मुझे प्रार्थना करना सिखा - Teach me to Pray

मत्ती 6:6-13

   चेलों ने जब यीशु, से प्रार्थना करना सिखाने के लिए कहा तब प्रभु ने अपने चेलों को एक सरल 6 चरणों वाली प्रार्थना सीखाई जिसे प्रभु की प्रार्थना कहते है,

यीशु ने यह नहीं चाहा कि हम, मत्ती 6:6 की प्रार्थना को यों ही रटते रहें, उसने चाहा कि यह प्रार्थना की रूपरेखा हो। प्रभु की प्रार्थना की हर आयत का इस्तेमाल करें, आप के प्रार्थना समय को सही लाइन पर रखने में मार्गदर्शक होगी। इस रीति से प्रार्थना किया करो:

चरण 1. "हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में हैं, तेरा नाम पवित्र माना जाए। यह प्रार्थना व उपासना की बुलाहट है। प्रभु के सम्मान के लिए समय निकालें, तथा उसकी महानता पर विचार करें, उसकी अपने प्रति विश्वासयोग्यता को स्मरण करें तथा प्रतिज्ञाओं द्वारा उत्साहित हों।

चरण 2. "तेरा राज्य आए, तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे पृथ्वी पर भी हो," अपने आपको परमेश्वर की इच्छा के साथ जोडिए. तथा सुनिये ताकि आप उसकी इच्छाओं को जान सकें। अपने जीवन, परिवार, कलीसिया तथा खोये हुओं पर परमेश्वर की इच्छा की घोषणा करें, प्रभु को आपके साथ उसके दिल की बात बांटने दें।

चरण 3. "हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे", अपनी और दूसरों की आवश्यकताओं के लिए प्रार्थना करें। "खास बात के लिए प्रार्थना करें और जो कुछ प्रभु आपको देना चाहता हैं प्रभु से मांगें।

चरण 4. "जिस प्रकार हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।" जो पाप स्मरण आता है, परमेश्वर से उस क्षेत्र में क्षमा मांगें और जिस किसी का पाप क्षमा न किया हों उन्हें क्षमा करें।

चरण 5. "हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा। "मसीह के अधिकार में डटे रहें तथा शत्रु जिस किसी भी रीति से आता हो उसका सामना करें, बचाव के लिए यीशु को स्मरण करें।

चरण 6. " क्योंकि राज्य और पराकम और महिमा सदा ही तेरे हैं। आमीन। "प्रार्थना का समापन इस घोषणा के साथ करें, कि परमेश्वर कौन है, ओर उसके नाम की बड़ाई करें, प्राप्त होने वाले उत्तरों के लिए उसका धन्यवाद करें, तथा परम प्रधान परमेश्वर के रूप में उसकी आराधना करें।

अविश्वासी के घर में रहना

1. निश्चय जानें कि जिस घर में आप रहते हैंउस घर के मुखिया का सम्मान करें भले ही वह अविश्वासी क्यों न हो।

1 पतरस 2:17, सब का आदर करोभाइयों से प्रेम रखोपरमेश्वर से डरोराजा का सम्मान करो॥

 

2. आपको परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिये। यदि घर का मुखिया आपसे कोई अनैतिक बेईमानी या बाइबिल के सिद्धांतों से हटकर कोई कार्य करने के लिए कहे ऐसी स्थिति में आपको परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना है।

1 यूहन्ना 2:17, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता हैवह सर्वदा बना रहेगा॥

 

3. यदि ऐसा मौका आए. जब कि आपको घर के मुखिया की बात मानने से इन्कार करना पड़ेतो ऐसे सम्मान के साथ कहें कि मैं बाकी सब बातों में आज्ञा पालन करने के लिए तैयार हूँ परन्तु इस मामले में मुझे परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना है।

भजन संहिता 119:2क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैंऔर पूर्ण मन से उसके पास आते हैं! 

यदि आपका जीवन खतरे में पड़ जाए तो परमेश्वर से सहायता मांगना समझदारी हैकि आपको सुरक्षित स्थान पर ले जावे।

भजन संहिता 91:4वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगाऔर तू उसके पैरों के नीचे शरण पाएगाउसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी। 


4. यदि कोई निर्णय किसी अन्य अच्छे अवसर के लिए टाल दिया जाता हैतो चिन्ता न करें! उदाहरण के लिए बपतिस्में के सम्बंध में हो सकता है कि किसी अव्यस्क के विषय में शासन का कोई कानून होपरमेश्वर इन चीजों को समझता है वह आपका मार्गदर्शन करेगा।

याकूब 1:5पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी होतो परमेश्वर से मांगेजो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता हैऔर उस को दी जाएगी।


5. अधिकार में पाए जाने वाले व्यक्ति के प्रति अपना सम्मानप्रेम तथा मसीह का स्वभाव दर्शाते ही रहें। 

यीशु के लिए गवाह होने में आपका स्वभाव एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके उद्धार के लिए परमेश्वर के सम्मुख अपना हृदय उड़ेल दीजिए

परमेश्वर से मार्गदर्शन मागिये कि किस प्रकार आप उस व्यक्ति के लिए आशीष बन सकते हैं।

इफिसियों 5:2और प्रेम में चलोजैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम कियाऔर हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया।