इस अध्याय में हम अध्ययन करेंगे कि यीशु मसीह हमारे लिए क्या कर रहा है, सात बातों को देखेंगे
- यीशु मसीह का प्रायश्चित कार्य (Atoning Work) इस पृथ्वी पर पूरा हो गया था।
- यीशु मसीह ने याजक बनने की शर्तें पूरी की
- यीशु मसीह को हारून के आदर्श पर याजक बनाया
- यीशु मसीह ने कलवरी पर स्वयं को बलिदान के रूप में चढ़ा दिया ( उसका बलिदान )
- यीशु मसीह अब हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति में प्रकट होता है
- यीशु मसीह अब हमारा अधिवक्ता है
- यीशु मसीह आज आपके लिए मध्यस्थ बनने के लिए स्वयं को प्रस्तुत करता है।
- यीशु मसीह का मध्यस्थता-कार्य - The Intercession Of Jesus Christ
यीशु मसीह का मध्यस्थता-कार्य - The Intercession Of Jesus Christ
भूमिका
क्या आज यीशु मसीह खाली बैठा हुआ है? वह अभी क्या कर रहा है? क्या वह अपना समस्त समय उद्धार प्राप्त लोगों के लिए जगह तैयार करने में ही व्यतीत करता है? यह उसके महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है।
यूहन्ना 14:2, "मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुमसे कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ।" इस सेवकाई के अतिरिक्त यीशु मध्यस्थता की सेवकाई में क्रियाशील है।
इब्रानियों 7:25, 'वह उनके लिए विनती करने को सर्वदा जीवित है।" इब्रानियों 9:24, "क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्र स्थान में, जो सच्चे स्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया, पर स्वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिए अब परमेश्वर के सामने दिखाई दे।" याजक एक मध्यस्थ होता है, वह दोषी पापी की ओर से धर्मी परमेश्वर से मध्यस्थता करता है।
लैव्यव्यवस्था 4:16-18, याजक प्रभु को लहू का बलिदान या पाप बलि चढ़ाता है। अय्यूब के हृदय में एक मध्यस्थ की अभिलाषा थी, उसे एक बिचवई की लालसा थी; अय्यूब 9:33, "हम दोनों के बीच कोई बिचवई नहीं है, जो हम दोनों पर अपना हाथ रखे।"
हम बहुधा बैतलहम और कलवरी के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं, इसके साथ ही हमें परमेश्वर के दाहिने हाथ पर विराजमान अपने वर्तमान समर्थक के लिए भी उसका धन्यवाद करना चाहिए जो हमारे लिए विनती करता रहता है।
दिन प्रतिदिन हमारा महायाजक हमारी ओर से पिता से विनती करता रहता है।
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1. यीशु मसीह का प्रायश्चित कार्य (Atoning Work) इस पृथ्वी पर पूरा हो गया था।
क्रूस पर यीशु ने कहा, "पूरा हुआ" यूहन्ना 19:30 उद्धार पूर्णत: सम्पन्न हो चुका है। क्रूस पर पाप से, धार्मिकता के साथ व्यवहार किया गया। यीशु फिर कभी पाप के लिए नहीं मरेगा। इब्रानियों 9:24-28, रोमन कैथलिक सम्प्रदाय के प्रतिदिन मिस्सा चढ़ाने के पाप और भूल को उजागार करता है।रोमन कैथलिक वास्तव में प्रत्येक बार मिस्सा चढ़ाने में कवलरी पर किए गए कार्य को फिर से स्थापित करने का प्रयास करते हैं। हम इसको ईश-निन्दा का कार्य समझते हैं क्योंकि पवित्र बाइबल के मना करने पर भी होता है।
2. यीशु मसीह ने याजक बनने की शर्तें पूरी की
1) उसे मनुष्यों में से लिया गया; इब्रानियों 5:1, "क्योंकि हर एक महायाजक मनुष्यों में से लिया जाता है, और मनुष्यों ही के लिए उन बातों के विषय में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती है, ठहराया जाता है; कि भेंट और पाप बलि चढ़ाया करे।'
