धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा। यिर्मयाह 17:7-8
ये सब परमेश्वर के साथ प्रारम्भ हुआ - इस पृथ्वी पर मैं क्यों हूँ ? - Why am I on this earth ? 1
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी,... सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। कुलुस्सियों 1:16
जब तक आप परमॆश्वर को मान नहीं लेते तब तक जीवन के उद्देश्य का प्रश्न निरर्थक है।
ये आपके बारे में नहीं है।
आपके जीवन का उद्देश्य, आपकी अपनी व्यक्तिगत सफलता, आपके मन की शांति, या आपके आनन्द से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ये आपके परिवार, व्यवसाय, वरन् आपके अनेक सपनों एवं अभिलाषाओं से कहीं अधिक बड़ा है। यदि आप ये जानना चाहते हैं कि इस धरती पर आप क्यों हैं तो इसकी शुरुआत आपको परमेश्वर के साथ करनी होगी। आप उन्हीं के उद्देश्य के द्वारा और उन्हीं के उद्देश्य के लिए जन्मे हैं।
जीवन के उद्देश्य की खोज ने हजारों वर्षों से लोगों को उलझा रखा है। ऐसा इसलिए होता है कि हम शुरुआत ही गलत बात से करते हैं- स्वयं से। हमारे सवाल स्वार्थी होते हैं जैसे- मैं क्या बनना चाहता हूँ? मुझे अपने जीवन के साथ क्या करना चाहिए? भविष्य के लिए मेरे लक्ष्य, मेरी अभिलाषाएँ और मेरे सपने क्या है? परन्तु अपने आप पर केन्द्रित होकर हम जीवन के उद्देश्य को कभी नहीं जान पाएंगे। बाइबल कहती है, “उसके हाथ में एक-एक जीवधारी का प्राण, और एक-एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।"
प्रसिद्ध पुस्तकों, सिनेमाओं और सेमिनारों में बताई गई बातों के बावजूद भी आप अपने अन्दर झांककर जीवन के अर्थ को जान नहीं सकते। सम्भव है आपने ऐसा प्रयास भी किया हो। चूंकि आपने अपने आपको नहीं बनाया है इसीलिए आप स्वयं को नहीं बता सकते कि आप क्यों बनाये गये हैं। यदि मैं आपके हाथों में एक ऐसी वस्तु दूँ, जिसे आपने पहले कभी न देखा हो, तो न तो आप उसको बनाने का मकसद जान सकेंगे और न ही वह वस्तु आपको बता पाएगी। उसका उद्देश्य तो केवल उसे बनाने वाला या उसकी मार्गदर्शिका पुस्तक ही बता सकती है।
एक बार मैं पहाड़ों में खो गया था। जब मैं अपने शिविर की दिशा पूछने के लिए रुका, तो मुझे बताया गया, “आप यहाँ से वहाँ नहीं पहुँच सकते। आपको पहाड़ के दूसरी ओर से जाना होगा!" इसी प्रकार, आप आत्म-केन्द्रित होकर अपने जीवन के उद्देश्य तक नहीं पहुँच सकते। आपको अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर के साथ ही आरम्भ करना होगा। आप केवल इसलिए जीवित हैं क्योंकि परमेश्वर चाहते हैं कि आप जीवित रहें। आप परमेश्वर के द्वारा और परमेश्वर के लिए रचे गए हैं और जब तक आप इसे समझ नहीं लेते, जीवन का कोई अर्थ नहीं होगा। ये केवल परमेश्वर ही हैं जिनमें हम अपनी उत्पत्ति, पहचान, अर्थ, उद्देश्य, महत्व और भाग्य को पाते हैं। शेष सभी मार्ग बन्द गली की ओर ले जाते हैं।
अनेक लोग अपने स्वयं के कामों के लिए परमेश्वर का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं, परन्तु यह स्वभाव के विपरीत है जो असफलता की ओर ले जाता है। आप परमेश्वर के लिए बने हैं न कि परमेश्वर आपके लिए और परमेश्वर का आपको अपने उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना ही जीवन है, न कि आपका उन्हें अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करना। बाइबल हमें बताती है, “शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है।"
