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त्रिएकत्व, पिता परमेश्वर, पुत्र प्रभु यीशु मसीह, और पवित्र आत्मा, अध्ययन

प्रस्तावना

    व्यवस्थाविवरण 6:4, "हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है। केवल एक ही परमेश्वर है। परन्तु पवित्रशास्त्र का सावधानी - पूर्वक अध्ययन करने से स्पष्ट हो जाता है कि परमेश्वर तीन व्यक्तियों के रूप में विद्यमान है, अर्थात् परमेश्वरत्व, जो तीन व्यक्तियों में प्रकट होता है।

    कुलुस्सियों 2:9,"क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है।"
आपत्तिः परमेश्वर एक ही समय में तीन व्यक्ति और एक ही परमेश्वर कैसे हो सकता है? क्या इसके अनुसार तीन परमेश्वर नहीं हो जाएंगे, जो अन्यजातियों के दर्शन 
( Philosophy‌ ) के अनुकूल, और व्यवस्थाविवरण 6:4 के सर्वथा विपरीत है ?
क्या त्रिएकत्व का सिद्धान्त समझ से बाहर और तर्क के विपरीत नहीं है ?

    यशायाह 55:8,9 सिखाता है कि मनुष्य के तर्क से हम परमेश्वर के वचन को नहीं समझ सकते, "क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं हैं, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।"

        त्रिएकत्व' और ' त्रिएक परमेश्वर' दोनों ही शब्द पवित्रशास्त्र में नहीं मिलते हैं।

1. त्रिएकत्व के सिद्धान्त का आधार

1. मत्ती 3:13,17 में यीशु का बपतिस्मा; हम यह त्रिएकत्व को कार्य करते हुए देखते हैं : परमेश्वर पिता स्वर्ग से बोलता है, "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ। "परमेश्वर पुत्र, हमारे प्रभु, यीशु मसीह, का बपतिस्मा हो रहा था। परमेश्वर पवित्र आत्मा कबूतर के रूप में उद्धारकर्ता के ऊपर उतरा।

2. मत्ती 28:19, में बपतिस्में की कार्य - प्रणाली, "इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।"

3. 2 कुरिन्थियों 13:14 का आशीर्वाद, "प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह और परमेश्वर का प्रेम और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सब के साथ होती रहे।"

4. मनुष्य की उत्पत्ति के समय बहुवचन का प्रयोग है। उत्पत्ति 1:26," फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाए और वे पृथ्वी पर अधिकार रखें। "आगे के अध्यायों में हम स्पष्ट करेंगे कि पुत्र यीशु मसीह वास्तविक परमेश्वर है। और पवित्र आत्मा परमेश्वर है।

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2. त्रिएकत्व के सिद्धान्त के उदाहरण

1. तिपतिया ( Shamrock )। एक तीन पत्तियों वाला पौधा जिसे सन्त पैट्रिक ने इस सिद्धन्त को समझाने के लिए प्रयोग किया था। इसकी पत्तियाँ एक तो होती है परन्तु प्रत्येक पत्ती के तीन अलग - अलग अंग होते हैं।

2. पानी - तीन रूपों में पाया जाता है - तरल पदार्थ, बर्फ तथा भाप; तौभी तीनों ही है।

3. प्रकाश - लाल गर्मी की किरणें जो दिखाई नहीं देती, पिता को चित्रित करती है। पीली प्रकाश की किरणें जो दिखाई देती है, पुत्र को चित्रित करती है। नीली रासायनिक किरणें जिनके प्रभावों से हमें उनका पता चलता है, पवित्र आत्मा को चित्रित करती है।

4. व्यावसायिक कम्पनी ( कुमार एण्ड कम्पनी, तीन भभा, रमेश, सुरेश, नरेश )। यह एक ही नाम की एक फर्म है परन्तु प्रत्येक भाई एक विभाग का प्रमुख है। तीनों बिना आपसी संघर्ष के एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं, जिस प्रकार प्रभु करता है।