2) उसका अभिषेक किया गया था या वह कार्य के लिए नियुक्त किया गया था; इब्रानियों 3:2, “जो ( मसीह यीशु ) अपने नियुक्त करने वाले के लिए विश्वासयोग्य था" ( एक महायाजक के रूप में )"
3) वह इस कार्य के लिए परमेश्वर द्वारा ठहराया गया था; इब्रानियों 5:45
4) उसने परमेश्वर से सम्बन्ध रखने वाली बातों में सेवा की; इब्रानियों 2:17, “जिससे वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती है, एक और विश्वासयोग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिए प्रायश्चित करे।"
5) उसने पापों के लिए भेंट और बलिदान चढ़ाया, इब्रानियों 5:1, यीशु मसीह ने स्वयं को बलिदान कर दिया।
2) उसका अभिषेक किया गया था या वह कार्य के लिए नियुक्त किया गया था; इब्रानियों 3:2, “जो ( मसीह यीशु ) अपने नियुक्त करने वाले के लिए विश्वासयोग्य था" ( एक महायाजक के रूप में )"
3) वह इस कार्य के लिए परमेश्वर द्वारा ठहराया गया था; इब्रानियों 5:45
4) उसने परमेश्वर से सम्बन्ध रखने वाली बातों में सेवा की; इब्रानियों 2:17, “जिससे वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती है, एक और विश्वासयोग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिए प्रायश्चित करे।"
5) उसने पापों के लिए भेंट और बलिदान चढ़ाया, इब्रानियों 5:1, यीशु मसीह ने स्वयं को बलिदान कर दिया।
3. यीशु मसीह को हारून के आदर्श पर याजक बनाया
इस पृथ्वी पर यीशु ने याजक का कार्य कभी नहीं किया। वह मन्दिर के परम पवित्रस्थान में कभी प्रविष्ट नहीं हुआ।
1) दोनों ही ने लोगों के सामने बलिदान चढ़ाया था, यीशु ने सार्वजनिक रूप में कलवरी पर स्वयं को चढ़ाया।
2) दोनों ही, लोगों के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में गए थे।
3) दोनों ही, लोगों को आशिष देने के लिए बाहर निकले थे।
फिर भी हारून मनुष्य होने के नाते मर गया परन्तु यीशु परमेश्वर होने के कारण हमारे लिए मध्यस्थता करने के लिए सदा जीवित है।
2) दोनों ही, लोगों के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में गए थे।
3) दोनों ही, लोगों को आशिष देने के लिए बाहर निकले थे।
फिर भी हारून मनुष्य होने के नाते मर गया परन्तु यीशु परमेश्वर होने के कारण हमारे लिए मध्यस्थता करने के लिए सदा जीवित है।
इस विषय में यीशु मलिकिसिदक के आदर्श का पालन करता है, जो सदा के लिए याजक है; इब्रानियों 5:6।
जब कि हम अभी पापी ही थे, उद्धारकर्ता हमारे लिए मर गया। वह यरूशलेम में मरा, वह फाटक के बाहर लज्जा के क्रूस पर मरा।
2) प्रतिस्थापितः इब्रानियों 9:24-28, वह मेरे बदले में मरा।
3) निष्कलंकः इब्रानियों 9:14, वह निष्कलंक था, पूर्णतः निष्पाप मेम्ना था इब्रानियों 7:26
4) लोहू के द्वारा: इब्रानियों 9:12, अपने ही लहू ईश्वरीय लोहू प्रेरितों के काम 20:28।
5 ) स्वीकार्य : इब्रानियों 13:20, 21, पिता के न्याय की संतुष्टि हो गई।
6 ) निर्णायकः इब्रानियों 7:27, अब कलवरी पर किए गए कार्य को दोहराने की आवश्यकता नहीं है।
