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एल्डरों और डीकनों के कर्त्तव्य - Duties of Eldrons and Deacons

एल्डरों और डीकनों के कर्त्तव्य-Duties of Eldrons and Deacons


प्रस्तावना

   परमेश्वर ने घोषणा की है कि कलीसिया का प्रबन्ध पास्टरों, एल्डरों तथा डीकनों द्वारा किया जाना चाहिए। 1 थिस्सलुनीकियों 5:12,13, "और हे भाइयों, हम तुमसे विनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो; और उनके काम के कारण प्रेम के साथ उनको बहुत ही आदर के योग्य समझो।"

   हमें शिक्षा दी गई है कि जो हम में परिश्रम करते हैं, हम उनको जानें। उनको व्यक्तिगत रूप से और निकटता से जानने के अनेक लाभ हैं। वे ईश्वरीय जन होते हैं, जो कि आपकी आत्मिक समस्याओं में आपकी सहायता कर सकते हैं।

   वे परिश्रम करते हैं (खेलते या अपना समय यूं ही व्यतीत नहीं करते), वे रुपये पैसे के लिए नहीं वरन कलीसिया की आत्मिक उन्नति और विस्तार के लिए परिश्रम करते हैं। परमेश्वर ने प्रभु में उनको हमारे ऊपर नियुक्त किया है। वे निर्दयी और कड़ाई से काम लेने वाले नहीं हैं, वरन दयालु, विवेकशील अगुवे हैं जो आपका मार्गदर्शन करने और आपकी सहायता करने के लिए सदा तैयार रहते हैं।

   वे हमें फटकारने के लिए हैं। उनकी फटकार को प्रभु की फटकार समझते हुए स्वीकार कीजिए। अपने सुधारे जाने की उनसे अपेक्षा रखिए, उनकी सच्ची प्रशंसा करते हुए उनको धन्यवाद दीजिए। बहुत सी कलीसियाओं में डीकन कलीसिया के कार्य-व्यापार और आर्थिक विषयों का प्रबन्ध करते हैं और एल्डर आत्मिक मामलों को सम्भालते हैं।

1. डीकन


1) डीकन कौन है?

   डीकनों के प्रथम बोर्ड में सात पुरुष सम्मिलित थे, प्रेरितों के काम 6:1-6 प्रेरितों की कलीसिया में उनकी सभी वस्तुएं साझे की होती थीं। कुछ लोगों ने शिकायत की कि उनको अपने भोजन का ठीक भाग नहीं मिलता है।

   प्रेरितों ने अनुभव किया कि उनकी सेवकाई प्रचार और शिक्षा देना है, इसलिए इस सांसारिक परन्तु आवश्यक कार्य को सम्भालने के लिए दूसरों को नियुक्त किया जाना चाहिए। प्रेरितों ने सब लोगों को इकट्ठा किया और इस काम के लिए सात व्यक्तियों को चुना।

2) डीकन की योग्यताएं क्या हैं?

क) वे ईमानदार होने चाहिए और कलीसिया के अन्दर और बाहर सुनाम होने चाहिए। प्रेरितों के काम 6:3, "अपने में से सात सुनाम पुरुषों को चुन लो।"

ख) वे मनुष्य पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हों। प्रेरितों के काम 6:3, "जो पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हों।" इफिसियों 5:18, "दाखरस से मतवाले न बनो, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।" एक शराबी या पवित्र आत्मा से रहित व्यक्ति अपने आप ही अयोग्य हो जाता है।

ग) बुद्धि से परिपूर्ण, प्रेरितों के काम 6:3, " और बुद्धि से परिपूर्ण हों। " हमें निश्चय ही इस कठिन कार्य के लिए स्वर्गीय बुद्धि की आवश्यकता होती है। यदि किसी योग्य व्यक्ति में बुद्धि का अभाव है तो यह उसका अपना ही दोष है क्योंकि याकूब 1:5 मसीही को बुद्धि प्राप्ति का निमन्त्रण है।

घ) गम्भीर, 1 तीमुथियुस 3:8, "वैसे ही सेवकों (डीकनों) को भी गम्भीर होना चाहिए।" इसका अर्थ है गम्भीर, परिपक्व । जो कोई हल्का, चंचल, अपरिपक्व, छिछोरा है, वह इसके योग्य नहीं है।


च) दो तरह की बात करने वाला न हो, 1 तीमुथियुस 3:8, “दो रंगी न हों।" अर्थात् वह एक व्यक्ति से कुछ और दूसरे से कुछ और कहने वाला न हो। वे अधिकार के साथ बोलने वाले और आदर के योग्य होने चाहिए, मत्ती 7:291


