पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप

प्रस्तावना


पवित्र आत्मा पर अपने इस चौथे अध्याय में हम आत्मा के विरुद्ध पापों का अध्ययन करेंगे।

पवित्र आत्मा एक व्यक्ति है, जिसके विरुद्ध पाप किया जा सकता है। आइए हम सतर्क रहें कहीं ऐसा न हो कि जाने या अनजाने हम उनके विरुद्ध पाप कर बैठें।

इन पापों में से कुछ ऐसे हैं जो कि सम्भवतः केवल विश्वासियों द्वारा ही किए जा सकते हैं, दूसरे ऐसे पाप हैं जो अविश्वासियों द्वारा किए जाते हैं। फिर भी इस अन्तर को पूर्ण प्रमाणित कर देना कठिन है।

यहाँ तक कि डॉ॰ आइरनसाइड भी, जिन्होंने इनकी अलग-अलग सूची तैयार की है, यह स्वीकार करते हैं कि सम्भवतः विश्वासी और अविश्वासी दोनों ही उन सात पापों को करने में समर्थ हैं, जिनको विशेष रूप से पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप बताया गया है। इसकी रूपरेखा Handfuls on Purpose Vol. 3 Page 198 से ली गई है।
 
मनुष्य की परिकल्पना द्वारा ईश्वर निंदा
पवित्र आत्मा के विरोध निन्दा एक ऐसी पाप है जिसके लिए क्षमा नहीं है
मत्ती 12:31, 32 इसलिये मैं तुम से कहता हूंकि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगीपर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी।
 जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगाउसका यह अपराध क्षमा किया जाएगापरन्तु जो कोई पवित्र-आत्मा के विरोध में कुछ कहेगाउसका अपराध न तो इस लोक में और न  पर लोक में क्षमा किया जाएगा।
   मरकुस 3:22-30 मैं यीशु ने पवित्र आत्मा की शक्ति से दुष्ट आत्माओं को निकाला पर शास्त्रीय ने कहा यह तो शैतान की शक्ति से आत्माओं को निकालता है
पवित्र आत्मा के काम को शैतान के काम बताना पवित्र आत्मा की निंदा करना है

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मनुष्य के अभिमान के द्वारा अपमान करनापवित्र आत्मा को
 इब्रानियों 10:29 तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगाजिस ने परमेश्वर के पुत्र को पांवों से रौंदाऔर वाचा के लोहू को जिस के द्वारा वह पवित्र ठहराया गया थाअपवित्र जाना हैऔर अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
 पवित्र आत्मा मसीह का प्रायाश्चित्त रूपी कार्य पापी के सम्मुख प्रस्तुत करता है अदि पापी इस पर विश्वास करने से या उसे स्वीकार करने से इनकार करता है तो वह पवित्र आत्मा का अपमान करता है
 यहां पर पापी को अपने पैरों तले रौंद ने का मतलब है
यीशु मसीह को ग्रहण न करना यहां पर विश्वासी कहता है यीशु को क्रूस पर चढ़ा हमारे पापा के लिए मरना यह सब झूठ है और वह उधार पाने के लिए कोई और रास्ता ढूंढने लगता है (कर्मो की) 
 यीशु मसीह की मृत्यु को साधारण बात समझना है जैसे कि एक साधारण मनुष्य की मृत्यु होती है यीशु मसीह को परमेश्वर न समझना और उसके लहू की बहुमूल्यता का इनकार करना पवित्र आत्मा की साक्षी का तिरस्कार करना है
1यूहन्ना 5:8 और गवाही देने वाले तीन हैंआत्माऔर पानीऔर लोहूऔर तीनों एक ही बात पर सहमत हैं।
 
 
मनुष्य की अनाज्ञाकारिता द्वारा खेदित होना
 यशायाह 63:9, 10 तौभी उन्होंने बलवा किया और उसके पवित्र आत्मा को खेदित किया
यह आंश इस्राएलियों के पथभ्रष्ट (misguided) होने के जिक्र में है 
 परंतु परमेश्वर के सिद्धांत कभी नहीं बदलते और आज भी मनुष्य पवित्र आत्मा के प्रति इतनी ही विरोधी और आनाज्ञाकारी है
 खेद की जड़ विरोध है कुड़कुडा़ने  और शिकायत करने का परिमाण होता है
 बार बार चेतावनी देने के बाजूद आशीष और इसके साथ बहुत से प्रकार और ज्ञान देने के बावजूद भी बुराई से चिपके रहना यह पवित्र आत्मा की खेदित करने का मतलब है
 आइए हम अमूल्य पवित्र आत्मा की वाणी सुने और आज्ञाकारी बने और उसे कभी खेदित न करें 
और हम अपनी इच्छा की हठधर्मी छोड़ कर उस आशीष को स्वीकार करें जो वह हमें देना चाहता है
 
