बाइबल के अनुसार समझौता - Compromise According to the Bible - Pastor Bablu Kumar Ghaziabad


समझौता के बारे में बाइबल क्या कहती है? - What does the Bible say about compromise?

प्रस्तावना

   इस अध्याय के लिए सामग्री Moody Monthly के सम्पादकीय से ली गई है जिसके लेखक डॉ० जेम्स एम० ग्रे थे, यह 1929 में प्रकाशित हुई थीः अन्य श्रोतों से भी कुछ सामग्री एकत्रित की गई है।

   शब्द "समझौता" पवित्र शास्त्र में नहीं पाया जाता है, यद्यपि हमारे सुसमाचार प्रचार की शब्दावली में, आज इसका बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। डॉ० सी० आई० स्कोफील्ड निर्गमन 5:3; निर्गमन 7:16; निर्गमन 8:25-28; निर्गमन 10:11,24-27 की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि फिरौन से मूसा और इस्राएलियों के सम्मुख चार समझौते प्रस्तुत किए थे।

   राजनीति में समझौता एक सामान्य शब्द है, और मजदूरों से सम्बन्धित झगड़ों को निपटाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। जब मजदूर हड़ताल करके अधिक वेतन बढ़ाने की मांग करते हैं; और वे दो रुपये प्रतिदिन अधिक की मांग करते हैं, और प्रबन्धक पचास पैसे बढ़ाने पर सहमत होता है, तो एक बिचौलिया उनमें समझौता करवाने का प्रयास करता है और सम्भवतः एक रुपये बढ़ा देने पर समझौता हो जाता है। इस प्रकार दोनों पक्ष समझौता कर लेते हैं और उसे "अच्छी बात" मान कर स्वीकार कर लेते हैं। हो सकता है कि इससे दोनों ही पक्ष प्रसन्न न हों फिर भी वे अनुभव करते हैं कि इन परिस्थितियों में यही एक बढ़िया इलाज है और वे इसे आदरयुक्त समाधान के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।

   क्या हम इस सिद्धान्त का धर्म में प्रयोग कर सकते हैं? परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्धों में? संसार में? पाप में? इत्यादि । शब्दकोष के अनुसार समझौते का अर्थ है, "किसी झगड़े का निपटारा जो दोनों ही पक्षों को स्वीकार होता है।"

   समझौते में मान लेना, छूट होना, सिद्धान्त का बलिदान निहित होता है, क्या मसीही होने के नाते हम इसे कर सकते हैं? नहीं, दस हजार बार नहीं। समझौते में दूसरे पक्ष को कुछ छूट देने के अभिप्राय से एक पक्ष, अपनी स्थिति को आंशिक रूप में समर्पित कर देता है। (हमारे सम्बन्ध में शत्रु शैतान और उसके सहयोगी होते हैं)।

समझौते के उदाहरणः

1) परमेश्वर ने यहोशू से कनान के निवासियों को नष्ट कर देने के लिए कहा (यहोशू 9:14), परन्तु गिबोन के निवासियों ने यहोशू से छल करके समझौता कर लिया वे उसके दास बन गए।

2) परमेश्वर ने शाऊल से कहा कि अमालेकियों को पूर्णतः नष्ट कर दे और उनकी धन-सम्पत्ति को भी नष्ट कर दे (1 शमूएल 15:3) पन्त शाऊल ने समझौता कर लिया और बलिदान चढ़ाने के लिए कुछ रख लिया (1 शमूएल 15:15)। इस परमेश्वर-विरुद्ध समझौते के लिए उसे कठोर ताड़ना दी गई और राज्य उससे ले लिया गया। आज समझौते के बहुत से उदाहरण दिए जा सकते हैं।

1) सुसमाचार प्रचारकों का आधुनिकतावादियों के साथ समझौता।

2) मसीहियों का पाप के साथ समझौता। 3) कलीसिया का संसार के साथ समझौता।

1. फिरौन द्वारा प्रस्तुत किया गया समझौता -

निर्गमन 8:25 "देश में बलिदान चढ़ाना।"

परमेश्वर की आज्ञा स्पष्ट थी-निर्गमन 5:3, "हमें जंगल में तीन दिन के मार्ग पर जाने दे कि अपने परमेश्वर यहोवा के लिए बलिदान करें।" निर्गमन 7:16, "कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि जिससे वे जंगल में मेरी उपासना करें।" परमेश्वर की आज्ञाएं सुस्पष्ट हैं; परमेश्वर चाहता है कि उनका पालन प्रत्येक दृष्टि से पूर्णतः किया जाए। फिरौन का समझौता आंशिक रूप से परमेश्वर की इच्छा की पूर्ति था। परमेश्वर की सुस्पष्ट आज्ञा के अन्तर्गत इस्राएल को मिस्र से तीन दिन की यात्रा की दूरी द्वारा अलग होना था।

