
पुत्र का पिता से सम्बन्ध
प्रस्तावना
अनेक पंथ जो यीशु मसीह के ईश्वरत्व से इनकार करते हैं उनके लिए यह एक विवादास्पद विषय बन जाता है। उनका कथन है कि यीशु हमारे ही समान, परमेश्वर का एक पुत्र है, उनका मत यह है कि यीशु एक पुत्र है जो पिता के अधीन है और वे इसको प्रमाणित करने के लिए बाइबल के पद प्रस्तुत करते हैं।
हम जो प्रचारक हैं, उनके अखण्डनीय प्रतीत होने वाले तर्कों का उत्तर किस प्रकार देते हैं? मेरा विश्वास है कि इसका संक्षिप्त उत्तर इस प्रकार है परमेश्वर होने के नाते यीशु देहधारी होने से पहले की अवस्था में परमेश्वर पिता के बराबर था, है और सदा रहेगा। तौभी अपने देहधारी होने की अवस्था में वह निश्चित रूप से पिता के अधीन है। यीशु मसीह के देहधारी होने से पहले की अवस्था का अध्ययन करने से हमें इस तथ्य का मूल्यांकन करने में सहायता मिलेगी कि पुत्र ने हमारा उद्धारकर्ता बनने के लिए स्वयं को किन-किन बातों से खाली किया; फिलिप्पियों 2:5-8।
1. यीशु मसीह परमेश्वर के रूप में पिता के समान है, 1 यूहन्ना 2:23
यूहन्ना 5:18, “इस कारण यहूदी और भी अधिक उसे मार डालने का प्रयत्न करने लगे कि वह न केवल सब्त के दिन की विधि को तोड़ता, परन्तु परमेश्वर को अपना पिता कहकर अपने आपको परमेश्वर के तुल्य ठहराता था।" यहूदी जो व्यवस्थाविवरण 6:4 पर दृढ विश्वास रखते थे, यीशु के आशय को समझ गए थे।
यहूदी केवल एक परमेश्वर को मान्यता देते थे, “हमारा परमेश्वर यहोवा एक ही परमेश्वर है," और उन्होंने यीशु के दावे को परमेश्वर की निन्दा समझते हुए उसे पत्थरवाह करके मृत्यु दण्ड के योग्य समझा; लैव्यव्यवस्था 24:14, 16। यूहन्ना 10:30, "मैं और पिता एक हैं, " यह निश्चय ही परमेश्वर से उसकी समानता का एक प्रमाण है। यूहन्ना 14:9, "जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है: तू (फिलिप्पुस) क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा।" वे एक और अविभाज्य है।
कुलुस्सियों 1:15, "वह (यीशु मसीह) तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप है" यीशु मसीह अदृश्य परमेश्वर का दृश्य प्रतिरूप है- अदृश्य क्योंकि वह आत्मा है। यूहन्ना 10:33, “भले काम के लिए हम तुझे पत्थरवाह नहीं करते, परन्तु परमेश्वर की निन्दा के कारण और इसलिए, कि तू मनुष्य होकर अपने आपको परमेश्वर बनाता है। " यीशु उन पर प्रमाणित करने का प्रयास कर रहा था कि वह परमेश्वर था, परन्तु उन्होंने हठधर्मी से विश्वास करने से इन्कार कर दिया। फिलिप्पियों 2:56, "मसीह यीशु ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा । " यीशु ईमानदारी से पिता परमेश्वर के तुल्य था।
यूहन्ना 17:5, “अब हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत के होने से पहले मेरी तेरे साथ थी ।" यीशु अपने देहधारी होने से पहले की महिमा का उल्लेख कर रहा है। यूहन्ना 1:1, “आदि में वचन ( यीशु मसीह) था और वचन परमेश्वर के साथ था और वचन परमेश्वर था।" यूहन्ना रचित सुसमाचार आरम्भ करने के लिए यह एक प्रभावशाली और निश्चयात्मक विवरण है। 1 यूहन्ना 5:20, " (हम) यह भी जानते हैं कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें समझ दी है कि हम उस सच्चे को पहचानें और हम उसमें जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं। सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है।" यूहन्ना अपने सुसमाचार और पत्रियों दोनों में ही इस वास्तविकता को बार बार दोहराते हुए कहता है कि यीशु परमेश्वर है। तीतुस भी यूहन्ना के साथ उसकी साक्षी में सम्मिलित है। तीतुस 2:13, “उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। " (केवल एक व्यक्ति ) ।
वह जिसकी हम बाट जोहते हैं उद्धारकर्ता परमेश्वर है। जिसका प्रथम आगमन बैतलहम में हुआ। इब्रानियों की पत्री का लेखक भी इसमें अपनी साक्षी सम्मिलित करता है, इब्रानियों 1:8, "परन्तु पुत्र से कहता है कि हे परमेश्वर तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा।" परमेश्वर पिता अपने पुत्र को "परमेश्वर" कह कर पुकारता है। यहूदा अपने महान आशीर्वाद में उसको अद्वैत परमेश्वर हमारा उद्धारकर्ता कहता है; यहूदा 25 ।
