शैतान व दुष्टात्माओं - Devil and Demons

शैतान व दुष्टात्माओं - Devil and Demons

"परन्तु कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल नहीं लूट सकताजब तक कि वह पहले उस बलवन्त को बांध न लेंऔर तब उसके घर को लूट लेगा।मरकुस 3:27

मरकुस के सुसमाचार में एक मुख्य बात यीशु की शैतान और उसकी शैतानी शक्तियों को हराने की हैमर 3:27  मेंइसे "बलवन्त को बांधना" (अर्थात् शैतान) और "उसके घर को लूटना" (अर्थात् जो शैतान के बंधन में है उन्हें स्वतंत्र करना) की नाई लिखा है। शैतान के ऊपर यह सामर्थ्य अशुद्ध आत्माओं (यूनानी में डायमोनियोन") या अशुद्ध आत्मा की निकालने में विशेष रूप से प्रकट होती है।

शैतान व दुष्टात्माओं - Devil and Demons

दुष्टात्माएँ।

(1) नए नियम में बार-बार इनका हवाला है जो दुष्टात्मा के भीतरी वास करने के कारण शैतान के सताव और प्रभाव से पीड़ित हैऔर यीशु का दुष्टात्माओं से विरोध मरकुस के सुसमाचार मेंउदाहरण हेतु असंख्य ऐसी मुठभेड़ों का वर्णन है:

मरकुस 1:23-28 और उसी समयउन की सभा के घर में एक मनुष्य थाजिस में एक अशुद्ध आत्मा थी। 24 उस ने चिल्लाकर कहाहे यीशु नासरीहमें तुझ से क्या काम?क्या तू हमें नाश करने आया हैमैं तुझे जानता हूंतू कौन हैपरमेश्वर का पवित्र जन! 25 यीशु ने उसे डांटकर कहाचुप रहऔर उस में से निकल जा। 26 तब अशुद्ध आत्मा उस को मरोड़करऔर बड़े शब्द से चिल्लाकर उस में से निकल गई। 27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे कि यह क्या बात हैयह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता हैऔर वे उस की आज्ञा मानती हैं। 28 सो उसका नाम तुरन्त गलील के आस पास के सारे देश में हर जगह फैल गया॥ 32 सन्ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें जिन में दुष्टात्माएं थीं उसके पास लाए। 33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। 34 और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थेचंगा कियाऔर बहुत से दुष्टात्माओं को निकालाऔर दुष्टात्माओं को बोलने न दियाक्योंकि वे उसे पहचानती थीं॥ 39सो वह सारे गलील में उन की सभाओं में जा जाकर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा॥

 मरकुस 3:10-12 क्योंकि उस ने बहुतों को चंगा किया थाइसलिये जितने लोग रोग से ग्रसित थेउसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे। 11 और अशुद्ध आत्माएं भीजब उसे देखती थींतो उसके आगे गिर पड़ती थींऔर चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है। 12 और उस ने उन्हें बहुत चितायाकि मुझे प्रगट न करना॥ 14 तब उस ने बारह पुरूषों को नियुक्त कियाकि वे उसके साथ साथ रहेंऔर वह उन्हें भेजेकि प्रचार करें। 15 और दुष्टात्माओं के निकालने का अधिकार रखें।

मरकुस 5:1-20 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। 2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। 3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्ध सकता था। 4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्धा गया थापर उस ने सांकलों को तोड़ दियाऔर बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थेऔर कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाताऔर अपने को पत्थरों से घायल करता था। 6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ाऔर उसे प्रणाम किया। 7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहाहे यीशुपर मप्रधान परमेश्वर के पुत्रमुझे तुझ से क्या काममैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूंकि मुझे पीड़ा न दे। 8 क्योंकि उस ने उस से कहा थाहे अशुद्ध आत्माइस मनुष्य में से निकल आ। 9 उस ने उस से पूछातेरा क्या नाम हैउस ने उस से कहामेरा नाम सेना हैक्योंकि हम बहुत हैं। 10 और उस ने उस से बहुत बिनती कीहमें इस देश से बाहर न भेज। 11वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 12 और उन्होंने उस से बिनती करके कहाकि हमें उन सूअरों में भेज देकि हम उन के भीतर जाएं। 13 सो उस ने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्डजो कोई दो हजार का थाकड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ाऔर डूब मरा। 14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया। 15 और जो हुआ थालोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकरवे उस को जिस में दुष्टात्माएं थींअर्थात जिस में सेना समाई थीकपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकरडर गए। 16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थींऔर सूअरों का पूरा हालउन को कह सुनाया। 17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगेकि हमारे सिवानों से चला जा। 18और जब वह नाव पर चढ़ने लगातो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थींउस से बिनती करने लगाकि मुझे अपने साथ रहने दे। 19 परन्तु उस ने उसे आज्ञा न दीऔर उस से कहाअपने घर जाकर अपने लोगों को बताकि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं। 20 वह जाकर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगाकि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किएऔर सब अचम्भा करते थे॥