छ) शराब पीने वाला न हो, 1 तीमुथियुस 3:8, अर्थात् पियक्कड़ और फिजूलखर्च करने वाला न हो।


ज) नीच कमाई का लोभी न हो, 1 तीमुथियुस 3:8, जब वे दान एकत्रित करते हैं तो उसे अपने लिए न रखें, कहीं ऐसा न हो कि वे यहूदा इस्करियोती बन जाएं; यूहन्ना 12:6


झ) विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखें, 1 तीमुथियुस 3:9, अर्थात् सच्चे सिद्धान्तों का पालन करें। ट) एक ही पत्नी के पति हों, 1 तीमुथियुस 3:12, इसका अर्थ है उनका एक ही बार विवाह हुआ हो (इससे बहुविवाह का आशय नहीं है)।


ठ) लड़के-बालों और अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों, 1 तीमुथियुस 3:12 यदि वे इनकी अच्छी व्यवस्था नहीं कर सकते तो वे कैसे परमेश्वर की कलीसिया की देखभाल कर सकते हैं?

3) डीकनों के कर्त्तव्य क्या हैं?

क) प्रेरितों के काम 6:1-6 के अनुसार खिलाने-पिलाने और गरीबों की देखभाल करने की सेवकाई।

ख) आज वे व्यापार और कलीसिया की आर्थिक आवश्यकताओं का प्रबन्ध करते हैं। 

ग) कलीसिया का चन्दा जमा करना, बैंक का हिसाब-किताब रखना, पास्टर को वेतन देना, द्वारपाल, बिजली-पानी के बिलों का भुगतान, गिरजे की इमारत की पुताई और मरम्मत करवाना। 

घ) गरीबों की देखभाल करना। जहाँ और जब भी सम्भव हो उनकी सहायता करना।

च) उनको सन्डे स्कूल की कक्षा को सिखाने के योग्य होना चाहिए। 

छ) उनको समस्त मण्डली के लिए, गिरजे में उपस्थिति का एक आदर्श होना चाहिए।

ज) वे ऐसे व्यक्ति हैं जिनको किसी दिन उन्नत करके एल्डर बना दिया जाएगा।


4) महिला डीकन

   रोमियों 16:1, "मैं तुमसे फीबे की, जो हमारी बहन और किख्यिा की कलीसिया की सेविका है, विनती करता हूँ।"

   रोमियों 16:3, प्रिस्किल्ला भी एक सेविका थी। उसका उल्लेख प्रेरितों के काम 18 अध्याय में भी पाया जाता है।

क) योग्यताएं:
1) गम्भीरः 1 तीमुथियुस 3:11 गम्भीर, परिपक्व हो; कम आयु की. अपरिपक्व तथा मूर्ख न हों।

2) दोष लगाने वाली नहीं: 1 तीमुथियुस 3:11, आलसी या बकवास करने वाली न हों।

3) सौम्यः 1 तीमुथियुस 3:11, परिपक्व, सब बातों में सचेत और अच्छी सलाह देने वाली हों।

4) सभी बातों में विश्वासयोग्य हों: 1 तीमुथियुस 3:11 सिद्धान्तों, विश्वास, कार्यों और प्रेम में विश्वासयोग्य हों।

ख) महिला डीकन के कर्त्तव्यः
1) महिला प्रत्याशियों की बपतिस्मा में सहायता करना, और साथ ही उनको शिक्षा भी देना।

2) रोगियों से भेंट करना, कलीसिया की युवतियों और महिलाओं को उत्तम सुझाव देना।

3) सन्डे - स्कूल में शिक्षा देना, बच्चों को पवित्रशास्त्र की सच्चाइयाँ सिखाना।

2. एल्डर्स

1) एल्डर कौन है?

   वह यीशु ख्रीष्ट की कलीसिया के आत्मिक अगुवों में से एक है। पद में वह डीकन से ऊँचा है, परन्तु कलीसिया के पास्टर या सेवक से नीचे है। साधारणतः हाथ रख कर उसका सेवकाई के लिए अभिषेक किया जाता है। प्रेरितों के काम 14:23, "और उन्होंने हर एक कलीसिया में उनके लिए प्राचीन (एल्डर) ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके, उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा, जिस पर उन्होंने विश्वास किया था।"

   तीतुस 1:5, "नगर नगर प्राचीनों (एल्डरों को नियुक्त करें।" कुछ कलीसियाओं में यह जीवन भर की नियुक्ति होती है और कुछ में निर्धारित समय के लिए नियुक्ति की जाती है।

2 ) एक एल्डर की क्या योग्यताएं होती हैं?

