बपतिस्मा


प्रमुख पद

मत्ती 28:19-20.... सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ... और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।

मरकुस 16:16 जो व्यक्ति विश्वास करता और बपतिस्मा लेता है, वह बचाया जायेगा। 

यूहन्ना 3:5.... जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे, तब तक वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता है।

प्रेरितों के काम 2:38... मन फिराओ और बपतिस्मा लो... ताकि तुम्हारे पाप क्षमा किये जा सकें। 

प्रेरितों के काम 22:16... बपतिस्मा ले और उसका नाम लेकर अपने पापों को धो डाल

रोमियों 6:3-4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गये।

गलतियों 3:27... तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहन लिया है। 

इफ़िसियों 5:25-26... मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया. • उसको वचन के व्दारा जल के स्नान से शुद्ध करके पवित्र बनाया। 

तीतुस 3:5..... उसने (मसीह ने) हमें नये जन्म के स्नान और पवित्र आत्मा से नया बनाने के द्वारा, हमारा उद्धार किया है।

इब्रानियों 10:22... आओ हम परमेश्वर के समीप जायें..... विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर 1 पतरस 3:21... यह पानी (नूह के समय के जलप्रलय का पानी) उस बपतिस्मा का प्रतीक है जो तुम्हें अब बचाता भी है... यह यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, तुम्हें बचाता है।

पानी का बपतिस्मा क्या है?

मत्ती 28:19 में यीशु मसीह की आज्ञानुसार, पानी का बपतिस्मा पिता, पुत्र और आत्मा के नाम से व्यक्ति विशेष पर पानी छिड़कना, डालना अथवा उसे पानी में डुबाना है।

पुराने नियम में यहूदियों ने इसी तरह के बपतिस्मा की समान विधि का पालन किया। यह नर बालक के जन्म के आठवें दिन उसका खतना था (उत्पत्ति 17:10-14)। पौलुस ने कहा कि मसीह के विश्वासियों को शारीरिक खतना कराने की कोई ज़रुरत नहीं है (प्रेरितों के काम 15:1-29; गलतियों 5:2)। बाइबल के अधिकांश ज्ञाता मानते हैं कि कुलुस्सियों 2:11-12 का अर्थ है: जल के बपतिस्मा ने शारीरिक खतना का स्थान ले लिया है। यह स्वयं मसीह के द्वारा हमारे "आत्मिक खतना" से संबंधित है; जिसमें हमारा पुराना पापमय स्वभाव "काटकर" फेंक दिया जाता है।.

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने पापों की क्षमा के लिये, पश्चाताप के बपतिस्मा की विधि बतायी ( मरकुस 1 : 4 )। किंतु यह मसीही बपतिस्मा नहीं था। यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के बाद, यूहन्ना के बपतिस्मा को मसीहियों के लिये उपयुक्त नहीं समझा गया (प्रेरितों के काम 18:25)। इसलिये यूहन्ना ने जिन इफ़्रिसियों को पहले बपतिस्मा दिया था,

उन्हें प्रभु यीशु के नाम से बपतिस्मा दिया गया (प्रेरितों के काम 19:1-7)। तथापि, सिर्फ एक ही मसीही बपतिस्मा है (इफिसियों 4:5)।

यीशु ने खुद यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया (मत्ती 3:13-17)। यद्यपि वह निष्पाप था और उसे पश्चाताप की आवश्यक्ता नहीं थी; तौभी उसने सब धार्मिकता को पूरा करने के लिये बपतिस्मा लिया (मत्ती 3:15)। उसके पानी में बपतिस्मा लेने के बाद, पवित्र आत्मा उस पर कबूतर की नाई उतरा; ताकि उसे सेवा और कार्य के लिये सामर्थ मिल सके (मरकुस 1:10)।

यीशु ने क्रूस पर अपनी मृत्यु का वर्णन "बपतिस्मा" के रुप में किया (लूका 12:50)। यीशु की मृत्यु का बपतिस्मा और उसका पुनरुत्थान दोनों ही हमारे बपतिस्मा का आधार हैं; इनके कारण हम बपतिस्मा लेने के योग्य बनते हैं (रोमियों 6:3-4; कुलुस्सियों 2:12:1 पतरस 3:21 ) 

आरंभ से ही कलीसिया ने यीशु की आज्ञाओं का पालन किया है और नये विश्वासियों को बपतिस्मा दिया है। नये नियम में मसीही बपतिस्मा के मुख्य उदाहरण, प्रेरितों के काम 2:41:8:12; 8:38, 10:48, 16:15:16:33; 19:1-5 में पाये जाते हैं। इनमें से कई पदों में यीशु पर विश्वास करने के तुरंत बाद ही पानी में बपतिस्मा दिया गया है। कई लोगों को उनके पूरे परिवार के साथ बपतिस्मा दिया गया (प्रेरितों के काम 10:48 16:31-33)

मसीही धर्म के लिये बपतिस्मा कोई अनोखी बात नहीं है। मसीह से पहले समय में, गैर यहूदियों को यहूदी धर्म स्वीकार करने के लिये अक्सर पानी में बपतिस्मा लेना पड़ता था। मसीह के समय में, कुछ यूनानी "गुप्त" धर्मों में बपतिस्मा आवश्यक था। कभी-कभी व्यक्ति विशेष पर पानी के बदले खून टपकाया जाता था।

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हम पानी से बपतिस्मा क्यों देते हैं?

यीशु ने हमें नये विश्वासियों को बपत्सिमा देने की आज्ञा दी (मत्ती 28:19)। सभी संस्कृति और देश में, पानी के बपतिस्मा को व्यक्ति विशेष द्वारा अपना धर्म त्यागकर मसीही धर्म स्वीकार करने की प्रक्रिया के दृष्टिकोण से देखा जाता है। यह उद्धार प्राप्त करने के आरंभिक चरणों में से एक है (प्रेरितों के काम 2:38)। यीशु ने भी उद्धार की प्रतिज्ञा को बपतिस्मा से संबंधित किया (मरकुस 16:16)। कलीसिया के इतिहास में उद्धार के बपतिस्मा से संबंधित होने के विषय में कई भिन्न विचार पाये जाते हैं।

कई मसीही मानते हैं कि बपतिस्मा "अनुग्रह का एक स्रोत या साधन है; यह एक मार्ग है जिसके द्वारा हमें परमेश्वर का अनुग्रह दिया गया है। अनुग्रह का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है: परमेश्वर का वचन (रोमियों 10:17; 1पतरस 1:23)। ये मसीही विश्वास करते हैं कि परमेश्वर का अनुग्रह पानी के बपतिस्मा के द्वारा भी हमें प्राप्त होता है। यहां तक कि पानी के बपतिस्मा में परमेश्वर का लिखित वचन महत्वपूर्ण है (इफिसियों 5:26)। ये मसीही बपतिस्मा के बारे में इस प्रकार चर्चा करते हैं: इसमें एक बाहय और प्रत्यक्ष चिन्ह (पानी) और एक आंतरिक व आत्मिक वरदान ( मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान के साथ संयोजन, पापों की क्षमा तथा आत्मा के द्वारा कलीसिया की सदस्यता) सम्मिलित होते हैं। 

   इन मसीहियों का मत है कि विश्वास से पाये गये बपतिस्मा के द्वारा, हमारा जीवन सचमुच मसीह के साथ गाड़ा जाता है और पुनः जीवित होता है (रोमियों 16:3-4; कुलुस्सियों 2:12) तथा मसीह को पहिन लेता है। ( गलतियों 3:27)। चूंकि पतरस, प्रेरितों के काम 2:38 में, हमें बपतिस्मा के लिये बुलाता है; ताकि (हमारे) पाप क्षमा किये जा सकें। इसलिये, इन मसीहियों का मत हैं कि हम पानी के बपतिस्मा के द्वारा विशेष रीति से पापों की क्षमा प्राप्त करते हैं। 

