आप कोई दुर्घटना नहीं हैं - इस पृथ्वी पर मैं क्यों हूँ ?

Why am I on this earth ?




तेरा कर्त्ता यहोवा, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया और तेरी सहायता करेगा। यशायाह 44:2

परमेश्वर जुआ नहीं खेलतॆ। आप कोई दुर्घटना नहीं हैं।

आपका जन्म कोई भूल या गलती नहीं और न ही आपका जीवन प्रकृति की देन है। भले ही आपके माता-पिता ने आपको प्लान न किया हो, लेकिन परमेश्वर ने जरूर आपको प्लान किया है। वे आपके जन्म से चकित नहीं थे बल्कि उन्हें तो इसकी अपेक्षा थी।

अपने माता-पिता के द्वारा सोचे जाने से बहुत पहले, आप परमेश्वर के विचार में उत्पन्न हुए थे। उन्होंने ही सबसे पहले आपके विषय में सोचा। यह कोई आपका भाग्य, किस्मत, अवसर या संयोग नहीं है कि आप इस पल जीवित हैं और साँस ले रहे हैं। आप इसलिए जीवित हैं क्योंकि परमेश्वर आपको बनाना चाहते थे। बाइबल कहती है “यहोवा मेरे लिए सब कुछ पूरा करेगा।"

परमेश्वर ने आपके शरीर के हर एक अंग को निर्धारित किया है। उन्होंने आपकी जाति, आपकी त्वचा का रंग, आपके बाल और दूसरे अंगों का चुनाव सोच-समझकर किया है। उन्होंने आपके शरीर की रचना अपनी इच्छानुसार की है। आपके स्वभाविक गुणों और अनोखे व्यक्तित्व को भी उन्होंने ही निर्धारित किया है। बाइबल कहती है, “जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हड्डियाँ तुझसे छिपी न थी।"

चूंकि परमेश्वर ने आपको एक कारण के लिए बनाया, अतः उन्होंने यह भी निश्चित किया कि आप कब पैदा होंगे और कितने दिन जीवित रहेंगे। उन्होंने आपके जन्म और मृत्यु का समय चुनकर आपकी आयु के दिन पहले से ही निर्धारित किये हैं। बाइबल कहती है “तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन-दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।"

परमेश्वर ही ने ये भी निर्धारित किया कि आप कहाँ पैदा होंगे और उनके उद्देश्य के लिए आप कहाँ रहेंगे। आपकी जाति और आपकी राष्ट्रीयता कोई दुर्घटना नहीं है। परमेश्वर ने कुछ भी संयोग पर नहीं छोड़ा। उन्होंने सब कुछ अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए योजना बना कर किया। बाइबल कहती है “उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियाँ... और उनके ठहराए हुए समय और निवास की सीमाओं को इसलिए बाँधा है।" आपके जीवन में अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं है बल्कि ये सब कुछ एक उद्देश्य के लिए है।


सबसे विस्मयकारी तो यह है कि परमेश्वर ने यह निर्णय भी लिया कि आप पैदा कैसे होंगे। आपके जन्म की परिस्थितियाँ या आपके माता-पिता कौन हैं, इन सबसे अलग आपको बनाने में परमेश्वर की एक योजना थी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके माता-पिता अच्छे, बुरे या उदासीन हैं। परमेश्वर जानते थे कि वे आपको जैसा बनाना चाहते हैं वैसा बनाने के लिए उन दोनों में सही प्रकार की जनन सम्बन्धी पर्याप्त क्षमता थी। उनमें वो DNA था, जिसकी जरूरत परमेश्वर को, आपको बनाने के लिए थी।

जबकि अवैध माता-पिता होते हैं, मगर अवैध सन्तान नहीं होती है। बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें उनके माता-पिता प्लान नहीं करते परन्तु फिर भी वे परमेश्वर की योजना का हिस्सा होते हैं। परमेश्वर के उद्देश्य ने मानव की गलती को ही नहीं बल्कि पाप को भी अपने हिसाब में ले लिया था।

परमेश्वर न तो कोई काम दुर्घटनावश करते हैं और न ही वे कभी गलती करते हैं। प्रत्येक रचना के पीछे उनका एक कारण है। प्रत्येक पेड़, एवं जानवर परमेश्वर के द्वारा प्लान किये गये और हर एक मनुष्य एक उद्देश्य के साथ बनाया गया। आपको बनाने में परमेश्वर का उद्देश्य उनका प्रेम था। बाइबल कहती है, "जैसा उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों।"

इस संसार को बनाने से पहले परमेश्वर ने आपके बारे में सोच लिया था। इसीलिए परमेश्वर ने इसे बनाया। परमेश्वर ने इस ग्रह का वातावरण इस प्रकार का बनाया है कि हम इसमें रह सकें। हम उनके प्रेम के केन्द्र-बिन्दु और उनकी सारी सृष्टि में सबसे अधिक मूल्यवान हैं। बाइबल कहती है "उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उसकी सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों। इस से प्रकट होता है कि परमेश्वर आपसे कितना प्रेम रखते हैं और आप उनके लिए कितने बहुमूल्य हैं!