1) स्थानः स्वर्ग में; इब्रानियों 9:1-8 याजक की जिम्मेवारियां बताता है। इब्रानियों 9:11, 12, "परन्तु जब मसीह आने वाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर जो हाथ का बनाया हुआ नहीं, अर्थात् इस सृष्टि का नहीं, और बकरों और बछड़ों के लोहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लोहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया, और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया।"
इब्रानियों 9:24, "मसीह ने स्वर्ग ही में प्रवेश किया।" प्रेरितों के काम 7:55।"
4. यीशु मसीह ने कलवरी पर स्वयं को बलिदान के रूप में चढ़ा दिया
जब कि हम अभी पापी ही थे, उद्धारकर्ता हमारे लिए मर गया। वह यरूशलेम में मरा, वह फाटक के बाहर लज्जा के क्रूस पर मरा।
उसका बलिदान:
1) स्वेच्छा से: स्वतन्त्र इच्छा से, इब्रानियों 10:5-10, उसने मरने के लिए अपने आप को प्रस्तुत किया था।2) प्रतिस्थापितः इब्रानियों 9:24-28, वह मेरे बदले में मरा।
3) निष्कलंकः इब्रानियों 9:14, वह निष्कलंक था, पूर्णतः निष्पाप मेम्ना था इब्रानियों 7:26
4) लोहू के द्वारा: इब्रानियों 9:12, अपने ही लहू ईश्वरीय लोहू प्रेरितों के काम 20:28।
5 ) स्वीकार्य : इब्रानियों 13:20, 21, पिता के न्याय की संतुष्टि हो गई।
6 ) निर्णायकः इब्रानियों 7:27, अब कलवरी पर किए गए कार्य को दोहराने की आवश्यकता नहीं है।
5. यीशु मसीह अब हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति में प्रकट होता है
1) स्थानः स्वर्ग में; इब्रानियों 9:1-8 याजक की जिम्मेवारियां बताता है। इब्रानियों 9:11, 12, "परन्तु जब मसीह आने वाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर जो हाथ का बनाया हुआ नहीं, अर्थात् इस सृष्टि का नहीं, और बकरों और बछड़ों के लोहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लोहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया, और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया।"
इब्रानियों 9:24, "मसीह ने स्वर्ग ही में प्रवेश किया।" प्रेरितों के काम 7:55।"
2) किसके लिए? अपने लोगों के लिए इब्रानियों 9:24, “ताकि हमारे लिए अब परमेश्वर के सामने दिखाई दे। " इब्रानियों 7:24 25 भी देखिए जो परमेश्वर के पास आते हैं उनके लिए वह मध्यस्थता करता है।
3) उसकी विनती का आधार स्वयं उसका लोहू है। इब्रानियों 9:12, अपने ही लोहू के द्वारा" यूहन्ना 17:1-26 ( उसकी महायाजकीय प्रार्थना ) यीशु पूरे किए गये कार्य के विषय में बताता है।
3) ताकि हम पाप और परीक्षा से बचे रहें, यूहन्ना 17:15,।
4) ताकि जब हम अपने पापों का अंगीकार कर लेते हैं, तो हमें क्षमा प्रदान की जाए; 1 यूहन्ना 1:9,।
5) ताकि हमें मसीह की साक्षी देने की शक्ति प्राप्त हो; प्रेरितों के काम 9:8,।
6) ताकि हम मसीह के स्वरूप के अनुरूप बनते जाएं; रोमियों 8:29,।
1) जीवन को कायम रखना; इब्रानियों 9:24,।
1) आवश्यकता के समय सन्तों को अनुग्रह प्रदान किए जाने के लिए; 2 कुरिन्थियों 12:9।
(2) निर्बल को शक्ति प्रदान किए जाने के लिए, यूहन्ना 17:113) ताकि हम पाप और परीक्षा से बचे रहें, यूहन्ना 17:15,।
4) ताकि जब हम अपने पापों का अंगीकार कर लेते हैं, तो हमें क्षमा प्रदान की जाए; 1 यूहन्ना 1:9,।
5) ताकि हमें मसीह की साक्षी देने की शक्ति प्राप्त हो; प्रेरितों के काम 9:8,।
6) ताकि हम मसीह के स्वरूप के अनुरूप बनते जाएं; रोमियों 8:29,।
1) जीवन को कायम रखना; इब्रानियों 9:24,।
