कैसे अच्छे माता पिता बनें

यह एक गंभीर दायित्व है कि वे अपने बच्चों का मसीही बच्चों के रूप में पालन पोषण करने के लिए शिक्षित करें तथा उनका सुधार करें;

माता-पिता को अपने बच्चों के लिए मसीही जीवन का और व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करने तथा अपनी नौकरी (काम) व्यवसाय, कलीसिया की सेवकाई, सामाजिक प्रतिष्ठा से बढ़कर अपने बच्चों के उद्धार की चिंता करने की आवश्यकता है। (तुलना करें भज 127:3)।

(1) इफ 6:4 तथा कुल 3:21 में पौलुस के शब्दानुसार तथा पुराने नियम में परमेश्वर की आज्ञानुसार, (देखें उत 18:19, टिप्पणी, व्य 6:7, टिप्पणी, भज 78:5, टिप्पणी नीत 4:1-4, टिप्पणी 6:20, टिप्पणी) माता पिता का यह दायित्व है कि वे अपने बच्चों का पालन पोषण इस प्रकार करें ताकि उनका जीवन ऐसा बने जिससे परमेश्वर प्रसन्न हो। बच्चों की आत्मिक और बाइबल की शिक्षानुसार प्रशिक्षण के लिए कलीसिया और रविवार पाठशाला जिम्मेदार नहीं बल्कि परिवार है। कलीसिया और रविवार पाठशाला माता-पिता के प्रशिक्षण के कार्य में सहायता कर सकते हैं।

(2) मसीही प्रकृति का मर्म यह है पित्तरों का मन लड़के वालों की ओर फिरना चाहिए ताकि उनका मन उद्धारकर्ता की ओर फिर जाए। (देखें लूक 1:17. टिप्पणी)

(3) बच्चों का सही पालन-पोषण करने के लिए माता-पिता को किसी प्रकार का पक्षपात नहीं करना चाहिए, बच्चों को उत्साहित करे, साथ साथ उनका सुधार करें केवल जानबूझ कर किए गए गलत कार्यों की सज़ा दे तथा सहानुभूति, दया, नम्रता, सज्जनता और धीरज के साथ प्रेमपूर्वक अपने जीवन को अपने बच्चों को समर्पित कर दें।

(4) पंद्रह कदम माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को मसीह में धार्मिकता का जीवन व्यतीत करने वास्ते, उनकी अगुवाई करने के लिए;

(a) अपने बच्चों को उनके प्रारम्भिक जीवन में ही परमेश्वर को समर्पित कर दें (1शम 1:28; लूक 2:22)।

(b) अपने बच्चों को परमेश्वर का भय मानना, बुराई से दूर रहना, धार्मिकता से प्रेम करना और पाप से घृणा करना सिखाएँ। पाप के विषय परमेश्वर के न्याय और व्यवहार को बच्चों के मन में बैठाएं (देखें इब्र 1:9, टिप्पणी)।

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(c) बाइबल में वर्णित अनुशासन के द्वारा अपने बच्चों को आपका कहना मानना सिखाओ (व्य 8:5; नीत 3:11-12 13:24 23:13-14 29:15, 17, इब 12:7)।

(d) अपने बच्चों को दुष्ट के प्रभाव से बचाएँ रखने के लिए उन्हें इस बात के लिए सचेत करे कि किस प्रकार शैतान उन्हें सांसारिक आकर्षणों तथा अनैतिक मित्रों के द्वारा (नीत 13:20, 28:7, 1 यूह 2:15 (17) आत्मिक रूप से नष्ट करने का प्रयास करता है।

(e) अपने बच्चों को सचेत करें कि जो कुछ भी वे करते, सोचते और कहते हैं परमेश्वर हमेशा उसे देखता और उसका मूल्यांकन करता है। (भज 139:1-2)।

(f) कम उम्र में ही अपने बच्चों को मसीह में व्यक्तिगत विश्वास पश्चात्ताप और बपस्तिमा के विषय जागृत करें। (मत 19:14)

(g) एक ऐसी आत्मिक कलीसिया में अपने बच्चों को भेजे या मज़बूती से जोड़े, जहाँ परमेश्वर के वचन की घोषणा की जाती, परमेश्वर की धार्मिकता के स्तर का आदर किया जाता तथा पवित्र आत्मा का प्रकटीकरण होता हो। उन्हें यह आदर्श वाक्य सिखाओ मैं उन सब का मित्र हूँ जो तुझसे डरते हैं। (भज 119:63, देखें पे 12:5, टिप्पणी)।

(h) अपने बच्चों को संसार से अलग रहने तथा परमेश्वर के लिए कार्य करने व गवाही देने के लिए उत्साहित करें (2कुर 6:14-7:1; याक 4:4) उन्हें यह बात समझाएँ कि वे इस संसार में अजनबी और मुसाफिर है (इब 11:13-16) और उनका असली मकान और नागरिकता मसीह के साथ स्वर्ग में है। (फिलि 3:20; कुल 3:1-3)।

(i) पवित्र आत्मा में बपतिस्मे की महत्तता के बारे में अपने बच्चों को सुशिक्षित करें (प्रे 1 4-5,8, 2:4,39)।

(j) अपने बच्चों को यह सिखाएँ कि परमेश्वर उनसे प्यार करता है तथा उनके जीवन के लिए उसका एक विशेष उद्देश्य है। (लूक 1:13-17 रो 8:30, 1पत 1:3-9)1

(k) प्रतिदिन अपने बच्चों को परमेश्वर के वचन सिखाएँ बातचीत (वार्तालाप) और पारिवारिक उपासना के द्वारा (व्य 4:9 6:5-7; 1तीम 4:6 2तीम 3:15)। (1) उदाहरण और उपदेश के द्वारा अपने बच्चों को प्रार्थना के लिए समर्पित जीवन जीने के लिए उत्साहित करें। (प्रे 6:4, रो 12:12; इफ 6:18; याक 5:16)।

(m) धार्मिकता के वास्ते कष्ट और सताव सहने के लिए अपने बच्चों को तैयार करें (मत 5:10-12) उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति को जो मसीह यीशु में धार्मिकता का जीवन जीना चाहता है सताया जाएगा। (2तीम 3:12)।

(n) लगातार और गंभीर प्रार्थना/ निवेदन के द्वारा अपने बच्चों को प्रभु के सम्मुख लाएँ (इफ 6:18; याक 5:16-18; देखें यूह 17.:.1 यीशु की प्रार्थना अपने शिष्यों के लिए, माता पिता को अपने बच्चों के लिए इसे आदर्श प्रार्थना के रूप में लेना चाहिए।

(o) अपने बच्चों से इतना प्रेम रखें व उनकी इतनी चिंता करें कि उनके विश्वास को दृढ़ करने तथा प्रभु में जैसा उनका जीवन होना चाहिए वैसा बनाने के लिए आप अपना जीवन भी उनके लिए उण्डेलने वाले हो जाए प्रभु में एक बलिदान के रूप में (देखें फिलि 2:17, टिप्पणी)
"हे बच्चेवालों अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उनका साहस टूट जाए।" कुल 3:21