बपतिस्मा

प्रमुख पद

मरकुस 1:8.... वह (यीशु) तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देगा।

लूका 24:49.... जब तक स्वर्ग से सामर्थ न पाओ, तब तक तुम इसी नगर में ठहरे रहो।

यूहन्ना 14:16-17- मैं पिता से कहूंगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक देगा। 

यूहन्ना 20:22. उसने (यीशु ने उन पर श्वास फूंकी और कहा, "पवित्र आत्मा लो...." 

प्रेरितों के काम 1:5... कुछ ही दिनों में तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा लोगे। 

प्रेरितों के काम 1:8 परंतु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे। 

प्रेरितों के काम 2:1-4- वे सब पवित्र आत्मा से भर गये। साथ ही साथ वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।

प्रेरितों के काम 2:38-39- पतरस ने उत्तर दिया "....तुम पवित्र आत्मा का वरदान पाओगे..

प्रेरितों के काम 8:14-17- तब पतरस और यूहन्ना ने उन पर (सामरियों पर) अपने हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया।

प्रेरितों के काम 10:44-48- पवित्र आत्मा, वचन के सब सुनने वालों पर उतर आया... अन्यजातियों पर भी पवित्र आत्मा का दान उंडेला गया है।

प्रेरितों के काम 19:1-6- जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर (इफ़िसुस के लोगों पर) पवित्र आत्मा उतरा; और वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगे।

1कुरिंथियों 12:7-11- किंतु सब को लाभ पहुंचाने के लिये, हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है। एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें... दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें... किसी को विश्वास चंगा करने का वरदान ... सामर्थ के काम करने की शक्ति... भविष्यद्वाणी... आत्माओं की परख... अनेक प्रकार की भाषा बोलना.. भाषाओं का अर्थ बताना।

पवित्र आत्मा का बपतिस्मा क्या है?

सबसे पहले यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने पवित्र आत्मा के बपतिस्मा का उल्लेख किया (मत्ती 3:11; मरकुस 1:8: लूका 3:16)। यूहन्ना ने कहा कि वह पानी से बपतिस्मा देता है। परंतु यीशु विश्वासियों को पवित्र आत्मा और आग से (या में) बपतिस्मा देगा। 

एक पास्टर, पानी के बपतिस्मा के लिये विश्वासी को पानी से' बपतिस्मा देता है। पवित्र आत्मा के बपतिस्मा के लिये, यीशु स्वयं विश्वासी को पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देता है। 

यीशु ने प्रेरितों के काम 1:5 में एक शब्द का प्रयोग किया है जो यूहन्ना के पानी के बपतिस्मा और पवित्र आत्मा के बपतिस्मा के बीच अंतर दर्शाता है। 

यीशु ने पवित्र आत्मा के बपतिस्मा को एक समय काल के रुप में बताया है; जिसमें पवित्र आत्मा उसके चेलों पर "आयेगा" और वे सामर्थ प्राप्त करेंगे (प्रेरितों के काम 1:8)।

यीशु ने प्रेरितों के काम 1:4 और लूका 24:49 में अपने चेलों से कहा कि वे उसके सामर्थ की प्रतीक्षा करें। 

   चेलों ने प्रतीक्षा की; और उन्होंने पिंतेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा का बपतिस्मा प्राप्त किया (प्रेरितों के काम 2:1-4)। वे आत्मा की सामर्थ के द्वारा अन्य-अन्य भाषाएँ बोलने लगे। 
हम देख सकते हैं कि कुछ समय बाद, पवित्र आत्मा के सामर्थ और वरदान प्रेरितों तथा आरंभिक कलीसिया के प्राचीनों के द्वारा उपयोग में लाये गये (प्रेरितों के काम, अध्याय 3-9)। 