5.अल्बन डगलस; मैं हूँ तो एक व्यक्ति परन्तु मैं तीन व्यक्तियों के रूप में देखा जा सकता हूँ: मेरी माँ मुझे एक पुत्र के रूप में देखती है। वह मुझे अन्य सभी लोगों से भिन्न रूप में देखती है और मैं उसके साथ ऐसा व्यवहार करता हूँ जैसा अन्य किसी व्यक्ति के साथ नहीं करता।
मेरे बच्चे मुझे एक पिता के रूप में देखते हैं और हमारा एक दूसरे के साथ इसी सम्बन्ध के अनुरूप व्यवहार होता है। मेरी कक्षा मुझे एक शिक्षक के रूप में देखती है, जो कि एक भिन्न सम्बन्ध है

  मैं एक ही व्यक्ति हूँ, परन्तु मैं एक ही समय में एक पुत्र, पिता और शिक्षक के रूप में दिखाई देता हूँ। परमेश्वर एक ऐसा परमेश्वर है जिसका विभाजन नहीं किया जा सकता और जो तीन भिन्न व्यक्तियों में प्रकट होता है। इस बात पर जोर देना आवश्य है कि त्रिएकत्व एक रहस्य ही रहा है और कोई भी अकेला उदाहरण सब कुछ नहीं समझा सकता।
  तौभी, मेरा विश्वास है कि इन विभिन्न उदाहरणों के द्वारा हम इस कठिन और उलझी हुई समस्या पर थोड़ा - बहुत प्रकाश तो डाल ही सकते हैं। क्योंकि परमेश्वर एक आत्मा है और हम शारीरिक प्राणी हैं, हमारे लिए परमेश्वर को समझना कठिन है।

  परमेश्वर असीमित है जबकि हम सीमित प्राणी हैं। परमेश्वर के त्रिएकत्व का दार्शनिक स्पष्टीकरण, असीमित तथ्यों को सीमित भाषा में व्यक्त करने का एक प्रयत्न मात्र है। हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि एक ही परमेश्वर है, जो सनातन से विद्यमान है और हम पर अपने आपको तीन रूपों में प्रकट करता है - पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा।

3. त्रिएकत्व एक इकाई के रूप में कार्यशील

1. सृजन में: परमेश्वर - पिता बोला, उत्पत्ति 1:3, "तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो। " परमेश्वर - पुत्र वह वचन था जो बोला गया; यूहन्ना 1:1, "आदि में वचन था। "परमेश्वर - पवित्र आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था; उत्पत्ति 1:2; अय्यूब 26:12,13

2. देहधारण में : परमेश्वर - पिता ने अपना एकलौता पुत्र दिया; यूहन्ना 3:16। परमेश्वर - पुत्र संसार में उत्पन्न हुआ था; लूका 2:11। परमेश्वर - पवित्र आत्मा मरियम पर गर्भ धारण के लिए उतरा; लूका 1:35। 

3. छुटकारे के कार्य में : परमेश्वर पिता ने कलवरी का बलिदान स्वीकार किया; इब्रानियों 9:14। परमेश्वर - पुत्र ने अपने आप को हमारे स्थान पर अर्पित किया; इब्रानियों 9:14। परमेश्वर - पवित्र आत्मा - यीशु ने अपने आपको" सनातन आत्मा के द्वारा" अर्पित किया; इब्रानियों 9:14।

4. उद्धार में: परमेश्वर - पिता ने दूर देश से लौटे उड़ाऊ पुत्र को ग्रहण किया, लूका 15:22, पिता पापी का स्वागत करता है, उसे क्षमा करता है, उसे वस्त्र और अगूठी पहनाता है तथा एक भोज देता है। परमेश्वर - पुत्र वह चरवाहा है जो खोई हुई भेड़ को ढूंढने जाता है; लूका 15:4। परमेश्वर - पवित्र आत्मा नये विश्वासी पर मुहर लगाता है; इफिसियों 1:13। 

5. सहभागिता में: परमेश्वर - पिता हमें सहभागिता के लिए अपने पास आने का निमंत्रन देता है; इफिसियों 2:18। परमेश्वर - पुत्र हमारा मेल - मिलाप है; 2 कुरिन्थियों 5:19। परमेश्वर - पवित्र आत्मा इस मिलाप और सहभागिता को कार्यान्वित करता है, इफिसियों 2:18।