   पतरस ने लिखा है: "पानी का दृटांत भी अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; (उससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परंतु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने का अर्थ है)" (1पतरस 3:2)। अतः ये मसीही कहते हैं कि बपतिस्मा के समय हमारे पाप वास्तव में "धो दिये गये हैं" (प्रेरितों के काम 22:16; इफिसियों 5:26; तीतुस 3:5: इब्रानियों 10:22 ) इनके दृष्टिकोण के अनुसार, बपतिस्मा हमारा वास्तव में आत्मिक खतना है अर्थात् अपने पापमय स्वभाव को त्याग देना है (कुलुस्सियों 2:11-12)। 

   यीशु ने कहाः "जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे, तब तक वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता है (यूहन्ना 3:5)। ये मसीही मानते हैं कि इस पद में "पानी" का प्रयोग बपतिस्मा के लिये किया गया है। 

   केवल पानी प्रभावहीन है; लेकिन पानी में बपतिस्मा को परमेश्वर की प्रतिज्ञा के वचन के साथ उसकी आज्ञा के रुप में प्रयुक्त किया जाता है (मरकुस 16:16; इफिसियों 5:26)। इसी कारण यह प्रभावशाली बन जाता है।' परमेश्वर बपतिस्मा में अनुग्रह देना चाहता है और देता है। किंतु इस अनुग्रह को विश्वास के द्वारा ग्रहण करना चाहिये। परमेश्वर की प्रतिज्ञा के वचन पर विश्वास किये बिना, हमें कोई लाभ नहीं होता है। पानी का बपतिस्मा परमेश्वर की प्रतिज्ञा के वचन पर हमारे विश्वास को दृढ़ बनाता है। 

   कई दूसरे मसीही नहीं मानते हैं कि पानी के बपतिस्मा में कोई विशेष अनुग्रह उपलब्ध होता है। चूंकि धर्मशास्त्र में कई पद सिर्फ यीशु पर विश्वास (यूहन्ना 1:12:3:16; रोमियों 10:9-10) या परमेश्वर के वचन पर विश्वास (रोमियों 1:16:10:17; 1पतरस 1:23) 

   परमेश्वर की आशीषों को प्राप्त करने का मार्ग है; इसलिये ये मसीही मानते हैं कि परमेश्वर का वचन सिर्फ "अनुग्रह प्राप्त करने का साधन" है। हमें उद्धार प्राप्त करने के लिये परमेश्वर के वचन को सुनने और यीशु पर विश्वास करने की ज़रुरत है। ये मसीही मानते हैं कि पानी का बपतिस्मा सिर्फ एक ऐसा चिंह है जो हमारे विश्वास करने के परिणाम को दर्शाता है। इनके विचार के अनुसार, बपतिस्मा वास्तव में हमें शुद्ध नहीं करता है अथवा विशेष रीति से हमारे पापों को क्षमा नहीं करता है। 

  यह सिर्फ एक प्रतीक है: मसीह के साथ हमारी मृत्यु का, हमारे द्वारा { मसीह को पहिनने का तथा मसीह के द्वारा हमारा खतना किये जाने का (रोमियों 6:3-5; गलतियों 3:27. कुलुस्सियों 12:11-12)। यह हमारे विश्वास करने पर होनेवाली प्रतिक्रिया को दर्शाने वाला केवल एक बाहय चिंह है। कुछ लोगों का मानना है कि यूहन्ना 3:5 में पानी से जन्म लेना शारीरिक जन्म को दर्शाता है। अन्य लोग मानते हैं कि पानी परमेश्वर के वचन को दर्शाता है। इनमें से कुछ मसीही यह भी कहते हैं कि बपतिस्मा व्यक्ति विशेष द्वारा मसीह में विश्वास करने की संसार के समक्ष गवाही है। इसलिये इसका आयोजन अलग एकांत में करने के बदले सार्वजनिक रुप से करना चाहिये। 

   इनमें से कुछ मसीहियों का मत है कि बपतिस्मा ठीक उसी प्रकार परमेश्वर द्वारा अपने लोगों के साथ सामूहिक रुप से वाचा स्थापित करने का एक चिंह है; जिस प्रकार पुराने नियम में खतना परमेश्वर द्वारा यहूदियों के साथ वाचा बांधने का एक चिंह था। वे इस धारणा के समर्थन के लिये कुलुस्सियों 2:11-13 का उल्लेख करते हैं।