हम पूरे नये-नियम में, ऐसे लोगों के विषय में पढ़ते हैं, जिन्होंने पवित्र आत्मा से सामर्थ और वरदान प्राप्त किये (1 कुरिंथियों, अध्याय 12-14.2 कुरिंथियों 12:12 तीमुथियुस 4:13; 2तीमुथियुस 1:6) के क्या आज पवित्र आत्मा की सामर्थ और विशेष वरदान हमारे लिये भी उपलब्ध हैं अथवा नहीं? अगर वे उपलब्ध हैं, तो हम उन्हें कब और कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

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पवित्र आत्मा की सामर्थ के अनुभव 

   हमें बाइबल में यह शिक्षा दी गयी है कि पवित्रात्मा सभी विश्वासियों में रहता है (रोमियों 8:9 1 कुरिंथियों 6:19; गलतियों 4:6 किंतु वह विभिन्न विश्वासियों के जीवन में भिन्न-भिन्न तरह से सक्रिय हो सकता है। 

यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला अपनी माता के गर्भ से ही पवित्र आत्मा से भरपूर था (लूका 1:15.41-44)। 

यीशु के जल संस्कार (पानी का बपतिस्मा) के बाद, आत्मा यीशु पर कबूतर की नाई उतरा (मरकुस 1:10; यूहन्ना 1:32-33) 

यीशु ने पृथ्वी पर अपनी सेवकाई के दौरान मुख्यतः बारह चेलों और फिर सत्तर चेलों को बीमारियों से चंगाई देने और दुष्टात्माओं को बाहर निकालने का सामर्थ और अधिकार दिया (लूका 9:12 10:19, 17-19)। 

इसके बाद उसने प्रतिज्ञा की कि पवित्र आत्मा सिर्फ उनके साथ ही नहीं रहेगा; वरन् उनमें वास भी करेगा (यूहन्ना 14:16-17)। 

यीशु ने पिंतेकुस्त से पहले ही अपने चेलों पर श्वास फूंकते हुए कहाः "पवित्र आत्मा लो" (यूहन्ना 20:22)। परंतु उसने उन्हीं चेलों को पवित्र आत्मा के सामर्थ के साथ उन पर आने की प्रतीक्षा करने के लिये कहा। 

इसका मतलब है कि उसने चेलों को पवित्र आत्मा के बपतिस्मा की प्रतीक्षा करने के लिये कहा (लूका 24:49: प्रेरितों के काम 1:4)। 

प्रेरितों के काम की पुस्तक के 2 अध्याय में, उनके द्वारा सामर्थ और वरदान पाने के लिये पवित्र आत्मा ग्रहण करना, कलीसियाई युग के आरंभ को दर्शाता है। 

उन्होंने हर जगह प्रचार किया, चेले बनाये, उन्हें पानी से बपतिस्मा दिया तथा सामर्थ और वरदान प्राप्त करने के लिये, उन्हें पवित्र आत्मा को ग्रहण करने के लिये प्रोत्साहित किया (प्रेरितों के काम 8:14-17;9:17;19:1-6;1 कुरिंथियों 12:8-10)।

   प्रेरितों के काम की पुस्तक में यूनानी भाषा के कई ऐसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं, जो पवित्र आत्मा के बपतिस्मा के इस अनुभव को दर्शाते हैं। 

हमने "पवित्र आत्मा से बपतिस्मा" (प्रेरितों के काम 1:5:11:16), 
"सामर्थ प्राप्त करना" (प्रेरितों के काम 1:8) 
और पवित्र आत्मा का "उतरना" (प्रेरितों के काम 18:8; 10:44; 11:15; 19:6) 

आदि शब्दों पर पहले भी ध्यान दिया है। कुछ अन्य शब्द भी हैं जैसे, "पवित्र आत्मा से पूर्ण होना" (प्रेरितों के काम 10:45) 
और "पवित्र आत्मा ग्रहण करना" (प्रेरितों के काम 8:15;10:47;19:2)। 

ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन चेलों ने लूका 9:1-2;10:9,17-19 में सामर्थ और वरदान प्राप्त किये और यूहन्ना 20:22 में पवित्र आत्मा ग्रहण किया; उन्हीं चेलों ने प्रेरितों के काम 2 अध्याय में फिर से उसे "ग्रहण किया" (देखें प्रेरितों के काम 10:45)। जो चेले प्रेरितों के काम 2:4 में आत्मा से भर गये थे; वही चेले प्रेरितों के काम 4:31 में फिर आत्मा से भर गये। 

हम देख सकते हैं कि एक व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के अनुभव प्रदान किये जा सकते हैं। इसके साथ ही दो या तीन भिन्न व्यक्तियों को एक समान अनुभव प्रदान किया जा सकता है।
   सिर्फ यही नहीं; प्रेरितों के काम में एक ही समान अनुभव विभिन्न समय में भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रदान किया गया। कभी-कभी यह अनुभव प्राप्त होता है: 

1) किसी प्रकार से हृदय परिवर्तन के बाद और पवित्र आत्मा ग्रहण करने के बाद (यूहन्ना 20:22; प्रेरितों के काम 2:4; 4:31); 

2) हृदय परिवर्तन के बाद और पानी के बपतिस्मा के कुछ दिनों बाद (प्रेरितों के काम 8:9-17) 

3) हृदय परिवर्तन में और पानी के बपतिस्मा के पहिले (प्रेरितों के काम 10:44-48) 

4) हृदय परिवर्तन के बाद और पानी के बपतिस्मा के कुछ मिनट बाद (प्रेरितों के काम 19:1-6)। कुछ लोगों पर पवित्र आत्मा, उन पर हाथ रखने पर आया (प्रेरितों के काम 8:17; 9:17; 19:6; 2तीमुथियुस 1:6)। जबकि कुछ दूसरे लोगों पर पवित्र आत्मा, विशेष रीति से उनके ऊपर हाथ रखे बिना ही आगया (प्रेरितों के काम 2:4; 4:31; 10:44)
   
इसलिये हमें इन पदों के द्वारा मालूम होता है कि एक विश्वासी पर पवित्र आत्मा अलग तरह से आकर अलग तरह का कार्य कर सकता है। 

पवित्र आत्मा स्वतंत्र है। हमें उसके लिये अपने खुद के नियम निर्धारित नहीं करना चाहिये। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे जीवन में पवित्र आत्मा की सामर्थ परिलक्षित होती है अथवा नहीं। हमें प्रार्थना करना चाहिये कि वह सामर्थ प्रत्यक्ष रुप से प्रकट हो (प्रेरितों के काम 8:14-17: 9:17)। 

पवित्र आत्मा एक मसीही के जीवन में, चाहे जिस प्रकार से भी कार्य करे; हमें उस कार्य के लिये परमेश्वर की प्रशंसा और उसका धन्यवाद करना चाहिये। 

कलीसिया में पवित्र आत्मा का सामर्थ

   सभी मसीही विश्वास करते हैं कि यीशु पर विश्वास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ पवित्र आत्मा रहता है। (रोमियों 8:9; इफिसियों 4:30)। 

कई मसीही यह भी विश्वास करते हैं कि हम पानी के बपतिस्मा और प्रभु भोज के समय पवित्र आत्मा को विशेष रीति से ग्रहण करते हैं (1 कुरिंथियों 10:2-4, 12:13; तीतुस 3:5)। 
अन्य लोग विश्वास करते हैं कि पवित्र आत्मा, विशेष सेवकाई के लिये विशेष रीति से ग्रहण किया जा सकता है, उदाहरणार्थ; पास्टर, प्राचीन या मिशनरी (प्रेरितों के काम 6:6; 13:2-3; 1तीमुथियुस 4:14; 2तीमुथियुस 1:6) 

अथवा बार-बार सामर्थ और प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिये (प्रेरितों के काम 4:31)। 
   