"अद्वैत परमेश्वर हमारा उद्धारकर्ता," यह केवल एक व्यक्ति हमारे प्रभु यीशु मसीह के लिए कहा गया है। जिन पदों को समझना कठिन है उनमें से एक कुलुस्सियों 2:9 है, "उसमें (यीशु मसीह में) ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है," यह पद नश्वर मानव के लिए असीम है। चाहे जो हो यीशु मसीह ईश्वरत्व में सम्पूर्ण और सिद्ध है वह एक भी चीज से रहित नहीं है। यह कहना कि वह केवल परमेश्वर का "एक" पुत्र हैं, उद्धारकर्ता का अपमान और निन्दा करना है। मत्ती 17:2 में उसके रूपान्तरण के अवसर पर हमें यीशु मसीह के देहधारी होने से पहले की महिमा की एक झलक मिलती है।" उसका मुँह सूर्य की नाई चमक रहा था। जो कोई यीशु को परमेश्वर स्वीकार करने और उसको पिता के तुल्य समझने से इनकार करता है, वह परमेश्वर के वचन को अस्वीकार करने के घोर पाप का दोषी ठहरता है। यीशु मसीह के सनातन पूर्व-अस्तित्व और तेजस्वी पूर्व-देहधारण पर आपत्ति या इनकार करने से इस वास्तविकता का महत्व कम नहीं होता कि यीशु सदाकाल से परमेश्वर है। वह व्यक्ति जो इन वास्तविकताओं पर प्रश्न उठाता है, वह उद्धारकर्ता के विरुद्ध भयानक झूठी निन्दा के लिए दोषी ठहरता है।
इसकी अपेक्षा हमें इस वास्तविकता के लिए उसकी स्तुति करनी चाहिए। कि यद्यपि वह सच्चा परमेश्वर था, और पिता के तुल्य था, फिर भी उसने हमारे लिए स्वयं को ईश्वरत्व के तेजस्वी वस्त्रों से शून्य कर दिया। आइए उसके महान बलिदान के लिए उसके चरणों पर गिर कर उसकी आराधना करें, उसका यशोगान और प्रशंसा करें।
Vishwasi Tv में आपका स्वागत है
Read More: ज्यादा बाइबल अध्ययन के लिए क्लिक करें:2. यीशु मसीह मनुष्य के रूप में पिता के आधीन है
जब यीशु मसीह मनुष्य बना तो उसने स्वेच्छा से निम्न स्थान स्वीकार किया एक ऐसा स्थान जहाँ वह पिता परमेश्वर की आधीनता में दीनतापूर्वक रहा।
यूहन्ना 14:28, “तुमने सुना कि मैंने तुमसे कहा कि मैं जाता हूँ, और तुम्हारे पास फिर आता हूँ: यदि तुम मुझसे प्रेम रखते तो इस बात से आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जाता हूँ, क्योंकि पिता मुझसे बड़ा है।" ऐसा यीशु एक मानव के रूप में अनन्त परमेश्वर के विषय में कह रहा है।
जब यीशु पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से गर्भ में पड़ा, तब उसका परमेश्वर के साथ एक नया सम्बन्ध स्थापित हुआ। इब्रानियों 1:5, स्वर्गदूतों में से उसने (पिता ने) कब किससे कहा, "क्योंकि कि तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझसे उत्पन्न हुआ?" यह घटना लूका 1:35 में घटी।
यूहन्ना 3:16 में यीशु को "एकलौता पुत्र" कहा गया है। इसकी भविष्यद्वाणी भजन संहिता 2:7 में की गई थी। क्या पुत्र के इस रीति से उत्पन्न होने का अर्थ अनन्त परमेश्वर, प्रभु यीशु का उद्भव है? निश्चित रूप से नहीं, क्योंकि परमेश्वर के रूप में वह कभी उत्पन्न नहीं हुआ, उसका अस्तित्व सदाकाल से है, यशायाह 9:6, 7। यह उत्पन्न होना उस घटना से सम्बन्धित है जो लूका 1:35 में घटी, जब कि स्वर्गदूत कुंवारी मरियम पर प्रकट हुआ और यीशु मनुष्य के रूप में उसके गर्भ में पड़ा। लूका 1:351
क) वे बातें जिनमें पुत्र पिता की आधीनता में रहा।
1) यीशु ने पिता के लिए ही पृथ्वी पर अपना जीवन व्यतीत किया। यूहन्ना 6:57, "जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूँ।" पिता ने पुत्र को कायम रखा।
2) यीशु स्वतन्त्र रूप में पिता के बिना कुछ नहीं कर सकता था। यूहन्ना 5:19, " पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है, क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है, उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है। "
3) यीशु मसीह को इस जगत में पिता ने भेजा था। यूहन्ना 6:29, " परमेश्वर का कार्य यह है कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो।" यूहन्ना 8:29, 42 भी देखिए ।