2) शुद्धिकरण के लिए; 1 यूहन्ना 2:1।
3) अनुग्रह और सहायता प्रदान करने के लिए; इब्रानियों 4:15, 16
4 ) विजय निश्चित बनाने के लिए इब्रानियों 2:17.18।
3) अनुग्रह और सहायता प्रदान करने के लिए; इब्रानियों 4:15, 16
4 ) विजय निश्चित बनाने के लिए इब्रानियों 2:17.18।
6. यीशु मसीह अब हमारा अधिवक्ता है
शैतान परमेश्वर के सिंहासन के सामने भाइयों पर अभियोग लगाने वाला है; अय्यूब 1:6-12 । शैतान के अभियोगों को प्रभावहीन बनाने के लिए स्वर्ग के न्यायालय में हमारा एक विधिवक्ता है।हमारा विधिवक्ता अधिवक्ता (Lawyer- Advocate ) स्वयं प्रभु यीशु मसीह है । 1 यूहन्ना 2:1, 2, “हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिए लिखता हूँ कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धार्मिक यीशु मसीह और वही हमारे पापों का प्रायश्चित है।" बलिदान विधिवक्ता बन जाता है।
जब हम पाप करते हैं तो वह कलवरी पर अपने द्वारा पूरे किए गए कार्य के आधार पर हमारा पक्ष प्रस्तुत करता है। तब सन्त उद्धारकर्ता की खातिर पिता से क्षमा प्राप्त करता हैं, 1 यूहन्ना 1:9।
7. यीशु मसीह आज आपके लिए मध्यस्थ बनने के लिए स्वयं को प्रस्तुत करता है। यदि हम क्षमा की याचना नहीं करते तो हमें क्षमा प्राप्त नहीं होगी।
1) कठिन - मुकदमे के समय हमें इस बात से प्रसन्न होना चाहिए कि न्यायालय में हमारा एक सच्चा मित्र है।2) उद्धारकर्ता स्वर्ग के न्यायालय में हमारी सहायता के लिए सदा तैयार रहता है।
3) वह पिता के सम्मुख हमारा व्यक्तिगत प्रतिनिधि होने पर सहमत है।
3) वह पिता के सम्मुख हमारा व्यक्तिगत प्रतिनिधि होने पर सहमत है।
4) जब हम प्रार्थना करते हैं तो हम अपना मुकदमा उसकी दिव्य देख-रेख में, उसके हाथों में सौंप देते हैं।
5) एक वास्तविक मनुष्य होने के नाते, उसकी हमारे समान ही सभी बातों में परीक्षा ली गई, जैसे कि अभी भी हमारी परीक्षा ली जाती है, तौभी वह निष्पाप रहा। उसने पाप पर जय पायी और अब हमें विजय की सामर्थ्य देने को प्रस्तुत करता है।
6) हम उन अभियोगों को नहीं जानते जो शैतान, पिता के सम्मुख निरन्तर हमारे विरुद्ध लगा रहा है। इनमें से कुछ सच हो सकते हैं, परन्तु अधिकतर झूठे हैं।
प्रकाशितवाक्य 12:10, परमेश्वर के सामने हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला गिरा दिया गया।
7) हमारे प्रियजन, जो हमसे विदा हो चुके हैं या सन्त या मरियम हमारे अधिवक्ता नहीं हो सकते।
हमारी ओर से मसीह की वर्तमान मध्यस्थता की सेवकाई यही है। चूंकि वह सारी बातों को जानता है अतः वह परीक्षाओं के आने से पहले भी हमारे लिए विनती कर सकता है।
अपने प्रतिदिन के जीवन में अनुग्रह, शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए उसके हाथ में अपना मुकदमा सौंप दीजिए।
उसके धन्य स्वरूप के अनुरूप बनने के लिए अपना मुकदमा उसके हाथों में सौंप दीजिए; रोमियों 8:9
यीशु मसीह के मध्यस्थता के कार्य ने सुदृढ़ और प्रभावशाली मसीही जीवन व्यतीत करने के लिए दृढ़ उद्देश्य उपलब्ध किया है। पुनः जी उठा मसीह मुझे सतर्कता से देख रहा है।
मसीही सैनिक अपने कप्तान यीशु पर भरोसा रखता है जो कि यही युद्ध स्वर्गीय स्थानों में एक ऊँचे स्तर पर लड़ रहा है; इफिसियों 6:12।