आरंभिक कलीसिया में यह विश्वास किया जाता था कि मसीहियों ने कलीसिया के अगुवों के द्वारा उन पर हाथ रखे जाने पर पवित्र आत्मा से विशेष सामर्थ और वरदान प्राप्त किये ठीक इसी तरह की स्थिति प्रेरितों के काम 8:14-17 में देखने को मिलती है।

आरंभिक कलीसिया का विश्वास था कि यह अनुभव, हृदय परिवर्तन और पानी के बपतिस्मा के प्रचलित था। अनुभव से अलग था। कलीसिया के इतिहास के पहिले कई सौ वर्षों तक यह सामान्य विश्वास प्रचलित था।
   
तथापि, कलीसिया के बाद के इतिहास में, अधिकांश मसीही पवित्र आत्मा के विशेष सामर्थ अथवा वरदानों से संबंधित कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं करते हैं; जैसा कि । कुरिंथियों 12:7-11 में दर्शाया गया है। उदाहरणार्थ, अधिकांश लोगों ने ईखरीय सामर्थ के द्वारा किसी व्यक्ति को चंगा होते हुए कभी नहीं देखा। कई लोगों ने यह मानना आरंभ किया कि परमेश्वर ने विशेष सामर्थ और वरदान केवल आरंभिक कलीसिया को ही प्रदान किये थे। 

आज कुछ मसीही विश्वास करते हैं कि कई वरदान इस युग में हमारे लिये अब उपलब्ध नहीं हैं। वे कुरिंथियों 13:8-10 का उल्लेख करते हैं, जहां पौलुस कहता है कि जब सर्वसिद्ध आयेगा, तब भविष्यद्वाणियाँ, भाषाएँ और ज्ञान समाप्त हो जायेंगे। 

इन 7 मसीहियों का विचार है कि "सर्वसिद्ध" का तात्पर्व समाप्त हुए नये नियम से है; जिसे मसीह की मृत्यु के एक वर्ष के भीतर पूरा लिखा गया था।
   
लेकिन दूसरे अनेक मसीही विश्वास करते हैं कि सभी वरदान आज भी हमारे लिये उपलब्ध हैं। वे दावा करते हुए आगे कहते हैं कि हमने उनका अनुभव किया है। वे विश्वास करते हैं कि पौलुस । कुरिंथियों 13:8-10 में, भविष्य के उस समय का उल्लेख कर रहा है, जब हम यीशु को आमने-सामने देखेंगे (1 कुरिंथियों 13:12)1 वे बताते हैं कि कलीसिया के पूरे इतिहास काल में, पवित्र आत्मा का सामर्थ और वरदान समय-समय पर स्थान-स्थान में प्रकट हुए हैं। 

वास्तव में, बीसवीं शताब्दी के आरंभ से आत्मा के सामर्थ और वरदान ज्यादातर दिखाई दिये हैं। ये मसीही मरकुस 16:17-18, यूहन्ना 14:12; प्रेरितों के काम 2:17-18 में विश्वासियों के लिये विशिष्ट चिन्हों और वरदानों की गयी बड़ी प्रतिज्ञा का उल्लेख करते हैं।

हम कैसे और कब इस सामर्थ को प्राप्त करते हैं?

जो मसीही यह विश्वास करते हैं कि आधुनिक कलीसिया के लिये सामर्थ और वरदान उपलब्ध हैं, उनके बीच में ये कैसे और कब प्राप्त किये जाते हैं, के संबंध में कई भिन्न विचार पाये जाते हैं। कई लोगों का विश्वास है कि हृदय परिवर्तन के समय सभी विश्वासी "पवित्रात्मा का बपतिस्मा" प्राप्त करते हैं; जैसा कि प्रेरितों के काम 10:44 में बताया गया है। परंतु संभवतः कई वर्षों बाद किसी विश्वासी के जीवन में वरदानों का प्रकट होना शुरु होता है। 

