यीशु मसीह का स्वर्गारोहण - Ascension Of Jesus Christ
1. स्वर्गारोहण की कथा
प्रेरितों के काम 1:9-11, "यह कह कर वह उनके देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया। और उनके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखों, दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उनके पास आ खड़े हुए और कहने लगे, हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुमने उसे स्वर्ग को जाते देखा है, उसी रीति से वह फिर आएगा।' "
इस विवरण को दो शब्दों में संक्षिप्त किया जा सकता है: उसका स्वर्गारोहण सशरीर और दृश्य रूप में हुआ।
2. स्वर्गारोहण की भविष्यद्वाणी की गई थी और बाइबल में इसकी शिक्षा दी गई थी।
भजन संहिता 68:18, "तू ऊँचे पर चढ़ा, तू लोगों को बन्धुआई में ले गया।"
भजन संहिता 110:1, "मेरे प्रभु से यहोवा (परमेश्वर) की वाणी यह है कि तू मेरे दाहिने हाथ बैठ, जब तक मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न कर दूं।" स्वर्गारोहण के पश्चात यीशु पिता के दाहिने हाथ बैठ गया।
लूका 9:51, 'जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ़ किया।" स्वर्गारोहण परमेश्वर की योजना में था।
यूहन्ना 6:62, "और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहाँ वह पहले था, वहाँ ऊपर जाते देखोगे, तो क्या होगा?"
यूहन्ना 14:28, "मैं जाता हूँ मैं पिता के पास जाता हूँ क्योंकि पिता मुझसे बड़ा है।"
यूहन्ना 20:17, "यीशु ने उससे कहा, मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जा कर उनसे कह दे कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूँ। "
पुराने नियम ने इसके विषय में बताया और यीशु ने खुल कर अपने स्वर्गारोहण की शिक्षा दी। ऐसा प्रतीत होता है कि शिष्यों ने इस बात को इतना नहीं समझा जितना कि उन्होंने उसकी मृत्यु गाड़े जाने और पुनरुत्थान की बहुमूल्य सच्चाइयों को समझ लिया था।
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3. स्वर्गारोहण, उसके पुनरुत्थान के चालीस दिनों के बाद हुआ।
यीशु ने पिता के पास वापिस लौटने में देरी की और वह इस पृथ्वी पर रुका रहा, उसके ऐसा करने के अनेक कारण थे।
1) जिससे लेश मात्र भी सन्देह न रहे कि वह वास्तव में मृतकों में से जी उठा है। ऐसा करना विश्वासियों के विश्वास की स्थापना के लिए परमावश्यक था।
2 ) वह इसलिए ठहरा रहा ताकि चेलों को मसीही विश्वास सम्बन्धी और अधिक निर्देश दे सके। अपने पुनरुत्थान के बाद के दिनों में अपनी पिछली शिक्षाओं को, जो कुछ हो चुका था उसकी मृत्यु, गाड़ा जाना और पुनरुत्थान के प्रकाश में, अधिक स्पष्टता से समझा सकता था।
प्रेरितों के काम 1:3, “उसने दुख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा, और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा।"
4. स्वर्गारोहण का ढंग
लूका 24:51, “और उन्हें आशिष देते हुए वह उनसे अलग हो गया और स्वर्ग पर उठा लिया गया। "
यीशु मसीह अब पिता के दाहिने हाथ बैठा है। इफिसियों 1:20, “जो उसने मसीह के विषय में किया कि उसको मरे हुओं में से जिला कर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर (बिठाया)। "
कुछ लोगों का इस अभिव्यक्ति "परमेश्वर के दाहिने हाथ" के लिए यह विचार है कि यह प्रतीकात्मक वाक्य है, जिसका अर्थ अधिकार है। जो भी हो मेरा विश्वास है कि यह अक्षरशः एक भौगोलिक स्थिति है, क्योंकि स्तिफनुस ने मसीह को वहाँ देखा था।
प्रेरितों के काम 7:56, "मैं स्वर्ग को खुला हुआ और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर की दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ।" यह सच है कि अनन्त परमेश्वर के लिए स्थान निर्धारित करना कठिन है, परन्तु ऐसा किया जा सकता है।
स्वर्गारोहण गुप्त नहीं, दृश्य था। इसको प्रेरितों ने देखा और इसकी साक्षी दी। यीशु मसीह व्यक्तिगत रूप से विदा हुआ, वह सशरीर और दृश्य रूप में उसी ढंग से ऊपर गया जिस ढंग से वह अपने दूसरे आगमन के समय पृथ्वी पर लौटेगा।
5. स्वर्गारोहण की आवश्यकता
स्वर्ग उसका घर था और यह तर्कसंगत है कि जब पृथ्वी पर उसका कार्य पूरा हो चुका था तो वह फिर अपने घर वापिस लौट जाए; यूहन्ना 24:28, "मैं पिता के पास जाता हूँ।"
भविष्यद्वाणी का पूरा होना आवश्यक था। उसने कहा था कि वह अपने पिता के पास लौट जाएगा और वह लौट गया; यूहन्ना 16 अध्याय । ईश्वरीय योजना यह थी कि यीशु मसीह के स्वर्गारोहण के पश्चात ही पवित्र आत्मा विश्वासियों के हृदय में वास करने के लिए आए। पिन्तेकुस्त के पहले स्वर्गारोहण आवश्यक था।
यूहन्ना 16:7, "मेरा जाना तुम्हारे लिए अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।”
यीशु मसीह का स्वर्गारोहण उसके आगे के कार्य अर्थात् जगह तैयार करने के लिए पूर्वापेक्षित था।