   तीन दिन की दूरी क्यों? बहुत सम्भव है कि यह पुनरुत्थान की भूमि पर रहने का चित्र है, संसार और मृत्यु से तीन दिन द्वारा अलग रहना, जैसा कि मसीह रहा था। आज भी परमेश्वर ऐसे ही अलगाव की आज्ञा दे रहा है; लूका 5:4, "गहरे में ले चल। "संसार और मृत्यु से जितनी दूर जा सकते हैं चले जाइए।

   क्या आपने उस लड़के की कहानी सुनी है जो बिस्तर से गिर पड़ा था और उसने इसको इस प्रकार स्पष्ट किया, "मैं बिल्कुल निकट था तभी तो मैं फिर बिस्तर पर पहुँच गया।" इसी प्रकार लोग राज्य में अत्यन्त निकट रहते हैं जहाँ से वे समझौते में प्रवेश करके प्रभु के साथ अपने आत्मिक सम्बन्ध खो बैठते हैं।

समझौते से सावधान रहिएः अपनी जीवन नैय्या को ईश्वरीय शक्ति की गहराई में ले जाइए, परमेश्वर के असीमित प्रेम की गहराई में ले जाइए, परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की गहराई में चले जाइए।

   इस्राएल के लिए मिस्र में बलिदान चढ़ाना मिस्रियों की दृष्टि में घृणित कार्य होता और इसके फलस्वरूप अराजकता फैल जाती और इस्राएलियों पर पत्थरावाह आरम्भ हो जाता। मिस्रियों के सम्मुख भेड़-बकरियों को बलिदान करना एक अभिशाप होता क्योंकि मिस्रियों की दृष्टि में ये पशु पवित्र होते थे। एक रोमी राजदूत की कहानी बताई जाती है, जिसको मिस्र में दुर्घटनावश एक पवित्र पशु को मार डालने के कारण टुकड़े टुकड़े कर दिया गया था।

   मूसा समझौता करने के लिए तैयार नहीं था, उसने शत प्रतिशत आज्ञाकारिता की मांग की। सच्ची आराधना के लिए अलगाव आवश्यक है; दुष्टता, अशुद्धता और अभक्ति से अलगाव आवश्यक है।

   राजनीतिक दृष्टिकोण से इस्राएली मिस्र में गुलाम थे, परन्तु धार्मिक विषयों पर उनके लिए स्वतन्त्र रहना आवश्यक था; पूर्णतः स्वतंत्र। यदि इस्राएली मिस्र में बलिदान करते तो लोग कहते, "हमें तो कोई अन्तर नहीं दिखाई देता; हमारे धर्म समान है, हमारे उद्देश्य और लक्ष्य समान हैं।"

   आज साधारण मनुष्य का यही विचार है कि सभी धर्म अच्छे हैं जब तक व्यक्ति उनके प्रति निष्ठावान रहता है। केवल समझौता न करने वाले जीवन के द्वारा ही हम इस धारणा को गलत प्रमाणित कर सकते हैं। आज मनुष्य समझौता करना अच्छी बात समझते हैं, वे चाहते हैं कि थोड़ा सा धर्म का पालन भी किया जाए और संसार तथा पाप से भी सम्पर्क रखा जाए शैतान भी ऐसे ही धर्म को पसन्द करता है जो समझौते वाला और आधा पानी में डूबा हुआ हो।

   अति सामान्य और समझौता करने वाली मसीहियत से दूर गहरे में चले जाइए।

2. फिरौन द्वारा प्रस्तुत किया गया दूसरा समझौताः


निर्गमन 8:28,
"बहुत दूर मत जाना"

   जंगल में तीन दिन की यात्रा की दूरी के स्थान पर, सीमा तक चले जाओ, मिस्र की सीमा से केवल एक या दो मील दूर जाओ। यह उचित प्रतीत होता है! अलग है, मिस्री वहाँ नहीं है। क्या मूसा ने इसको स्वीकार कर लिया? निश्चय ही नहीं! फिरौन को भय था यदि ये लोग एक बार देश से बाहर निकल गए तो वे भागने का प्रयास करेंगे। अतः वह उन पर अपनी दृष्टि रखना चाहता था, ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनको फिर वापिस ला सके।

   मूसा इसे अस्वीकार कर देता है, क्योंकि अलगाव की रेखा अत्यन्त निकट है, बहुत अधिक सीमित है, मिस्र और संसार के बहुत निकट है; गन्दगी और दुर्वासनाओं के बहुत निकट है।