मरकुस 6:7,13 और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो करके भेजने लगाऔर उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। 13 और बहुतेरे दुष्टात्माओं को निकालाऔर बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया॥

मरकुस 7:24-30 फिर वह वहां से उठकर सूर और सैदा के देशों में आयाऔर एक घर में गयाऔर चाहता थाकि कोई न जानेपरन्तु वह छिप न सका। 25 और तुरन्त एक स्त्री जिस की छोटी बेटी में अशुद्ध आत्मा थीउस की चर्चा सुन कर आईऔर उसके पांवों पर गिरी। 26 यह यूनानी और सूरूफिनीकी जाति की थीऔर उस ने उस से बिनती कीकि मेरी बेटी में से दुष्टात्मा निकाल दे। 27 उस ने उस से कहापहिले लड़कों को तृप्त होने देक्योंकि लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना उचित नहीं है। 28उस ने उस को उत्तर दियाकि सच है प्रभुतौ भी कुत्ते भी तो मेज के नीचे बालकों की रोटी का चूर चार खा लेते हैं। 29 उस ने उस से कहाइस बात के कारण चली जादुष्टात्मा तेरी बेटी में से निकल गई है। 30 और उस ने अपने घर आकर देखा कि लड़की खाट पर पड़ी हैऔर दुष्टात्मा निकल गई है॥

मरकुस 9:14-29 और जब वह चेलों के पास आयातो देखा कि उन के चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उन के साथ विवाद कर रहें हैं। 15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगेऔर उस की ओर दौड़कर उसे नमस्कार किया। 16 उस ने उन से पूछातुम इन से क्या विवाद कर रहे हो? 17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दियाकि हे गुरूमैं अपने पुत्र कोजिस में गूंगी आत्मा समाई हैतेरे पास लाया था। 18 जहां कहीं वह उसे पकड़ती हैवहीं पटक देती है: और वह मुंह में फेन भर लाताऔर दांत पीसताऔर सूखता जाता है: और मैं ने चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें परन्तु वह निकाल न सके। 19 यह सुनकर उस ने उन से उत्तर देके कहा: कि हे अविश्वासी लोगोंमैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और कब तक तुम्हारी सहूंगाउसे मेरे पास लाओ। 20 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उस ने उसे देखातो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ाऔर वह भूमि पर गिराऔर मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 21 उस ने उसके पिता से पूछाइस की यह दशा कब से है? 22 उस ने कहाबचपन से: उस ने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिरायापरन्तु यदि तू कुछ कर सकेतो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर। 23 यीशु ने उस से कहायदि तू कर सकता हैयह क्या बता है विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है। 24बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहाहे प्रभुमैं विश्वास करता हूंमेरे अविश्वास का उपाय कर। 25 जब यीशु ने देखाकि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैंतो उस ने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डांटाकि हे गूंगी और बहिरी आत्मामैं तुझे आज्ञा देता हूंउस में से निकल आऔर उस में फिर कभी प्रवेश न कर। 26 तब वह चिल्लाकरऔर उसे बहुत मरोड़ करनिकल आईऔर बालक मरा हुआ सा हो गयायहां तक कि बहुत लोग कहने लगेकि वह मर गया। 27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठायाऔर वह खड़ा हो गया। 28 जब वह घर में आयातो उसके चेलों ने एकान्त में उस से पूछाहम उसे क्यों न निकाल सके? 29 उस ने उन से कहाकि यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती॥

मरकुस 16:17 और विश्वास करने वालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे।

(2) दुष्टात्माएँ ऐसी आत्माएँ हैं जिनका व्यक्तित्व है और जो बुद्धिमान हैं। शैतान के राज्य के सदस्य की नाई और परमेश्वर और के मनुष्यों के शत्रुओं की नाई

मत 12:43-45  जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती हैतो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती हैऔर पाती नहीं। 44 तब कहती हैकि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थीलौट जाऊंगीऔर आकर उसे सूनाझाड़ा-बुहारा और सजा सजाया पाती है। 45 तब वह जाकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती हैऔर वे उस में पैठकर वहां वास करती हैऔर उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती हैइस युग के बुरे लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी। ), वे घृणित और दुष्ट हैं और शैतान के अधिकार के अधीन

मत 4:10 तब यीशु ने उस से कहाहे शैतान दूर हो जाक्योंकि लिखा हैकि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम करऔर केवल उसी की उपासना कर।  टिप्पणी) ।

(3) दुष्टात्माएँ मूर्तिवाले ईश्वरों की शक्ति हैंइसलिये झूठे ईश्वरों की आराधना करना अनिवार्यरूप से दुष्टात्माओं की आराधना करना है

कुर10:20, नहींवरन यहकि अन्यजाति जो बलिदान करते हैंवे परमेश्वर के लिये नहींपरन्तु दुष्टात्माओं के लिये बलिदान करते हैं: और मैं नहीं चाहताकि तुम दुष्टात्माओं के सहभागी हो।)

