प्रस्तावना


इस वास्तविकता को प्रकट करने के लिए तीन यूनानी शब्दों का प्रयोग किया गया है: 
(1) Parousia-personal presence 
(2) Apokalupsis revelation और 
(3) Epiphaneia-appearing.

ये शब्द सूचित करते हैं कि एक ऐसा समय होगा जब कि यीशु मसीह सार्वजनिक रूप से, स्वयं का संसार पर व्यक्तिगत प्रकाशन करने के लिए वापिस लौटेगा।

कुछ लोग यह शिक्षा देते हैं कि दूसरा आगमन मृत्यु के समय होता है, जब "यीशु आत्मा को लेने के लिए आता है, " परन्तु यह समस्त विश्व के लिए दृश्य सार्वजनिक प्रकाशन नहीं है।

प्रेरितों के काम 1:10,11 में स्वर्गारोहण का वर्णन है, जिसका हमने पिछले अध्याय में अध्ययन किया था, और यह वर्णन इस प्रकार था: (1) व्यक्तिगत (2) सशरीर (3) दृश्य और (4) सामर्थ्य सहित।

उद्धारकर्ता का प्रथम आगमन दीनता पूर्वक था, परन्तु दूसरा आगमन यशस्वी होगा।


वास्तव में उसके दूसरे आगमन से सम्बन्धित तीन बड़े दृष्टिकोण है। 

1) उत्तर- सहस्राब्दिक (Post-Millennial) दृष्टिकोण: (एक हजार वर्ष के स्वर्ण-युग के बाद) यह ऐसी शिक्षा देता है कि यीशु मसीह का दूसरा आगमन एक हजार वर्ष के स्वर्ण-युग से पहले नहीं, वरन उसके बाद होगा।

2) अ-सहस्राब्दिक (A Millennial) दृष्टिकोण: यह एक हजार वर्ष के काल पर अक्षरशः विश्वास नहीं करता, परन्तु ऐसा विश्वास करता है कि जैसे ही यीशु मसीह आता है सभी कुछ शीघ्र समाप्त हो जाता है।

3) पूर्व-सहस्राब्दिक (Pre-Millennial) दृष्टिकोणः प्रभु आता है और उसके आगमन के पश्चात् एक हजार वर्ष का स्वर्ण युग आता है।

एक अन्य समस्या यह है कि दूसरा आगमन दो चरणों में है:

1) हर्षोन्माद (Rapture) जो कि गुप्त है (1 थिस्सलुनीकियों 4:15-17), जबकि प्रभु अपने सन्तों को लेने के लिए आता है, और हम उससे हवा में भेंट करते हैं।

2) वह प्रकाशन जो कि सार्वजनिक हैं (प्रकाशितवाक्य 1:7) जब प्रभु अपने सन्तों के साथ एक हजार वर्ष का स्वर्ण-युग स्थापित करने के लिए आता है; 1 थिस्सलुनीकियों 3:13।

एक और अनसुलझी समस्या पूर्व-सहस्राब्दिकवादियों (Pre-Millennialists) की है और वह यह है कि कलीसिया महासंकट काल (Tribulation) में से गुजरेगी या नहीं, इस प्रकार पूर्व महासंकट काल (Pre-Tribulation) और मध्य-महासंकट काल (Mid Tribulation) विवाद का विषय बन जाते हैं।

1. यीशु के दूसरे आगमन की भविष्यद्वाणियां 


उसके प्रथम आगमन की भविष्यद्वाणियां की गई थीं और वे अक्षरशः पूर्ण हुई।

इससे हमें पूर्ण आश्वासन मिलता है कि उसके दूसरे आगमन की भविष्यद्वाणियां भी अक्षरश: पूरी होगी और वे प्रतीकात्मक या आत्मिक भाव से पूरी नहीं होगी।

1) इसको नबियों द्वारा पहले से बता दिया गया था: दानिय्येल 7:13, "मैंने रात में स्वप्न में देखा, और देखो, मनुष्य के सन्तान सा कोई आकाश के बादलों समेत आ रहा था।

2) इसको स्वयं यीशु ने पहले से बता दिया था मत्ती 25:31, जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्गदूत उसके साथ आएंगे, तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा।

3) इसको पौलुस ने पहले से बता दिया था 1तीमुथियुस 6:14, "तू हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष रख।"

