Study Of Devil's

शैतान, Devil

स्वर्गदूत, और शैतान, और दुष्टात्माओं, के विषय में कभी ना कभी तो आपने तो सुना ही होगा, आज हम महाशत्रु शैतान के बारे में अध्ययन करेंगे

    मसीही जीवन हमारे महाशत्रु शैतान के विरुद्ध एक युद्ध है, जिसे दुष्ट ( Devil ) भी कहा जाता है। मनुष्य के पतन के कारण हम शैतान की सम्पत्ति बन गएः उसके दास बन गए।

   हम भी उसके जैसे विनाश के भागी हैं - परमेश्वर द्वारा श्रापित और नरक के अधिकारी हैं। जब हम यीशु ख्रीष्ट को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करते हैं, तो पापी और शैतान का यह सम्बन्ध टूट जाता है, परन्तु शैतान सरलता से हमें नहीं छोड़ता; वह अपनी पूरी शक्ति से हमें फिर से अपने अधिकार में लेने के लिए लड़ता है।

  बाइबल हमें शैतान का प्रतिरोध करने, उससे लड़ने और अपने जीवन में उसे कोई स्थान न देने के लिए कहती है।

1. शैतान की उत्पत्ति

  प्रभु के कथन के अनुसार ( कुलुस्सियों 1:16 में ) शैतान एक रचा गया प्राणी है; जिसका समय अज्ञात है।

  शैतान का विवरण यहेजकेल 28:12-19 में पाया जाता है।

पद 12 : शैतान बुद्धि से भरपूर और सर्वाग सुन्दर था। मणि, यशब, नीलमणि, मरकद और लाल, सब भांति के मणि और सोने

पद 13 : उसके पास आभूषण, माणिक, पद्यराग, हीरा, फीरोजा, सुलैमानी के पहिरावे थे।

  वह डफ और बांसुस बजाने योग्य था, क्योंकि वह संगीतमय था।

पद 14 : वह छाने वाला अभिषिक्त करूब था, सम्भवतः वह प्रधान और सर्वोच्च स्वर्गदूत था।

पद 17 : अपनी सुन्दरता और बुद्धिमत्ता के कारण उसका मन अभिमान से फूल गया।

पद 15 : उसे सिद्ध सृजा गया था और जब तक पाप उसमें प्रविष्ट नहीं हुआ, वह सिद्ध बना रहा।

पद 16 : पाप और दुष्टता शैतान में पाई गई थी।

पद 16-18 : शैतान को स्वर्ग में परमेश्वर की उपस्थिति से निकाल दिया 

शैतान का विवरण यशायाह 14 : 12-17 में भी पाया जाता है।


पद 12 : उसे लूसिफर, भोर का चमकने वाला सितारा ( बेटा ) कहा जाता गया था।

पद 13,14 : उसके घमंड ने उसमें परमप्रधान परमेश्वर के समान बनने की इच्छा उत्पन्न की।

पद 15 : उसका अन्त नरक में डाला जाना बताया गया है, उसे अथाह गढ़हे में डाला जाएगा।

      जब से शैतान को स्वर्ग से बाहर निकाला गया तभी से उसने अपना निवासस्थान हवा में बना लिया है; इफिसियों 2:2

    शैतान की अभी भी स्वर्ग तक भाइयों पर दोष लगाने के लिए सीमित पहुंच है; अय्यूब 1:6-12 जकर्याह 3 : 1 हो सकता है कि उसकी यह शक्ति प्रकाशितवाक्य 12:10 के पूरा होने तक बनी रहे।

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2. शैतान का व्यक्तित्व

  आज बहुत से लोग एक व्यक्तिगत शैतान पर विश्वास नहीं करते, वे शरीर की दुष्ट प्रवृत्तियों या भ्रष्टता को मानवीय दुर्बलता के रूप में मान्यता देते हैं।

  यीशु ने यूहन्ना 8:44 में अविश्वासी यहूदियों से कहा, तुम अपने  पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। " पिता होने के लिए उसे एक व्यक्ति होना आवश्यक है।

  अय्यूब 1:6-12 में शैतान परमेश्वर से बातचीत करता और अय्यूब पर दोषारोपण करता है; एक प्रभाव बातचीत नहीं कर सकता।