क) निर्दोष, तीतुस 1:6 ईमानदारी के लिए ख्याति प्राप्त, अच्छे चरित्र और स्थिति का व्यक्ति हो।

ख) एक ही पत्नी का पति, तीतुस 1:6, उसका केवल एक ही बार विवाह हुआ हो।

ग) लड़के-बाले विश्वासी, आज्ञाकारी और अधीन रहने वाले हों, तीतुस 1:6  यह एक जांच है, यदि कोई अपने परिवार की अच्छी व्यवस्था करता है तो वह कलीसिया का भी प्रबन्ध कर सकता है।

घ) स्वेच्छाचारी न हो, तीतुस 1:6, उसे विनीत और शान्त स्वभाव का होना चाहिए; वह तानाशाह नहीं है।

च) जल्द क्रोध करने वाला न हो, तीतुस 1:7, धैर्यवान। उसको तग करने वाली बहुत सी बातें होंगी, परन्तु क्रोध और रोष का वहाँ कोई स्थान नहीं है।

छ) पियक्कड़ न हो, तीतुस 1:7 उसे पियक्कड़ और धन को फिजूल खर्च करने वाला नहीं होना चाहिए।

ज) मारपीट करने वाला न हो, तीतुस 1:7 उसे सन्तुष्ट होना और कुड़कुड़ाने वाला या शिकायत करने वाला नहीं होना चाहिए। 

झ) उसे नीच कमाई का लोभी नहीं होना चाहिए, तीतुस 1:7, ऐसा न हो कि कलीसिया का धन उसके लिए फन्दा बन जाए।

ट) पहुनाई करने वाला होना चाहिए, तीतुस 1:8, अपने संगी विश्वासियों और बाहर वालों पर अपना प्रेम प्रकट करने वाला।

ठ) भलाई को चाहने वाला, तीतुस 1:8, उसे सभी भली, शुद्ध और समुचित बातों का प्रेमी होना चाहिए।


3) एल्डर के कर्त्तव्य क्या हैं?

क) उसे कलीसिया की आत्मिक गतिविधियाँ सौंपी जाती है।

ख) उसको नियमित रूप से गिरजे जाने वाला और सभी विभागों में रूचि लेने वाला होना चाहिए। 

ग) कलीसिया के लिए एक उपयुक्त पास्टर का चुनाव करना।

घ) यदि पास्टर अनुपस्थित है तो मंच पर उसका स्थान लेना। घरेलू सभाओं से अनुभव प्राप्त करना।

च) विशेष अवसरों जैसे प्रचार आन्दोलनों, बी० बी० एस० आदि के लिए व्यवस्था करना।

छ) प्रभु भोज वितरण में पास्टर की सहायता करना।

ज) रोगियों से भेंट करना और याकूब 5:14 के अनुसार उनके लिए प्रार्थना करना।

झ) सार्वजनिक प्रार्थना में मार्गदर्शन करने की योग्यता, जिसमें पास्टर की प्रार्थना भी सम्मिलित है।

ट) कलीसियाई अनुशासन में सक्रिय भाग लेना (पाठ 68) चर्च काउन्सिल में बैठना। ठ) बपतिस्मा के लिए प्रत्याशियों की जांच करने में सहायता करना।

सारांश


   एल्डर (प्राचीन) दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं, 1 तीमुथियुस 5:17। जो लोग आपके ऊपर है उनकी आज्ञा का इब्रानियों 13:17 के अनुसार पालन कीजिए। अपनी कलीसिया के अगुवों के लिए प्रार्थना कीजिए, 1 तीमुथियुस 2:12। उनसे परमेश्वर के सेवकों के समान प्रेम रखिए, 1 थिस्सलुनीकियों 5:13

पुनर्विचार के लिए प्रश्न


1. 1 थिस्सलुनीकियों 5:12,13 से हम कलीसिया के अधिकारियों के विषय में क्या सीखते हैं?

2. डीकन कौन है?

3. डीकन की दस योग्यताएं बताइए। 

4. डीकन के छः कर्त्तव्य बताइए।

5. महिला डीकन की क्या योग्यताएं हैं?

6. महिला डीकन के कुछ कर्त्तव्य बताइए। 

7. एल्डर कौन है?

8. एल्डर की दस योग्यताएं बताइए।

10. एल्डर के दस कर्त्तव्य बताइए।

11. 1 तीमुथियुस 5:17; इब्रानियों 13:17; 1 तीमुथियुस 2:1, 2 और 1 थिस्सलुनीकियों 5:13 के अनुसार हमें कौन सी चार बातें कलीसिया के अधिकारियों को देनी चाहिए?