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यीशु मसीह का पुनरुत्थान | Resurrection Of Jesus Christ

प्रस्तावना

पुनरुत्थान का सिद्धान्त नए नियम का बुनियादी सिद्धान्त है। पुनरुत्थान को नए नियम में 104 बार व्यक्त किया गया है।

मसीहियत ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसका प्रवर्तक जीवित है। बुद्ध की मृत्यु हो चुकी है। मोहम्मद साहब भी मर गए, मार्क्स ( साम्यवाद) मर चुका है।

मसीहियत का गौरव और महिमा खाली कब्र है, यीशु जी उठा है। क्रूस पर यीशु ने पुकार कर कहा, “पूरा हुआ," और पिता ने पुत्र को मृतकों में से जिलाने के द्वारा कहा," आमीन"। यदि यीशु कब्र में से नहीं जी उठा, तो हम सब मनुष्यों से अभागे हैं, क्योंकि हम अभी भी पापों में पड़े हैं, हम भटके हुए हैं. हम अनन्तकाल तक भटके रहेंगे; 1 कुरिन्थियों 15:16-191

यीशु ने कहा कि वह मर जाएगा और तीसरे दिन मुर्दों में से फिर जी उठेगा, मत्ती 16:21 |

यदि पुनरुत्थान सत्य है तो यीशु निश्चय ही परमेश्वर का पुत्र है। यह ऐसा आश्चर्यकर्म है जिस पर अन्य सभी आश्चर्यकर्म आधारित है।

यदि यह आश्चर्यकर्मों में से महान आश्चर्यकर्म सत्य है, तो अन्य सभी पर विश्वास करना सरल है।

1. पुनरुत्थान का प्रमाण

1) खाली कब्रः मत्ती 28:6, "वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है; यह स्थान देखो, जहाँ प्रभु पड़ा था।" लूका 24:3, और भीतर जाकर प्रभु यीशु की लोथ न पाई । "

2) स्वर्गदूतों की साक्षीः मत्ती 28:6 (ऊपर); लूका 24:5-7 भी देखिए" तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढती हो? वह यहाँ नहीं परन्तु जी उठा है; स्मरण करो, कि उसने गलील में रहते हुए तुमसे कहा था कि अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए, और तीसरे दिन जी उठे।" 

3) लोग जिन्होंने उसके पुनरुत्थान के बाद उससे बातचीत की वे हैं, पतरस, मरियम, क्लियोपास और थोमा । 

4) यीशु ने अपने पुनरुत्थान के बाद अपने मित्रों के साथ खाया-पिया और उनको अपने घाव दिखाए।

5) उसको पाँच सौ लोगों ने एक साथ देखा; 1 कुरिन्थियों 15:6, "फिर (यीशु) पाँच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिनमें से बहुतेरे अब तक वर्तमान है, पर कितने सो गए।

6) वह स्तिफनुस को उसके शहीद होते समय दिखाई दियाः प्रेरितों के काम 7:56, " कहा; देखो, मैं स्वर्ग को खुला हुआ और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर की दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ।

7) वह दमिश्क के मार्ग पर पौलुस पर प्रकट हुआः प्रेरितों के काम 9:5, उसने पूछा: प्रभु तू कौन है? उसने कहा: मैं यीशु हूँ, जिसे तू सताता है।

8) यह लाखों लोगों की साक्षी है जिन्होंने उसे एक जीवित उद्धारकर्ता प्रमाणित कर दिया है।

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2. यीशु के पुनरुत्थान का स्पष्टीकरण

1) छल कपट की परिकल्पना - यह पूरी कहानी एक धोखा है, यह जान-बूझ कर रचा गया ढोंग है। इतिहास और पवित्रशास्त्र ऐसे हास्यास्पद परिकल्पना का स्पष्टता से इन्कार करते हैं।

2) बेहोश होने की परिकल्पना - यीशु केवल बेहोश हो गया था, क्यों सौनिकों ने उसे जान से नहीं मारा था, और ठंडी कब्र और सुगन्धित द्रव्यों ने उसके होश लौटा दिए और उसे फिर जीवन प्राप्त हो गया। परन्तु इसके विपरीत वे सुगन्धित द्रव्य विषैले थे, इनसे तो तत्काल ही उसकी मृत्यु हो सकती थी ।

3) मतिभ्रम (Hallucination) की परिकल्पना-चेले यीशु को देखने के इच्छुक थे, और उनका विचार था कि वह जी उठेगा, इसलिए अपने विचारों में उन्होंने यह कल्पना कर ली कि उन्होंने उसको देखा। बाइबल हमें बताती है कि चेले अविश्वास में डूबे हुए थे और उसको देखने के बाद भी वे मुश्किल से विश्वास कर सके। थोमा ने तो बिना छुए उस पर विश्वास करने से इनकार कर दिया था। चेले अविश्वसनीय रूप में अविश्वासी थे जिसके लिए यीशु ने उनको झिड़का था; लूका 24:25 I

4) आत्मा की परिकल्पना- उन्होंने केवल उसकी आत्मा को देखा और उसको यीशु समझ लिया। आत्मा के शरीर और हड्डियाँ नहीं होतीं, वह खा-पी नहीं सकती; लूका 24:39,43

5) मन-गढ़ंत (डलजी) होने की परिकल्पना - यह एक काल्पनिक कथा है जो पूर्वजों ने हमें सौंपी है, इसमें सच्चाई नहीं है। बाइबल का समस्त धर्म-विधान और इतिहास इस परिकल्पना को झूठा ठहराते हैं।

6) सही स्पष्टीकरण - यीशु ख्रीष्ट कब्र से शरीर सहित जी उठा, जैसा कि उसने कहा था कि वह फिर जी उठेगा, प्रेरितों के काम 2:24, " परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ा कर जिलाया, क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।

3. उसका पुनर्जीवित शरीर

1) इसमें मांस और हड्डियां थीं, लूका 24:39, "मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो कि मैं वही हूँ: मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझमें देखते हो। "

2) यह एक महिमायुक्त शरीर था, फिलिप्पियों 3:21, "वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन हीन देह का रूप बदल कर अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।"

3 ) यह एक अमर शरीर था ऐसा शरीर जो कभी नहीं मरेगा, रोमियों 6:9, " क्योंकि यह जानते हैं कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर, फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।"

4) यह एक आत्मिक शरीर था, 1 कुरिन्थियों 15:44, "स्वाभाविक देह बोई जाती है और आत्मिक देह जी उठती है।"

5 ) आत्मिक शरीर में ठोस दीवार के अन्दर प्रविष्ट हो जाने की सामर्थ्य है, यूहन्ना 20:19, “उसी दिन जो सप्ताह का पहला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहाँ के द्वार जहाँ चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उनसे कहा, तुम्हें शान्ति मिले।"

4. यीशु मृतकों में से किस प्रकार जी उठा ? 

1) पिता की शक्ति द्वारा प्रेरितों के काम 2:23,24 " अधर्मियों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वा कर मार डाला। परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ा कर जिलाया । " प्रेरितों के काम 3:15, और 5:30 भी देखिए।

2) मसीह की स्वयं अपनी शक्ति द्वारा, यूहन्ना 2:19, “यीशु ने उनको उत्तर दिया; कि इस मन्दिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा।" यूहन्ना 10:18 भी देखिए।

3) पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा 1 पतरस 3:18, "वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया। "

5. पुनरुत्थान के परिणाम

1) यह परमेश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित करता है। यदि कोई परमेश्वर नहीं है तो यीशु मरे हुओं में से कैसे जी उठा? वह इसलिए फिर जी उठा कि एक जीवते परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया।

2 ) यह यीशु ख्रीष्ट के ईश्वरत्व को प्रमाणित करता है, रोमियों 1:4, "( वह) पवित्रता की आत्मा के भाव से मरे हुओं में से जी उठने के कारण सामर्थ्य के साथ परमेश्वर का पुत्र ठहरा है।"

3) इसका अर्थ यह है कि उद्धार एक पूरी की हुई वास्तविकता है। यीशु ने कहा कि उद्धार का कार्य उस समय पूरा हुआ जब वह क्रूस पर मरा और पुनरुत्थान इसको प्रमाणित करता है।

4) पुनरुत्थान इस तथ्य की निश्चयता है कि प्रत्येक व्यक्ति भी जी उठेगा।

  • धर्मी, अनन्त जीवन के लिए, और
  • अधर्मी एक कठोर न्यायी का सामना करने और हमेशा के लिए दोषी ठहराए जाने के लिए।