बपतिस्मा के अर्थ के संबंध में कुछ सच्चे आत्मिक मसीहियों ने एक धारणा को माना है, तो कुछ अन्य दूसरी धारणा को मानते हैं। ये सभी मानते हैं कि ये बाइबल की शिक्षा का पालन कर रहे हैं। हम चाहे किसी भी धारणा को मानें, "हमें दूसरों को गलत समझकर उन पर दोषारोपण नहीं करना चाहिये। 

   इस संदर्भ में, बपतिस्मा की आवश्यक्ता और स्थिरता से संबंधित अनेक प्रश्न उठते हैं. पहला प्रश्न है: अगर किसी विश्वासी की मृत्यु बिना बपतिस्मा लिये हो जाती है, तो क्या होता है? बाइबल में इस विषय पर निश्चित रुप से नहीं बताया गया है। अधिकांशतः, सभी मसीही मानते हैं कि वह व्यक्ति बचाया गया है। मरकुस 16:16 के अनुसार, यह एक भ्रांतिपूर्ण व मिथ्यापूर्ण तथ्य है कि बपतिस्मा पाया हुआ व्यक्ति नर्क में जाता है। लूका 23:40-43 में मरते हुए अपराधी पराधी से स्वर्गलोक में ले जाने की प्रतिज्ञा की गयी थी; हालांकि उसके पास बपतिस्मा लेने का कोई अवसर नहीं था। तथापि, कलीसिया ने हमेशा यह विश्वास किया है कि बपतिस्मा को अस्वीकार करने वाला व्यक्ति एक खतरनाक स्थिति में होता है। क्या उस व्यक्ति का विश्वास सच्चा है? अगर हम जानबूझकर मसीह की आज्ञा को अस्वीकार करते रहेंगे, तो हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकेंगे (मत्ती 7:21)। इसलिये जब कलीसिया के अगुवे किसी व्यक्ति को बपतिस्मा देने के लिये तैयार हैं, तब उस व्यक्ति विशेष को देर नहीं करना चाहिये; बल्कि बपतिस्मा लेना, उसका प्राथमिक कार्य होना चाहिये।

   दूसरा प्रश्न यह है: अगर बपतिस्मा पाया हुआ विश्वासी परमेश्वर का विरोध कर पापमय जीवन बिताता है; परंतु बाद में पश्चाताप करके मसीह के पास वापस आ जाता है, तो क्या उसे फिर से बपतिस्मा लेने की जरूरत है? कलीसिया ने हमेशा उत्तर दिया है "नहीं"। सिर्फ एक बपतिस्मा है (इफिसियो 4:5)। परमेश्वर के द्वारा हमें उसकी संतान बनाने के उपरांत, संभवतः हम विद्रोह करते हैं तथा परमेश्वर के संतान होने के लाभ को गंवा देते हैं। अगर हम बाद में प्रायश्चित करते हैं, तो हमें ज़रूरत नहीं है कि हम उसके द्वारा गोद लिये जायें; वरन् केवल हमें क्षमा किये जाने की आवश्यक्ता है (लूका 15:11-24)। यद्यपि हम अविश्वासयोग्य है; तौभी परमेश्वर विश्वासयोग्य है (रोमियों 3:3, 11:29; 2 1:20)

   इससे संबंधित एक प्रश्न है: जब हमने एक कलीसिया में बपतिस्मा लिया है, तब क्या दूसरी कलीसिया में संगति रखने के लिये, हमें फिर से बपतिस्मा लेने की जरुरत है? इसका उत्तर है: नहीं। केवल एक मसीही बपतिस्मा है (इफिसियों 4:5)। अगर किसी विश्वासी ने पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा लिया है, तो उसे फिर से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता नहीं है।

