बाइबल अध्ययन - Bible Study - History of Bible in Hindi
प्रस्तावना
यीशु ख्रीष्ट और पवित्र आत्मा के वरदान के बाद बाइबल तीसरा महान वरदान है, सर बॉल्टर स्कॉट, जो कि स्वयं भी बहुत सी पुस्तकों का लेखक और एक बड़े पुस्तकालय का स्वामी था, ने कहा, "केवल एक ही पुस्तक है, और वह है बाइबल।"
जो पुस्तकें अस्तित्व में है उनमें सबसे प्राचीन पुस्तक बाइबल है। इसको लिखने में सोलह शताब्दियाँ लगीं, प्रथम लेखक, अन्तिम लेखक के उत्पन्न होने से 1450 वर्ष पहले मर चुका था।
बाइबल ने स्वयं को अनुवाद के लिए प्रस्तुत किया और अब तक इसका पूर्ण या उसके अंशों का अनुवाद लगभग दो हजार भाषाओं और उपभाषाओं में हो चुका है।
1. बाइबल के सात सर्वोच्च आश्चर्य
( रेवरैन्ड डाइमन हेग द्वारा लिखी गई लघु पुस्तिका)
1) इसकी रचना का आश्चर्यः एक पुस्तक एक स्थान पर, एक भाषा में लिखी गई. दूसरी पुस्तक किसी अन्य देश में, दूसरी भाषा में शताब्दियों बाद लिखी गई।
2) इनके एकीकरण का आश्चर्यः यह 66 पुस्तकों का पुस्तकालय है, तौभी केवल एक ही पुस्तक है, क्योंकि इनका एक ही लेखक है-पवित्र आत्मा। इसमें कोई विरोधाभास नहीं है।
3) इसकी आयु का आश्चर्यः यह अन्य सभी पुस्तकों से प्राचीन पुस्तक है।
4) इसकी बिक्री का आश्चर्यः यह सभी युगों में सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक रही है।
5) इसकी रूचि का आश्चर्यः यह एकमात्र ऐसी पुस्तक है जिसे सभी वर्गों और सभी युगों के लोग पढ़ते रहे हैं। यह सन्तों, बालकों तथा सभी राष्ट्रों द्वारा पढ़ी जाती है।
6) इसकी भाषा का आश्चर्यः इसका अधिकांश भाग अशिक्षित मनुष्यों द्वारा लिखा गया, फिर भी यह साहित्य की श्रेष्ठ कृति मानी जाती है।
7) इसके संरक्षण का आश्चर्यः यह सर्वाधिक घृणा की जाने वाली पुस्तक रही है। समय-समय पर राजाओं और शासनों ने इसे जलाकर मिटा देने के प्रयास किए हैं। फिर भी परमेश्वर ने इसको सुरक्षित रखा और आज यह लगभग प्रत्येक घर में पाई जाती है।
2. परमेश्वर के वचन की व्याख्या के लिए प्रयुक्त सात चिह्न:
1) तलवारः बाइबल एक नुकीला वचन है जो सुनने वाले को कायल कर देता है। इब्रानियों 4:12, "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव और आत्मा को, और गांठ गांठ और गूदे गूदे को अलग करके आर-पार छेदता है।
2) हथौड़ाः बाइबल शक्तिशाली है और सुनने वाले के प्रतिरोध को तोड़ देती है। यिर्मयाह 23:29, "यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?"
3) बीजः बाइबल एक जीवित वचन है, जो सुनने वाले को नवजीवन प्रदान करता है। 1 पतरस 1:23, "क्योंकि तुमने नाशवान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।"
4) दर्पणः बाइबल एक विश्वासयोग्य वचन है, जो व्यक्ति की वास्तविकता उसके स्वयं पर प्रकट कर देती है। याकूब 1:23-25 बाइबल की समानता दर्पण से करता है जिसमें पापी (या सन्त) अपना वास्तविक प्रतिबिम्ब देखता है, जैसा स्वयं प्रभु ने चित्रित किया है।
5) अग्निः बाइबल एक जलता हुआ वचन है जो सुनने वाले के अन्दर के मैल को भस्म कर देता है। यिर्मयाह 23:29, "यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है। "यिर्मयाह 20:9, परन्तु उसका वचन मेरे हृदय में ऐसा है मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो।
6) दीपकः बाइबल एक प्रकाश देने वाला वचन है जो विश्वासी का दिन प्रति दिन मार्गदर्शन कराता है। भजन संहिता 119:105, "तेरा वचन मेरे पावों के लिए दीपक और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है।
7) भोजनः बाइबल पौष्टिक भोजन है जो आत्मा को आहार देती है, (भोजन और जल प्रदान करती है)। 1 पतरस 2:2, "नए जन्मे हुए बच्चों की नाई निर्मल अत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ।" इब्रानियों 5:12-14 भी देखिए। 1 कुरिन्थियों 3:2, "मैंने तुम्हें दूध पिलाया, अन्न न खिलाया।" रोमियों 10:17, "सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।" परमेश्वर का वचन कायल करता, तोड़ता, नव-जीवन प्रदान करता, प्रकाशन देता, भस्म करता प्रकाशित करता और व्यक्ति का पोषण करता है।
3. परमेश्वर का वचन प्रचार करने के सात कारण
मरकुस 2:2 में यीशु ने भीड़ का सामना किया और एक महान निर्णय किया यह परमेश्वर का वचन प्रचार करने के लिए था।
हमें एक नई कलीसिया का नहीं परन्तु मसीह का, जैसा बाइबल में उसका प्रकाशन है, प्रचार करने के लिए भेजा गया है। हम बाइबल के प्रचार पर बहुत अधिक बल देते हैं क्योंकि यह युगों और अनन्तकाल तक स्थिर बनी रहेगी।