 
मनुष्य के अविश्वास द्वारा उसका विरोध किया जाना
 प्रेरितों के काम 7:50, 51  तुम सदा पवित्र आत्मा का साम्हना करते हो।जैसा तुम्हारे बाप दादे करते थेवैसे ही तुम भी करते हो।
  जब हम परमेश्वर के वचन पर संदेह करते हैं तो पवित्र आत्मा का विरोध करते हैं
 इब्रानियों 3:19 सो हम देखते हैंकि वे अविश्वास के कारण प्रवेश न कर सके॥
अविश्वास मनुष्य के लिए विरोध का कारण बन जाता है
 परंतु जब हम जानबूझकर उसकी मार्गदर्शन का विरोध करते हैं तो वास्तव में हम अपना अविश्वास प्रकट करते हैं
 कभी-कभी आत्मा हमें एक आत्मा से बोलने ने किसी पाप को त्याग देने परमेश्वर का वचन प्रचार करने बाइबल स्कूल जाने एक पवित्र जीवन जीने को कहता हैपरंतु हम उसका प्रतिविरोध कर देते हैं
 यहां पर एक चेतावनी है उत्पत्ति 6:3  मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा
 बहुत समय तक प्रतिरोध करते रहने से परमेश्वर हमें मन की अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिए छोड़ सकता है 
 रोमियो 1:24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दियाकि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
 अगर आप चाहते हैं कि पवित्र आत्मा आपके जीवन में संपूर्ण रीति से कार्य करें तो आपको परमेश्वर के प्रति ईमानदार होना पड़ेगा 
अपने अशुद्धा को बाहर निकालना होगा जो आप लंबे समय तक पाप करते आ रहे हैं उसको छोड़ना होगा अविश्वास को दूर करना होगा
 
 
मनुष्य की कुटिलता द्वारा परखा जाना
 प्रेरितों के काम 5:1-9 यह क्या बात हैकि तुम दोनों ने प्रभु की आत्मा की परीक्षा के लिये एका किया है
 हनन्याह और सफीरा ने अपने भाइयों को धोखा देने में वास्तव में पवित्र आत्मा की परीक्षा की और उसने झूठ बोला दूसरे को बुरा कहने के स्थान पर आइए हम अपनी जांच करें
 एक मनुष्य दोषी तब ठहरता हैं जब अपने भाइयों के सामने ऐसा बन जाता हैं, जैसे कि वह पूर्ण तिथि से परमेश्वर को अपना जीवन दे दिए हैं, जबकि वास्तव में वह गुप्त पापों में लिपटे होता है
क्या हम परमेश्वर के सामने खड़े होकर कह सकते हैंहे परमेश्वर में सब कुछ अपना देता हूंजबकि हम जानते हैं कि हमारे भीतर घमंड है
राजा 5:25-27 गेहजी झूठ बोलता है और दण्ड स्वरूप कोड़ी हो जाता है आत्मा से कभी झूठ ना बोलिए
प्रत्येक छल और बढ़ा चढ़ाकर कही गई बातें या कार्य प्रत्येक झूठी बात जो हानि के इरादे से कही गई हो और मनुष्य से बोला हुआ प्रत्येक झूठ पवित्र आत्मा के प्रति झूठ है
 सावधान रहिए और परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए पवित्र होने के लिएभजन संहिता 51:10 हे परमेश्वरमेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न करऔर मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
 