(4) नया नियम संसार को शैतान के कब्जे में और परमेश्वर से भटका हुआ प्रस्तुत करता है

यूह 12:31, अब इस जगत का न्याय होता हैअब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा। टिप्पणी;

2कुर 4:4 और उन अविश्वासियों के लियेजिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी हैताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप हैउसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।

इफ 6:10-12  निदानप्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्त बनो। 11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लोकि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको। 12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्धलोहू और मांस से नहींपरन्तु प्रधानों से और अधिकारियों सेऔर इस संसार के अन्धकार के हाकिमों सेऔर उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। मसीही का संसार से सम्बंधपृष्ठ 2014)। इस युग के शासकों के श्रेणीबद्ध संगठन में दुष्टात्माएँ हैंमसीहियों को उनसे लगातार युद्ध लड़ना चाहिए

इफ 6:12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्धलोहू और मांस से नहींपरन्तु प्रधानों से और अधिकारियों सेऔर इस संसार के अन्धकार के हाकिमों सेऔर उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। 

 (5) दुष्टात्माएँ अविश्वासियों की देहों में वास कर सकती हैंऔर ज्यादातर करती हैं

मर 5:15; और जो हुआ थालोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकरवे उस को जिस में दुष्टात्माएं थींअर्थात जिस में सेना समाई थीकपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकरडर गए।

लूक 4:41 और दुष्टात्मा चिल्लाती और यह कहती हुई कि तू परमेश्वर का पुत्र हैबहुतों में से निकल गईं पर वह उन्हें डांटता और बोलने नहीं देता थाक्योंकि वे जानते थेकि यह मसीह है॥

लूक 8:27-28  जब वह किनारे पर उतरातो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिलाजिस में दुष्टात्माएं थीं और बहुत दिनों से न कपड़े पहिनता था और न घर में रहता था वरन कब्रों में रहा करता था।
28 
वह यीशु को देखकर चिल्लायाऔर उसके साम्हने गिरकर ऊंचे शब्द से कहाहे परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र यीशुमुझे तुझ से क्या काम! मैं तेरी बिनती करता हूंमुझे पीड़ा न दे!

प्रे 16:18 वह पौलुस के और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी कि ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्वर के दास हैंजो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं। और बातचीत के लिये उनकी आवाजों का प्रयोग करती हैं। ऐसे व्यक्तियों को वे गुलाम बनाती और उन्हें दुष्टतावे अनैतिकता और विनाश की ओर ले जाती हैं।

(6) दुष्टात्माएँ मनुष्य की देह में शारीरिक बीमारी का कारण हो सकती हैं

मत 9:32-33 जब वे बाहर जा रहे थेतो देखोलोग एक गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी उस के पास लाए। 33 और जब दुष्टात्मा निकाल दी गईतो गूंगा बोलने लगाऔर भीड़ ने अचम्भा करके कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।

12:22 तब लोग एक अन्धे-गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थीउसके पास लाएऔर उस ने उसे अच्छा कियाऔर वह गूंगा बोलने और देखने लगा।

17:14-18 जब वे भीड़ के पास पहुंचेतो एक मनुष्य उसके पास आयाऔर घुटने टेक कर कहने लगा। 15 हे प्रभुमेरे पुत्र पर दया करक्योंकि उस को मिर्गी आती है: और वह बहुत दुख उठाता हैऔर बार बार आग में और बार बार पानी में गिर पड़ता है। 16 और मैं उस को तेरे चेलों के पास लाया थापर वे उसे अच्छा नहीं कर सके।17 यीशु ने उत्तर दियाकि हे अविश्वासी और हठीले लोगों मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगाकब तक तुम्हारी सहूंगाउसे यहां मेरे पास लाओ। 18 तब यीशु ने उसे घुड़काऔर दुष्टात्मा उस में से निकलाऔर लड़का उसी घड़ी अच्छा हो गया।

मर 9:20-22 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उस ने उसे देखातो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ाऔर वह भूमि पर गिराऔर मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 21 उस ने उसके पिता से पूछाइस की यह दशा कब से है? 22 उस ने कहाबचपन से: उस ने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिरायापरन्तु यदि तू कुछ कर सकेतो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।

लूक 13:11 और देखोएक स्त्री थीजिसे अठारह वर्ष से एक र्दुबल करने वाली दुष्टात्मा लगी थीऔर वह कुबड़ी हो गई थीऔर किसी रीति से सीधी नहीं हो सकती थी। 13 तब उस ने उस पर हाथ रखेऔर वह तुरन्त सीधी हो गईऔर परमेश्वर की बड़ाई करने लगी। ),

जबकि सारे रोग और  बीमारी का कारण अशुद्ध आत्माएँ नहीं हैं

मत 4:24 और सारे सूरिया में उसका यश फैल गयाऔर लोग सब बीमारों कोजो नाना प्रकार की बीमारियों और दुखों में जकड़े हुए थेऔर जिन में दुष्टात्माएं थीं और मिर्गी वालों और झोले के मारे हुओं को उसके पास लाए और उस ने उन्हें चंगा किया।