  मत्ती 4:1-11 में यीशु ख्रीष्ट की परीक्षा के वृत्तान्त में यीशु एक वास्तविक व्यक्ति, एक वास्तविक शत्रु, एक धोखेबाज और धूर्त शत्रु का सामना कर रहा था।

  शैतान एक वास्तविक व्यक्ति है, जिसमें जीवन है, बुद्धि, इच्छा शक्ति और भावना है। फिर भी शैतान एक अत्मिक प्राणी है, उसका मानव शरीर नहीं है ( न ही दुम और सींग है )।

3. शैतान का चरित्र

1 ) वह चोर हैः मत्ती 13:19 शैतान सुनने वालों के हृदय से परमेश्वर का वचन चुरा लेता है: "जो कोई राज्य का वचन सुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया था, उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है।"

2 ) वह धूर्त है: 2 कुरिन्थियों 11:3, शैतान ने हव्वा को बहकायाः "जैसा सांप ने अपनी चतुराई से हव्वा को बहकाया।" अध्याय 36 देखिए।

3 ) वह हत्यारा है : यूहन्ना 8:44, “ तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने, पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है।"

4 ) वह झूठा है : यूहन्ना 8:44 , " जब वह ( शैतान ) झूठ बोलता तो अपने स्वभाव ही से बोलता है ; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है,

5 ) वह धोखेबाज है : प्रकाशितवाक्य 12:9 "और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमाने वाला है।"

4. शैतान की पदवियां

1 ) वह प्रकाश का स्वर्गदूत है: 2 कुरिन्थियों 11:13-15 " क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।

2 ) वह गरजता हुआ सिंह है: 1 पतरस 5:8 , " तुम्हारा विरोधी शैतान गरजने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है कि किसको फाड़ खाए।"

3 ) वह आकाश के अधिकार का हाकिम है : इफिसियों 2:2, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे , जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।"

4 ) वह अन्धकार की शक्ति है : कुलुस्सियों 1:13, "उसी में हमें अन्धकार, के वश से छुड़ा कर, अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।"

5 ) वह बड़ा अजगर है, सांप, इब्लीस, शैतान हैः प्रकाशितवाक्य 12:9, "और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।" 

6 ) वह इस संसार का राजकुमार है : यूहन्ना 14:30, " क्योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझमें उसका कुछ नहीं।"

7 ) वह इस संसार का ईश्वर है: 2 कुरिन्थियों 4:4, "उन अविश्वासियों के लिए, जिनकी बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है।"

8 ) वह अथाह कुण्ड का राजा है, जिसका नाम इब्रानी में अबद्दोन है, और यूनानी में अपुल्लयोन है; प्रकाशितवाक्य 9:11

5. शैतान के कार्य

1 ) ऐसों की खोज में रहना जिनको वह फाड़ सकेः 1 पतरस 5:8, "शैतान गरजने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किसको फाड़ खाए।" 

2 ) जंगली बीज और दुष्ट सिद्धान्त बोनाः मत्ती 13:25,30, बैरी आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया।"

3 ) मनुष्यों की बुद्धि को अन्धा कर देना: 2 कुरिन्थियों 4:4, "और उन अविश्वासियों के लिए , जिनकी बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है।"

4 ) भाइयों पर दोष लगानाः प्रकाशितवाक्य 12:10, "क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के सामने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया।"

5 ) मसीहियों को फटकना ( परीक्षा लेना ): लूका 22:31-32 , "शमौन, हे शमौन, देख शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेहूँ की नाई फटके: परन्तु मैंने तेरे लिए विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे।"

6 ) मनुष्यों के शरीर ( जीवन ) को नष्ट करनाः 1 कुरिन्थियों 5:5, “शरीर के विनाश के लिए शैतान को सौंपा जाए, ताकि उसकी आत्मा प्रभु यीशु के दिन में उद्धार पाए।"

6. शैतान के अधीनस्थ सहयोगी

1 ) शैतान के दूत, दुष्टात्माएं, अशुद्ध आत्माएं और दुष्ट शक्तियां: 2 पतरस 2:4, " क्योंकि जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्होंने पाप किया नहीं छोड़ा, पर नरक में भेज कर अन्धेरै कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहे।"
    यहूदा 1:6 फिर जो र्स्वगदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन अपने निज निवास को छोड़ दिया, उस ने उन को भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्धकार में जो सदा काल के लिये है बन्धनों में रखा है।