परमेश्वर ने ये सब संयोग से नहीं बल्कि बड़ी सूक्ष्मता से बनाया है। भौतिक वैज्ञानिक, जीव वैज्ञानिक, और दूसरे वैज्ञानिक, जितना अधिक इस ब्रह्माण्ड के बारे में सीखते हैं उतना ही अधिक अच्छे से हमें ये पता चलता है कि इसे कितने विशेष रूप से हमारे रहने के लिए बनाया गया है।

न्यूजीलैण्ड स्थित ओटैगो विश्व विद्यालय के मानव आणविक अनुवांशिक विज्ञान के सीनियर वैज्ञानिक डा. माइकल डैन्टन ने ये निष्कर्ष निकाला कि, "जीव विज्ञान में उपस्थित सारे तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि ब्रह्माण्ड को जीवन से पूर्ण मानव जाति के रहने के विशेष उद्देश्य से रचा गया।" हजारों वर्षों पूर्व बाइबल ने भी यही बताया था: “परमेश्वर ने पृथ्वी को रचा और बनाया... उसे सुनसान रहने के लिए नहीं परन्तु बसने के लिए रचा है।"

परमेश्वर ने ये सब क्यों किया? उन्होंने हमारे लिए सृष्टि को रचने का कष्ट क्यों उठाया? ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वे प्रेम करने वाले परमेश्वर हैं। इस तरह के प्रेम को समझना कठिन है मगर मूल रूप से ये विश्वास योग्य है। आप परमेश्वर के प्रेम के विशेष पात्र के रूप में बनाए गए हैं। परमेश्वर ने आपको इसलिए बनाया ताकि वे आपसे प्रेम कर सकें। यहीं वो सत्य है जिसके आधार पर आपको अपना जीवन बनाना है।

बाइबल हमें बताती है कि “परमेश्वर प्रेम है। "यह नहीं बताती कि परमेश्वर के पास प्रेम है। वे ही प्रेम हैं! परमेश्वर के चरित्र का, व्यक्तित्व का सार प्रेम है। त्रिएकता की संगति में सम्पूर्ण रूप से सिद्ध प्रेम है, अतः परमेश्वर को आपकी सृष्टि करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। वे अकेले नहीं थे। परन्तु उन्होंने अपने प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए आपको बनाया।

परमेश्वर कहते हैं “तुमको मैं तुम्हारी उत्पत्ति ही से उठाए रहा और जन्म ही से लिए फिरता आया हूँ। तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा। मैंने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूँगा; मैं तुम्हें उठाए रहूँगा और छुड़ाता भी रहूँगा।"

यदि परमेश्वर नहीं होते तो हम सब "दुर्घटना" होते, ब्रह्माण्ड में खगोलीय संयोग का परिणाम। क्योंकि जीवन में न तो कोई उद्देश्य होता, न अर्थ होता, और न ही कोई महत्व होता, धरती पर आपके जीवन के कुछ सालों के आगे न तो कोई आशा होती और न ही कुछ सही-गलत होता।

परन्तु एक परमेश्वर हैं, जिन्होंने आपको एक कारण के लिए बनाया है और, आपके जीवन का एक गहरा अर्थ है! हम उस अर्थ को और उद्देश्य को केवल तब समझ पाते हैं, जब हम परमेश्वर को अपने जीवन का केन्द्र-बिन्दु बना लेते हैं। जैसा परमेश्वर ने हर एक को विश्वास परिमाण के अनुसार बाँट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।"

रसल कैल्फर की यह कविता इसमें आगे जोड़ती है:‌ एक कारण से तुम वो हो जो तुम हो एक जटिल योजना का भाग तुम हो एक बहुमूल्य एवं सिद्ध विशिष्ट नमूना तुम हो परमेश्वर के विशेष स्त्री-पुरुष कहलाते तुम हो। एक कारण तुम्हारी इस सूरत का भी है। हमारे परमेश्वर ने कोई गलती नहीं की है बुना है उसने तुम्हें माता के गर्भ में, तुम ठीक वैसे ही हो जैसा चाहते थे वो बनाना तुम्हें। तुम्हारे माता-पिता को उन्होंने ही चुना है, तुम्हें चाहे भला कैसा क्यों न लगे, वे परमेश्वर के दिमाग की योजना के अनुसार हैं विशेष रूप से बने और लगी है उन पर छाप प्रभु की नहीं, वो सदमा जिसका तुमने किया है सामना था आसान परमेश्वर भी थे रोए की तुम्हें थी लगी चोट। तुम्हारे हृदय को देने आकार होने दिया ये सब ताकि स्वरूप में उसके बढ़ सको तुम आगे बहुत एक कारण से तुम वो हो जो तुम हो प्रभु की छड़ी से सृजा गया है तुम्हें प्रिय, तुम वो हो जो तुम हो क्योंकि एक परमेश्वर है यहाँ!" अपने उद्देश्य के बारे में सोचना 

विचार करने का अंश: मैं एक दुर्घटना नहीं हूँ

याद करने के लिए पद्यः “तेरा कर्त्ता यहोवा, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया और तेरी सहायता करेगा।" यशायाह 44:2

 सोचने योग्य प्रश्नः यह जानते हुए कि परमेश्वर ने मुझे विशिष्ट रूप से सृजा है, अपने व्यक्तित्व, पृष्ठभूमि और शारीरिक स्वरूप के किस क्षेत्र में मैं इसे स्वीकार करने में संघर्ष कर रहा हूँ?