मसीहियों का दूसरा समूह विश्वास करता है कि पानी के बपतिस्मा के समय "आत्मा का बपतिस्मा" होता है। ये मसीही मत्ती 3:16- 17 में, यीशु के पानी के बपतिस्मे और प्रेरितों के काम 19:5-6 में ऊपर आने का उल्लेख करते हैं। 

ये दोनों समूह विश्वास करते हैं कि प्रेरितों के काम के शेष ऐसे पद, जिनमें पवित्र आतमा के बपतिस्मा का जिक्र है; वास्तव में सामान्य रीति से आत्मा को ग्रहण करने के प्रति अपवादों का वर्णन करते हैं। जिसके लिये उनका मत है कि यह सामान्यतः हृदय परिवर्तन या पानी के बपतिस्मा के समय होता है। 

चूंकि पहले प्राप्त किये गये सामर्थ और वरदान, बाद में कई वर्षों तक प्रकट नहीं हुए, इसलिये इन मसीहियों का विचार है कि हमें परमेश्वर से इन्हें हमारे जीवन में प्रदर्शित करने के लिये प्रार्थना करना चाहिये।
   
मसीहियों के तीसरे समूह का मत है कि प्रेरितों के काम की पुस्तक के कुछ खंडों के मतानुसार सामर्थ और वरदान किसी भी समय प्राप्त किये जा सकते हैं, सिवाय हृदय परिवर्तन और पानी के बपतिस्मा के समय के (प्रेरितों के काम 2:8; 8:17; 2तीमुथियुस 4:14:2; 2तीमुथियुस 1:6)। वे विश्वास करते हैं कि व्यक्ति विशेष द्वारा मांगने और प्रार्थना करने पर पवित्र आत्मा का सामर्थ उस पर आयेगा। उनका कथन है कि यह सभी मांगनेवालों के लिये उपलब्ध है। वे यह भी मानते हैं कि अगर व्यक्ति विशेष कलीसिया के अगुवों से उस पर हाथ रखकर प्रार्थना करने का आग्रह करे, तो यह पवित्र आत्मा ग्रहण करने में उसके लिये सहायक है (प्रेरितों के काम 19:6)।
   
यहां दूसरा प्रश्न उठता है: हमारे जीवन में विभिन्न भाषाओं का वरदान कितना महत्वपूर्ण है? उपरोक्त तीन धारणाओं के मानने वाले सभी लोग, इस बात से सहमत हैं कि विभिन्न भाषा बोलने और अर्थ बताने का वरदान पवित्र आत्मा प्राप्त करने के चिन्हों में से एक है। विभिन्न भाषा बोलने का वरदान, आत्मा के द्वारा प्रदान की गयी एक ऐसी विशेष भाषा बोलने की योग्यता है, जिसे व्यक्ति विशेष ने पहले कभी नहीं सीखा या जाना (1 कुरिंथियों 12:10; 14:1-5)। 

नये नियम में, पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाये हुए अधिकांशतः सभी लोग दूसरी भाषा में बातें करते और परमेश्वर की प्रशंसा करते थे (मरकुस 16:17; प्रेरितों के काम 2:4; 10:46; 19:6; Iकुरिंथियों 14:18)। लेकिन अन्य भाषा बोलने का वरदान, सभी विश्वासियों के लिये है अथवा सिर्फ कुछ लोगों के लिये; इस बात पर भिन्न विचार पाये जाते हैं।
   
कुछ मसीहियों का मत है कि परमेश्वर चाहता है: केवल कुछ लोग ही विशेष भाषा बोलें। यह एक वास्तविक तथ्य है कि अनेक आत्मिक मसीहियों ने इस वरदान को प्राप्त नहीं किया है। पौलुस ने स्वयं कहाः "क्या सब लोग नाना प्रकार की भाषाएँ बोलते हैं (1 कुरिंथियों 12:30) ? पौलुस का तात्पर्य यह है कि सभी लोग विभिन्न भाषाएँ नहीं बोलते हैं। 

