आप हमेशा-हमेशा के लिए बनाए गए हैं - भाग 4
फिर उसने..... अनादि-अनन्तकाल का ज्ञान उत्पन्न किया सभोपदेशक 3:11
निश्चय ही, परमेश्वर ने मनुष्य जैसे प्राणी की रचना सिर्फ एक दिन जीने के लिए नहीं की। नहीं, कदापि नहीं, मनुष्य को अमरता के लिए बनाया गया है। अब्राहम लिंकन
जीवन केवल इतना ही नहीं है।
पृथ्वी पर हमारा जीवन वास्तविक प्रदर्शन से पूर्व केवल ड्रेस रिहर्सल है। यहाँ से अधिक समय आप मृत्यु के उस पार - अनन्त काल में व्यतीत करेंगे। पृथ्वी एक मंच है, प्राथमिक पाठशाला और नित्यता में जीवन व्यतीत करने का अभ्यास-स्थल। यह वास्तविक खेल से पहले अभ्यास की कसरत; दौड़ शुरु होने से पहले गरमाहट के क्षण हैं। यह जीवन आने वाले जीवन की तैयारी है।
पृथ्वी पर आप अधिक से अधिक सौ वर्ष जी लेंगे, किन्तु अनन्त काल में आप सदैव रहेंगे। सर थॉमस ब्राउन के अनुसार पृथ्वी पर आपका समय "अनन्त काल का एक छोटा हिस्सा है।" आपकी सृष्टि हमेशा बने रहने के लिए की गई है।
बाइबल कहती है, “फिर उसने... अनादि-अनन्तकाल का ज्ञान उत्पन्न किया।" आप में एक पैदायशी प्रवृत्ति है जो अमर होने की लालसा रखती है और ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने आपको अनन्तकाल तक जीवित रहने के लिए अपने स्वरूप में बनाया है। जबकि हम ये अच्छी तरह से जानते हैं कि हम सबको एक दिन मरना है, फिर भी मृत्यु हमें हमेशा अस्वाभाविक और अनुचित लगती है।
एक दिन आपका हृदय धड़कना बन्द कर देगा। पृथ्वी पर आपकी देह और आपके समय का वो अन्त होगा, परन्तु वो आपका अन्त नहीं होगा। पृथ्वी पर आपकी देह आपकी आत्मा का अस्थाई निवास है। बाइबल इस देह को "डेरा" मगर भावी देह को "भवन" कहती है। बाइबल कहती है, "क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है।"
पृथ्वी पर जीवन हमें अनेक विकल्प देता है, जबकि अनन्त काल केवल दो स्वर्ग या नर्क। पृथ्वी पर परमेश्वर के साथ आपका सम्बन्ध, अनन्तकाल में उनके साथ आपके सम्बन्ध को निर्धारित करेगा। यदि आप परमेश्वर के पुत्र यीशु में विश्वास रखना और उनसे प्रेम करना सीखते हैं तो आपको परमेश्वर के साथ अनन्त जीवन जीने के लिए आमन्त्रित किया जाएगा। इसके विपरीत, यदि आप उनके प्रेम, क्षमा और मोक्ष का तिरस्कार करते हैं तो आप अपना अनन्तकालीन जीवन परमेश्वर से अलग व्यतीत करेंगे।
सी. एस. लूइस ने कहा है, “दो प्रकार के लोग होते हैं: एक तो वह जो परमेश्वर से कहते हैं, "आपकी इच्छा पूरी हो" और दूसरे वे, जिनसे परमेश्वर कहते हैं 'ठीक है, अपने ढंग से प्राप्त करो।" दुर्भाग्य से कई लोगों को परमेश्वर के बिना अनन्त जीवन को सहना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने इस संसार में उनके बिना जीने को चुना है।
जब आप ये पूरी तरह से समझ जाएँगे कि जीवन में वर्तमान से अधिक भी कुछ है और आपको यह अहसास हो जायेगा कि यह जीवन सिर्फ अनन्त काल की तैयारी है, तो आपके जीने का ढंग बदल जाएगा।
आप अनन्तकाल की रोशनी में जीने लगेंगे, और वह आपके हर एक सम्बन्ध, कार्य और परिस्थिति को जीवंत बना देगी। अचानक अनेक कार्य, लक्ष्य और बल्कि समस्यायें भी जो आपके लिए महत्वपूर्ण थे आपकी नजर में साधारण, छोटे और व्यर्थ लगने लगेंगे। जितना अधिक आप परमेश्वर के निकट रहेंगे दूसरी बातें आपको उतनी ही छोटी लगने लगेंगी।
