बपतिस्मा

भूमिका

   यह धर्म प्रचारकों और धर्म-विज्ञानियों में एक अत्यन्त विवादास्पद विषय है और ऐसी सम्भावना नहीं है कि यह अध्याय इस विषय का समाधान कर देगा।

   मेरा विश्वास है कि यह अध्याय आपको उलझाएगा नहीं, परन्तु इससे आपको इस अत्यन्त कठिन और जटिल समस्या को स्पष्ट करने में सहायता मिलेगी।

   इसके लिए सामग्री एल० ई० मैक्सवेल, आर० ए०टोर्रे, ई० डब्ल्यू० स्टोरी, ऑर्थर वैलीस, ईवान हैरिस, जेम्स स्मिथ, जे० ओ० सैन्डर्स, ओ० जे० स्मिथ और अन्य दूसरे लोगों के सन्देशों से ली गई है।

   यह समस्या शैतान द्वारा मसीहियों को विभाजित करने के लिए प्रयोग की गई है, जब कि आत्मा की सेवकाई वास्तव में मसीहियों को संगठित करने के लिए है।

1. इस सिद्धान्त की विभिन्न व्याख्याएं या स्पष्टीकरण 

क)  यह प्रथम अवसर है जब कि कोई आत्मा से परिपूर्ण हुआ।
   इस व्याख्या के अनुसार, 'आत्मा का बपतिस्मा, " आत्मा का परिपूर्णता," "पवित्र आत्मा का वरदान' “ पवित्र आत्मा से सम्पन्न होना, " सभी एक समान है।

   फिर भी हमारा यह विश्वास है कि ये एक नहीं है। शब्द बपतिस्मा और परिपूर्णता के अर्थ विपरीत है। बपतिस्मा किसी चीज में डुबकी लगाना है और परिपूर्णता किसी व्यक्ति में कुछ भरना है।

   यह सिद्धान्त पिन्तेकुस्त की कहानी से उत्पन्न होता है, जहाँ प्रेरितों के काम 2:4 में वे पवित्र आत्मा से भरकर अन्य-अन्य भाषाएं बोलने लगे; प्रेरितों के काम 10:44-46

   इसका स्पष्टीकरण इस तथ्य द्वारा दिया जा सकता है कि पिन्तेकुस्त पवित्र आत्मा के वितरण का शुभारम्भ था जब कि सभी कुछ साथ-साथ सम्पादित हुआ।

ख) यह अन्य-अन्य भाषाओं में बोलने का अनुभव है। यह सच है कि ऐसा चार अवसरों पर हुआ। यह सार्वजनिक रूप से विभिन्न समूहों के लोगों को एक देह में गठित करने के लिए हुआ। प्रेरितों के काम दूसरे अध्याय में पिन्तेकुस्त पर जो अन्य अन्य भाषाएं बोले, वे यहूदी विश्वासी थे।

   प्रेरितों के काम 8:17 में हमें सामरी विश्वासी स्वीकार किए जाते दिखाई देते हैं। प्रेरितों के काम 10:44 में " अन्यजातियों" को आत्मा द्वारा सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया जाता है। चौथा समूह यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के चेलों का था, प्रेरितों के काम 19:1-7

   सुसमाचार को ( 1 ) यरूशलेम (2) यहूदिया (3) सामरिया और (4) अन्य जाति-संसार में प्रचार किया जाना था। ये उपरोक्त चारों अनुभव सुन्दर रूप में सहसम्बन्धित है। पिन्तेकुस्त एक परिवर्ती काल था जो कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के समय से कम से कम प्रेरितों के काम 19 अध्याय तक के काल के कई वर्षों तक रहा, जब कि चारों समूहों के लोगों का उपयुक्त रीति से समावेश हो गया।

   हम आज इस स्पष्टीकरण को इसलिए अस्वीकार कर देते हैं, क्योंकि यह समावेश बहुत समय पहले पूर्ण हो चुका था।