मैंने ऐसी कई पुस्तकें पढ़ी हैं जो मेरे जीवन के उद्देश्य को जानने के तरीकों को बताती हैं। उन सभी को खुद की सहायता की श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि वे सभी इस विषय को स्व-केन्द्रित दृष्टिकोण से देखती है। स्व-सहायता वाली पुस्तकें चाहे वो मसीही साहित्य क्यों न हों आपके जीवन के उद्देश्य को खोजने के लिए वही कुछ घिसे-पिटे तरीकों को बताती है जैसे: अपने सपनों के बारे में सोचें। अपने मूल्यों को स्पष्ट करें। लक्ष्य निर्धारित करें। जानिये की आप किस बात में बेहतर हैं। ऊँचा सोचें। अनुशासन में रहें विश्वास करें कि आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। दूसरों को सम्मिलित करें, और कभी हार न मानें।
यह ठीक है कि प्रायः ये सुझाव बड़ी सफलता की तरफ ले जाते हैं। यदि आप इनमें अपना मन लगाएँ तो एक लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। परन्तु सफल होना और जीवन के उद्देश्य को पूरा करना दोनों कभी भी एक समान विषय नहीं है। आप अपने सभी व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त कर सांसारिक स्तर पर बहुत सफलता पाने के बावजूद भी उस उद्देश्य को जिसके लिए परमेश्वर ने आपको बनाया है पाने में असफल रह सकते हैं। आपको अपनी सहायता की सलाह से अधिक कुछ चाहिए। बाइबल कहती है, “क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।"
यह आपकी अपनी सहायता की पुस्तक नहीं है। यह सही व्यवसाय चुनने सपनों को साकार करने या आपके जीवन की योजनाओं के बारे में नहीं है। यह इस बारे में भी नहीं है कि आप अपने व्यस्त समय में और काम कैसे जोड़ सकते हैं।
दरअसल ये आपको जीवन में उन बातों पर ध्यान देने के द्वारा जो सबसे ज्यादा जरूरी है कैसे कम काम किया जाए सिखाती है। ये वो बनने के बारे में बताती है जिसके लिये परमेश्वर ने आपकी रचना की है।
तो, आप अपने सृजे जाने के उद्देश्य को कैसे खोजेंगे? आपके पास इसके केवल दो विकल्प हैं। आपका पहला विकल्प है- कल्पना । इसी तरीके को ज्यादातर लोग चुनते हैं। वे अनुमान लगाते, अन्दाजा लगाते और सिद्धान्त बनाते हैं। जब लोग कहते हैं, "मैंने हमेशा सोचा कि जीवन..."उनका मतलब होता है, “यही मेरा सबसे उत्तम अनुमान है।" हजारों वर्षों से प्रतिभाशाली विद्वान जीवन के अर्थ के बारे में तर्क करते और अन्दाज़ा लगाते रहे हैं। दर्शन- शास्त्र एक महत्वपूर्ण विषय है और उसका अपना उपयोग भी है परन्तु जब जीवन के उद्देश्य की बात आती है तो बड़े से बड़े दर्शन शास्त्री भी केवल अनुमान ही लगाते रह जाते हैं।
नार्थ-ईस्टर्न इलिनॉयज़ विश्व-विद्यालय में दर्शन-शास्त्र के प्राध्यापक डा. हृग मूरहैड ने संसार के 250 प्रख्यात् दार्शनिकों, वैज्ञानिकों, लेखकों और बुद्धिजीवियों को एक बार लिख कर पूछा "जीवन का अर्थ क्या है?" फिर उन्होंने उन सभी के उत्तरों को एक पुस्तक में प्रकाशित किया। कुछ ने बहुत अच्छे अनुमान बताये, कुछ ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने जीवन का एक उद्देश्य हाल ही में निर्धारित किया है, बाकि दूसरे इतने ईमानदार थे कि उन्होंने सच्चाई यह माना कि उनके पास इसका कोई उत्तर नहीं है। वास्तव में अनेक प्रख्यात बुद्धिजीवियों ने डा० मूरहैड से कहा कि, वो उन्हें ये लिखकर बतायें कि क्या उन्होंने जीवन का उद्देश्य खोज लिया है!