जब आप अनन्त काल की रोशनी में जीते हैं तो आपकी मान्यताएं बदल जाती हैं। आप अपने समय और धन का उपयोग अधिक समझदारी से करने लगते हैं। आप अपने नाम, अपनी सम्पत्ति, अपनी उपलब्धियाँ यहाँ तक कि अपने मनोरंजन से ज्यादा तवज्जों अपने सम्बन्धों और अपने व्यवहार पर देने लगते हैं। आपकी प्राथमिकतायें बदल जाती हैं। आधुनिक फैशन, समय के साथ चलना, लोकप्रिय आदर्श आपके लिए कुछ मायने नहीं रखते। पौलुस ने कहा, "परन्तु जो-जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्हीं को मैंने मसीह के कारण हानि समझ लिया है।"
यदि आपका जीवन केवल इतना ही होता, जितने समय आप इस धरती पर हैं, तो मैं आपको सुझाव देता कि आप तुरन्त उसे जीना शुरु कर दें। आप भलाई और नैतिकता को भूल जाएँ और अपने कार्यों के परिणाम की चिन्ता न करें। आप पूर्ण रीति से आत्म-केन्द्रित हो सकते हैं क्योंकि आपके कार्यों का कोई दीर्घकालीन परिणाम नहीं होगा। परन्तु यही फर्क है- मृत्यु आपका अन्त नहीं! मृत्यु आपकी समाप्ति नहीं बल्कि अनन्तकाल में आपका परिवर्तन है। अतः पृथ्वी में किए गए प्रत्येक कार्य का अनन्त परिणाम है। हमारे जीवन का प्रत्येक कार्य किसी न किसी ऐसे तार को जरूर छेड़ता है जो अनन्तकाल में गूंजेगा।
Vishwasi Tv में आपका स्वागत है
Read More: ज्यादा बाइबल अध्ययन के लिए क्लिक करें:
समकालीन जीने का सबसे हानिकारक पहलू है अल्पकालीन सोच । जीवन का पूर्ण लाभ पाने के लिए आपको अपने दिमाग में अनन्तकाल का ख्याल और हृदय में उसका अर्थ हमेशा रखना होगा। जीवन, यहाँ और इस क्षण से भी और अधिक है! आज, बर्फीले पहाड़ की चोटी के समान है और अनन्तकाल उसके नीचे का हिस्सा जो हमें नहीं दिखता है।
अनन्तकाल में परमेश्वर के साथ रहना क्या है? वास्तविकता तो यह है कि हमारी बुद्धि इतनी सक्षम नहीं है जो स्वर्ग के आश्चर्य और महानता को सम्भाल सके। यह एक चींटी को इन्टरनैट के बारे में समझाने जैसा होगा। जो बेकार है। ऐसे शब्दों का अभी कोई अविष्कार ही नहीं हुआ जो अनन्तकाल के अनुभवों को बता सकें। बाइबल कहती है, “परन्तु जैसा लिखा है, जो बातें आँख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की है।"
परमेश्वर ने अपने वचन में अनन्तकाल की झलक दी है। हम जानते हैं कि परमेश्वर अभी भी हमारे लिए एक अनन्त निवास तैयार कर रहे हैं। स्वर्ग में हम अपने प्रियजनों से, जो विश्वासी हैं, पुनः मिलेंगे, पृथ्वी पर निवास के दौरान हमारी विश्वस्तता का प्रतिफल स्वर्ग में प्राप्त होगा और हमें वही कार्य दिया जाएगा, जिसे करते हुए हम आनन्दित होंगे।
हम विश्राम की खोज में नहीं होंगे वरन् परमेश्वर के साथ कभी न समाप्त होने वाली संगति का आनन्द लेंगे! और वे भी हमारे साथ खुशियाँ मनायेंगे। एक दिन यीशु कहेंगे, "हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया गया है।"
सी. एस. लूइस ने बच्चों के लिए लिखी अपनी सात पुस्तकों की एक श्रृंखला की एक पुस्तक, नारनिया के इतिहास के अन्तिम पृष्ठ पर अनन्तकाल की धारणा इन शब्दों में चित्रित की है: "हमारे लिए यह सभी कथाओं का अन्त है... किन्तु उनके लिए यह वास्तविक कहानी का आरम्भ मात्र था। इस जगत में उनका जीवन सारे समय... का आवरण और शीर्षक पृष्ठ ही थे: अब अन्त में वह उस महान श्रेष्ठ कथा का प्रथम अध्याय आरम्भ कर रहे थे, जिसे पृथ्वी पर किसी ने नहीं पढ़ा, जो हमेशा चलती रहेगी और जिसमें प्रत्येक अध्याय पिछले अध्याय से उत्तम है।"
