केवल पवित्र आत्मा यह कर सकता हैं। इसलिए आप को परमेश्वर के आत्मा पर भरोसा करना हैं लोगों को दोषी ठहराने और उनकी आत्माओ को परिवर्तित करने के लिए जब आप सुसमाचार बांटते हैं। आप के दो कार्य हैं।
* बोलना और सुसमाचार बांटना।
* प्रार्थना करना और पवित्रआत्मा पर भरोसा करना उस व्यक्ति को दोषी ठहराने और परिवर्तित करने केलिए।
जब आप प्रार्थना करते और परमेश्वर के आत्मा पर भरोसा करते हैं आप के व्दारा कार्य करने के लिए, तब परमेश्वर का आत्मा यही करता हैं। परमेश्वर का वचन उसका गवाह - उसके पास कभी खाली नहीं लौटता।
यशायाह 55:11
उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा॥
परमेश्वर का आत्मा आपकी गवाही, प्रार्थना, और भरोसे को लेता हैं, और बह लोगों की आत्माओं को दोषी ठहराता हैं। वह उन सब को दोषी ठहराता और बचाता है। जो मसीह को स्वेच्छा से उन के उध्दारकर्त्ता के रूप में ग्रहण करते हैं।
नौवां, आप को एक विश्वास करनेवाले गवाह होना हैं, एक गवाह जो कि एक सच्चा विश्वासी हैं।
यूहन्ना 15:27
और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो॥
2 कुरिन्थियों 4:13
इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।
भजन संहिता 66:16
हे परमेश्वर के सब डरवैयों आकर सुनो, मैं बताऊंगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है।
विचार
परमेश्वर का पुत्र पृथ्वी पर आया; उस ने देह धारण किया और अन्य सब मनुष्यों के समान एक मनुष्य बन गया। उसे यीशु मसीह कहते हैं या यीशु जो मसीह हैं, जगत का उध्दारकर्ता। उसे सुनागया, देखा गया, घूर कर देखा गया और यूहन्ना और अन्य प्रेरितों व्दारा स्पर्श किया गया और अन्य अनेकों व्दारा जिन्होंने विश्वास किया और उस के अनुयायी हो गए (1 यूहन्ना 1:3)। यीशु मसीह ने वह सब किया जो वह कर सकता था मनुष्य को यह दर्शाने के लिए कि परमेश्वर का पुत्र पृथ्वी पर आ गया था - कि वह मनुष्य को बचाने और उसका छुटकारा करने के लिए आया था पाप और मृत्यु के इस नाशमान जगत से और मनुष्य को अनन्त जीवन देने के लिए। यीशु मसीह ने वह सब किया जो वह कर सकता था मनुष्य को यह दर्शाने के लिए कि मनुष्य परमेश्वर के साथ अनन्त काल तक जी सकता हैं।
एक सेवक के रूप में, आप स्वयं सुसमाचार पर विश्वास करते हैं। अब, यह आप का कर्त्तव्य हैं कि जगत के लिए उसी संदेश की घोषणा करें जिस की घोषणा यूहन्ना व्दारा की गई थी: "जो कुछ हमने देखा और सुना हैं उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं इसलिए कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ हैं" (1 यूहन्ना 1:3)। Read More

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