मृत्यु DEATH


मृत्यु के बारे में बाइबल क्या कहती है ? What does the Bible say about DEATH ?


परिचय

   पिछले अध्याय में हमने जीवन के विषय में अध्ययन किया था। हमने जीवन की परिभाषा दी थी और उसको समझने का प्रयास किया था। हमने निर्णय किया था कि समय का पल ही जीवन है जिसमें हमें अनन्तकाल की तैयारी करनी है। जीवन की शोकपूर्ण वास्तविकता यह है कि इसका अन्त देर-सवेर मृत्यु के द्वारा निश्चित होता है। जब तक कि यीशु कलीसिया को अपने साथ ले जाने के लिये पुनः वापिस नहीं लौट आता।

   हमें जीवन की परिभाषा करने में कठिनाई हुई थी। क्या हम मृत्यु की परिभाषा कर सकते हैं? मृत्यु, जीवन का प्रस्थान है-जीवन की समाप्ति है। मृत्यु सजीव से निर्जीव में परिणित हो जाना है। मृत्यु वह है जब हृदय धड़कना बन्द कर देता है, सांस चलनी बन्द हो जाती है, शरीर अकड़कर शव बन जाता है।

   मनीला टाइम्स में 9 अक्टूबर 1958 को इस शीर्षक के अन्तर्गत समाचार प्रकाशित हुआ था - "पवित्र - 12 अपनी मृत्यु की पीड़ा में।" पोप की आयु 

82 वर्ष की थी। क्या आप निश्चित रूप से कह सकते हैं कि आप 82 वर्ष तक जीवित रहेंगे?

   कहानी: लड़के ने माँ से पूछा, "लोगों की मृत्यु किस आयु में होती है?" माँ ने उससे कहा कि वह कब्रिस्तान जाकर कब्रों का नाप लें। लड़का इस परिणाम पर पहुँचा, "सभी आयु में लोग मरे थे।"

मानवों के लिए मृत्यु- शरीर, आत्मा और प्राण का अलगाव है: 

1) शरीर कब्र में चला जाता है और उसका विघटन हो जाता है।

2) आत्मा परमेश्वर के पास लौट जाती है। सभोपदेशक 12:7, “तब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी से मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिसने उसे दिया, लौट जाएगी।"

3) लूका 16: 19-31 के अनुसार प्राण दो स्थानों में से एक में जाता है:

अ) दुष्टों का प्राण नरक में, लूका 16:23 

आ) धर्मी का प्राण स्वर्गलोक में, लूका 16:22 ( इब्राहिम की गोद में); लूका 23:43 चोर मसीह के साथ स्वर्गलोक में था।


1. मृत्यु का मूल या उद्भव

   मृत्यु दो प्रकार की है, और दोनों ही का उद्गम अदन की वाटिका है।

1) आत्मिक मृत्युः उत्पत्ति 2:17, "क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खए, उसी दिन अवश्य मर जाएगा।" अदन की वाटिका में आदम और हव्वा फल खाने के उपरान्त भी शारीरिक रूप में नहीं मरे। उनकी आत्मिक मृत्यु हुई थी। इफिसियों 2:1 "उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। "

2) शारीरिक मृत्युः उत्पत्ति 3:21, परमेश्वर ने आदम और हव्वा को चमड़े के वस्त्र पहनाने के उद्देश्य से पशुओं को मारा। मरने वाला प्रथम मानव हाबिल था, जो आदम का पुत्र था और उसकी हत्या उसके भाई कैन ने की थी। उत्पत्ति 4:8 "तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़कर उसे घात किया।"


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2. मृत्यु का कारण

   आत्मिक मृत्यु का कारण परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारिता थी। याकूब 1:15, "फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।"

   मृत्यु पाप का सीधा परिणाम है। शारीरिक मृत्यु होने पर डॉक्टर मृत्यु के प्रमाण-पत्र पर अनेक बातों में से एक बात लिख सकता है, परन्तु वास्तविक उत्तर पाप है। पाप मूल कारण है, और बीमारी एक तात्कालिक साधन है जिसका प्रयोग परमेश्वर उस दण्ड की पूर्ति के रूप में करता है जिसकी घोषणा उसने मानव-जाति के लिए अदन की वाटिका में की थी। यहेजकेल 18:20, "जो प्राणी पाप करे, वही मरेगा।" रोमियों 6:23, "क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।" इब्रानियों 9:27, "मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।"


3. मृत्यु का विवरण 

शारीरिक मृत्यु का विवरण निम्नलिखित है:

1) सो जानाः यूहन्ना 11:11, "हमारा मित्र लाजर सो गया है।" 1 थिस्सलुनीकियों 4:14।

2) प्राण का ले लिया जाना: लूका 12:20, "हे मूर्ख इसी रात तेरा प्राण तूझसे ले लिया जाएगा । "

3) पृथ्वी पर डेरा सरीखा घर गिराया जानाः 2 कुरिन्थियों 5:1, "क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा।" 2 पतरस 1:14, "मेरे डेरे के गिराए जाने का समय शीघ्र आने वाला है।"

4 ) ऐसे स्थान पर जाना जहाँ से वापिस नहीं लौटा जा सकताः अय्यूब 16:22, "क्योंकि थोड़े ही वर्षों के बीतने पर मैं उस मार्ग से चला जाऊँगा, जिससे मैं फिर वापिस न लौटूंगा।" लूका 16:31 भी देखिए।

5) शान्त स्थानों में नीचे चले जानाः भजन संहिता 115:17, "मृतक जितने चुपचाप पड़े हैं, वे तो याह की स्तुति नहीं कर सकते।"