लूक 5:12-13 12 जब वह किसी नगर में थातो देखोवहां कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य थाऔर वह यीशु को देखकर मुंह के बल गिराऔर बिनती कीकि हे प्रभु यदि तू चाहे हो मुझे शुद्ध कर सकता है।
13 
उस ने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ और कहा मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा: और उसका कोढ़ तुरन्त जाता रहा।)

(7) जो प्रेतात्मावाद और जादू टोना करते हैं। अर्थात् जादूगरी) दुष्टात्माओं से व्यवहार करते हैंजो सरलता से दुष्टात्माओं के दासत्व में ले जाती हैं

प्रे 13:8-10, परन्तु इलीमास टोन्हे नेक्योंकि यही उसके नाम का अर्थ है उन का साम्हना करकेसूबेदार को विश्वास करने से रोकना चाहा। तब शाऊल ने जिस का नाम पौलुस भी हैपवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो उस की ओर टकटकी लगाकर कहा। 10 हे सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए शैतान की सन्तानसकल धर्म के बैरीक्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा?

19:19 और जादू करने वालों में से बहुतों ने अपनी अपनी पोथियां इकट्ठी करके सब के साम्हने जला दींऔर जब उन का दाम जोड़ा गयाजो पचास हजार रूपये की निकलीं।

गल 5:20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म।

प्रक 9:20 और बाकी मनुष्यों ने जो उन मरियों से न मरे थेअपने हाथों के कामों से मन न फिरायाकि दुष्टात्माओं कीऔर सोने और चान्दीऔर पीतलऔर पत्थरऔर काठ की मूरतों की पूजा न करेंजो न देखन सुनन चल सकती हैं।

(8) इस युग के अंतिम दिनों में अशुद्ध आत्माएँ विशेष रूप से क्रियाशील होंगीतंत्र-मंत्रअनैतिकताहिंसा और क्रूरता को बढ़ावा देंगीपरमेश्वर के वचन और खरी शिक्षा पर वे हमला करेंगी

मत 24:24, क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगेऔर बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगेकि यदि हो के तो चुने हुओं को भी भरमा दें।

2कुर. 11:14-15, और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। 15 सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्तु उन का अन्त उन के कामों के अनुसार होगा।

1तीम 4:1  परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता हैकि आने वाले समयों में कितने लोग भरमाने वाली आत्माओंऔर दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे। ) दुष्टात्माओं की मसीह विरोधी और उसके अनुयायियों में सबसे व्यापक सक्रियता होगी

2थिस 2:9 उस अधर्मी का आना शैतान के कार्य के अनुसार सब प्रकार की झूठी सामर्थऔर चिन्हऔर अद्भुत काम के साथ।

प्रक 13:13 और वह बड़े बड़े चिन्ह दिखाता थायहां तक कि मनुष्यों के साम्हने स्वर्ग से पृथ्वी पर आग बरसा देता था।

16:13-14 और मैं ने उस अजगर के मुंह सेऔर उस पशु के मुंह से और उस झूठे भविष्यद्वक्ता के मुंह से तीन अशुद्ध आत्माओं को मेंढ़कों के रूप में निकलते देखा। 14 ये चिन्ह दिखाने वाली दुष्टात्मा हैंजो सारे संसार के राजाओं के पास निकल कर इसलिये जाती हैंकि उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई के लिये इकट्ठा करें। )

यीशु और दुष्टात्माएँ।

(1) अपने आश्चर्यकर्मों मेंयीशु ने कई बार शैतान की शक्ति और दुष्टात्मा पर आक्रमण किया।

मरकुस 1:26,34,39 तब अशुद्ध आत्मा उसको मरोड़करऔर बड़े शब्द से चिल्लाकर उसमें से निकल गई। और उसने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुःखी थेचंगा कियाऔर बहुत से दुष्टात्माओं को निकालाऔर दुष्टात्माओं को बोलने न दियाक्योंकि वे उसे पहचानती थीं। और वह सारे गलील में उनके आराधनालयों में जा जाकर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा।  

मरकुस 3:10-11 क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया थाइसलिए जितने लोग रोग से ग्रसित थेउसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे। और अशुद्ध आत्माएँ भीजब उसे देखती थींतो उसके आगे गिर पड़ती थींऔर चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है।