4) इसको स्वर्गदूतों ने पहले से बता दिया था: प्रेरितों के काम 1:10,11, जब उद्धारकर्ता का इस पृथ्वी पर से स्वर्गारोहण हुआ था। उसके प्रथम आगमन पर इनमें से कोई भी भविष्यद्वाणी पूरी नहीं हुई।

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2. यीशु मसीह के आगमन का समय


यह इतना गुप्त है कि इसे केवल परमेश्वर ही जानता है, मत्ती 24:36, "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।"

यीशु मसीह मनुष्य के रूप में उस तारीख को नहीं जानता था, परन्तु यीशु मसीह परमेश्वर के रूप में सर्वज्ञानी है और निश्चित रूप से उस क्षण को जानता है जब यह घटना घटेगी।

मेरा विश्वास है कि यह एक गतिमान् तारीख है (2 पतरस 3:12) जिसको आगे बढ़ाया या पीछे हटाया जा सकता है। यह प्रत्येक जाति तक सुसमाचार पहुँचाने की तेज या धीमी गति पर निर्भर है: मत्ती 24:14


3. यीशु मसीह के आगमन का उद्देश्य


1) सन्तों का उद्धार पूर्ण करने के लिए: उसने हमें पाप के दण्ड और उसकी शक्ति से मुक्त कर दिया है, परन्तु तब वह हमें पाप की उपस्थिति से भी छुटकारा दिला देगा, इब्रानियों 9:28

2) अपने सन्तों में महिमा पाने के लिए: 2 थिस्सलुनीकियों 1:10, "जब वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने, और सब विश्वास करने वालों में आश्चर्य का कारण होने को आएगा।"

3) वह अन्धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाने आएगा: 1कुरिन्थियों 4:5 वही तो अंधकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों के उद्देश्यों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।

4) न्याय करने 2 तीमुथियुस 4:1, "मसीह यीशु जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा।"

5) राज्य करने के लिए प्रकाशितवाक्य 11:15, जगत का राज्य हमारे प्रभु का, और उसके मसीह का हो गया।"

6) हमें लेने के लिए ताकि हम उसके संग रहे: यूहन्ना 14:3, “मैं फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ, वहाँ तुम भी रहो।"

7) मृत्यु को नष्ट करने के लिए: 1 कुरिन्थियों 15:25-26, "क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा, वह मृत्यु है। "

4. यीशु मसीह कैसे आ रहा है?


क) गुप्त रूप से आएगा: 1थिस्सलुनीकियों 5:2, क्योंकि तुम आप ठीक जानते हो कि जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिन आने वाला है।"

मत्ती 24:44, "इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।" उससे मिलने के लिए आज ही तैयार रहिए।

ख) सार्वजनिक प्रकाशन (Revelation) परः प्रकाशितवाक्य 1:7, “देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी. वरन जिन्होंने उसे बेधा था, वे भी उसे देखेंगे।" मत्ती 24:30; तीतुस 2:13 

5. यीशु कहाँ पर आ रहा है।


क) हर्षोन्माद (Rapture) पर हम उससे हवा में भेंट करेंगे; 1 थिस्सलुनीकियों 4:17 1 

ख) प्रकाशन (Revelation) पर हम उसके साथ पृथ्वी पर नीचे उतरेंगे।
सम्भवत: वह जैतून पर्वत पर उतरेगा; जकर्याह 14:4

6. उसके आने का ढंग


1) बादलों में मत्ती 24:30, "मनुष्य के पुत्र को आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।"

2) अपने पिता की महिमा में मत्ती 16:27, “ मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा" 

3) अपनी स्वयं की महिमा में मत्ती: 25:31, "जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा।"

4) धधकती हुई आग में 2थिस्सलुनीकियों 1:7, 8, हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा, और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, (वह) धधकती और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते, उनसे पलटा लेगा । "

5 ) सामर्थ्य और महान ऐश्वर्य के साथ मत्ती 24:30 "मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।"

6) जैसे शरीर उसका स्वर्गरोहण हुआ; प्रेरितों के काम 1:9-11

7) ललकार और प्रधान दूत के शब्द के साथ: 1थिस्सलुनीकियों 4:16, " क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी।"

8) अपने सन्तों के साथ 1 थिस्सलुनीकियों 3:13, “जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए ।"

