पवित्र आत्मा का बपतिस्मा

प्रे 1:5 "क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है, परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे"


धर्मशास्त्र के सिद्धान्तों में पवित्र आत्मा का सिद्धान्त भी एक प्रमुख सिद्धान्त है (देखें प्रे 1:4 में "आत्मा से बपतिस्में" के बजाय “आत्मा में बपतिस्में" की टिप्पणी को पढे। आत्मा में बपतिस्मा के विषय में धर्मशास्त्र निम्न बातें सिखाता है। 
(1) पवित्र आत्मा में बपतिस्मा उन सबके लिये है जो मसीह में विश्वास करने का दावा करते हैं, नया जन्म पा चुके हैं तथा आत्मा को अपने अन्दर प्राप्त किया है। 

(2) संसार में अपनी सेवकाई के लक्ष्यों में मसीह का एक प्रमुख लक्ष्य अपने चेलों को पवित्र आत्मा में बपतिस्मा देना था  (मत 3:11; मर 1:8; लूक 3:16; यूह 1:33 ) । उसने अपने शिष्यों को निर्देश दिया कि जब तक पवित्र आत्मा का बपतिस्मा न पा लें गवाही देने का काम शुरू न करें, और जब तक “ऊपर से सामर्थ्य से न भर जायें ठहरे रहें" (लूक 24:49; प्रे 1:4-5,8)। स्वयं प्रभु यीशु ने जब तक अभिषेक न पा लिया अपनी सेवा को शुरू नहीं किया... पवित्र "आत्मा और सामर्थ्य से अभिषेक किया" प्रे 10:38: तुलना करें लूक 4:1,18) 

(3) पवित्र आत्मा में बपतिस्मा नये जन्म से अलग एक आत्मा का ही कार्य है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आत्मा का शुद्ध करने का कार्य नये जन्म को पूरा करने का एक अलग कार्य है इस प्रकार आत्मा में बपतिस्मा आत्मा द्वारा प्रदान किये गये नये जन्म तथा पवित्र करने के कार्य को पूरा करता है। मसीह के पुनरूत्थान के दिन उसने चेलों पर फूंका तथा कहा, “पवित्र आत्मा लो” (यूह 20:22), यह दर्शाते हुये कि नया जन्म तथा नया जीवन उन्हें दिया जा रहा था (देखें लेख शिष्यों का नया जन्म, पृष्ठ 1653) | बाद में प्रभु ने उनसे कहा कि उन्हें पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से ढक जाना है (लूक 24:49: तुलना करें प्रे 1:5,8)। क्योंकि चेलों के लिये तो यह नया जन्म पाने के बाद का अनुभव था (देखें प्रे11:17, टिप्पणी)। एक व्यक्ति का नया जन्म हो सकता है उसमें पवित्र आत्मा का निवास भी हो सकता है, तो भी वह पवित्र आत्मा के बपतिस्में के बिना पाया जाए यह असम्भव है (देखें प्रे 19:6, टिप्पणी)। 

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(4) आत्मा में बपतिस्में का अर्थ है आत्मा से भरना (तुलना करें प्रे 1:5: 2:4)। फिर, यह बपतिस्मा केवल पिन्तेकुस्त के दिन तथा उसके बाद घटित हुआ (उदाहरण लूक 1:15,67) लूका इस शब्दावली का प्रयोग नहीं करता कि पवित्र आत्मा में बपतिस्मा पाये हुये। यह केवल मसीह के स्वर्गारोहण के बाद ही घटित होगा (लूक 24:49-51; यूह 16:7-14; पे 1:4)

(5) प्रेरितों के काम पुस्तक में आत्मा की सामर्थ्य से अन्यभाषा में बोलना पवित्र आत्मा में बपतिस्में का आरम्भिक चिह्न है। (प्रे 2:4; 10:45-46, 19:6)। पवित्र आत्मा में बपतिस्मा बाहरी प्रकटीकरण से इतना नज़दीक से जुड़ा हुआ है कि इसे ही पवित्र आत्मा में बपतिस्मा पाने का नियम समझा जाना चाहिये (देखें लेख अन्यभाषा में बोलना, पृष्ठ 1672)

(6) पवित्र आत्मा में बपतिस्मा विश्वासी के जीवन को व्यक्तिगत हियाव और आत्मा की सामर्थ्य प्रदान करता है ताकि मसीह के नाम में सामर्थ्य के काम कर सकें तथा उसकी गवाही व प्रचार को प्रभावशाली बना सके (तुलना करें प्रे 1:8: 2014-41 4:31; 6:8; रो 15:18-19: 1कुर 2:4) यह सामर्थ्य कोई अवैयक्तिक बल नहीं है परन्तु पवित्र आत्मा का प्रकटीकरण है जिसके द्वारा प्रभु यीशु के कार्य तथा महिमा उसके लोगों के साथ उपस्थित रहते हैं (यूह 14:16-18, 16:14, 1कुर 12:7)।