ऐसा दृष्टिकोण रखने वाले मसीही संभवतः मानते हैं कि परमेश्वर से नाना प्रकार की भाषाएँ बोलने का वरदान मांगना उचित है; क्योंकि इस वरदान के द्वारा बहुत सी आशीषें प्राप्त की जा सकती हैं। किंतु वे बताते हैं कि बाइबल में, विभिन्न भाषाएँ बोलना सबके लिये आवश्यक है अथवा नहीं; स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है।
   
तथापि दूसरे मसीही मानते हैं कि पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाने का मुख्य चिन्ह या प्रमाण, विशेष भाषा बोलने की योग्यता है। वे पौलुस के लिखित वक्तव्य का उल्लेख करते हैं: वह चाहता था कि कुरिन्थुस की कलीसिया के सब लोग दूसरी भाषा बोलें (1 कुरिंथियों 14:5) | 

अतः इन मसीहियों का मत है कि अन्य भाषा बोलने के दो तरह के वरदान हैं: पहला, सार्वजनिक रूप से दूसरों से परमेश्वर का संदेश कहने का वरदान; जो अनुवाद करने की योग्यता सहित केवल कुछ लोगों को ही प्रदान किया जाता है (1 कुरिंथियों 14:15, 13, 26-27); 
   दूसरा, परमेश्वर की प्रशंसा और प्रार्थना करने के लिये व्यक्तिगत आराधना करने के लिये व्यक्तिगत आराधना करने का वरदान; जो सभी विश्वासियों को प्रदान किया गया है (1कुरिंथियों 14:2, 15-17)। इनके विचारानुसार, 1कुरिंथियों 12:30 में केवल "संवाद देने या कहने" की पहली तरह की भाषा का उल्लेख किया गया है। 
   दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि कलीसियाई आराधना के दौरान सिर्फ कुछ लोग ही मण्डली को दूसरी भाषा में विशेष संदेश दे सकते हैं। तथापि, इन मसीहियों के अनुसार, सब लोगों को दूसरी भाषा में बिना अनुवाद के ही परमेश्वर की प्रशंसा और प्रार्थना करना चाहिये (1 कुरिंथियों 14:2,28) तथा इस व्यक्तिगत वरदान के द्वारा आशीष प्राप्त करना चाहिये।
   
तीसरी धारणा को मानने वाले अन्य मसीही मानते हैं: यद्यपि परमेश्वर पवित्र आत्मा के बपतिस्मा के अवसर पर व्यक्तिगत तरह की भाषा बोलने की योग्यता देता है; तौभी प्रत्येक व्यक्ति उसे तुरंत ही प्रयोग में नहीं लाता है। कुछ लोग इस वरदान के बारे में नहीं जानते हैं; कुछ अन्य लोग किसी कारणवश इसका उपयोग नहीं करते हैं। ये मसीही नहीं मानते हैं कि अन्य भाषा बोलना सिर्फ पवित्र आत्मा के बपतिस्मा का चिन्ह है। आत्मा का कोई भी वरदान, इस बात का चिंह हो सकता है कि हमारे जीवन में पवित्र आत्मा का सामर्थ आया गया है। यह तीसरा समूह, पहले समूह के इस दृष्टिकोण से सहमत है कि प्रत्येक व्यक्ति को अन्य भाषा बोलने की ज़रुरत नहीं है। इसके साथ ही यह समूह, दूसरे समूह के साथ इस दृष्टिकोण पर सहमत है कि परमेश्वर प्रार्थना और प्रशंसा के लिये प्रत्येक व्यक्ति के पास अन्य भाषा बोलने का व्यक्तिगत वरदान देखना चाहता है।