9) स्वर्गदूतों के साथ मत्ती 16:27,

10) अचानक: मरकुस 13:36, "ऐसा न हो कि वह अचानक आकर तुम्हें सोते पाए।"

7. यीशु मसीह के आगमन के 23 चिह्न 

2 तीमुथियुस 3:1-7 में उसके आने के चिह्न दिए गए हैं; उनमें से अधिकांश आज बहुत अधिक प्रत्यक्ष है।

(1) कठिन समय
(2) मनुष्य अपस्वार्थी होंगे
(3) लोभी
(4) डींगमार
(5) अभिलाषी
(6) निन्दक
(7) माता-पिता के अनाज्ञाकारी
(8) कृतघ्न
(9) अपवित्र
(10 मायारहित
(11) क्षमारहित
(12) दोष लगाने वाले
(13) असंयमी
(14) कठोर
(15) भले के बैरी
(16) विश्वासघाती
(17) ढीठ
(18) घमण्डी
(19) सुख-विलास के प्रेमी परमेश्वर के प्रेमी नहीं
(20) भक्ति का भेष धरने वाले
(21) पापों से दबी छिछोरी स्त्रियाँ
(22) सब प्रकार की अभिलाषाओं के वश में
(23) सदा सीखने वाली, पर सत्य की पहचान तक कभी न पहुँचने वाली।

मत्ती 24:5-7 और 12-38 में दस चिह्न दिए गए हैं:

(1) झूठे मसीह 
(2) लड़ाइयाँ और लड़ाइयों की 
(3) अकाल 
(4) महामारियां  
(5) भुईडोल 
(6) अधर्म का बहुत बढ़ जाना
(7) बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाना 
(8) खाना 
(9) पीना 
(10) विवाह करना।

दूसरे चिह्नों में निम्नलिखित सम्मिलित है: 

1) यरूशलेम का विनाश; लूका 21:20, 24 

2) कलीसिया का समापन; रोमियों 11:25

3) सर्वत्र सुसमाचार प्रचार किया जाना; मत्ती 24:14 ।

4) मसीह-विरोधी का आगमन 2 थिस्सलुनीकियों 2:3-8

सारांश

2 पतरस 3:3 में बताए गए लोगों के समान हंसी-ठट्ठा करने वाले न बनिए, क्योंकि उसका आगमन निश्चित और अनिवार्य है। क्या सब कुछ बेचकर उसके आगमन की प्रतीक्षा में किसी पर्वत के शिखर पर बैठ जाना उचित है? निश्चित रूप से नहीं।

हमें ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए और इस प्रकार कार्य करना चाहिए जैसे कि वह एक सौ वर्षों तक नहीं आएगा, परन्तु ऐसा शुद्ध और पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहिए जैसे कि वह आज ही वापिस आने वाला हो; 1 थिस्सलुनीकियों 3:12,13

इस सिद्धान्त का हमारे जीवन पर अवश्य प्रभाव पड़ना चाहिए। इससे हमें सतर्क और चौकस रहने की प्रेरणा प्राप्त होनी चाहिए।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न 

1. तीन यूनानी शब्द और उनके अर्थ बताइए जिनका प्रयोग यीशु के.आगमन के सम्बन्ध में किया गया है।

2. प्रेरितों के काम 1:10, 11, में कौन से तीन शब्द यीशु के दूसरे आगमन का वर्णन करते हैं?

3. चार लोगों के नाम बताइए और बाइबल में से उनके उदाहरण भी दीजिए जिन्होंने यीशु के दूसरे आगमन के विषय में भविष्यद्वाणियां की हैं।

4. यीशु मसीह कब वापिस लौटेगा ?

5. यीशु मसीह के आगमन के सात अभिप्राय बताइए ।

6. 1 थिस्सलुनीकियों 5:2 और मत्ती 24:44 से आप दूसरे आगमन के विषय में क्या सीखते हैं?

7. यीशु मसीह कहाँ पर आ रहा है? स्पष्ट कीजिए ।

8. यीशु मसीह के आने के ढंग के विषय में 10 बातें बताइए । 
9. उसके आगमन के दस चिह्न बताइए । पाँच 2 तीमुथियुस 3:1-7 से और पाँच मत्ती 24 अध्याय से। 

10. इस सिद्धान्त का व्यावहारिक उपयोग क्या है?