बपतिस्मा

आत्मा में बपतिस्में की परख

प्रे 10:44-45 "पतरस ये बातें कह ही रहा था कि पवित्र आत्मा वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया और जितने खतना किए हुए विश्वासी पतरस के साथ आये थे, वे सब चकित हुए कि अन्य जातियों पर भी पवित्र आत्मा का दान उंडेला गया है। *


धर्मशास्त्र घोषणा करता है कि विश्वासियों को उन सब बातों की परख करनी चाहिये जो पवित्र आत्मा की ओर से होने का दावा करती हैं (1थिस 5:19-21; तुलना करें 1कुर 14:29)। "हर एक आत्मा की प्रतीति न करो, वरन आत्माओं को परखो कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं" (1 यूह 4:1) । निम्न बातें जांचने के लिये धर्मशास्त्र से है कि यह पवित्र आत्मा से बपतिस्मा परमेश्वर की ओर से है या नहीं।

(1) पवित्र आत्मा में सच्चा बपतिस्मा व्यक्ति को पहले से ज्यादा परमेश्वर से प्रेम करना तथा उसकी महिमा के लिये प्रेरित करेगा और प्रभु यीशु के लिये भी अधिक प्रेम पैदा करेगा (देखें यूह 16:13-14 प्रे 2:11,36, 4:12, 755-56, 10:44-46)। पवित्र आत्मा ही हमारे हृदयों में परमेश्वर के प्रति प्रेम बढ़ाता है (रो 5:5)। इसके विपरीत, ऐसा कोई भी बपतिस्मा जो आत्मा में होने का दावा करता है परन्तु हमारी प्रार्थना, स्तुति तथा आराधना को मसीह को छोड़ और किसी की ओर आकर्षित करता है तो यह पवित्र आत्मा में कहलाने वाला बपतिस्मा परमेश्वर की ओर से नहीं है। 

(2) पवित्र आत्मा में सच्चा बपतिस्मा स्वर्गीय पिता के साथ हमारे संबंध के प्रति गहरी जागृति उत्पन्न करता है (प्रे 114; रो 8:15-16), हमारे दैनिक जीवन में मसीह की अधिकाधिक उपस्थिति की ओर अगुवाई करता है (यूह 14:16.23; 15:26) तथा है "अब्बा, पिता" की हार्दिक पुकार को बढ़ायेगा (रो 8:15; गल 4:6)। इसके विपरीत पवित्र आत्मा में कहलाने वाला ऐसा कोई भी बपतिस्मा जिससे मसीह के साथ संगति नहीं बढ़ती और न ही पिता के साथ संबंध घनिष्ठ होता है कि पिता परमेश्वर से नहीं है। 

(3) पवित्र आत्मा में सच्चे बपतिस्में के द्वारा वचन के प्रति अधिक प्रेम पैदा होगा। सत्य का आत्मा (यूह 14:17), जिसमें जिसने धर्मशास्त्र की प्रेरणा दी (2तीम 3:16 2पत 1:20.21), परमेश्वर के प्रेम के प्रति हमारे प्रेम को गहरा करेगा (यूह 16:13 प्रे 2:42; 3:22; 1 यूह 4:6)। इसके विपरीत पवित्र आत्मा में माना जाने वाला कोई भी बपतिस्मा जो परमेश्वर के वचन को पढ़ने की भूख को कम करता हो वह परमेश्वर की ओर से नहीं है (तुलना करें यूह 8:31 : 15:4-7)। 

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(4) पवित्र आत्मा में सच्चा बपतिस्मा दूसरे मसीहियों के प्रति हमारे प्रेम तथा परवाह को और गहरा करेगा (प्रे 2:42-47; 4:31 37)। मसीही वार्तालाप तथा संगति केवल आत्मा में ही चल सकती है (2कुर 13:14)। इसके विपरीत, ऐसा कोई भी पवित्र आत्मा में बपतिस्मा जो मसीह के दूसरे खोजियों व शिष्यों के प्रति स्नेह को कम करता हो परमेश्वर की ओर से नहीं है (तुलना करें रो 5:5; 1 यूह 4:21) प्र