मरकुस 5:1-20, 1 वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुँचे, 2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिसमें अशुद्ध आत्मा थीकब्रों से निकलकर उसे मिला।वह कब्रों में रहा करता था और कोई उसे जंजीरों से भी न बाँध सकता था, 4 क्योंकि वह बार बार बेड़ियों और जंजीरों से बाँधा गया थापर उसने जंजीरों को तोड़ दियाऔर बेड़ियों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थेऔर कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ों में चिल्लाताऔर अपने को पत्थरों से घायल करता था। वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ाऔर उसे प्रणाम किया। और ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा, “हे यीशुपरमप्रधान परमेश्वर के पुत्रमुझे तुझ से क्या काममैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूँकि मुझे पीड़ा न दे।” 8 क्योंकि उसने उससे कहा था, “हे अशुद्ध आत्माइस मनुष्य में से निकल आ।” 9 यीशु ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने उससे कहा, “मेरा नाम सेना हैक्योंकि हम बहुत हैं।” 10 और उसने उससे बहुत विनती की, “हमें इस देश से बाहर न भेज।” 11 वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 12 और उन्होंने उससे विनती करके कहा, “हमें उन सूअरों में भेज देकि हम उनके भीतर जाएँ।” 13 अतः उसने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर घुस गई और झुण्डजो कोई दो हजार का थाकड़ाड़े पर से झपटकर झील में जा पड़ाऔर डूब मरा। 14 और उनके चरवाहों ने भागकर नगर और गाँवों में समाचार सुनायाऔर जो हुआ थालोग उसे देखने आए। 15 यीशु के पास आकरवे उसको जिसमें दुष्टात्माएँ समाई थीकपड़े पहने और सचेत बैठे देखकरडर गए। 16 और देखनेवालों ने उसका जिसमें दुष्टात्माएँ थींऔर सूअरों का पूरा हालउनको कह सुनाया। 17 और वे उससे विनती करके कहने लगेकि हमारी सीमा से चला जा। 18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगातो वह जिसमें पहले दुष्टात्माएँ थींउससे विनती करने लगा, “मुझे अपने साथ रहने दे।” 19 परन्तु उसने उसे आज्ञा न दीऔर उससे कहा, “अपने घर जाकर अपने लोगों को बताकि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।” 20 वह जाकर दिकापुलिस में इस बात का प्रचार करने लगाकि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किएऔर सब अचम्भा करते थे।  

मरकुस 9:17-29 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, “हे गुरुमैं अपने पुत्र कोजिसमें गूँगी आत्मा समाई हैतेरे पास लाया था। 18 जहाँ कहीं वह उसे पकड़ती हैवहीं पटक देती हैऔर वह मुँह में फेन भर लाताऔर दाँत पीसताऔर सूखता जाता है। और मैंने तेरे चेलों से कहाकि वे उसे निकाल देंपरन्तु वे निकाल न सके।” 19 यह सुनकर उसने उनसे उत्तर देके कहा, “हे अविश्वासी लोगोंमैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगाऔर कब तक तुम्हारी सहूँगाउसे मेरे पास लाओ।” 20 तब वे उसे उसके पास ले आए। और जब उसने उसे देखातो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ाऔर वह भूमि पर गिराऔर मुँह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 21 उसने उसके पिता से पूछा, “इसकी यह दशा कब से है?” और उसने कहा, “बचपन से। 22 उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिरायापरन्तु यदि तू कुछ कर सकेतो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।” 23 यीशु ने उससे कहा, “यदि तू कर सकता है! यह क्या बात हैविश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।” 24 बालक के पिता ने तुरन्त पुकारकर कहा, “हे प्रभुमैं विश्वास करता हूँमेरे अविश्वास का उपाय कर।” 25 जब यीशु ने देखाकि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैंतो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डाँटाकि हे गूँगी और बहरी आत्मामैं तुझे आज्ञा देता हूँउसमें से निकल आऔर उसमें फिर कभी प्रवेश न करना।” 26 तब वह चिल्लाकरऔर उसे बहुत मरोड़करनिकल आईऔर बालक मरा हुआ सा हो गयायहाँ तक कि बहुत लोग कहने लगेकि वह मर गया। 27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठायाऔर वह खड़ा हो गया। 28 जब वह घर में आयातो उसके चेलों ने एकान्त में उससे पूछा, “हम उसे क्यों न निकाल सके?” 29 उसने उनसे कहा, “यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।” 

तुलना करें लूक 13:16 और क्या उचित न थाकि यह स्त्री जो अब्राहम की बेटी हैजिसे शैतान ने अठारह वर्ष से बाँध रखा थासब्त के दिन इस बन्धन से छुड़ाई जाती?”| यीशु का पृथ्वी पर आने का एक स्पष्ट उद्देश्य शैतान को बाँधना और उसके द्वारा बंधन में जकड़े हुओं को स्वतंत्र करना था

मत 12:29 या कैसे कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहले उस बलवन्त को न बाँध लेऔर तब वह उसका घर लूट लेगा।

मर 1:27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे यह क्या बात हैयह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता हैऔर वे उसकी आज्ञा मानती हैं।”  

लूक 4:18 प्रभु का आत्मा मुझ पर हैइसलिए कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया हैऔर मुझे इसलिए भेजा हैकि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ, )

(2) यीशु का शैतान को बाँधनाआंशिक रूप से उसका दुष्टात्माओं को निकालने के द्वारा हुआ और पूर्ण रूप से उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान से

यूह 12:31 अब इस जगत का न्याय होता हैअब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा। ), शैतान के अधिकार क्षेत्र की शक्ति को तोड़कर और परमेश्वर के राज्य की सामर्थ्य को बहाल करे (देखें लेख परमेश्वर का राज्यपृष्ठ 1446)

(3) नरक (यूनानी में "गेहेन्ना")सताव का स्थान जो हमारे प्रभु ने शैतान और उसकी दुष्टात्माओं के लिये तैयार किया है

मत 8:29 औरउन्होंने चिल्लाकर कहा, “हे परमेश्वर के पुत्रहमारा तुझ से क्या कामक्या तू समय से पहले हमें दुःख देने यहाँ आया है?”

