परमेश्वर का व्यक्तित्व
प्रस्तावना
परमेश्वर का अध्ययन करना हजारों वर्षों से दार्शनिकों आदि की महात्वाकांक्षा रही है। कुछ आसन लगाकर ध्यान मनन करते हैं और अनन्त व्यक्ति अर्थात् परमेश्वर के विस्तार या क्षेत्र पर विचार करने का यत्न करते हैं।
परमेश्वर के विषय में एकमात्र सच्चा ज्ञान हमें केवल बाइबल से ही मिल सकता है। यूहन्ना 1:18, "परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में है, उसी ने उसे प्रगट किया।"
1 यूहन्ना 4:12, “परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा।"
निर्गमन 33:20 ( परमेश्वर मूसा से बात करते हुए ), "फिर उसने कहा, तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता।"
निर्गमन 33:23, "फिर मैं अपना हाथ उठा लूंगा, तब तू मेरी पीठ का तो दर्शन पाएगा, परन्तु मेरे मुख का दर्शन नहीं मिलेगा। "मूसा ने परमेश्वर से बातचीत की और उसके एक अंश का दर्शन किया परन्तु प्रभु के मुख का दर्शन वह नहीं कर पाया। यीशु जो कि परमेश्वर का पुत्र है स्वर्ग से इसलिए आया कि पिता परमेश्वर को हम पर प्रकट कर सके।
यीशु फिलिप्पुस से, यूहन्ना 14:7-11 में कहता है, कि यीशु स्वयं परमेश्वर का प्रकटीकरण है। अन्यजातियों का ज्ञान कहता है, "मानव , स्वयं को जानो, "परन्तु यीशु कहता है, "मनुष्यों, पिता से सीखो।" यूहन्ना 17:3 हमें बताता है कि परमेश्वर और उसके पुत्र यीशु खीष्ट को जानने का अर्थ है अनन्त जीवन पाना, "और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जानें।"
1. परमेश्वर का
व्यक्तित्व
व्यक्तित्व की विशेषता ज्ञान, भावनाओं और इच्छा - शक्ति से सम्पन्न होना है। एक मूर्ति का कोई व्यक्तित्व नहीं होता क्योंकि न तो वह कुछ जानती है, न अनुभव करती है, न ही प्रतिक्रिया दिखाती है। हमारा परमेश्वर एक ऐसा व्यक्ति है जो जीवित है और जिसमें विशिष्ट गुण है।
परमेश्वर एक व्यक्ति है। वह कोई प्रभाव या बिजली के समान शाक्ति या अनदेखी शक्ति नहीं है। यिर्मयाह 10:10, "परन्तु यहोवा वास्तव में परमेश्वर है; जीवित परमेश्वर और सदा का राजा वही है।" प्रेरितों. 14:15. "कि तुम इन व्यर्थ वस्तुओं से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फिरो।"
1 थिस्सलुनीकियों 1:9 "और तुम क्यों कर मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो।"
2 इतिहास 16:9, "देख , यहोवा ( परमेश्वर ) की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ्य दिखाए।"
गतिमान आँखों से ऐसे जीवन और व्यक्तित्व का आभास होता है जो मूर्तियों और झूठे देवी - देवताओं में नहीं होता। भजन. 94:11, “यहोवा मनुष्य की कल्पनाओं को तो जानता है कि वे मिथ्या है, "अर्थात् परमेश्वर के पास ज्ञान है।
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2 परमेश्वर का स्वभाव
परमेश्वर आत्मा है - उसके पास न साँस होता है और न हड्डी न रक्त। लूका 24:39, "मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वही हूँ; मुझे छू कर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो। "यूहन्ना 4:24, “परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें।"
1 तीमुथियुस 1:17, 'अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर....." 1 तीमुथियुस 6:16, परमेश्वर के बारे में, "और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा, और न कभी देख सकता है।"
3. अद्वैत परमेश्वर
अन्यजातियों के अनेक देवी - देवताओं की तुलना में हमारा प्रभु परमेश्वर एक परमेश्वर है। व्यवस्थाविवरण 6:4, "हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है।"
यशायाह 44:6, “यहोवा, जो इस्राएल का राजा है, अर्थात् सेनाओं का यहोवा जो उसका छुड़ाने वाला है, वह यों कहता है, मैं सब से पहिला हूँ, और मैं अन्त तक रहूँगा मुझे छोड़ कोई परमेश्वर है ही नहीं। " यशायाह 45:21 "मुझे छोड़ कोई और दूसरा परमेश्वर नहीं है, धर्मी और उद्धारकर्ता ईश्वर मुझे छोड़ और कोई नहीं है।"