यूहन्ना 14:2, 3, “क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ, और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा।"
यह कितना अच्छा होता यदि यीशु मसीह अपने पुनरुत्थान के बाद सदाकाल के लिए इस पृथ्वी पर ही रहता, परन्तु कलीसिया के लिए परमेश्वर की ऐसी योजना नहीं थी।
1) यीशु छुटकारे के कार्य को पूरा करने के लिए ऊपर स्वर्ग में चला गया जिसका किया जाना आवश्यक था; यूहन्ना 20:16,17।
2) यीशु के स्वर्गारोहण से उसके अनुयायी प्रतिज्ञा किए हुए महान कार्यों को सम्पन्न करने योग्य बन गए; यूहन्ना 14:12| (3) यीशु परमेश्वर के सिंहासन के निकट, मध्यस्थता की सेवकाई पूरी करने के उद्देश्य से ऊपर स्वर्ग में प्रविष्ट हुआ ।
4) यीशु का स्वर्गारोहण उसकी सेवकाई को विश्वव्यापी बना देता है, वह उसे पलस्तीन तक ही सीमित नहीं रखता; मत्ती 28:18 |
5) स्वर्गारोहण पुनर्जीवित शरीर का एक दृढ प्रमाण और स्पष्टीकरण बन जाता है।
6. स्वर्गारोहण का अभिप्राय
यीशु पिता की महिमा करने के लिए स्वर्ग में गया; यूहन्ना 17:1, " हे पिता, वह घड़ी आ पहुँची, अपने पुत्र की महिमा कर, कि पुत्र भी तेरी महिमा करे। एक राजकुमार और उद्धारकर्ता बनने के लिए स्वर्ग में गया।
प्रेरितों के काम 5:31, "उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारक ठहरा कर अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्च कर दिया कि वह इस्राएलियों को मन फिराव की शक्ति और पापों की क्षमा प्रदान करे। "
यीशु एक अग्रदूत के रूप में, हमारे लिए एक मार्ग प्रशस्त करने के लिए स्वर्ग में गया। इब्रानियों 6:20, "यीशु हमारे लिए अगुआ की रीति पर प्रवेश हुआ है।" यीशु हमारे लिए स्वर्गीय स्थान तैयार करने के लिए स्वर्ग में गया, यूहन्ना 14:2 वह हमारा स्वर्गीय महायाजक बनने, इब्रानियों 9:21-24: और अपना उचित स्थान ग्रहण करने के लिए स्वर्ग में गया; इब्रानियों 10:12,13।
7. स्वर्गारोहण के परिणाम
उसने मनुष्यों को दान दिए इफिसियों 4:8 "वह ऊँचे पर चढ़ा, और बन्धुआई को बांध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।" क्या दान दिए ? पद 11 बताता है, नबी प्रेरित आदि।
चूंकि वह ऊपर चला गया इसलिए पवित्र नीचे उतरा; यूहन्ना 16:7 और प्रेरितों के काम 2:33। उसने प्रदर्शित किया कि पाप नीचे बैठने के द्वारा ही धोए गये, यह पूरे किए गये कार्य को दर्शाता है। इब्रानियों 1:3, " वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा।"
उसके स्वर्गारोहण के कारण ही अब हम साहसपूर्वक प्रार्थना में प्रभु के पास जा सकते हैं; इब्रानियों 4:14-16। चूंकि वह ऊपर स्वर्ग में गया इसलिए वह प्रत्येक व्यक्ति का उद्धार कर सकता है, इब्रानियों 7:25 वह एक पापी को अथाह कुण्ड से निकाल कर सर्वोच्च स्वर्ग में उठा कर अपने साथ रख सकता है।
उसकी स्वर्गीय उपस्थिति के कारण ही हम सच्चे मन और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिए हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं, इब्रानियों 10:22।"
वह स्वर्ग के प्रवेश द्वार पर खड़ा हुआ हमको " यीशु की ओर ताकते " रहने का संकेत कर रहा है, इब्रानियों 12:21 वह यात्रा के के रूप में खड़ा है। अन्त में लक्ष्य
स्थिति की दृष्टि से आज हम स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठे हुए हैं। इफिसियों 2:6, " और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।" वह इसलिए स्वर्ग में गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे; इफिसियों 4:10, “और जो उतर गया, यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे।"
अब जब कि वह स्वर्ग में चला गया है, स्वर्गदूत, अधिकार और शक्तियां उसके अधीन हैं। 1 पतरस 3:22, "वह स्वर्ग पर जो कर परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके आधीन किए गए हैं।" उसका स्वर्गारोहण, राज्याभिषेक बन गया है।
स्वर्गारोहण भक्ति की छ: रहस्यपूर्ण बातों में से एक बात बन जाती है; 1 तीमुथियुस 3:16।
सारांश
यीशु मसीह की उच्च प्रतिष्ठा के कारण, एक दिन हर घुटना प्रभु के आगे झुकेगा और हर जीभ अंगीकार करेगी कि यीशु मसीह प्रभु है, और यह परमेश्वर पिता महिमा है।
फिलिप्पियों 2:9-11, "इस कारण परमेश्वर ने उनको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।" आइए हम अपने उद्धारकर्ता की स्तुति करने के लिए उस दिन तक प्रतीक्षा न करें।
आइए हम इसी यीशु मसीह की आराधना करें और उसकी सेवा करें जिसने गुयत्व के नियम की उपेक्षा कर दी और वह सशरीर ऊपर चढ़ गया। आइए हम उसके स्वागत के लिए अपने को तैयार करें जब वह दृश्य रूप में सशरीर पृथ्वी पर लौटेगा।

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