उत्तरित प्रार्थना की शर्ते - Returned Prayer Terms


1. परमेश्वर के साथ ठीक सम्बंधशुद्ध हृदय:

भजन संहिता 24:3-4 यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता हैऔर उसके पवित्र स्थान में कौन खड़ा हो सकता हैजिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध हैजिसने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगायाऔर न कपट से शपथ खाई है।

2. दूसरों के साथ ठीक सम्बंध क्षमा और नम्रता :
मत्ती 5:23-24 इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी  पर लाएऔर वहां तू स्मरण करेकि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध हैतो अपनी भेंट वहीं वेदी के साम्हने छोड़ दे। और जाकर पहिले अपने भाई से मेल मिलाप करतब आकर अपनी भेंट चढ़ा।

1 पतरस 5:5 हे नवयुवकोंतुम भी प्राचीनों के आधीन रहोवरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहोक्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का साम्हना करता हैपरन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।


3. बालक के समान विशाल व सरल हृदय

इब्रानियों 11:6 और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना हैक्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिएकि वह हैऔर अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।


1 यूहन्ना 5:15 और जब हम जानते हैंकि जो कुछ हम मांगते हैं वह हमारी सुनता हैतो यह भी जानते हैंकि जो कुछ हम ने उस से मांगावह पाया है।


4. आभार: हमेशा धन्यवाद देते हुए
भजन संहिता 100:4 उसके फाटकों से धन्यवादऔर उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करोउसका धन्यवाद करोऔर उसके नाम को धन्य कहो!

1 थिस्सलुनीकियों 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।

 

5. आज्ञापालन : जो कुछ प्रभु दर्शाये करने के लिए तैयार

व्यवस्थाविवरण 28:2 फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे।


1 पतरस 3:12 क्योंकि प्रभु की आंखे धमिर्यों पर लगी रहती हैंऔर उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं,