आपके जीवन को क्या संचालित करता है - Hindi Bible Study


आपके जीवन को क्या संचालित करता है?


   तब मैंने सब परिश्रम के काम और सब सफल काम को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है। सभोपदेशक 4:4

   उद्देश्य रहित मनुष्य बिना पतवार के एक जहाज की तरह होता है - बेघर, शून्य, रिक्त। थॉमस कार्लिल

   हर व्यक्ति का जीवन किसी न किसी बात से प्रेरित होता है। अधिकांश शब्द-कोष ड्राइव क्रिया की व्याख्या "मार्ग-निर्देशन, नियन्त्रण या दिशा-निर्देशन" के रूप में करते हैं। चाहे आप कार चला रहे हों या कील ठोंक रहे हों या गोल्फ खेल रहे हों, आप उस समय मार्ग निर्देशन, नियन्त्रण या दिशा-निर्देशन कर रहे होते हैं। आपके जीवन में प्रेरणा का स्रोत क्या है? हो सकता है कि इस समय आप किसी समस्या, किसी दबाव या किसी समय सीमा के द्वारा चलाये जा रहे हों। हो सकता है कि आप किसी पीड़ादायक याद, लगातार रहने वाले डर या अन्जाने विश्वास के द्वारा चलाये जा रहे हों। ऐसी सैकड़ों परिस्थितियाँ, मूल्य और भावनायें हैं जो आपके जीवन को संचालित कर सकती हैं। यहाँ पाँच सबसे ज्यादा सामान्य हैं:

अनेक लोग दोष-भाव के द्वारा चलाये जाते हैं। वे अपना सारा जीवन अपने दुःखों से भागने में और अपने कलंक को छिपाने में ही गुजार देते हैं। अपराध-भावों वाले लोग यादों के द्वारा चलते हैं। वे अपने अतीत को अपने भविष्य पर नियन्त्रण करने की छूट देते हैं। वे अपनी ही सफलताओं को नुकसान पहुँचाकर अन्जाने में अपने आपको सजा देते रहते हैं। जब कैन ने पाप किया, तो उसके दोष ने उसे परमेश्वर की उपस्थिति से पृथक कर दिया और परमेश्वर ने कहा, “तू पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा होगा"। अधिकांश लोगों की आज यही स्थिति है- सारे जीवन वे उद्देश्यहीन भटकते रहते हैं।

   हम अपने अतीत की ऊपज जरूर हैं, किन्तु हमें उसका बन्दी नहीं होना है। परमेश्वर का उद्देश्य आपके अतीत से सीमित नहीं होता। उन्होंने मूसा नामक एक हत्यारे को लीडर और गिडियन नामक एक डरपोक को साहसिक हीरो में बदल दिया। वे आपके शेष जीवन में भी अद्भुत कार्य कर सकते हैं। परमेश्वर लोगों के जीवन में एक नया अध्याय आरम्भ करने के विशेषज्ञ है। बाइबल कहती है "क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढाँपा गया हो।"

कई लोग कड़वाहट और क्रोध की भावना में जीते हैं

   ये लोग दर्द को अपने अन्दर ही दबाये रहते हैं और उससे कभी बाहर नहीं आते। क्षमा द्वारा अपनी कड़वाहट को निकाल फेंकने की जगह वे इसे अपने मन में संजोए रहते हैं। कड़वाहट की भावना से ग्रस्त कुछ लोग "चुप रह कर " अपने क्रोध को अन्दर ही अन्दर पीते रहते हैं, जबकि कुछ लोग उसे चीख कर निकाल देते हैं। दोनों ही तरीके न तो स्वास्थ के लिए अच्छे हैं और न सहायक।

   कड़वाहट हमेशा आपको ज्यादा दुःख देगी न कि उसे जिस पर आप नाराज है। हो सकता है कि आपका अपराधी तो अपनी गलती को भूल कर अपने जीवन में व्यस्त हो गया हो पर आप अपने अतीत को पकड़े हुए अपनी पीड़ा में ही तड़पते रहते हैं।


सुनिए: जिन्होंने आपको अतीत में चोट पहुँचाई है, वह आपको वर्तमान में तब तक चोट नहीं पहुँचा सकते जब तक कि आपने उस पीड़ा की कड़वाहट को अपने अन्दर न संजो रखा हो। आपका अतीत, अतीत है! उसे कुछ बदल नहीं सकता। आप अपनी कड़वाहट अपने आपको ही आहत कर रहे हैं। अपने आप के लिए, इससे सबक लें और फिर भूल जाएं। बाइबल कहती है "क्योंकि मूढ़ तो खेद करते-करते नष्ट हो जाता है, और भोला जलते-जलते मर मिटता है।"

बहुत से लोग डर में जीते हैं

   उनका भय किसी कठोर अनुभव, झूठी अपेक्षा पैदायशी विकृत्ति या कठोर नियन्त्रण वाले घर में रहने का परिणाम हो सकता है। कारण चाहे जो भी हो परन्तु, जो लोग डर में जीते हैं वे जोखिम के डर से कई बार बड़े अवसर खो देते हैं। बजाय इसके वे जोखिम से बचने और यथापूर्व स्थिति को बनाये रख कर सुरक्षित रहने का प्रयास करते रहते हैं।

   डर एक खुद की बनायी हुई जेल है, जो आपको वो बनने से रोकता है, जो बनने के लिए परमेश्वर ने आपको बनाया है। इसके विरुद्ध आपको विश्वास और प्रेम के अस्त्रों के साथ चलना जरूरी है। बाइबल कहती है, "...प्रेम में भय नहीं होता, वरन् सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है; क्योंकि भय का सम्बन्ध दण्ड से होता है, और जो भय करता है. वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।"

बहुत से लोग सांसारिक बातों के द्वारा चलाए जाते हैं

   जीवन में ज्यादा से ज्यादा सब कुछ पा लेना ही उनकी अभिलाषा होती है। ज्यादा चाहने की इच्छा का आधार हमेशा एक गलत धारणा होती है कि ज्यादा पाने से मैं ज्यादा आनन्दित, ज्यादा महत्वपूर्ण और ज्यादा सुरक्षित हो जाऊँगा, परन्तु ये तीनों बातें ही झूठी हैं। पाने से केवल क्षणिक सुख मिलता है। चूंकि चीजें तो बदलती नहीं, अतः कुछ समय में हम उनसे ऊब जाते हैं और फिर नयी, बड़ी और पहले से बेहतर वस्तुओं को ढूंढने लगते हैं।

   अब यह भी एक गलतफहमी है कि यदि मेरे पास अधिक होगा तो मेरा महत्व भी अधिक होगा। आपकी अपनी कीमत और आपके पैसे की कीमत बराबर नहीं होती। आपका मूल्य आपकी मूल्यवान वस्तुओं से नहीं आंका जाता और परमेश्वर कहते हैं कि जीवन में सबसे मूल्यवान वस्तु सिर्फ वस्तु नहीं होती!

( आपके जीवन में परमॆश्वर के उद्देश्य को जानने से अधिक कुछ और नहीं ) 

   धन के विषय में सबसे अधिक सामान्य गलतफहमी यह है कि अधिक धन हमें अधिक सुरक्षा देता है। ऐसा नहीं है। विभिन्न अनियन्त्रित कारणों से सम्पत्ति खो सकती है। सच्ची सुरक्षा केवल उसमें पाई जा सकती है, जो आपसे छीनी न जा सके और वो है- परमेश्वर के साथ आपका सम्बन्ध। 

बहुत से लोगों को जीने के लिए रजामन्दी की जरूरत होती है।

   ये लोग अपने जीवनों को अपने माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे, टीचर या दोस्तों की अपेक्षाओं के नियन्त्रण में दे देते हैं, और उनकी अपेक्षाओं के द्वारा जीते हैं। कई जवान बच्चे तो आज भी अपने नाखुश माता-पिता की रजामंदी पाने की कोशिश में लगे हैं। दूसरे इस चिन्ता और दबाव में जीते हैं कि दूसरे क्या सोचेंगे। बदकिस्मती से जो लोग भीड़ के साथ चलना चाहते हैं, बहुधा उसी में खो जाते हैं।
   मैं सफलता की सभी कुंजियों को तो नहीं जानता हूँ किन्तु असफलता की एक चाबी को जानता हूँ और वो है सबको खुश रखने की कोशिश । दूसरे अन्य लोगों की राय के नियन्त्रण में होने का अर्थ है अपने जीवन के लिए परमेश्वर के उद्देश्य को निश्चित रूप से खो देना। यीशु ने कहा, "कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता।

   कुछ दूसरी शक्तियाँ भी हैं, जो आपके जीवन को चला सकती है। किन्तु वे सब भी अप्रयुक्त सामर्थ्य, अनावश्यक दबाव, असन्तुष्ट जीवन जैसी बन्द गली की ओर ही ले जाती हैं।

   यह चालीस दिनों की यात्रा आपको दिखाएगी कि उद्देश्य-चालित जीवन कैसे जीया जाए। एक ऐसा जीवन जो परमेश्वर के उद्देश्य के द्वारा नियंत्रित, निर्देशित और मार्गदर्शित हो। अपने जीवन के लिये परमेश्वर के उद्देश्य को जानने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, और ऐसा कुछ भी नहीं है जो परमेश्वर के उद्देश्य को न जानने की कीमत चुका सके- न ही आपकी सफलता, न धन, न नाम और न ही सुख-विलास। उद्देश्य के बिना जीवन ऐसा होता है जैसे- अर्थहीन चलना, बिना मतलब के कुछ करना और बिना कारण कुछ होना। उद्देश्य रहित जीवन, अर्थहीन, बेकार और व्यर्थ है। 

उद्देश्य-चालित जीवन जीने के लाभ

उद्देश्य-चालित जीवन जीने के पाँच बड़े लाभ हैं:

अपने उद्देश्य को जानने से आपके जीवन को अर्थ मिलता है

    हम एक अर्थ के लिए ही बनाए गए हैं। इसीलिये इसे जानने के लिए लोग ज्योतिष तथा मनोविज्ञान जैसे सन्देहास्पद तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। जब जीवन में अर्थ होता है तो आप सब कुछ सह सकते हैं, वर्ना इसके बिना कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

   अपने जीवन के 20वें वर्ष में एक जवान युवक ने लिखा, “मैं स्वयं को असफल महसूस करता हूँ क्योंकि मैं कुछ बनने के लिए संघर्ष कर रहा हूँ परन्तु मुझे नहीं पता कि मैं क्या बनना चाहता हूँ। मैं तो केवल मेहनत करना जानता हूँ। किसी दिन अगर मैं अपना उद्देश्य खोज लूँगा तो मुझे लगेगा कि आज मैंने जीवन शुरु किया है। "

    परमेश्वर के बिना जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है और उद्देश्य के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। अर्थ के बिना, जीवन का न तो कोई महत्व है न ही कोई आशा। बाइबल में कई लोगों ने इस आशाहीनता का उल्लेख किया है। यशायाह नबी कहते हैं, “मैंने तो व्यर्थ परिश्रम किया, मैंने व्यर्थ ही अपना बल खो दिया है।" अय्यूब ने कहा, “मेरे दिन... निराशा में बीते जाते हैं।" और “मुझे अपने जीवन से घृणा आती है; मैं सर्वदा जीवित रहना नहीं चाहता। मेरा जीवनकाल साँस सा है, इसलिये मुझे छोड़ दे।"" मृत्यु सबसे बड़ी त्रासदी नहीं" है, परन्तु उद्देश्यहीन जीवन सबसे बड़ी त्रासदी है।

   आपके जीवन के लिए जितनी महत्वपूर्ण हवा और पानी है, उतनी ही महत्वपूर्ण आशा है। जीवन जीने के लिए आपको आशा की जरूरत है। " क्या तुम सौ साल जीना चाहते हो?" पूछ कर डॉ॰ बर्नी सीगेल ये बता सकते थे कि उनका कौन सा कैंसर का मरीज बचेगा। जिनको जीवन के उद्देश्य की समझ होती वो हाँ में जवाब देते थे, और वे ही बच पाते थे। उद्देश्य के होने से ही आशा होती है।

   यदि आपको निराशा महसूस होती है तो, रुकिये। जैसे ही आप अपना जीवन उद्देश्य के अनुसार जीना शुरु करेंगे तो, आपके जीवन में अद्भुत परिवर्तन होने लगेगा। परमेश्वर कहते हैं कि “जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा।" सम्भवतः आप एक अविश्वसनीय परिस्थिति का सामना कर सकते हैं, किन्तु बाइबल कहती है कि परमेश्वर, “अब जो ऐसा सामर्थी है कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है।" 

उद्देश्य का ज्ञान आपके जीवन को आसान बनाता है

   यह बताता है कि आपको क्या करना है और क्या नहीं करना है। उद्देश्य यह आंकने का मापक बन जाता है कि आपके लिए कौन सा काम जरूरी है और कौन सा नहीं। आप केवल यह पूछते हैं, "क्या यह काम मेरे जीवन के लिए परमेश्वर का कोई उद्देश्य पूरा करने में मदद करेगा?"

   बिना किसी स्पष्ट उद्देश्य के आपके पास कोई बुनियाद नहीं होती है जिसके आधार पर आप निर्णय ले सकें, समय को बांट सकें या अपने संसाधनों का उपयोग कर सकें। आप अपनी परिस्थिति, दबाव और उस क्षण की मनोदशा के आधार पर चुनाव करने के लिए मजबूर होंगे। जिन लोगों के पास कोई उद्देश्य नहीं होता वो लोग बहुत कुछ करना चाहते हैं- और ये उनमें तनाव, थकान और अन्तर्द्वन्द उत्पन्न करता है।

   वह सब कुछ जो लोग आपसे करवाना चाहते हैं, आपके लिए करना असम्भव है। आपके पास केवल परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए ही पर्याप्त समय है। यदि आप यह करने में असमर्थ है तो इसका अर्थ यह है कि आप उससे अधिक करने का प्रयास कर रहे हैं, जो परमेश्वर ने आपके लिए निर्धारित किया है या (सम्भवतः आप टेलीविजन बहुत अधिक देखते हैं) । उद्देश्य चालित जीवन साधारण जीवन-पद्धति अपनाने और उपयुक्त कार्यक्रम बनाने में सहायता करता है। बाइबल कहती है, "कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है।" "ये मन की शान्ति की ओर भी ले जाता है। बाइबल इसकी साक्षी है, “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।" 

उद्देश्य का ज्ञान आपके जीवन को केन्द्रित करता है

   जीवन के लिये परमेश्वर के उद्देश्य का ज्ञान आपके प्रयास और ऊर्जा को इस बात पर एकाग्र करता है कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है। इस प्रकार आप सही चुनाव करने के कारण प्रभावशाली बन जाते हैं।

( यदि आप अपने जीवन को प्रभावशाली बनाना चाहते हैं, तो उसे एकाग्र कीजिए! ) 

   छोटी-छोटी बातों से ध्यान भटकना मानव का स्वभाव है। हम अपने जीवन के साथ "घिसी-पिटी कोशिश" करते रहते हैं। हैनरी डेविड थोरे ने इस बात को जाना कि लोग “चैन से निराशा " में जीवन जीते हैं, परन्तु आज उद्देश्यहीन भटकना एक बेहतर उदाहरण होगा। अनेक लोग लट्टू के समान एक तेज पागलपन की गति से एक ही जगह घूमते रहते हैं परन्तु कहीं पहुँचते नहीं हैं।

   एक स्पष्ट उद्देश्य के बिना, आप अपनी दिशा, नौकरी, सम्बन्धों, चर्च और दूसरी बातों को इस आशा से बदलते रहते हैं कि शायद ऐसा करने से आपकी उलझने दूर हो जाएंगी या आपके मन का खालीपन भर जाएगा। आप सोचते हैं, सम्भव है इस बार कुछ अलग हो, किन्तु इससे आपकी वास्तविक समस्या- एकाग्रता और उद्देश्य, का समाधान कभी नहीं होता।

   बाइबल कहती हैं, "इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो कि प्रभु की इच्छा क्या है।"

   केन्द्रीकरण की शक्ति को रोशनी में देखा जा सकता है। बिखरी रोशनी में शक्ति और प्रभाव दोनों ही कम होते हैं, परन्तु आप उसे केन्द्रित कर उसकी ऊर्जा को इकट्ठा कर सकते हैं। आप सूर्य की किरणों को एक बढ़ा करने वाले लैन्स के साथ इकट्ठा कर सूखी घास या कागज को जला सकते हैं। यदि प्रकाश को लेजर बीम के समान और अधिक फोकस किया जाए तो वह लोहे को भी काट सकता है।

   उद्देश्य पूर्ण केन्द्रित जीवन से अधिक प्रभावशाली और कुछ भी नहीं है। जिन लोगों के जीवन ने इतिहास में एक बड़ा बदलाव लाया, वे सभी एकाग्र प्रवृत्ति के थे। उदाहरण के तौर पर, पौलुस ने लगभग अकेले ही समस्त रोमी साम्राज्य में मसीह का प्रचार किया। उनकी सफलता का राज उनका केन्द्रित जीवन था। उन्होंने कहा, “हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूँ; परन्तु केवल यह एक काम करता हूँ कि जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूल कर आगे की बातों की ओर बढ़ता जाऊँ।"

   यदि आप अपने जीवन को प्रभावशाली बनाना चाहते हैं, तो उसे फोकस कीजिए। दिखावटीपन को छोड़िये और अच्छी आदतों को भी तराश कर केवल वो कीजिए जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो। उद्देश्य के बिना व्यस्त होने का क्या फायदा? पौलुस ने कहा, "हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।"

उद्देश्य का ज्ञान आपके जीवन को प्रेरणा प्रदान करता है

   उद्देश्य सदैव ही प्रेरणा उत्पन्न करता है। स्पष्ट उद्देश्य के अतिरिक्त और कुछ शक्ति प्रदान नहीं करता। दूसरी ओर, उद्देश्य विहीनता की स्थिति में प्रेरणा कम हो जाती है। बिस्तर से उठना भी जोखिम भरा लगता है। सामान्य कार्य भी भारी लगता है जो हमें थका देता है, हमें दुर्बल कर देता है और हमारे आनन्द को छीन लेता है।

   जॉज बरनॉर्ड शॉ ने लिखा है, “स्वाभाविक गुणों की सामर्थ्य होने के नाते, बजाय उत्तेजित होने, दुःखों और शिकायतों को इकट्ठा करके ये शिकायत करते रहना कि ये संसार अपनी तरफ से कभी मुझे खुश रखने की कोशिश नहीं करेगा; ऐसे उद्देश्य के लिए प्रयुक्त होना जो आपकी दृष्टि में प्रभावशाली है जीवन का सच्चा आनन्द है।"

   ( पृथ्वी पर आपकॊ इसलिए नहीं रखा गया कि आपकॊ याद किया जाए। आपकॊ यहाँ अनन्तकाल की तैयारी के लिए रखा गया है। )

उद्देश्य का ज्ञान आपको अनन्त काल के लिए तैयार करता है

   अनेक लोग अपना जीवन पृथ्वी पर सम्पत्ति जुटाने में ही बिता देते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें याद रखा जाए। फिर भी, अन्त में यह मायने नहीं रखता कि लोग आपके जीवन के बारे में क्या कहते हैं, बल्कि यह मायने रखता है कि परमेश्वर आपके जीवन के बारे में क्या कहते हैं। लोग ये भूल जाते हैं कि सारी उपलब्धियाँ समाप्त हो जाती हैं, कीर्तिमान टूट जाते हैं, सम्मान धूमिल पड़ जाते हैं, और प्रशंसा विस्मृत हो जाती है। प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डॉ॰ जेम्स डॉबसन जब कॉलेज में थे तो उनका लक्ष्य अपने विद्यालय में टैनिस चैम्पियन बनने का था। जब उनकी ट्रॉफी विद्यालय के शो केस में रखी गई तो उन्हें स्वयं पर गर्व हुआ। कुछ वर्ष पश्चात् किसी ने उन्हें वह ट्रॉफी डाक द्वारा भेजी, जो उसने विद्यालय की मरम्मत के समय कचड़े के डिब्बे में पायी थी। जिम ने कहा, "पर्याप्त समय दिया गया तो, आपकी सारी ट्राफियाँ किसी अन्य के द्वारा कचड़े के डिब्बे में फेंक दी जायेंगी।"

