पवित्रात्मा की सामर्थ्य
✨ पवित्रात्मा की आवश्यकता और कार्य
1. सांत्वना और सहायक (Helper & Comforter):
यीशु ने अपने शिष्यों से वादा किया था कि जब वह स्वर्ग में जाएंगे तो वे उन्हें अनाथ नहीं छोड़ेंगे, बल्कि पवित्रात्मा को भेजेंगे (यूहन्ना 14:16-18)। पवित्रात्मा हर परिस्थिति में विश्वासी को सांत्वना देता है और जीवन के कठिन क्षणों में सहायक बनता है।
2. सत्य का मार्गदर्शन (Guidance in Truth):
पवित्रात्मा हमें परमेश्वर के वचन को समझने और उसके अनुसार जीवन जीने में मार्गदर्शन करता है। वह झूठ और असत्य से दूर करके हमें सत्य में स्थिर रखता है।
3. प्रार्थना में सामर्थ्य (Power in Prayer):
हमारी प्रार्थनाएँ केवल शब्दों तक सीमित रह जातीं यदि पवित्रात्मा उन्हें जीवित और सामर्थी न बनाता। बाइबल कहती है कि पवित्रात्मा हमारी कमजोरी में हमारी मदद करता है और यहां तक कि जब हम नहीं जानते कि क्या प्रार्थना करें, तब वह हमारे लिए निवेदन करता है (रोमियो 8:26)।
4. पवित्र जीवन की शक्ति (Power for Holy Living):
पवित्रात्मा हमारे हृदय में परमेश्वर का स्वभाव विकसित करता है – जैसे प्रेम, आनंद, शांति, धैर्य, दया, भलाई, विश्वास, नम्रता और आत्म-संयम (गलातियों 5:22-23)। यह आत्मिक फल हमें संसार से अलग करके पवित्र जीवन जीने की सामर्थ्य देता है।
5. सेवा और गवाही के लिए सामर्थ्य (Power for Witnessing):
यीशु ने कहा कि जब पवित्रात्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे और मेरी गवाही दोगे (प्रेरितों के काम 1:8)। यह शक्ति हमें निडर बनाती है ताकि हम विश्वास की गवाही दे सकें।
💡 क्यों हर हाल में पवित्रात्मा आवश्यक है?
- क्योंकि उसके बिना हमारी प्रार्थनाएँ नीरस और बिना जीवन की होंगी।
- उसके बिना हम पवित्रता में स्थिर नहीं रह पाएंगे।
- उसके बिना हम सही मार्गदर्शन नहीं पा सकेंगे।
- उसके बिना हम सच्ची सांत्वना और शांति का अनुभव नहीं कर सकते।
- उसके बिना हमारी गवाही और सेवा कमजोर पड़ जाएगी।
👉 इसलिए, पवित्रात्मा को अपने जीवन में ग्रहण करना और उसके मार्गदर्शन पर पूर्ण भरोसा रखना हर विश्वासी की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जब वह हमारे साथ होता है, तब हमारी प्रार्थना जीवंत होती है, हमारा जीवन फलदायी होता है और हम परमेश्वर के निकट रह पाते हैं।
यीशु ने अपने शिष्यों की सहायता व सांत्वना के लिए पवित्रात्मा दिया। उसके मार्ग दर्शन पर पूर्ण भरोसा तथा बल आपकी महानतम आवश्यकताओं में से एक है, पवित्रात्मा बिना आपकी प्रार्थना नीरस तथा जीवन रहित होगी, पवित्रातमा कई तरह से मदद करता है। उसे ग्रहण करें आपको हर हाल में पवित्रात्मा की आवश्यकता है।
📖 परमेश्वर का वचन
रोमियो 8:26
इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
जकर्याह 4:6
न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
प्रेरितों के काम 1:8
परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।
प्रेरितों के काम 10:38
कि परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ से अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।
लूका 11:13
सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़के-बालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा॥
यूहन्ना 14:26
परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
प्रार्थना:
हे पिता, मैं तेरी पवित्रात्मा से भरना चाहता हूँ, ताकि जो लोग मेरे चारों ओर हैं उन्हें मैं तेरे प्रेम व सच्चाई के साथ स्पर्श करूं मैं अपनी आवश्यकता अंगीकार करता हूँ तथा तेरी आत्मा द्वारा प्रेम व सामर्थ्य की भरपूरी के लिए जगह बनाता हूँ, कृपया मुझे माफ कर कि कई बार मैंने तेरे आत्मा को अपने जीवन में उचित स्थान नहीं दिया तेरी पवित्रात्मा बिना मेरा जीवन सामर्थ्यविहीन है, तेरा वचन कहता है कि यदि मैं मांगूं तो तू मुझे और अधिक पवित्रात्मा देगा। मैं अपनी आवश्यकता को अंगीकार करता हूँ तथा अब तेरे सम्मुख आता हूँ और तेरी सामर्थ्य और प्रेम से भरना चाहता हूँ, हे पिता मुझे अपनी पवित्रात्मा से भर दे। इस कीमती दान के लिए मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरे हृदय की चौकसी कर कहीं मैं पवित्रात्मा को शोकित न करूं। मैं मांगता हूँ कि तू मेरा प्रार्थना सहयोगी बन जा तथा अपनी ईश्वरीय उपस्थिति द्वारा परम पवित्र स्थानों में मेरी अगुवाई कर। ( इस प्रार्थना को यीशु मसीह के नाम से मांगते हैं, आमीन )

0 टिप्पणियाँ