5) यह यीशु को उसकी अगली प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए तैयार करता है-"मैं फिर आऊंगा।"

6) उसकी "पुनरुत्थान की सामर्थ्य" (फिलिप्पियों 3:10), एक ऐसा अनुभव है जिसका हम आज भी अनुभव कर सकते हैं। इसका अर्थ एक नया जीवन व्यतीत करना है। जो कि हमें फिर जी उठे मसीह से मिलता है, जो अपना जीवन हमारे शरीरों द्वारा एक नए सिरे से जीता है।

सारांश

प्रार्थना की शक्ति के बाहर पुनरुत्थान संसार की सबसे महान शक्ति है।

पुनरुत्थान परमाणु हाइड्रोजन, कोबाल्ट और यूरेनियम (U235) की शक्ति से भी अधिक शक्तिशाली है।

उनमें नष्ट करने की शक्ति है: पुनरुत्थान में मरे हुओं को जीवन देने की शक्ति है।

कहानी: एक नास्तिक मर जाता है, और उसको पूरा निश्चय होता है कि वह फिर कभी जीवित नहीं होगा, उसकी वसीयत में एक धारा होती है, "मेरे शरीर का अग्नि-दाह किया जाए और मेरी राख को विमान द्वारा सातों समुद्रों में छितरा दिया जाए। " एक हजार वर्षों के बाद पुनरुत्थान में जब तुरही फूंकी जाती है तो वही शरीर फिर एक होकर यीशु ख्रीष्ट के सामने खड़ा होगा।

काश कि पुनरुत्थान की यही महान शक्ति, मेरे शरीर में व्याप्त होकर मुझे पाप से बचाए रखे। पुनरुत्थान एक आधार है जिस पर मसीहियत आधारित है।

पुनरुत्थान मसीही प्रमाणों का दृढ़ गढ़ है। यह अविश्वासवाद, अज्ञेयवाद और नास्तिकता की पूर्ण पराजय है।

चूंकि यीशु ख्रीष्ट जी उठा, इसलिए भौतिकवाद, नास्तिकता और साम्यवाद का पतन होना आवश्यक है। 

आज सबसे शक्तिशाली विजेता मृत्यु है जो एक कदम में भूमि को पार करके गोलार्ध में एक खाई खोद कर उसे मृतकों से भर देती है ( टालमेज)।

परन्तु पुनरुत्थान इससे भी बड़ी शक्ति है क्योंकि यह कब्र की शक्ति को तोड़ डालती है। आज हम विजयघोष करते हैं: "हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रही? हे मृत्यु (कब्र) तेरा डंक कहाँ रहा । " 1 कुरिन्थियों 15:55,56 हम जी उठे उद्धारकर्ता की सेवा करते हैं। वह आज इस संसार में है। जब हम विजेता यीशु ख्रीष्ट के नेतृत्व में कलीसिया के योद्धा के रूप में उसके पीछे कूच करते हैं तो विजय हमारी होती है। काश कि दूसरे लोग भी सचेत हो कि वह जीवित है, और वह हमारे शरीर में वास करके अपना जीवन व्यतीत करता है।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न

1. मसीहियत की असाधारण विशिष्टता क्या है?

2. पुनरुत्थान के छः प्रमाण प्रस्तुत कीजिए।

3. पुनरुत्थान की बेहोश हो जाने की परिकल्पना क्या है? क्या यह सच्ची परिकल्पना है? क्यों?

4. आप कैसे जानते हैं कि मतिभ्रम (Hallucination) की परिकल्पना झूठी है?

5. यीशु ख्रीष्ट के पुनरुत्थान का सही स्पष्टीकरण क्या है?

6. यीशु ख्रीष्ट के जी उठे शरीर की व्याख्या कीजिए।

7. यीशु ख्रीष्ट मृतकों में से कैसे जी उठा ?

8. यीशु ख्रीष्ट का पुनरुत्थान परमेश्वर के अस्तित्व को कैसे प्रमाणित करता है?

9. पुनरुत्थान के सिद्धान्त का बहुत से लोग क्यों इनकार करते हैं?

10. आप इस संसार की सबसे बड़ी शक्ति किसको मानते हैं?