एक विनीत विश्वासी अब उस अदृश्य मित्र के प्रेम पर आस्था रख, पूर्ण शान्ति प्राप्त करता है जिसकी विश्वसनीय देख-रेख घटनाओं या काल से अप्रभावित रहती है।
5) एक वास्तविक मनुष्य होने के नाते, उसकी हमारे समान ही सभी बातों में परीक्षा ली गई, जैसे कि अभी भी हमारी परीक्षा ली जाती है, तौभी वह निष्पाप रहा। उसने पाप पर जय पायी और अब हमें विजय की सामर्थ्य देने को प्रस्तुत करता है।
6) हम उन अभियोगों को नहीं जानते जो शैतान, पिता के सम्मुख निरन्तर हमारे विरुद्ध लगा रहा है। इनमें से कुछ सच हो सकते हैं, परन्तु अधिकतर झूठे हैं।
प्रकाशितवाक्य 12:10, परमेश्वर के सामने हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला गिरा दिया गया।
7) हमारे प्रियजन, जो हमसे विदा हो चुके हैं या सन्त या मरियम हमारे अधिवक्ता नहीं हो सकते।
सारांश
लूका 22:31, 32, और प्रभु ने कहा, "शमौन, हे शमौन, देख शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है, कि गेहूँ की नाई फटके, परन्तु मैंने तेरे लिए विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे। "हमारी ओर से मसीह की वर्तमान मध्यस्थता की सेवकाई यही है। चूंकि वह सारी बातों को जानता है अतः वह परीक्षाओं के आने से पहले भी हमारे लिए विनती कर सकता है।
अपने प्रतिदिन के जीवन में अनुग्रह, शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए उसके हाथ में अपना मुकदमा सौंप दीजिए।
उसके धन्य स्वरूप के अनुरूप बनने के लिए अपना मुकदमा उसके हाथों में सौंप दीजिए; रोमियों 8:9
यीशु मसीह के मध्यस्थता के कार्य ने सुदृढ़ और प्रभावशाली मसीही जीवन व्यतीत करने के लिए दृढ़ उद्देश्य उपलब्ध किया है। पुनः जी उठा मसीह मुझे सतर्कता से देख रहा है।
मसीही सैनिक अपने कप्तान यीशु पर भरोसा रखता है जो कि यही युद्ध स्वर्गीय स्थानों में एक ऊँचे स्तर पर लड़ रहा है; इफिसियों 6:12।
एक विनीत विश्वासी अब उस अदृश्य मित्र के प्रेम पर आस्था रख, पूर्ण शान्ति प्राप्त करता है जिसकी विश्वसनीय देख-रेख घटनाओं या काल से अप्रभावित रहती है।
पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. यीशु मसीह का वर्तमान कार्य क्या है?2. क्या यीशु मसीह अब भी उद्धार को पूर्ण करने में व्यस्त हैं? स्पष्ट कीजिए ।
3. यीशु ने याजक बनने की कौन सी पांच शर्तें पूरी की?
4. किसके आदर्श पर यीशु को याजक बनाया गया ?
5. कलवरी पर यीशु के बलिदान का वर्णन कीजिए।
6. यीशु अपने महायाजक के कर्त्तव्यों का पालन कहाँ कर रहा है?
7. महायाजक की पांच सम्भावित विनतियों के नाम बताइए ।
8. महायाजक का स्वर्ग में होना क्यों आवश्यक है ?
9. प्रकाशितवाक्य 12:10 से हमें क्या सान्त्वना मिलती है?
10. क्या लूका 22:31,32 में की गई यीशु की प्रार्थना एक असाधारण घटना थी? क्यों?
3. यीशु ने याजक बनने की कौन सी पांच शर्तें पूरी की?
4. किसके आदर्श पर यीशु को याजक बनाया गया ?
5. कलवरी पर यीशु के बलिदान का वर्णन कीजिए।
6. यीशु अपने महायाजक के कर्त्तव्यों का पालन कहाँ कर रहा है?
7. महायाजक की पांच सम्भावित विनतियों के नाम बताइए ।
8. महायाजक का स्वर्ग में होना क्यों आवश्यक है ?
9. प्रकाशितवाक्य 12:10 से हमें क्या सान्त्वना मिलती है?
10. क्या लूका 22:31,32 में की गई यीशु की प्रार्थना एक असाधारण घटना थी? क्यों?

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