6) प्राण छोड़ देना: प्रेरितों के काम 5:10, "सफीरा", और लूका 23:46 में उद्धारकर्ता। अनन्त मृत्यु, परमेश्वर की उपस्थिति से सदा के लिए निर्वासन है। 2 थिस्सलुनीकियों 1:9, "वे प्रभु के सामने से, और उसकी शक्ति के तेज से दूर होकर अनन्त विनाश का दण्ड पाएंगे।" यही अनन्त मृत्यु है। अनन्त मृत्यु परमेश्वर से अलग हो जाना भी कहलाती है। इफिसियों 4:18, "क्योंकि उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है, और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।"


4. उपचार

   आधुनिक विज्ञान और डॉक्टर जीवन को और आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। जीवन की अवधि लम्बी हो भी रही है, परन्तु यह केवल मृत्यु दिवस को टालना ही है। हमारे लिए मरना निर्धारित किया गया है, इब्रानियों 9:27 हमारा जन्म ही मरने के लिए हुआ है: हमें मृत्यु से भेंट करनी ही होगी।

   मृत्यु का सच्चा उपचार केवल प्रभु यीशु मसीह में ही पाया जाता है। आत्मिक मृत्यु से मुक्ति प्रभु यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास करने के द्वारा प्राप्त होती है। यूहन्ना 5:24, "मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु वह मृत्यु के पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।"

   जब हम मसीह पर विश्वास करते हैं, पवित्र आत्मा हमारे जीवन में पुनर्जीवन का आश्चर्यकर्म सम्पन्न करता है, और हमें बदल कर परमेश्वर की सन्तान बना देता है, यूहन्ना 1:12 कलीसिया के उठाए जाने के द्वारा शारीरिक मृत्यु से बचा जा सकता है। परन्तु मसीह ने मृत्यु के अनुभव द्वारा हमारे ( मसीहियों) के साथ चलने की प्रतिज्ञा की है। भजन संहिता 23:4, “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है।" (वे लोग जो सच्चाई के साथ यह कह सकते हैं, "प्रभु मेरा चरवाहा है, "इस प्रतिज्ञा का भी दावा कर सकते हैं।)


5. मसीह की मृत्यु 

   यीशु क्रूस पर क्यों मरा? क्या यह एक संयोग था? निश्चय ही नहीं। परमेश्वर के वचन ने कहा था कि पाप के लिए किसी का मरना आवश्यक है। यीशु ने स्वेच्छा से मरने के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया। वह उस मृत्यु से मरा जिसमें मुझे और आपको अवश्य ही मरना चाहिए था। इब्रानियों 2:9, "ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिए मृत्यु का स्वाद चखे।"

   यीशु ने मृत्यु का कड़वा स्वाद आपके लिए चखा, अब उसको अधिक देर तक अस्वीकार न कीजिए। यीशु क्रूस पर आपके और मेरे लिए बलिदान के रूप में मरा। इफिसियों 5:2, “अपने आपको सुखदायक सुगन्ध के लिए परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया।

  मानव जाति के छुटकारे के लिए उद्धारकर्ता का मरना आवश्यक था। लूका 24:46, "लिखा है; कि मसीह दुख उठाएगा, और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा।"

   सुसमाचार क्या है? 1 कुरिन्थियों 15:1-4 इसे ऐसे परिभाषित करता है कि मसीह ने हमारे पापों के लिए दुख उठाया और पवित्रशास्त्र के अनुसार वह गाड़ा गया और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठा। अर्थात् सुसमाचार में मृत्यु सम्मिलित है, हमारे पापों के लिए उद्धारकर्ता की मृत्यु सम्मिलित है।


सारांश

   पिता की दृष्टि में धर्मी की मृत्यु मूल्यवान है। भजन संहिता 116:15, “यहोवा के भक्तों की मृत्यु उसकी दृष्टि में अनमोल है।"

   दुष्ट की मृत्यु से प्रभु अप्रसन्न होता है, यहेजकेल 33:11, "मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इससे कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने-अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ।"

   मैं आज आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप अपने पापों से फिरें, पश्चाताप करें और प्रभु के पास लौट आएं। प्रकाशितवाक्य 3:20, यीशु आपके हृदय के द्वार पर खड़ा खटखटा रहा है। अभी द्वार खोल दीजिए।

   कहानी: (Born Crucified, page 15) जॉर्ज वाएट विवाहित पुरुष था, उसके छः बच्चे थे, उसे सेना में भर्ती किया गया। रिचर्ड पैट एक अविवाहित युवक था, उसने स्वेच्छा से उसके स्थान पर अपने को प्रस्तुत किया। उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया; रिचर्ड पैट को युद्ध पर भेज दिया गया और वहाँ मारा गया। वाएट ने कहा, "वह मेरे लिए मरा।"

   यीशु क्रूस पर आपके लिए मरा। आज ही उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कीजिए।


पुनर्विचार के लिए प्रश्न

1. मृत्यु की व्याख्या कीजिए।
2. मृत्यु के समय त्रिभागी मनुष्य का क्या होता है?
3. मृत्यु की दो किस्में कौन सी हैं, और उनका उद्गम कहाँ से हुआ?
4. पाप का मूल कारण क्या है?
5. बाइबल में वर्णित मृत्यु के छः चित्रण प्रस्तुत कीजिए।
6. आत्मिक मृत्यु का उपचार क्या है?
7. एक गम्भीर रूप से रोगग्रस्त रोगी के लिए, भजन संहिता 23:4 अनमोल क्यों है?
8. क्या आपके विचार में यीशु एक शहीद की मौत मरा? क्यों?
9. सुसमाचार क्या है?
10. भजन संहिता 116:15 और यहेजकेल 33:11 में क्या विरोध है?