सौभाग्यवश जीवन के उद्देश्य और अर्थ के विषय में अनुमान का एक विकल्प है। यह प्रकाशन है। हम देख सकते हैं कि जीवन के बारे में परमेश्वर ने अपने वचन में क्या प्रकट किया है। किसी भी अविष्कार का उद्देश्य उसके अविष्कारक से जानना ही सबसे आसान होता है। जीवन के उद्देश्य की खोज के सन्दर्भ में भी यही सत्य है: परमेश्वर से पूछें।
परमेश्वर ने हमें आश्चर्य करने और अनुमान लगाने के लिए अन्धकार में नहीं छोड़ दिया है। उन्होंने बाइबल के द्वारा हमारे जीवन के लिए अपने पाँच उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से प्रकट किया है। ये ही हमारे मार्ग-दर्शन की पुस्तक है जो ये बताती है कि हम क्यों जीवित है, जीवन कैसे काम करता है, हमें क्या नहीं करना ठहराया है, और भविष्य में क्या अपेक्षा करनी है। ये वो बताती है जो खुद की मदद या दर्शन - शास्त्र की पुस्तकें जानती भी नहीं। बाइबल कहती है, "परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।"
परमेश्वर आपके जीवन का केवल आरम्भ बिन्दु ही नहीं; बल्कि उसके स्रोत है। अपने जीवन में उद्देश्य की खोज के लिए आपको परमेश्वर के वचन की ओर मुड़ना होगा, न कि संसार के ज्ञान की तरफ। आपको अपना जीवन अनन्तकालीन सत्य पर बनाना होगा न कि मनोवैज्ञानिक, सफलता, प्रोत्साहन या प्रेरणादायक कहानियों पर। बाइबल कहती है, “उसी में जिसमें हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहले से ठहराए जाकर मीरास बने।" यह पद्य आपके उद्देश्य में हमें तीन बातें बताता है।
1. आप मसीह यीशु के साथ सम्बन्ध के द्वारा अपनी पहचान व उद्देश्य को पाते हैं। अगर आपका मसीह के साथ ऐसा कोई सम्बन्ध नहीं है तो मैं उसे शुरु करने का तरीका आगे बताऊँगा।
2. जब आपने परमेश्वर के बारे में सोचा भी नहीं था उससे कहीं पहले से परमेश्वर आपके बारे में सोच रहे थे। आपके जीवन के लिए उनके उद्देश्य आपके विचारों से ऊपर हैं। अपके पैदा होने से पहले, आपकी मेहनत के बिना उन्होंने ये सब प्लान किया था। आप अपनी मर्जी से अपना पेशा, अपने पति या पत्नी, अपनी पसंद-नापसंद एवं जीवन के कई दूसरे हिस्सों को चुन सकते हैं परन्तु आप अपने उद्देश्य को नहीं चुन सकते।
3. आपके जीवन का उद्देश्य अपने से बड़े, ब्रह्माण्ड के उद्देश्य में जिसे परमेश्वर ने सदा के लिए बनाया है समावित होता है।
आन्द्रेई बिटोव नामक एक रूसी उपन्यासकार एक नास्तिक कम्यूनिस्ट शासन पद्धति में बड़े हुए थे। परन्तु एक निराश दिन में परमेश्वर ने उनका ध्यान अपनी और आकर्षित किया। वो याद करते हैं, “अपने जीवन के सत्ताइसवें वर्ष में, लेनिनग्राद (अब सेन्ट पीटर्सबर्ग) में मैट्रो में सफर करते समय मैं इतना ज्यादा निराश था कि जीवन एकाएक थमने सा लगा और भविष्य अर्थहीन लगने लगा। अचानक, अपने आप एक वाक्य मेरे सामने आया; “परमेश्वर के बिना जीवन अर्थहीन है।" आश्चर्यजनक रूप से एक चलती हुई सीढ़ी की तरह वो वाक्य मेरे सामने बार-बार आने लगा और मैं उस वाक्य को दोहराते हुए मैट्रो से बाहर आया और परमेश्वर के प्रकाश में चल पड़ा।
हो सकता है कि आपने भी अपने जीवन के उद्देश्य के बारे में अंधकार महसूस किया हो। बधाई हो, आप रोशनी में प्रवेश करने वाले हैं।
अपने उद्देश्य के बारे में सोचना
विचार करने का अंश: यह मेरे बारे में नहीं है।
याद करने के लिए वचनः “सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिए सृजी गई है।" कुलुस्सियों 1:16
सोचने योग्य प्रश्नः अपने चारों ओर इतने सारे विज्ञापन होने के बावजूद मैं कैसे अपने आपको याद दिला सकता हूँ कि परमेश्वर के लिए जीना ही जीवन है अपने लिये नहीं।

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