ग) यह अनुग्रह का दूसरा कार्य है, परन्तु अन्य अन्य भाषाओं का नहीं है। यह आधार अधिकांशतः परमेश्वर के महान सन्तों जैसे मूडी, टोरें फिन्ने आदि के अनुभवों पर आधारित है, जब कि इनको हृदय परिवर्तन के साथ ही अन्य अनुभव प्राप्त हुए।

   उनके प्रमाण के काम 8:15, 16 जैसे पदों में निहित हैं, जिनको परिवर्ती काल के प्रकाश में सरलता से स्पष्ट किया जा सकता है जो कि उस समय तक पूरा नहीं हुआ था: प्रेरितों के काम 19:1,2

   फिर भी यह सही नहीं है कि अभी परिवर्ती काल, व्यवस्था से अनुग्रह पुत्र के युग से पवित्र आत्मा के युग तक पूरा हो चुका है। मनुष्यों के और अनुभवों पर किसी सिद्धान्त का निर्माण करने का प्रयास बहुत खतरनाक है।

घ) यह केवल पिन्तेकुस्त से सम्बन्धित है और हमारे लिए इसका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है।

   यही प्रवृत्ति आज बड़ी बड़ी कलीसियाओं में पाई जाती है, जिसके फलस्वरूप वे इस सिद्धान्त को अस्वीकार कर देते हैं, और निरन्तर इस शिक्षा की अवहेलना करते जाते हैं।

   वे बाहरी प्रकटीकरण जैसे अन्य अन्य भाषाएं बोलने को अस्वीकार कर देते हैं और व्यावहारिक दृष्टि से पूरे सिद्धान्त को ही अस्वीकार करने की सीमा तक पहुँच जाते हैं। यह भी पूर्णतः अनुचित है। यह सच है कि भविष्यद्वाणी सम्बन्धी अनुच्छेद जैसे योएल 2:28-32; मत्ती 3:11; मरकुस 1:8, लूका 3:16; यूहन्ना 1:33, और प्रेरितों के काम 1:5 पिन्तेकुस्त के दिन सम्पादित हो गए।

   फिर भी हमारा विश्वास है कि 1 कुरिन्थियों 12:13 और इफिसियों 4:5 जैसे पदों के प्रकाश में "पवित्र आत्मा का बपतिस्मा" जैसी अभिव्यक्ति निश्चय ही वर्तमान काल में भी हमारे लिए उपयोगी है।

च) यह वही बपतिस्मा है जिसका वर्णन मत्ती 3:11 में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने किया है, और यह आज भी उपलब्ध है। यह दृष्टिकोण " आत्मा के अभिषेक" और " आत्मा के बपतिस्मे " में उलझन उत्पन्न कर देता है।

   यह कहता है कि इस विशेष उत्तर - हृदय परिवर्तन के अनुभव में यीशु स्वयं व्यक्ति को पवित्र आत्मा का बपतिस्मा देगा।

   इसकी शिक्षा यह है कि यह बपतिस्मा तब सम्पन्न होगा जब कि व्यक्ति भजन संहिता 45:7, 8 में दी हुई शर्तों को पूरा कर लेगा, जो कि धर्म से प्रीति और दुष्टता से बैर रखना है।

   फिर भी यह परिच्छेद अभिषेक से सम्बन्धित है, बपतिस्में से नहीं; लूका 4:18, और 1 कुरिन्थियों 12:13 

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2. इस सिद्धान्त का यथार्थ या सही स्पष्टीकरण

   मेरा विश्वास है कि इस विषय पर एकमात्र सैद्धान्तिक बयान 1 कुरिन्थियों 12:13 है" क्योंकि हम सबने क्या यहूदी हो, क्या यूनानी क्या दास, क्या स्वतन्त्र, एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिए बपतिस्मा लिया, और हम सबको एक ही आत्मा पिलाया गया।"