परमेश्वर के पास आपके जीवन के लिए पृथ्वी पर एक उद्देश्य है, परन्तु वो यहीं समाप्त नहीं होता। इसका समापन यहाँ नहीं है, उनकी योजना में आपके लिए पृथ्वी पर व्यतीत करने वाले कुछ दशकों से कहीं अधिक है। यह एक सम्पूर्ण जीवन के अवसर से अधिक है। परमेश्वर आपको आपके जीवनकाल के परे एक अवसर देते हैं। बाइबल कहती है, “यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएँ पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।"
ज्यादातर लोग केवल अंत्येष्टि के समय ही अनन्तकाल के बारे में सोचते हैं, जो प्रायः अज्ञानता पर आधारित, हल्की और भावुक सोच है। आप समझ सकते हैं कि मौत के बारे में सोचना बिमारी है, किन्तु मृत्यु का इन्कार करके जीना और जो निश्चिंत है उस पर गौर नहीं करना ही वास्तव में अस्वस्थता है। केवल एक मूर्ख ही बिना तैयारी के जीवन जीता है, जबकि सभी ये जानते हैं कि अन्ततः क्या होगा। आपको अनन्तकाल के बारे में अधिक विचार करने की जरूरत है, कम नहीं।
जिस प्रकार माता के गर्भ में बिताये आपके नौ महीने स्वयं में अन्त नहीं वरन् जीवन की तैयारी के थे, वैसे ही वर्तमान जीवन भी आने वाले आगामी जीवन की तैयारी के लिए है। यदि परमेश्वर के साथ आपका सम्बन्ध यीशु के माध्यम से है तो आपको मृत्यु से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं। वह नित्यता का द्वार है। वह पृथ्वी पर आपका अन्तिम क्षण हो सकता है किन्तु आपका अन्त नहीं। बल्कि ये आपके जीवन का अन्त होने के बजाय, अनन्त जीवन में आपका जन्मदिन होगा। बाइबल कहती है, “क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थाई नगर नहीं, वरन् हम एक आने वाले नगर की खोज में हैं।"
अनन्तकाल की तुलना में पृथ्वी पर हमारा जीवन पलक झपकने के बराबर हैं, किन्तु इसके परिणाम चिरस्थाई है। इस जीवन के कार्य आने वाले जीवन की किस्मत है। "अतः हम सदा ढाढस बाँधे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।" "वर्षों पूर्व," आपके बाकि के जीवन का पहला दिन" जैसे एक लोकप्रिय नारे ने लोगों को प्रतिदिन जीने के लिए प्रोत्साहित किया। वास्तव में, समझदारी इसमें है कि हम अपना प्रत्येक दिन यह सोचकर जीयें की ये हमारे जीवन का अन्तिम दिन है। मैथ्यू हैनरी का कहना है, "हमारे अन्तिम दिन की तैयारी के लिए ही हमारे रोज के काम होने चाहिए।"
अपने उद्देश्य के बारे में सोचना
विचार करने का अंश: जीवन के लिए यहाँ और इस क्षण से अधिक वहाँ कुछ है !
याद करने योग्य पद्यः "सँसार और उसकी अभिलाषाएँ दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है वह सर्वदा बना रहेगा।" 1 यूहन्ना 2:17
सोचने योग्यः क्योंकि मेरी सृष्टि सदा के लिए की गयी है, अतः ऐसा एक क्या काम है जो मुझे आज से बन्द करना चाहिए और ऐसा क्या एक काम है जो मुझे आज से शुरु करना चाहिए।
भाग 4: सदा रहने के लिए बनाए गए हैं
1. सभोपदेशक 3:11 (NLT)
2. 2 कुरिन्थियों 5:1 (TEV)
3. फिलिप्पियों 3:7 (NLT) 3
4. 1 कुरिन्थियों 2:9 (LB)
5. मत्ती 25:34 (NIV)
6. सी. एस. लुईस, द लास्ट बैटल (अंतिम युद्ध) (न्यूयार्क: कॉलियर बुक्स, ( 1970), 184 )
7. भजन संहिता 33:11 (TEV)
8. सभोपदेशक 7:2 (CEV)
9. इब्रानियों 13:14 (LB)
10. 2 कुरिन्थियों 5:6 (LB)

0 टिप्पणियाँ