   हृदय-परिवर्तन के बाद बाहर निकल जाइए, समझौता न कीजिए; बपतिस्मा लीजिए और एक दृढ़ साक्षी बनाए रखिए; पीछे वाले सभी पुलों को जला कर नष्ट कर दीजिए ताकि आप संसार में फिर वापिस न लौट सकें। जब आपका हृदय-परिवर्तन हो जाता है तो सिगरेटें जला डालिए, शराब की बोतलों को चकनाचूर कर डालिए, जुए के सारे सामान को नष्ट कर डालिए, मसीह के अंगीकार की घोषणा कीजिए और उस पर दृढ़ बने रहिए।

   अपने वर्तमान जीवन और पिछले जीवन की खाई को यथासम्भव चौड़ी बनाइए। उस लड़के के समान मत बनिए जो कि अपना तैरने का सामान इसलिए अपने साथ ले गया था ताकि वह वर्जित क्षेत्र के जल में स्नान करने का प्रलोभन उत्पन्न होने पर उसमें तैर सके। रोमियों 13:14, "शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो।"

   पहले मसीह के पीछे चलना और फिर संसार की ओर वापिस लौट आना भयानक बात है; शैतान "सीमा पर रहने वाले" मसीहियों से बहुत प्रसन्न रहता है। यदि आप ऐसे हैं तो तुरन्त ही शैतान को डांट दीजिए, समझौता करने से इनकार करके गहराई में दूर निकल जाइए। ऐसे लोगों के प्रति जो सीमा पर रहते हैं, परमेश्वर की क्या प्रतिक्रिया होती है? वह कहता है कि ये लोग न गरम हैं और न ठंडे, (प्रकाशितवाक्य 3:15,16) इसलिए वह उनको अपने मुँह से उगल देगा।


3. फिरौन द्वारा प्रस्तुत किया गया तीसरा समझौता -

निर्गमन 10:8-11 "केवल पुरुष चले जायें।"

   फिरौन और शैतान दोनों ही जानते थे कि यदि केवल पुरुष जंगल में पूरे तीन दिन के मार्ग पर चले जाते हैं तो वे शीघ्र ही अपनी पत्नियों, परिवारों और गुलामी में लौट आएंगे। शैतान आपको प्रसन्नतापूर्वक गिरजे जाने देगा, यदि घर वापिस लौटने के बाद फिर उसकी वैसे ही सेवा करते हैं जैसी पहले करते थे अर्थात् सप्ताह में एक घंटा परमेश्वर को देते हैं और शैतान तथा स्वयं को 167 घंटे देते हैं। यह एक धूर्ततापूर्ण समझौता है कि माता-पिता तो परमेश्वर की सेवा करते परन्तु अपने बच्चे को इसमें सम्मिलित नहीं करते। बच्चे हमारे ऐसे अनमोल उपहार हैं जिनको हमें अपने सृष्टिकर्ता को लौटाना है।

   पुरुष जंगल में और बाल-बच्चे मिस्र में कैसी असंगत बात थी। क्या कोई दोनों की सेवा कर सकता है? नहीं। कैनेडा में मेरे एक मित्र ने प्रेरितों के काम 16:31 की प्रतिज्ञा पूरी करने का दावा किया "और तेरा घराना" उसके अपने सभी बच्चे और पोते-पोतियाँ सत्यनिष्ठा से परमेश्वर की सेवा करते थे, और परमेश्वर ने उनको ऐसी आशिष दी कि समस्त परिवार एक इकाई के रूप में प्रभु की सेवा करता रहा।

   माता-पिताओं, हम केवल अपने बच्चों को उद्धार ही न दिलाएं, वरन उनको मिस्र से भी बाहर निकालें हम उनको सीमा से दूर ले जाएं, जहाँ स्वयं प्रभु यीशु के साथ कैम्प में हों। सावधान रहिए गिरजे या प्रार्थना सभा में अपना एक प्रतिनिधि भेजने के द्वारा समझौता न कीजिए, समस्त परिवार को लेकर जाइए। मूसा ने कहा प्रत्येक का जाना जरूरी है, पुरुष, स्त्री, बच्चा, जवान और बूढ़ा।

4. फिरौन द्वारा प्रस्तुत चौथा समझौता -

निगर्मन 10: 24-27, "मनुष्य जा सकते हैं, पर पशु नहीं जाएंगे।"

   क्या इस उत्तम प्रस्ताव को मूसा ने स्वीकार कर लिया? हर एक जा सकता था, यहाँ तक कि सभी तीन दिन की यात्रा की दूरी तक उस स्थान पर जा सकते थे, जहाँ परमेश्वर ने उनसे आराधना करने को कहा था? नहीं। मूसा ने इसको अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह अपूर्ण आज्ञाकारिता को प्रकट करता था, अपूर्ण आज्ञाकारिता का अर्थ है समझौता। वे बिना पशुओं के कैसे बलिदान चढ़ा सकते थे? असम्भव ! हम उसकी मांग के अनुसार अपनी सम्पत्ति उसे अर्पित किए बिना परमेश्वर की आराधना कैसे कर सकते हैं?