2 ) प्रधान, अधिकारी, इस संसार के हाकिम और दुष्टता की आत्मिक - सेनाएं : इफिसियों 6:12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।

3 ) पापी जो उसकी इच्छा पूरी करते हैं : यूहन्ना 8:44 , "तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो।"

4 ) कभी कभी सन्त भी अनजाने में शैतान को अपना प्रयोग करने की अनुमति दे देते हैं, जैसे पतरस ने मत्ती 16:22,23 में किया, यीशु ने पतरस की ओर देखा, परन्तु शैतान को झिड़का जिसने पतरस के होठों द्वारा ऐसी बात कही थी।

7. शैतान की नियति

1 ) भविष्य में किसी दिन उसको स्वर्ग से बाहर निकाल दिया जाएगा। प्रकाशितवाक्य 12:7,8, "फिर स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर और उसके दूत उससे लड़े, परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उनके लिए फिर जगह न रही।" शैतान की आज भी स्वर्ग में पहुंच है।

2 ) तब शैतान लोगों को परमेश्वर के विरुद्ध भड़काना आरम्भ करेगा। प्रकाशितवाक्य 12:12, "हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उत्तर आया है, क्योंकि जानता है कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।"

3 ) फिर उसको एक स्वर्गदूत, जंजीर से बांध देगा । प्रकाशितवाक्य 20:12, "फिर मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिसके हाथ में अथाह कुण्ड की कुंजी और एक बड़ी जंजीर थी, और उसने उस अजगर, अर्थात् पुराने सांप को, जो इब्लीस और शैतान है; पकड़ के हजार वर्ष के लिए बांध दिया।"

4 ) शैतान हजार वर्ष के लिए अथाह कुण्ड में डाला जाएगा, प्रकाशितवाक्य 20:31

5 ) इसके बाद उसको कुछ समय के लिए छोड़ा जाएगा, तब वह लोगों को भरमाएगा और परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने का प्रयास करेगा। प्रकाशितवाक्य 20:7,8, "और जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे; तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा; और उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होगी, अर्थात् याजूज और माजूज को जिनकी गिनती समुद्र की बालू के बराबर होगी, भरमाकर लड़ाई के लिए इकट्ठे करने को निकलेगा।"

6 ) शैतान पराजित हो जाता है और तब उसे अनन्तकाल के लिए आग की झील में डाल दिया जाता है; प्रकाशितवाक्य 20:7-10

सारांश

शैतान शक्तिशाली है, परन्तु परमेश्वर सर्वशक्तिमान है; शैतान हमेशा के लिए कलवरी पर पराजित कर दिया गया है। आइए कलवरी पर बहाए गए लोहू के द्वारा हम निरन्तर शैतान पर अपनी विजय बनाये रखें। प्रकाशितवाक्य 12:11

पुनर्विचार के लिए प्रश्न 

1.शैतान के पतन से पहले उसके विषय में सात बातें बताइए।

2. स्पष्ट कीजिए कि शैतान एक व्यक्ति है ( 5 बातें )।

3. शैतान के पाँच भागी ( 5 Fold ) चरित्र की रूप - रेखा प्रस्तुत कीजिए।

4. प्रश्न 3 में जो अवगुण बताए गए हैं, उनमें से कौन सा आपको सबसे अधिक भयावह लगता है ? क्यों ?

5. आठ पदवियां बताइए जो शैतान को दी गई है।

6. उन पाँच कार्यों के नाम बताइए जो शैतान करता है। 

7. शैतान के अधीनस्थ या उसके सहयोगी कौन हैं ?

8. यीशु ख्रीष्ट के जीवन से एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए जिसमें शैतान एक शिष्य के मुँह के द्वारा बात करता है।

9. प्रकाशितवाक्य 12 : 7-12 और प्रकाशितवाक्य 20 : 1-10 के आधार पर शैतान की नियत बताइए।

10. लूसिफर करूब कौन से पाप के कारण शैतान या इब्लीस बना ?

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