   मत्ती 3:11; मरकुस 1:8; लूका 3:16; यूहन्ना 1:33; प्रेरितों के काम 1:5 की पाँचों भविष्यद्वाणियां पिन्तेकुस्त की बाट जोह रही थी और “थोड़े दिनों के बाद" ही वे पूर्णतः पूरी हो गई। 1 कुरिन्थियों 12:13 में क्रिया का काल, भूत-काल है। यह एक सम्पन्न हो गये अनुभव के विषय में बताता है, यह हृदय परिवर्तन के समय पवित्र आत्मा द्वारा सम्पन्न किया जाता है।

   वर्तमान समय में हमारे लिए एक नए हृदय परिवर्तन करने वाले को हृदय परिवर्तन के समय, आत्मा द्वारा मसीह के अदृश्य शरीर में मिला देना ही पवित्र आत्मा का बपतिस्मा है।

   पत्रियों में हमें कहीं भी पवित्र आत्मा के बपतिस्मा प्राप्ति के लिए प्रेरित नहीं किया गया है क्योंकि यह एक सम्पन्न हो गया अनुभव था। हमें इसके लिए न तो चिन्ता करनी चाहिए और न ही व्याकुल होना चाहिए।

   हमें पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने के लिए प्रेरित किया गया है, आत्मा को खेदित" न करने, "आत्मा को न बुझने" के लिए प्रेरित किया गया है। प्रेरितों के काम 2:1-4 में पिन्तेकुस्त एक ऐसा अनुभव था जो एक

नए युग (Dispensation) के सूत्रपात का प्रमाण था। जे० ओ० सैन्डर्स, 1 कुरिन्थियों 12:13 से चार तथ्यों की ओर संकेत करता है।

1) प्रत्येक विश्वासी को बपतिस्मा दिया जा चुका है, "क्या हम सभी को बपतिस्मा मिल चुका है?"

2 ) यह अनुभव भूत-काल में है। यह एक सम्पन्न हुआ कार्य है

3) इस बपतिस्में का कार्य विश्वासी को "एक देह" में रख देना है। 

4) यह विश्वासियों में एकता उत्पन्न करता है, और जाति रंग या राजनैतिक भेद मिटा देता है।

3. इफिसियों 4:5 का “एक ही बपतिस्मा ” क्या है?

   इफिसियों 4:5, “ एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा । " कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि कम से कम दो बपतिस्में हैं, जल और आत्मा के और यह कौन सा है?

   परमेश्वर के विचार में, 1 कुरिन्थियों 12:13, आत्मा का बपतिस्मा ही वास्तविक बपतिस्मा होना अवश्य है।

   पानी का बपतिस्मा कलीसिया का एक अपेक्षित संस्कार है, यह एक पार्थिव चिह्न है कि 1 कुरिन्थियों 12:13 का बपतिस्मा पहले ही सम्पन्न हो चुका है। आत्मा का सच्चा बपतिस्मा इफिसियों 5:30 को साकार बना देता है, इसलिए कि हम उसकी देह के अंग हैं"

4. पवित्र आत्मा के बपतिस्मे पर श्रीमत ई० डब्ल्यू बेलर (Weller) की रूपरेखा 

   यह एक प्रारम्भिक कार्य है जो कि उद्धार के समय घटित होता है
" एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिए बपतिस्मा लिया, " 1 कुरिन्थियों 12:13; 1 पतरस 3:20, 21; तीतुस 3:5 

   रोमियों 6:3-11 आत्मा के बपतिस्मे की एकमात्र परिभाषा है, जो बाइबल में दी गई है।

यीशु ख्रीष्ट में जीवित विश्वास रखने के एक ही कार्य में विश्वासी: 

1) आत्मा द्वारा जन्म पाते हैं (यह अनन्त जीवन में प्रवेश का सूत्रपात है ) ; यूहन्ना 3:3-8