(5) पवित्र आत्मा में बपतिस्मा हमारे पापों से फिरने तथा मसीह के पीछे चलने के बाद आना चाहिये (प्रे 2:38; 8:15-24); यह बपतिस्मा केवल तभी तक बना रहेगा जब तक व्यक्ति पवित्रता में बना रहेगा (प्रे 2:40 3:26 5:29-32; 8:21; 26:18; गल 5:16-25), "शरीर की अभिलाषाओं को मारना" तथा "परमेश्वर के आत्मा में चलना" (से 8:13-14; तुलना करें गल 5:24 25)। इसके विपरीत, पवित्र आत्मा में होने का दावा करने वाला कोई भी बपतिस्मा जो ऐसे मनुष्य में जिसने पापों से क्षमा नहीं पाई तथा जो अभी भी अपने पापों में जी रहा यह पवित्र आत्मा का बपतिस्मा नहीं हो सकता है (प्रे 2:38-40; 8:18-23; रो 6:22-23: B:2-15); उस व्यक्ति में जो भी शक्ति है वह किसी और स्रोत से है अर्थात् शैतान की धोखे की गतिविधि (तुलना करें भज 5:4-5: 2कुर 11:13-15 2थिस 2:9-10)। 

(6) पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाप, अभक्ति के आनन्द तथा सांसारिक धन तथा प्रतिष्ठा के प्रति लगाव को कम करेगा (प्रे 4:32-37; 8:14-24 20:33 1यूह 2:15-17)। इसके विपरीत ऐसा कोई भी बपतिस्मा जो संसार के मार्गों तथा तत्त्वज्ञान के प्रति मोह बढ़ाता है वह परमेश्वर की ओर से नहीं है, "क्योंकि हमने संसार का आत्मा नहीं पाया बल्कि परमेश्वर का आत्मा" (1कुर 2:12) 

(7) पवित्र आत्मा का सच्चा बपतिस्मा हमें मसीह की गवाही तथा बचाने वाले विश्वास के प्रति प्रेम को बढ़ाता है। (तुलना करें लूक 4:18; प्रे 1:4-8; 2:1-4,37-42; 4:8-33; रो 9:1-3; 10:1)। इसके विपरीत, ऐसा कोई बपतिस्मा जो दूसरों को मसीह में लाने के गहरे प्रेम में नहीं बढ़ता है वह परमेश्वर की ओर से नहीं है (देखें प्रे 4:20, टिप्पणी)

(8) पवित्र आत्मा का बपतिस्मा हमारे जीवन में परमेश्वर के राज्य में अधिक रूचि, हमारे व्यक्तिगत जीवन में उसके वरदानों का अधिक कार्य, विशेषकर अन्यभाषा में बोलने का दान जो कि प्रेरितों की पुस्तक में पवित्र आत्मा में बपतिस्में का आरम्भिक चिन्ह है (प्रे 2:4,16-18,43; 4:29-30; 5:12-16; 6:8; 8:5-7, 10:38, 44-46; 1कुर 12-14; गल 3:5; देखें लेख अन्यभाषा में बोलना, पृष्ठ 1672)। इसके विपरीत, ऐसाकोई पवित्र आत्मा जो हमारे जीवन में अत्मा का प्रकटीकरण का परिणाम नहीं दिखाता और प्रेरितों के काम के पुस्तक मके मानक दर्शाया गया है (प्रे 2:4, 18, 10:45-46; 19:6)।

(9) पवित्र आत्मा का सच्चा बपतिस्मा हमारे दैनिक जीवन में पवित्र आत्मा के कार्य, मार्गदर्शन तथा उपस्थिति के प्रति अधिक जागरूकता पैदा करता है। नये नियम के विश्वासी पवित्र आत्मा की निरन्तर उपस्थिति के प्रति सचेत रहते थे (प्रे 2:4,16-18, 4:31; 6:5; 9:31; 10:19; 13:2,4,52; 15:28; 16:6-7; 20:23)। इसके विपरीत, ऐसा कोई भी आत्मा का बपतिस्मा जो आत्मा की उपस्थिति उसकी अगुवाई के प्रति अधिक इच्छा तथा उसे शोकित न करने और न ही आत्मा को बुझाने के कार्य हेतु अगुवाई नहीं करता है तो वह पवित्र आत्मा का बपतिस्मा नहीं है। (इफ 4:30; 1थिस 5:19)