   सांसारिक सम्पदा बनाने के लिए जीना बुद्धिमानी नहीं है। बुद्धिमानी तो इसमें है कि समय का उपयोग अनन्त सम्पदा जुटाने के लिए किया जाए। पृथ्वी पर आपको इसलिए नहीं रखा गया कि आपको याद किया जाए बल्कि आपको यहाँ इसलिए रखा गया है ताकि आप अनन्तकाल के लिए तैयार हो सकें।

   अनन्त जीवन में प्रवेश से पूर्व, एक दिन आप परमेश्वर के सामने खड़े होंगे और वह आपके जीवन की समीक्षा करेंगे और अन्तिम परीक्षा लेंगे। बाइबल कहती है, “हम सबके सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने खड़े होंगे, इसलिए हम में से हर एक परमेश्वर को अपना-अपना लेखा देगा।" सौभाग्य की बात तो यह है कि परमेश्वर ये चाहते हैं कि हम इस परीक्षा में पास हों और इसीलिए उन्होंने ये प्रश्न हमें पहले ही दे दिये। बाइबल से हम उन दो प्रामाणिक प्रश्नों को जान सकते हैं, जो परमेश्वर हमसे करेंगे:

   पहला, “तुमने मेरे पुत्र यीशु मसीह के साथ क्या किया?" परमेश्वर आपकी धार्मिक पृष्ठभूमि या सैद्धान्तिक मत के विषय में प्रश्न नहीं करेंगे। आपसे केवल यह पूछेंगे कि क्या आपने उस कार्य को स्वीकार किया, जो यीशु मसीह ने आपके लिए किया और क्या आपने उनमें विश्वास करना और उनसे प्रेम करना सीखा? यीशु ने कहा है, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।”

   दूसरा, “जो मैंने तुम्हें दिया, उसके साथ तुमने क्या किया?" आपने अपने जीवन में परमेश्वर द्वारा दी गई प्रतिभा, क्षमता, अवसर, ऊर्जा, सम्बन्ध और साधनों का क्या किया? क्या आपने उन्हें अपने ऊपर व्यर्थ किया या उनका उपयोग उस उद्देश्य के लिए किया, जिसके लिए परमेश्वर ने आपको बनाया है?

   इन दो प्रश्नों के लिए आपको तैयार करना ही इस पुस्तक का लक्ष्य है। पहला प्रश्न यह निर्धारित करेगा कि आप अनन्तकाल का समय कहाँ बितायेंगे। दूसरा प्रश्न यह निर्धारित करेगा कि अनन्तकाल में आप क्या करेंगे। इस पुस्तक के अन्त तक आप दोनों प्रश्नों के उत्तर देने के योग्य हो जाएँगे।


अपने उद्देश्य के बारे में सोचना
   विचार करने का अंशः उद्देश्य पर जीना शांति का मार्ग है। याद करने योग्य पद्यः "प्रभु, जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।" यशायाह 26:3

   सोचने योग्य प्रश्न: क्या यही मेरे जीवन को चलाने वाली शक्ति है कि मेरे मित्र और मेरा परिवार क्या कहेगा? मैं क्या चाहता हूँ कि ये क्या हो?

3 आपके जीवन को क्या चलाता है?

1. उत्पत्ति 4:12 (NIV)

2. भजन संहिता 32:1 (LB)

3. अय्यूब 5:2 (TEV)

4. 1 यूहन्ना 4:18 (Msg)

5. मत्ती 6:24 (NLT)

6. यशायाह 49:4 (NIV)

7. अय्यूब 7:6 (LB)

8. अय्यूब 7:16 (TEV)

9. यिर्मयाह 29:11 (NCV)

10. इफिसियों 3:20 (LB)

11. नीतिवचन 13:7 (Msg)

12. यशायाह 26:3 (TEV)

13. इफिसियों 5:17 (Msg)

14. फिलिप्पियों 3:13 (NLT)

15. फिलिप्पियों 3:15 (Msg)

16. रोमियों 14:10 ब, 12 (NLT)

17. यूहन्ना 14:6 (NIV)