 
मनुष्यों के पक्षपात द्वारा बुझ जाना
 थिस्सलुनीकियों 5:19, 20 आत्मा को न बुझाओ। यह एक गंभीर आज्ञा है बुझने का मतलब है घुटनजैसे यशायाह 4:4 भस्म करने वाली आत्मा है
 मत्ती 12:20 वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगाऔर धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगाजब तक न्याय को प्रबल न कराए।
 इफिसियों 6:16 और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।
 पवित्र आत्मा की विनती को ना बुझाओउसे मत कुछलोन निकालोउसका दम मत घोटोउसे शांत मत करो।
जब वह वचन के द्वारा या अन्त:करण में हमसे बोलता हैतो हमें उसकी आज्ञा का पालन करना चाहिएचाहे उसका जो भी मूल्य चुकाना पड़ेअदि हम अपने जीवन में आग को दबा रहने देते हैं तो केवल राख ही शेष रहेगी।
 आत्मा को किसी एक बात में बुझा देना तुरंत दूसरे विषय में उसके प्रति समर्पण सम्भव है।
 जब मनुष्य का हृदय परिवर्तन होता है तो जब वह पहली बार गलती करता है तो पवित्र आत्मा बहुत जोर से बोलता हैपरंतु जब उसकी वाणी को महत्व नहीं देते हैं तब पवित्र आत्मा धीरे-धीरे शांत हो जा जाता है और अंत में बुझने के कगार पर हो जाता हैइसका इसका मतलब है मन कठोर करना
 कोई विश्वासी  या प्रचारक जब परमेश्वर का वचन प्रचार करता है तब पवित्र आत्मा लोगों से बातें करता है
हमें बहुत सावधान रहना चाहिए जिससे हम उसको बुझाने के लिए दोषी ना ठहरे।
 
 
मनुष्यों की चपलता द्वारा शोकित
 इफिसियों 4:30, “परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो जिससे तुम पर छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है।
 "माता-पिता बच्चे पर भरोसा रखते हैं। बाद में बच्चा चोरी करता है तो माता-पिता शोकित होते हैं। पाप का प्रतिरोध करने और प्रभु की आज्ञा पालन करने के लिएआत्मा हम पर भरोसा करता है। यदि हम असफल होते हैंतो वह शोकित होता है। 
 आत्मा के इस भरोसे से इनकार करना या उसमें असफल रहने से उसका हम पर भरोसा कम हो जाता है और वह निराश हो जाता है। आत्मा को एक संवेदनशील कबूतर के रूप में चित्रित किया गया है जिसको सरलता से डराकर दूर उड़ाया जा सकता है।
 कितनी बार सन्तों ने अपनी हल्की और व्यर्थ की बातचीत से आत्मा को शोकित किया है। अगला पद ( इफिसियों 4:31 ) इस पर बल देता हुआ कहता है, "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध और कलह और निन्दासब बैर भाव समेत तुमसे दूर की जाए। 
 आत्मा व्यर्थ की बातचीत में सम्मिलित नहीं हो सकताबुरी बातों से तो वह बहुत दूर रहता है। हमें अपने होठरूपी द्वार की चौकसी करनी चाहिए। हम पाप को नगण्य समझते हुए पवित्र आत्मा को शोकित नहीं कर सकते।
 पवित्र आत्मा से परिपूर्ण व्यक्ति प्रसन्न तो रहते हैंपरन्तु वे गम्भीर होते हैं। 

सारांश 

प्रतिरोध का सम्बन्ध बुनियादी रूप से आत्मा के पुनर्जीवन के कार्य से हैशोकित करने का सम्बन्ध अन्तर में वास करने वाले पवित्र आत्मा से हैबुझा देने का सम्बन्ध कार्य सम्पन्न करने से है। आइए हम आत्मा की संगति में निरन्तर बने रहें। 
 
पुनर्विचार के लिए 

 पवित्र आत्मा के विरुद्ध सात पाप कौन सा है?
अक्षम्य पाप कौन सा हैस्पष्ट कीजिए। 
आत्म-जागृति के समाचार सम्बन्धी सूचना के प्रति क्या चेतावनी दी गई है
4  क्या करने के द्वारा "पवित्र आत्मा का अपमान किया जाता है? ( इब्रानियों 10:29 ) 
लोगों ने पवित्र आत्मा को कैसे शोकित किया है
पवित्र आत्मा के विरोध का आधारभूत कारण क्या है
पवित्र आत्मा के परखे जाने से सम्बन्धित दो उदाहरण दीजिए।
पवित्र आत्मा को बुझाने में आधारभूत विचार क्या है
पवित्र आत्मा के एक बात में बुझाए जाने परन्तु दूसरी बातों में न बुझाए जाने का उदाहरण दीजिए। 
10 पवित्र आत्मा को शोकित करने का सर्वाधिक सामान्य साधन क्या है?