   एक व्यक्ति को बपतिस्मा के अवसर पर याद आया कि उसकी पतलून की जेब में उसका बटुआ रह गया है, उसने बटुआ निकाला और अपने मित्र को देते हुए कहा, "कृपया इसे रख लो-इसका बपतिस्मे से कोई सम्बन्ध नहीं है।" पास्टर ने उपयुक्त उत्तर दिया, "मैं आपको या तो बटुए सहित बपतिस्मा दूंगा या बपतिस्मा ही नहीं दूंगा।" (कहानी एरास्टो अरानुस)

   यहाँ एक विशेष बात है जहाँ हम समझौते को स्थान नहीं दे सकते; परमेश्वर ने उनसे कहा था कि वे बलिदान चढ़ाने के साथ आराधना करें, परन्तु यह स्पष्ट नहीं किया था कि किस जाति के और कितने पशु चढ़ाए जाएं। परमेश्वर हमसे बिना शर्त मांग करता है-वह सब जो हमारे पास है, हमारी पत्नी, बच्चे और सम्पति।

   हम समझौता नहीं कर सकते; हम परमेश्वर के साथ सौदेवाजी नहीं कर सकते, वह या तो समस्त बातों का स्वामी है या फिर वह स्वामी ही नहीं है। यीशु सभी वस्तुओं के योग्य है-हमें एक भी खुर पीछे नहीं छोड़ना चाहिए हमें सब कुछ उसे अर्पित कर देना है। मैं प्रसन्नतापूर्वक अपना सब कुछ उसे सौंप देता हूँ अपना मस्तिष्क, शक्ति, हृदय, आत्मा, शरीर और सम्पत्ति

सारांश

शैतान के धूर्ततापूर्ण समझौते पर ध्यान दीजिएः

(1) उसने इस्राएल को देश के अन्दर रखना चाहा

 (2) उसने उनको देश के निकट रखना चाहा 

(3) उसने इस्राएलियों को विभक्त करना चाहा और 

(4) उनको खाली हाथ अर्थात् परमेश्वर के आराधना की अयोग्यता की स्थिति में भेजना चाहा।

   मूसा ने उन चारों बातों से समझौता करने से इनकार कर दिया और उसने शत-प्रतिशत आज्ञाकारिता पर बल दिया, और अन्त में उसकी मांग को प्रथम फसह की रात्रि को पहलौठों के मारे जाने के बाद स्वीकार कर लिया गया।

   जब पौलुस का हृदय-परिवर्तन हुआ तो उसने अपने पिछले जीवन से पूरी तरह से नाता तोड़ दिया। याकूब 1:27 शुद्ध और निर्मल भक्ति" के विषय में बताता है, यह शुद्ध, बिना मिलावट, निम्न स्तर का नहीं, समझौता रहित होना चाहिए।

    संसार से अलगाव मसीह की सच्ची सेवा के लिए एक अनिवार्य गुण है। ऐसा उद्धार जो इस्राएलियों को मिस्र में ही छोड़ देता, एक पूर्ण असफलता होती।

    क्या मसीही को समझौता करना चाहिए? नहीं। क्यों? क्योंकि समझौता. सिद्धान्तों का बलिदान है।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न

1. "शब्द "समझौते" की परिभाषा बताइए।
2. व्यापारी-संसार से समझौते को बताइए।
3. क्या मसीहियों में शत्रु से बातचीत करने की अनुमति है ताकि दोनों पक्षों द्वारा मान्य समाधान खोजा जा सके ? क्यों?
4. क्या 1 शमूएल 15 अध्याय के अनुसार शाऊल द्वारा किया गया उत्तम समझौता परमेश्वर को मान्य था?
5. समझौते के तीन आधुनिक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
6. फिरौन ने कौन से चार समझौते मूसा के सन्मुख प्रस्तुत किए?
7. जंगल में तीन दिन की यात्रा की दूरी क्यों आवश्यक समझी गई?
8. इस्रालियों के लिए मिस्र में आराधना करना क्यों आवश्यक था?
9. निर्गमन 10:11 और प्रेरितों के काम 16:31 में क्या सम्बन्ध है?
10. प्रचारक मसीही आजकल बहुधा जिन बातों में समझौता कर लेते हैं, उनको बताइए।