25:41 तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, ‘हे श्रापित लोगोंमेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओजो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।)

शैतान व दुष्टात्माओं - Devil and Demons

विश्वासी और दुष्टात्माएँ।

(1) पवित्रशास्त्र शिक्षा देता है कि कोई भी सच्चा विश्वासी जिसमें पवित्र आत्मा वास करती है उस पर दुष्टात्मा का कब्जा नहीं हो सकतापवित्र आत्मा और दुष्टात्माएँ एक ही देह में कभी नहीं रह सकते

2कुर 6:15-16 और मसीह का बलियाल के साथ क्या लगावया विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाताऔर मूरतों के साथ परमेश्वर के मन्दिर का क्या सम्बंधक्योंकि हम तो जीविते परमेश्वर के मन्दिर हैंजैसा परमेश्वर ने कहा है मैं उनमें बसूँगा और उनमें चला फिरा करूँगाऔर मैं उनका परमेश्वर होऊँगाऔर वे मेरे लोग होंगे। टिप्पणी ) । परन्तु दुष्टात्माएँ ऐसी मसीही आत्मा की अगुवाई का अनुसरण करने में असफल होते हैं उनके विचारोंभावनाओं और कार्यों को प्रभावित कर सकती हैं

मत 16:23 उसने फिरकर पतरस से कहा, “हे शैतानमेरे सामने से दूर हो! तू मेरे लिये ठोकर का कारण हैक्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहींपर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।

2कुर 11:3,14 परन्तु मैं डरता हूँ कि जैसे साँप ने अपनी चतुराई से हव्वा को बहकायावैसे ही तुम्हारे मन उस सिधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्ट न किए जाएँ। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।

(2) यीशु ने सच्चे विश्वासियों को शैतान और उसके अनुयायियों की शक्ति पर अधिकार की प्रतिज्ञा दी है। जब हम उनका सामना करते हैंतब हमें पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा एक गहन आत्मिक युद्ध लड़ना है जिसके द्वारा हम उस शक्ति को तोड़ें जो हमारे और दूसरों के ऊपर प्रयोग करना चाहते हैं

लूक 4:14-19 फिर यीशु पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआगलील को लौटाऔर उसकी चर्चा आस-पास के सारे देश में फैल गई। और वह नासरत में आयाजहाँ उसका पालन-पोषण हुआ थाऔर अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गईऔर उसने पुस्तक खोलकरवह जगह निकाली जहाँ यह लिखा था: प्रभु का आत्मा मुझ पर हैइसलिए कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया हैऔर मुझे इसलिए भेजा हैकि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँऔर प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ।

(3)  इस प्रकार से हम अंधकार की शक्तियों से स्वतंत्र हो सकते हैं।

मर 3:27 किन्तु कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट नहीं सकताजब तक कि वह पहले उस बलवन्त को न बाँध लेऔर तब उसके घर को लूट लेगा। ,के दृष्टांत के अनुसारशैतान के विरुद्ध आत्मिक युद्ध में तीन पहलु सम्मिलित हैं:

(a) परमेश्वर के उद्देश्यानुसार शैतान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा करना,

लूक 4:14-19 फिर यीशु पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआगलील को लौटाऔर उसकी चर्चा आस-पास के सारे देश में फैल गई। और वह नासरत में आयाजहाँ उसका पालन-पोषण हुआ थाऔर अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गईऔर उसने पुस्तक खोलकरवह जगह निकाली जहाँ यह लिखा था: प्रभु का आत्मा मुझ पर हैइसलिए कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया हैऔर मुझे इसलिए भेजा हैकि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँऔर प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ।

(b) शैतान के घर में प्रवेश करना (कोई भी स्थान जहाँ उसका दृढ़ गढ़ हो)प्रार्थना और वचन के प्रचार से उस पर हमला करना और उस पर काबू पाना और शैतानी धोखे और परीक्षा के उसके शस्त्रों को नष्ट करना (तुलना करें

लूक 11:20-22 परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से दुष्टात्माओं को निकालता हूँतो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा। 21 जब बलवन्त मनुष्य हथियार बाँधे हुए अपने घर की रखवाली करता हैतो उसकी सम्पत्ति बची रहती है। 22 पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता हैतो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा थाछीन लेता है और उसकी सम्पत्ति लूटकर बाँट देता है );