बच्चों का बपतिस्मा

   कलीसिया में बच्चों के बपतिस्मा के लिये भिन्न विधियों का पालन किया जाता है। कलीसिया के इतिहास में बपतिस्मा पर की गयी प्रारंभिक चर्चा का उल्लेख किया गया है। इसमें शिशुओं के बपतिस्मा का भी उल्लेख है। इसके साथ ही यह दावा किया गया है कि सन् 1500 के समाज सुधार आंदोलन के दौरान, (रिफॉर्मेशन के समय) कुछ प्रोटेस्टेंट कलीसियाओं के मतानुसार केवल प्रौढ़ लोगों और बड़े बच्चों को बपतिस्मा दिया जाना चाहिये। आज अनेक कलीसियाएँ इस रीति का पालन करती हैं। इन कलीसियाओं के मसीहियों का कथन है कि बाइबल में शिशुओं के बपतिस्मा के बारे में कोई स्पष्ट उदाहरण नहीं दिये गये हैं। ये मानते हैं कि बपतिस्मा केवल ऐसे लोगों के लिये है जिन्हें मसीही विश्वास के बारे में सिखाया जा सकता है तथा जो अपने मुंह से यह कहकर स्वीकार कर सकते हैं कि यीशु ही प्रभु है (रोमियों 10:9-10)। बपतिस्मा से पहले प्रायश्चित जरुरी है (प्रेरितों के काम 2:38)। वे इसे "विश्वासियों का बपतिस्मा" कहते हैं (प्रेरितों के काम 8:37)। इनके विचारानुसार शिशु न तो पश्चाताप कर सकते हैं और न ही सच्चा विश्वास ला सकते हैं; इसलिये छोटे बच्चे बपतिस्मा के योग्य नहीं हैं। इनमें से अधिकांश कलीसियाओं में विश्वासी बच्चों के लिये बपतिस्मा की प्रारंभिक उम्र लगभग दस से बारह वर्ष है। अगर कोई बच्चा स्पष्ट रूप से अपने विश्वास को घोषित करता है, तो कुछ कलीसियाओं में पाँच या छः साल के बच्चे को बपतिस्मा दिया जाता है। इनमें से अधिकांश कलीसियाएँ, जिनमें शिशुओं को बपतिस्मा नहीं दिया जाता है; बपतिस्मा के स्थान पर शिशुओं के लिये अर्पण की विधि का पालन करती हैं।

   तथापि, अनेक प्रोटेस्टेंट मसीही माता-पिता शिशु के जन्म के तुरंत बाद ही शिशु को बपतिस्मा देने में विश्वास करते हैं। इन मसीहियों का कथन है कि बाइबल में ऐसा कोई उदाहरण उपलब्ध नहीं है; जिसके अनुसार आरंभिक कलीसिया में शिशुओं के लिये अर्पण का अधिकार निर्धारित किया गया है और न ही किसी मसीही मातापिता के द्वारा बाद में बच्चे को बपतिस्मा दिलाये जाने का कोई उल्लेख है। ये मसीही बताते हैं कि पूरे परिवार को बपतिस्मा दिया गया। संभवतः, पूरे परिवार में यहां बच्चों को सम्मिलित नहीं किया गया है (प्रेरितों के काम 16:15:16:33; कुरिंथियों 1:16)। ये मानते हैं कि बपतिस्मा, पुराने नियम में नर बालकों के खतना के समान है; यहूदी शिशुओं और यहूदी धर्म में परिवर्तित प्रौढ़ लोगों के लिये भी आवश्यक था। जब कई माता पिता अपने नवजात शिशुओं और बच्चों को यीशु के पास लाये, तब उसने कहाः "छोटे-छोटे बालकों को मेरे पास आने दो.... क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं के समान लोगों का है" ( मरकुस 10:13-16, लूका 18:16-17)। इसलिये इन कलीसियाओं का मत है कि यीशु के द्वारा चेलों को दी गयी यह आज्ञाः "तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो", सिर्फ परिवर्तित हुए प्रौढ़ लोगों के बपतिस्मा का ही उल्लेख नहीं करती है, वरन् शिशुओं और बच्चों के बपतिस्मा के बारे में भी बताती है (मत्ती 28:19; प्रेरितों के काम 2:39)। 