(7) पवित्र आत्मा में सच्चे बपतिस्में के अन्य परिणाम 

(a) भविष्यवाणी से भरे वचन तथा स्तुति की घोषणा (प्रे 2:4.17. 10:46; 1कुर 14:2);

(b) पाप जो पवित्र आत्मा को शोकित करते हैं उनके प्रति अधिक संवेदनशीलता, धार्मिकता की अधिकाधिक खोज तथा अभक्ति के विरूद्ध परमेश्वर के न्याय के लिये गहरी जागरूकता (देखें यह 16:8, टिप्पणी, प्रे 1:8, टिप्पणी); 

(c) ऐसा जीवन जो प्रभु यीशु मसीह की महिमा करता है (यूह 16:13-14 प्रे 4:33);
 
(d) नये दर्शन (प्रे 2:17); 

(e) आत्मा के विभिन्न वरदानों का प्रकटीकरण (1कुर 12:4-10); 

(f) प्रार्थना करने की गहरी इच्छा (प्रे 2:41-42, 3:1; 4:23-31, 6:4, 10:9: रो 8:26), 

(g) परमेश्वर के वचन की गहरी समझ तथा प्रेम (यूह 16:13; प्रे 2.42), तथा 

(h) पिता के रूप में परमेश्वर के लिये बढ़ती हुई जागरूकता (प्रे 1:4; रो 8:15; गल 4:6)

(8) परमेश्वर का वचन अनेक शर्तें दर्शाता है जिनसे पवित्र आत्मा में बपतिस्मा प्राप्त होता है। 
(a) हमें प्रभु यीशु को विश्वास द्वारा प्रभु एवं उद्धारकर्ता ग्रहण करना चाहिये तथा पाप एवं संसार से विमुख होना है (प्रे 2:38-40; 8:12-17)। इसमें हमारी इच्छा को परमेश्वर के प्रति समर्पित करना शामिल है ("जो उसकी आज्ञा मानते हैं" प्रे 5:32 ) । इससे पहिले कि हम "वह आदर का बर्तन पवित्र ठहरें" (2तीम 2:21) हमें उस सब से दूर होना होगा जो परमेश्वर की दृष्टि में ठोकर है। 

(b) हमें भरने की इच्छा रखनी चाहिये। मसीहियों में पवित्र आत्मा में बपतिस्में की गहरी भूख होनी चाहिये (यूह 7:37-39; तुलना करें यश 44:3, मत 5:6: 6:33)। 

(c) यह बपतिस्मा अकसर हमें हमारी प्रार्थना के उत्तर में मिलता है (लूक 11:13; प्रे 1:14, 2:1-4, 4:31, 8:15, 17)। 

(d) हमें यह आशा रखनी चाहिये कि परमेश्वर हमें पवित्र आत्मा में बपतिस्मा देगा (मर 11:24; प्रे 1:4-5) 1

(9) पवित्र आत्मा में बपतिस्मा विश्वासी के जीवन में प्रार्थना के द्वारा बना रहता है (प्रे 4:31), गवाही के द्वारा (प्रे 4:31,33), आत्मा में आराधना के द्वारा (इफ 5:18-19) तथा पवित्र जीवन में बना रहता है (इफ 5:18, टिप्पणी)। फिर भी विश्वासी के जीवन में पहिली बार पवित्र आत्मा का आगमन कितना भी सामर्थ्यशाली क्यों न रहा हो यदि इसको प्रार्थना, गवाही तथा पवित्रता के द्वारा अभिव्यक्ति नहीं मिलती तो यह अनुभव जल्द ही गायब होने वाली महिमा बन जाता है। 

(10) पवित्र आत्मा में बपतिस्मा केवल एक ही बार घटित होता है तथा परमेश्वर के लिये सामर्थ्य तथा धार्मिकता के साथ गवाही। देने के लिये पवित्रता की ओर संकेत करता है। बाइबल सिखाती है कि पवित्र आत्मा में बपतिस्में के बाद आत्मा में नये रूप में भरते रहने का अनुभव हो सकता है (देखें प्रे 4:31, टिप्पणी, तुलना करें 2:41 4:8,31; 13:9; इफ 5:18)। इस प्रकार, पवित्र आत्मा में बपतिस्मा विश्वासी को ऐसे रिश्ते में लाता है जिसे ना होते रहना है (प्रे 4:31) तथा उसे बनाये रखना है (इफ 5:18)।