(c) उसकी सम्पत्ति को लूट लेना अर्थात् शैतान के चंगुल में फंसे हुओं को वे में छुड़ाना और उन्हें परमेश्वर को समर्पित करना ताकि वे यीशु में विश्वास के द्वारा पवित्र किए जाएँ और क्षमा पाएं

लूक 11:22  पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता हैतो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा थाछीन लेता है और उसकी सम्पत्ति लूटकर बाँट देता है )

प्रे 26:18 कि तू उनकी आँखें खोलेकि वे अंधकार से ज्योति की ओरऔर शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरेंकि पापों की क्षमाऔर उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैंविरासत पाएँ।’)

(4) इस प्रक्रिया में हमें निम्नलिखित व्यक्तिगत कदमों को उठाना है:
(a) इस बात को मान्यता दें कि हमारा युद्ध माँस और लहू से नहीं परन्तु आत्मिक सेनाओं और दुष्ट की शक्तियों के विरुद्ध है

इफ 6:12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्धलहू और माँस से नहींपरन्तु प्रधानों से और अधिकारियों सेऔर इस संसार के अंधकार के शासकों सेऔर उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।

(b) परमेश्वर के सम्मुख रहेंउसके सत्य और धार्मिकता में मजबूती से बने रहें

रो. 12:1-2 इसलिए हे भाइयोंमैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूँकि अपने शरीरों को जीवितऔर पवित्रऔर परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओयही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। और इस संसार के सदृश्य न बनोपरन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाएजिससे तुम परमेश्वर की भलीऔर भावतीऔर सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।

इफ 6:14 इसलिए सत्य से अपनी कमर कसकरऔर धार्मिकता की झिलम पहनकर )

(c) विश्वास रखें कि शैतान की शक्ति को उसके राज्य के किसी भी विशेष क्षेत्र में तोड़ा जा सकता है

प्रे 26:18 कि तू उनकी आँखें खोलेकि वे अंधकार से ज्योति की ओरऔर शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरेंकि पापों की क्षमाऔर उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैंविरासत पाएँ।’  

इफ 6:16 और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिससे तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको। 1थिस 5:8 पर हम जो दिन के हैंविश्वास और प्रेम की झिलम पहनकर और उद्धार की आशा का टोप पहनकर सावधान रहें। ), और जाने कि परमेश्वर के द्वारा शैतान के गढ़ों

2कुर 10:4-5 क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहींपर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं। हम कल्पनाओं कोऔर हर एक ऊँची बात कोजो परमेश्वर की पहचान के विरोध में उठती हैखण्डन करते हैंऔर हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं। को नाश करने के लिये विश्वासियों को शक्तिशाली आत्मिक हथियार दिए गए हैं।

(d) पवित्र आत्मा की परिपूर्णता में राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना

मत 4:23 और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उनके आराधनालयों में उपदेश करताऔर राज्य का सुसमाचार प्रचार करताऔर लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।

लूक 1:15-17 “क्योंकि वह प्रभु के सामने महान होगाऔर दाखरस और मदिरा कभी न पीएगाऔर अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा। और इस्राएलियों में से बहुतों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा। वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य में होकर उसके आगे-आगे चलेगाकि पिताओं का मन बाल-बच्चों की ओर फेर देऔर आज्ञा न माननेवालों को धर्मियों की समझ पर लाएऔर प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।

लूका 1:8 जब वह अपने दल की पारी पर परमेश्वर के सामने याजक का काम करता था।

लूक 2:48 तब वे उसे देखकर चकित हुए और उसकी माता ने उससे कहा, “हे पुत्रतूने हम से क्यों ऐसा व्यवहार कियादेखतेरा पिता और मैं कुढ़ते हुए तुझे ढूँढ़ते थे।

लूक 1:16 और इस्राएलियों में से बहुतों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा।

इफ 6:15 और पाँवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहनकर;)

(e) यीशु के नाम पर विश्वास के द्वारा शैतान और उसकी सामर्थ्य को

प्रे 16:16-18 जब हम प्रार्थना करने की जगह जा रहे थेतो हमें एक दासी मिलीजिसमें भावी कहनेवाली आत्मा थीऔर भावी कहने से अपने स्वामियों के लिये बहुत कुछ कमा लाती थी। वह पौलुस के और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी, “ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्वर के दास हैंजो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं।” वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रहीपरन्तु पौलुस परेशान हुआऔर मुड़कर उस आत्मा से कहा, “मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँकि उसमें से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।” ),

परमेश्वर के वचन; इफ 6:17 और उद्धार का टोपऔर आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन हैले लो। )

के प्रयोग द्वाराआत्मा में प्रार्थना द्वारा प्रे 6:4 परन्तु हम तो प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।

इफ 6:18 और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थनाऔर विनती करते रहोऔर जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो, ),