   बपतिस्मा के अर्थ पर यह प्रश्न केंद्रित होता है। क्या शिशु बपतिस्मा, बपतिस्मा के अर्थ के अनुरुप व अनुकूल है ? जो मसीही मानते हैं कि बपतिस्मा परमेश्वर के अनुग्रह को प्राप्त करने का एक मार्ग है; सामान्यतः वे शिशु- बपतिस्मा की रीति का पालन करते हैं। इनमें से कुछ लोग मानते हैं कि शिशु भी विश्वास कर (ला) सकते हैं (देखें- सामान्य अनुच्छेदः बच्चे और परमेश्वर का राज्य ) कुछ अन्य लोग मानते हैं कि माता-पिता का विश्वास पर्याप्त है (जैसा कि पुराने नियम में यहूदी खतना की विधि के बारे में मानते थे)। तथापि, बपतिस्मा पाये हुए व्यक्ति को प्रौढ़ होने के बाद उद्धार प्राप्ति के लिये मसीह पर विश्वास करना चाहिये। बपतिस्मा को सिर्फ एक चिंह मानने वाली कलीसियाएँ, शिशुओं के बपतिस्मा की रीति का पालन कर सकती हैं अथवा नहीं भी कर सकती हैं। अगर ये मानती हैं कि नये नियम के बपतिस्मा ने पुराने नियम के खतना (परमेश्वर द्वारा लोगों के समूह से वाचा बांधने का चिंह) का स्थान ले लिया है, तो सामान्यतः वे शिशु - बपतिस्मा की रीति का पालन करती है। अगर इन कलीसियाओं का मत है कि बपतिस्मा व्यक्ति विशेष के व्यक्तिगत विश्वास का संसार के सामने सार्वजनिक प्रमाण है अथवा व्यक्ति विशेष मसीह पर अपने विश्वास को शब्दों द्वारा स्वीकार करता है; तो ये तब तक इंतजार करेगी, जब तक व्यक्ति विशेष यीशु पर अपने विश्वास को घोषित करने योग्य पर्याप्त उम्र तक नहीं पहुंचता है।

बपतिस्मा की कौन सी विधि सही है?

बपतिस्मा की मुख्य तीन विधियाँ हैं: 1 पानी में डुबाना, 2 पानी छिड़कना और 3 पानी डालना। अधिकांश कलीसियाओं में व्यक्ति विशेष के सिर पर पानी छिड़कने अथवा डालने की विधि का पालन किया जाता है। यद्यपि अतीत में शिशु को पानी में डुबाकर बपतिस्मा दिया जाता था; लेकिन अब शिशुओं के बपतिस्मा में सामान्यतः पानी छिड़कने या डालने की विधि को माना जाता है। प्रौढ़ लोगों के बपतिस्मा के लिये सभी तीन विधियां उपयोग में लायी जाती हैं। अत्याधिक बीमार प्रौढ़ व्यक्ति अथवा संसार के प्रतिकूल स्थानों, जैसे मरुस्थल और बर्फीली जगह में रहने वाले लोगों को सामान्यतः डुबाकर बपतिस्मा नहीं दिया जाता है। तथापि, आरंभिक कलीसिया के समय से ही विभिन्न स्थानों में तीनों विधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं।

बाइबल में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि बपतिस्मा की विधि कैसे आयोजित और पूरी की जाती है। नये- नियम में बपतिस्मा सामान्यतः, नदियों में दिया जाता था (मरकुस 1:5) अथवा अधिक पानी वाली जगह में दिया जाता था (यूहन्ना 3:23)। संभवतः, ऐसे स्थानों में पानी में डुबाकर बपतिस्मा देना आसान था तथा यह वहां के लिये सामान्य विधि थी। परंतु कभी-कभी डुबाकर बपतिस्मा देना बहुत कठिन हो जाता था। उदाहरणार्थ, कूशी खोजा (इथियोपियन) को मरुस्थल में बपतिस्मा दिया गया (प्रेरितों के काम 8:36-38)। फिलिप्पी दरोगा (जेल अधिकारी) और उसके पूरे परिवार ने मध्यरात्रि में पौलुस के घाव धोने और उसे भोजन खिलाने के दौरान बपतिस्मा लिया (प्रेरितों के काम 16:33)। हृदय पखिर्तित किये हुए तीन हजार लोगों ने पिंतेकुस्त के दिन एक ही समय में बपतिस्मा लिया (प्रेरितों के काम 2:41 ) । इन कठिनाईयों के कारण, बाइबल के कई ज्ञाता मानते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में पानी को या तो छिड़का जाता था अथवा डाला जाता था।