यशायाह 40:8, "घास तो सूख जाती और फूल मुर्झा जाता है, परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।"
1) पाप-अंगीकार परमेश्वर के वचन के प्रचार के द्वारा होता है, प्रेरितों के काम 2:14-37। पतरस के पिन्तेकुस्त के उपदेश में 23 पदों में से नौ पद पुराने नियम के उद्धरण थे।
2) विश्वास, परमेश्वर का वचन सुनने से आता है। रोमियों 10:17, "सो विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है।"
3) शुद्धता परमेश्वर के वचन द्वारा आती है। 2 कुरिन्थियों 7:1, "सो हे प्यारे जब कि ये प्रतिज्ञाएं हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आपको शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें।" प्रतिज्ञाएं परमेश्वर का वचन है।
4) निश्चयता, परमेश्वर के वचन से होती है। 1 यूहन्ना 5:13, "मैंने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिए लिखा है; कि तुम जानो, कि अनन्त जीवन तुम्हारा है।"
5) सान्त्वना, परमेश्वर के वचन से प्राप्त होती है। 1 थिस्सलुनीकियों 4:18, "सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो।" (ये बातें बाइबल में लिखित बातें हैं)
6) सत्य, परमेश्वर के वचन द्वारा आता है। प्रेरितों के काम 17:11, “ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रतिदिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढते रहे कि ये बातें यों ही हैं, कि नहीं।"
7) नया जन्म, परमेश्वर के वचन के द्वारा होता है। 1 पतरस 1:23, "क्योंकि तुमने नाशवान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।"
4. कुछ लोगों द्वारा परमेश्वर का वचन न पढ़ने के सात कारण,
यिर्मयाह 15:16
1) इसके सत्य से अपरिचित होना; इसकी रचना और इससे उपलब्ध सूचनाओं से अपरिचित होना।
2) पहले से निर्भरता राख खाना, यशायाह 44:20; राजनीति, हास्य आदि पर निर्भर रहना।
3) बीमारी, पाप से रोगी आत्मा को परमेश्वर के वचन की भूख नहीं होती है।
4) भोजन समयों के बीच भोजन; तुच्छ, व्यर्थ और अनावश्यक जीवन व्यतीत करना।
5) कुछ लोगों के लिए इस पुस्तक में स्वाद नहीं होता; उनकी प्रमुख रूचि व्यापार, खेल-कूद, शिक्षा आदि में होती है।
6) यह पुस्तक अत्यधिक मीठी है; प्रकाशितवाक्य 10:8-10, पुस्तक उसके मुँह में मधु के समान मीठी थी। कुछ लोगों का विचर है कि बाइबल केवल रोगियों, वृद्धों और मरते हुओं के लिए है; यह व्यावहारिक और स्वस्थ लोगों के लिए अत्यधिक भावनात्मक और मीठी है।
7) यह पुस्तक अत्यधिक कड़वी है; प्रकाशितवाक्य 10:8-10, जैसे ही उसने वह पुस्तक खाई, उसका पेट कड़वा हो गया। न्याय, नरक और पाप की सच्चाइयां अत्यधिक कड़वी होती है, इसलिए कुछ लोग बाइबल पढ़ने से डरते हैं।
आइए हम यिर्मयाह के साथ वही कहें जो उसने यिर्मयाह 15:16 में कहा है, "जब तेरे वचन मेरे पास पहुँचे, तब मैंने उन्हें मानों खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए।"
5. बाइबल पढ़ने में सात-बातों का स्मरण रखें
1) इसे प्रेमपूर्वक पढ़िए: बाइबल मेरे लिए मेरे उद्धारकर्ता का वचन है;
भजन संहिता 11:11 1 2) इसे आदर पूर्वक पढ़िए: बाइबल सर्वशक्तिमान उद्धारकर्ता और न्यायी परमेश्वर का वचन है।
3) इसे प्रार्थना पूर्वक पढ़िए: मेरे हृदय और जीवन के लिए, परमेश्वर का सन्देश है।
4) इसे मनन करते हुए पढ़िएः प्राचीन काल के इसहाक के समान बनिए और परमेश्वर के वचन पर मनन कीजिए।
5) इसे क्रमानुसार पढ़िए: बाइबल को पूर्णतः पढ़िए, सिर्फ अपनी पसंद के अंश ही मत पढ़िये।
6) दृढ़ प्रतिज्ञ होकर पढ़िए: मैं आज्ञाओं का पालन करूंगा जो मेरा पिता मुझे इस पुस्तक के द्वारा सिखाता है।
7) इसे प्रतिदिन पढ़िए: केवल रविवार को ही नहीं, परन्तु अपने जीवन में प्रतिदिन इसके अंश पढ़िए।
सारांश
बाइबल को अपना अनवरत मार्गदर्शक और जीवन का साथी बनाइए। बाइबल परमेश्वर का वचन है, यह विश्वास करने योग्य है।
पवित्र आत्मा से प्रार्थना कीजिए कि वह अपने पवित्र पृष्ठों को समझने में सहायता दे।
यदि परमेश्वर के वचन की उपेक्षा की जाती है, तो अन्तिम दिन वही हमारा न्यायाधीश होगा; यूहन्ना 12:48।
प्रभु मुझे सिखाइए कि मैं इस ग्रन्थ को उच्च महत्व दूं, इसकी आवश्यकता के समय इसका समर्थन करूं। मुझे साहस प्रदान कर कि मैं परमेश्वर के वचन का प्रचार करूं।
Pastor Bablu Kumar Ghaziabad

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