उपवास द्वारामत 6:16 जब तुम उपवास करोतो कपटियों के समान तुम्हारे मुँह पर उदासी न छाई रहेक्योंकि वे अपना मुँह बनाए रहते हैंताकि लोग उन्हें उपवासी जानें। मैं तुम से सच कहता हूँकि वे अपना प्रतिफल पा चुके।  टिप्पणी)

और दुष्टात्माओं को भगाने के द्वारा मत 10:1 फिर उसने अपने बारह चेलों को पास बुलाकरउन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दियाकि उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलताओं को दूर करें। टिप्पणी; 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँतो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है। 17:17-21 यीशु ने उत्तर दिया, “हे अविश्वासी और हठीले लोगोंमैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगाकब तक तुम्हारी सहूँगाउसे यहाँ मेरे पास लाओ।” तब यीशु ने उसे डाँटाऔर दुष्टात्मा उसमें से निकलाऔर लड़का उसी समय अच्छा हो गया।

तब चेलों ने एकान्त में यीशु के पास आकर कहा, “हम इसे क्यों नहीं निकाल सके?” उसने उनसे कहा, “अपने विश्वास की कमी के कारण: क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँयदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी होतो इस पहाड़ से कह सकोगे, ‘यहाँ से सरककर वहाँ चला जा’, तो वह चला जाएगाऔर कोई बात तुम्हारे लिये अनहोनी न होगी। [पर यह जाति बिना प्रार्थना और उपवास के नहीं निकलती।]

मर 16:17 और विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगेनई-नई भाषा बोलेंगे;  

लूक 10:17 वे सत्तर आनन्द से फिर आकर कहने लगे, “हे प्रभुतेरे नाम से दुष्टात्मा भी हमारे वश में है।

प्रे 5:16 वे सत्तर आनन्द से फिर आकर कहने लगे, “हे प्रभुतेरे नाम से दुष्टात्मा भी हमारे वश में है।

8:7 क्योंकि बहुतों में से अशुद्ध आत्माएँ बड़े शब्द से चिल्लाती हुई निकल गईंऔर बहुत से लकवे के रोगी और लँगड़े भी अच्छे किए गए।

16:18 वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रहीपरन्तु पौलुस परेशान हुआऔर मुड़कर उस आत्मा से कहा, “मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँकि उसमें से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।

19:12 यहाँ तक कि रूमाल और अँगोछे उसकी देह से स्पर्श कराकर बीमारों पर डालते थेऔर उनकी बीमारियाँ दूर हो जाती थीऔर दुष्टात्माएँ उनमें से निकल जाया करती थीं। देखें लेख विश्वासियों के चिन्हपृष्ठ 1531) उसे सीधी चुनौती देना।

(f) विशेष रूप से पवित्र आत्मा से प्रार्थना करना कि भटके हुओं को पापधार्मिकता और आनेवाले न्याय

यूह 16:7-11 फिर भी मैं तुम से सच कहता हूँकि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा हैक्योंकि यदि मैं न जाऊँतो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगापरन्तु यदि मैं जाऊँगातो उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा। और वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा। पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करतेऔर धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँऔर तुम मुझे फिर न देखोगेन्याय के विषय में इसलिए कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है। के प्रति कायम करें।

(g) चंगाईअन्य भाषा बोलनाचिन्ह और चमत्कार और आश्चर्यकर्म

प्रे 4:29-33 “अब हे प्रभुउनकी धमकियों को देखऔर अपने दासों को यह वरदान दे कि तेरा वचन बड़े साहस से सुनाएँ। और चंगा करने के लिये तू अपना हाथ बढ़ा कि चिन्ह और अद्भुत काम तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम से किए जाएँ।” जब वे प्रार्थना कर चुकेतो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गयाऔर वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गएऔर परमेश्वर का वचन साहस से सुनाते रहे। और विश्वास करनेवालों की मण्डली एक चित्त और एक मन की थीयहाँ तक कि कोई भी अपनी सम्पत्ति अपनी नहीं कहता थापरन्तु सब कुछ साझे का था। और प्रेरित बड़ी सामर्थ्य से प्रभु यीशु के जी उठने की गवाही देते रहे और उन सब पर बड़ा अनुग्रह था।

10:38 परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से अभिषेक कियावह भलाई करताऔर सब को जो शैतान के सताए हुए थेअच्छा करता फिराक्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।

1कुर 12:7-11 किन्तु सब के लाभ पहुँचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है। क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें दी जाती हैंऔर दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें। और किसी को उसी आत्मा से विश्वासऔर किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है। फिर किसी को सामर्थ्य के काम करने की शक्तिऔर किसी को भविष्यद्वाणी कीऔर किसी को आत्माओं की परखऔर किसी को अनेक प्रकार की भाषाऔर किसी को भाषाओं का अर्थ बताना। परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा करवाता हैऔर जिसे जो चाहता है वह बाँट देता है। के वरदानों की आत्मा के द्वारा प्रकटीकरण के लिये प्रार्थना करना और उसकी तीव्र लालसा करना।