4) पिता ने पुत्र को अधिकार और निर्देश दिए। यूहन्ना 10:18, “कोई उसे (मेरा जीवन) मुझसे छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूँ: मुझे उसके देने का भी अधिकार है और उसे फिर लेने का भी अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है। " यूहन्ना 13:3 भी देखिए।
5) यीशु मसीह ने अपने सन्देश पिता से प्राप्त किए। यूहन्ना 8:26, “जो मैंने उससे सुना है, वही जगत से कहता हूँ। "
6) पिता ने उद्धारकर्ता को निश्चित कार्य पूरे करने के लिए सौंपे। यूहन्ना 5:36, "जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है, अर्थात यही काम जो मैं करता हूँ, वे मेरे गवाह हैं, कि पिता ने मुझे भेजा है।" यूहन्ना 17:4 भी देखिए।
7) पिता ने पुत्र के लिए एक राज्य निर्धारित किया है। लूका 22:29, 30 जैसे मेरे पिता ने मेरे लिए एक राज्य ठहराया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिए ठहराता हूँ। "
8) इस वर्तमान कलीसिया के युग में यीशु, पिता के नेतृत्व के अधीन है। 1 कुरिन्थियों 11:3, "स्त्री का सिर पुरुष है, और मसीह का सिर परमेश्वर है। "
9) यीशु मसीह वह मार्ग बन गया जिसके द्वारा मनुष्य परमेश्वर के पास पहुँचने के योग्य बन गए। इब्रानियों 7:25, “इसलिए जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उनके लिए विनती करने को सर्वदा जीवित है। "
10) यीशु मनुष्य के लिए परमेश्वर तक पहुँचने का साधन बन गया, उद्धार का मार्ग बन गया। वही एकमात्र मार्ग है। यूहन्ना 14:6
11 ) यीशु ने पिता को "मेरे परमेश्वर" कह कर सम्बोधित किया। यूहन्ना 20:17, "यीशु ने उस (मरियम) से कहा मैं अपने परमेश्वर के पास ऊपर।" मत्ती 27:46 भी देखिए जो कि क्रूस पर से कहा गया चौथा वचन है।
ख) इस आधीनता की सीमा
यह कितने समय तक बनी रहेगी? लूका 22:29 बताता है कि पिता ने पुत्र को एक राज्य दिया है। पुत्र यह राज्य पिता को लौटा देगा। 1 कुरिन्थियों 15:24, "इसके बाद अन्त होगा वह राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा। " आधीनता का यह काल इससे भी बाहर तक फैला हुआ है- इस युग की समाप्ति के बाद भी, यहाँ तक कि महान श्वेत सिंहासन के न्याय के बाद तक भी यह बना रहेगा।
1 कुरिन्थियों 15:27 28, “क्योंकि परमेश्वर ने सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया है तो पुत्र आप भी उसके आधीन हो जाएगा, जिसने सब कुछ उसके आधीन कर दिया ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।"
यदि हम बाइबल को सही ढंग से समझते हैं तो हम देखते कि उसमें किसी प्रकार का संघर्ष नहीं है। पूर्व-देह धारी मसीह, सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर के तुल्य है, और सदा से रहा है। मानव देहधारी मसीह ने अपने इस पद को अलग कर दिया और स्वयं दीन बन कर पिता की आधीनता का स्थान चुन लिया और वैसा ही आधीन हो गया जैसा कि बालक अपने माता-पिता के आधीन होता है।
हम यीशु की सप्तयुग दीनता का (फिलिप्पियों 2:5-8) जितना अधिक अध्ययन करते हैं, उतना ही अधिक हम अपने लिए उसके महान प्रेम का प्रकटीकरण देखते हैं, यद्यपि हम उस समय कुरूप पापी ही थे। आइए इस अद्भुत सन्देश को पृथ्वी के जन-समूह तक यथाशीघ्र पहुँचाने का प्रयास करें।
पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. वे कौन से पाँच अधोगामी कदम है जो यीशु ने फिलिप्पियों 2:5-7 के अनुसार उठाए ?
2. यूहन्ना 5:18 में यहूदियों ने ऐसी तीव्र प्रतिक्रिया क्यों प्रकट की?
3. आप यूहन्ना 10:30 को किस प्रकार स्पष्ट करते हैं?
4. 1:1 की विशिष्टता क्या है?
5. चार नए नियम के लेखकों के नाम बताइए जो यीशु मसीह को परमेश्वर कहते हैं।
6. किस रीति से यीशु मसीह परमेश्वर के आधीन हैं?
7. यूहन्ना 14:28 को स्पष्ट कीजिए, “मेरा पिता मुझसे बड़ा है।"
8. यीशु कब उत्पन्न हुआ ? भजन संहिता 2:7 और यूहन्ना 3:16
9. उन सात बातों के नाम बताइए जिनमें पुत्र पिता के आधीन है।
10. यह आधीनता का काल कब समाप्त होगा?
0 टिप्पणियाँ