सारांश

   हम जब पवित्र आत्मा के सामर्थ और वरदानों पर विचार करते हैं, तब हमें याद रखना चाहिये: 1) सामर्थ और वरदान सार्वजनिक कल्याण (1 कुरिंथियों 12:7,14:3) और दूसरों के सामने गवाही देने की शक्ति के लिये (प्रेरितों के काम 1:8) दिये गये हैं। 2) इन्हें प्रेमपूर्वक और संयम पूर्वक (नियंत्रित ढंग से) उपयोग में लाना चाहिये अन्यथा ये निरर्थक साबित होते हैं (1 कुरिंथियों 13:1-3;14:40 ) 13 ) इनके प्रति जिज्ञासु होना चाहिये और इनका निषेध नहीं करना चाहिये (I कुरिंथियों 12:31; 14:1,39) 14) इन्हें हमारे बीच में फूट नहीं डालना चाहिये (1 कुरिंथियों 12:4-6)। आत्मा के वरदानों से संबंधित विभिन्न मत होने के बावजूद, हम मसीह में भाई और बहन हैं। मसीह में हम सब एक हैं (1 कुरिंथियों 12:13; गलतियों 3:28)। 

टिप्पणियाँ

1. मत्ती 3:11 और लूका 3:16 में पाये जाने वाले यूनानी शब्द "से" का अर्थ "में" भी हो सकता है। दोनों में से जो भी शब्द प्रयुक्त हो, अर्थ एक ही है।

2. नया नियम मूलतः यूनानी भाषा में लिखा गया था।

3. 1 कुरिंथियों 12:13 अन्य पद है, जो इस भिन्न विचार से संबंधित है। इस पद के अर्थ के बारे में दो अलग दृष्टिकोण हैं। कुछ लोग विश्वास करते हैं कि इस पद को इस प्रकार पढ़ा जाना चाहियेः क्योंकि हम सबने एक ही आत्मा (में) एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया। का उल्लेख करता है; पानी के बपतिस्मा का नहीं। 
    अतः कुछ मसीही यह सिखाते हैं कि सभी विश्वासियों ने पवित्र आत्मा में बपतिस्मा पाया है। किंतु यह आत्मा से सामर्थ और वरदान पाने का अनुभव नहीं है। अपेक्षाकृत यह केवल एक है जो यीशु पर विश्वास करने पर हमारे आत्मिक नये जन्म को दर्शाने हेतु प्रयुक्त होता है।"
   तथापि, अधिकांश अनुवादकर्ता विश्वास करते हैं कि यह पद इस प्रकार पढ़ा जाना चाहिये: क्योंकि हम सबने एक ही आत्मा के (द्वारा) एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया। इस कारण कई मसीही विश्वास कहते हैं कि यह पद मुख्यतः पानी के बपतिस्मा का उल्लेख कर रहा है। इनमें से कई मसीही निष्कर्ष निकालते हैं कि पवित्र आत्मा "में" बपतिस्मा पाना, हमारे नये आत्मिक जन्म को ही नहीं दर्शाता है; वरन् मुख्य रुप से सामर्थ और वरदान पाने के अनुभव को दर्शाता है। इस प्रकार इन मसीहियों का कथन है कि वर्तमान आधुनिक कलीसिया के लिये पवित्र आत्मा के सामर्थ और वरदान उपलब्ध हैं। ये दो धारणाएँ इस तथ्य से उत्पन्न होती हैं कि अंग्रेजी भाषा में यूनानी भाषा से अनुवाद किये गये शब्द "द्वारा" के दो अर्थ संभव हैं। 

बाइबल के कुछ स्थलों में इसका स्पष्ट अर्थ है; में (मत्ती 3:6; 1 कुरिंथियों 10:2:11:25; इफिसियों 1:11)। 
  लेकिन दूसरे स्थलों में इसका स्पष्ट अर्थ है; द्वारा अर्थात् किसी का कार्य (रोमियों 5:9; 1 कुरिंथियों 12:9; इफिसियों 2:13)।