2) उनको आत्मा का बयाना मिल जाता है (पराकाष्ठा पर पहुँचाने की प्रतिज्ञा); इफिसियों 1:14; 2 कुरिन्थियों 1:22; 2 कुरिन्थियों 5:51

3) उन पर आत्मा की छाप लग जाती है (यह बने रहनें की निश्चयता है); इफिसियों 1:13; इफिसियों 4:30

4) उसमें आत्मा का वास हो जाता है ( आत्मा में अनन्त जीवन को बनाए रखना है); रोमियों 8:9 |

5) एक देह में बपतिस्मा लेते हैं (एक सम्बन्धात्मक गतिविधि जो यीशु ख्रीष्ट और विश्वासियों को जोड़ रही है); 1 कुरिन्थियों 12:13 |

5. रोमियों 6:3-11 के अनुसार बपतिस्मे की परिभाषा 

1) उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया, रोमियों 6:3; “ मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ" गलातियों 2:20 1 
2) उसकी मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, रोमियों 6:4; उसकी देह से पूर्ण समानता ।
3) उसके जी उठने का बपतिस्मा लिया, रोमियों 6:5; उसके नए शरीर में पूर्ण प्रवेश ।
4) उसके पुनर्जीवित जीवन का बपतिस्मा, रोमियों 6:8; जीएंगे" उसकी देह में रहना । 1 कुरिन्थियों 12:13 के अनुभव में उद्धारकर्ता से पूर्ण समानता अन्तनिहित है। 'उसके साथ

सारांश

   कुलुस्सियों 2:10-12, आत्मा के बपतिस्में द्वारा हम नई पुनर्जीवित देह में पूर्ण है।
पिन्तेकुस्त के अवसर पर जिस दिन पवित्र आत्मा वास करने के लिए आया, शिष्य आत्मा से परिपूर्ण हो गये, उनका आत्मा द्वारा अभिषेक किया गया और बपतिस्मा दिया गया।
   पिन्तेकुस्त एक निश्चित ऐतिहासिक घटना थी, जिसकी फिर कभी पुनरावृत्ति नहीं होगी। यह पवित्र आत्मा के राज्याभिषेक का दिन था, जब कि उसने अपने विभिन्न कार्यभार सम्भाल लिए।
   हृदय परिवर्तन के समय हमें पवित्र आत्मा का बपतिस्मा मिलता है। हमें प्रेरितों के काम 1:8 में दिए गए सामर्थ्य के अभिषेक की शक्ति की आवश्यकता है, जिससे हम सेवा कर सकें और हमें निरन्तर आत्मा से परिपूर्णता की आवश्यकता है।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न

1. पवित्र आत्मा के बपतिस्मे की पाँच व्याख्याएं दीजिए। 
2. आत्मा से भरपूरी और आत्मा के बपतिस्में में क्या अन्तर है?
3. अन्य - अन्य भाषाएं बोलना पवित्र आत्मा का बपतिस्मा क्यों नहीं है?
4. क्या वर्तमान पीढ़ी में पवित्र आत्मा का बपतिस्मा सम्भव है? क्यों? 
5. क्या भजन संहिता 45:7, 8 पवित्र आत्मा के बपतिस्मे का विवरण देता है?
6. पवित्र आत्मा के बपतिस्मे का सही स्पष्टीकरण क्या है 
7. इफिसियों 4:5 के " एक ही बपतिस्मे" को स्पष्ट कीजिए ।
8. पवित्र आत्मा के बपतिस्मे का श्रीमती वेलर का उत्तम स्पष्टीकरण क्या था?
9. मसीह यीशु में "पवित्र आत्मा द्वारा दिए गए बपतिस्मे" में और क्या सम्मिलित है?
10. कुलुस्सियों 2:10-12 को पवित्र आत्मा के बपतिस्मे के प्रकाश में स्पष्ट कीजिए