   बपतिस्मा के लिये प्रयुक्त यूनानी शब्द के कई अर्थ हैं। सबसे अधिक सामान्य अर्थ है: "डुबाना"। मसीह के साथ हमारे मरने और गाड़े जाने के प्रतीक (रोमियों 6:3-4) को डुबाने के द्वारा अत्याधिक स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है। इसलिये कई कलीसियाओं में सिर्फ डुबाने के द्वारा बपतिस्मा दिया जाता है। तथापि, केवल "डुबाना" ही बपतिस्मा शब्द का अर्थ नहीं है। मरकुस 7:3-4 में विधिपूर्वक धोने की रीति के विवरण में, बपतिस्मा के लिये यूनानी शब्द का प्रयोग किया गया है; जिसका अर्थ है: "छिड़कना" (देखें लूका 11:38-39) अन्य जातियों के द्वारा "पवित्र आत्मा का बपतिस्मा प्राप्त करने का वर्णन किया गया है (प्रेरितों के काम 1:5); यहां उन पर आत्मा "उंडेला गया" (प्रेरितों के काम 2:17-18:10:44-45)। बाइबल में यह भी बताया गया है: "विवेक का दोषदूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जायें (यहेजकेल 36:25; इब्रानियों 10:22)। कई मसीहियों के अनुसार यह पानी के बपतिस्मा को दर्शाता है। इसलिये कई कलीसियाओं में पानी छिड़कने या डालने के द्वारा बपतिस्मा दिया जाता है।

सारांश

   उपरोक्त परिच्छेद में बपतिस्मा से संबंधित तीन प्रश्नों की चर्चा की गयी है: 1 ) बपतिस्मा का अर्थ क्या है यह अनुग्रह प्राप्त करने का जरिया है अथवा यह केवल एक प्रतीक है? क्या बपतिस्मा सिर्फ बड़े बच्चों और प्रौढ़ लोगों के लिये ही है या शिशुओं के लिये भी? क्या पानी प्रयुक्त करने की तीनों विधियाँ समान रूप से वैधानिक हैं अथवा सिर्फ डुबाना वैधानिक है? हम इस संदर्भ से संबंधित धर्मशास्त्र के अंशों का अध्ययन करने के बाद ही इनमें से किसी प्रश्न पर निर्णय ले सकते हैं। अगर हम अपेक्षाकृत भिन्न निर्णय लेते हैं, तो हमें उन रे मसीहियों पर दोषारोपण करते हुए उन्हें गलत साबित नहीं करना चाहिये। बाइबल में इन प्रश्नों के स्पष्ट उत्तर नहीं दिये गये हैं। हमें अपने विश्वास के कारण अपने आपको उन भाईयों और बहनों से अलग नहीं करना चाहिये, जिनके लिये मसीह ने अपना प्राण दिया। "एक ही देह है। और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गये थे अपने बुलाये जाने से एक ही आशा है। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा सबका एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सबके ऊपर, और सबके मध्य में, और सब में है" (इफिसियों 4:4-6)

टिप्पणियाँ

1. यद्यपि नामान के लिये यरदन नदी में चंगाई देने वाली कोई सामर्थ नहीं थी; तौभी परमेश्वर की आज्ञा मानने के कारण, नामान चंगा हुआ (2 राजा-5:9-14)। 
2. कुछ मसीहियों का कथन है कि हमारे विश्वास को विशेष रीति से बढ़ाने के कारण, बपतिस्मा "अनुग्रह का साधन" है।
3. नया नियम मूलतः यूनानी भाषा में लिखा गया था।