6. प्रार्थना में: परमेश्वर - पिता निवेदनों को ग्रहण करता है; यूहन्ना 16:23। परमेश्वर - पुत्र के नाम में हम प्रार्थनाएँ करते हैं; यूहन्ना 16:23। परमेश्वर - पवित्र आत्मा प्रार्थना में हमारी अगुवाई करता है; रोमियों 8:26। 

7. महिमा में: परमेश्वर - पिता का अन्त में हजार वर्ष का राज्य होगा; 1 कुरिन्थियों 15:24
। परमेश्वर - पुत्र हमारी नाशवान देह को अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा; फिलिप्पियों 3:21। परमेश्वर - पवित्र आत्मा निमन्त्रण देता है; प्रकाशितवाक्य 22:17। 

पुनर्जीवन प्रदान करने में: परमेश्वर - पिता नए - नाम को महिमा ( स्वर्ग ) में अंकित करता है; लूका 10:20। परमेश्वर - पुत्र पाप को अपने बहुमुल्य लहू से शुद्ध करता है; इफिसियों 1:7। परमेश्वर - पवित्र आत्मा नए जन्म के आश्चर्यजनक परिवर्तन को कार्यान्वित करता है; यूहन्ना 3:3-6। 

4. त्रिएकत्व और परमेश्वर के गुण - पृष्ठ 28 पर

सारांश

यदि आप इस जटिल सिद्धान्त को समझने में असमर्थ हैं तो व्याकुल न हो। "जो व्यक्ति त्रिएकत्व को पूरी तरह समझने की चेष्टा करेगा वह अपना मानसिक सन्तुलन खो बैठेगा । परन्तु जो त्रिएकत्व का इन्कार करेगा वह अपनी आत्मा ही खो बैठेगा।" - लिण्डसैल तथा बुडब्रिज
  यह एक रहस्य है और रहस्य ही रहेगा जब तक हम प्रभु से स्वर्ग में न मिलें। परन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि हम इस पर विश्वास नहीं कर सकते। इस पर विश्वास करना परम आवश्यक है। परमेश्वर हमसे कितना भिन्न है ; वह आत्मा है और हम मानव प्राणी।
  मेरा विश्वास है कि जब हम इस सिद्धान्त पर विश्वास करते हैं तब परमेश्वर का आदर होता है और वह प्रसन्न होता है। मनुष्य भी एक त्रिएक प्राणी है - शरीर, आत्मा, प्राण - क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप और समानता में बनाए गए थे।
आइए इस महान परमेश्वर की आराधना करें - वह जो कि हम से कहीं अधिक उत्तम है। आइए त्रिएकत्व के प्रत्येक सदस्य का धन्यवाद करें, पिता, पुत्र तथा पवित्र आत्मा का, उन कार्यों के लिए जो उन्होंने व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए किए हैं।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न

1. मत्ती 3 : 13-17 किस प्रकार सिद्ध करता है कि परमेश्वर त्रिएक है?
2. त्रिएकत्व को सिद्ध करने के लिए पवित्रशास्त्र में से दो अन्य पद उद्धृत कीजिए।
3. बाइबल में त्रिएकत्व के बारे में सबसे पहला संकेत कहाँ मिलता
4. त्रिएकत्व के तीन उदाहरण दीजिए
5. सृजन के कार्य में त्रिएकत्व ने किस प्रकार कार्य किया ?
6. छुटकारे के कार्य में त्रिएकत्व का क्या कार्य था ?
7. त्रिएकत्व ने उद्धार के कार्य में क्या किया ?
8. प्रार्थना के बारे में त्रिएकत्व कैसे कार्य करता है ?
9. एक पापी को नवजीवन प्रदान करने में त्रिएकत्व क्या करता है ?
10. त्रिएकत्व के सिद्धान्त को पूर्ण रूप से समझ पाना क्यों असम्भव है ?