4. परमेश्वर के स्वाभाविक गुण
गुण किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता, लक्षण या अद्वितीयता, को कहते हैं। हमारी धारणा है कि परमेश्वर होने के लिए, उसके पास कुछ निश्चित मूलभूत ( बुनियादी ) गुण होने चाहिए। इसके अंतर्गत ये बातें आती हैं:
1 ) वह अनन्त है: सच्चा परमेश्वर होने के लिए न तो उसका कोई आरम्भ होना चाहिए और न ही अन्त। एक मूर्ति इसके अयोग्य ठहरती है क्योंकि वह किसी व्यक्ति के द्वारा बनाई गई थी, इसलिए उसका एक आरम्भ था।
भजन. 90:2, "इससे पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, और तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है।"
1 तीमुथियुस 1:17, “अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर। "देखिए भजन. 102:24,27; यशायाह 57:15 उत्पत्ति 1:1, "आदि में परमेश्वर।" परमेश्वर सनातन से है।
2 ) वह अपरिवर्तनीय है :
परमेश्वर की संरचना ही ऐसी है, कि वह बदल नहीं सकता। 1 शमूएल 15:29, "और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है, कि पछताए।
मलाकी 3:6, " क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं। " याकूब 1:17, "क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिसमें न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, और न अदल - बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।"
3 ) उसमें सम्पूर्ण सामर्थ है ( सर्वशक्तिमान, Omnipotent ):
इसके बिना वह परमेश्वर हो ही नहीं सकता। उत्पत्ति 1:1, "आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।" सर्जनात्मक सामर्थ्य।
उत्पत्ति 1:3, "तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो; तो उजियाला हो गया। "वचन की सामर्थ्य। जो पदार्थ अस्तित्व में है मनुष्य उनसे वस्तुओं का निर्माण करता है। परमेश्वर अस्तित्वहीनता से ऐसी वस्तुओं का निर्माण करता है जो सुन्दर है सिद्ध है। उत्पत्ति 1:4 "अच्छा है।"
अय्यूब 42:2, "मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है। "अय्यूब परमेश्वर से बातें करते हुए। भजन. 33:9, "क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।" यिर्मयाह 32:26,27. "मैं तो सब प्राणियों का परमेश्वर यहोवा हूँ; क्या मेरे लिए कोई भी काम कठिन है ?" कदापि नहीं, क्योंकि वह कुछ भी या सब कुछ कर सकता है।
4 ) वह सभी स्थानों पर एक ही समय उपस्थित है ( सर्वव्यापी ) :
1 राजा 8:27 भजन. 139:7-10, "मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ? वा तेरे सामने से किधर भागू? यदि मैं आकाश पर चढूँ, तो तू वहाँ है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है! यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़कर समुद्र के पार जा बसूं , तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा।" यिर्मयाह 23:23, “ यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ ?" इफिसियों 1:23, "यह उसकी देह है, और उसी की परिपूर्णता है जो सब में सब कुछ पूर्ण करता है।"
5. उसके पास सम्पूर्ण ज्ञान है ( सर्वज्ञानी ):
प्रभु से कुछ भी छिपा नहीं है। 1 इतिहास 28:9, "तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख... क्योंकि यहोवा मन को जाँचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है।"
2 इतिहास 16:9, "देख यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए।" भजन. 94:11, “यहोवा मनुष्य की कल्पनाओं को तो जानता है।" दानिय्येल 2:20, "परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं।" यशायाह 40:28, "उसकी बुद्धि अगम है।" यहेजकेल 11:5, "जो कुछ तुम्हारे मन में आता है, उसे मैं जानता हूँ।"
6. परमेश्वर के नैतिक गुण
1 ) परमेश्वर पवित्र है: निर्गमन 15:11; 1 शमूएल 2:2 यशायाह 6 :3; 1 पतरस 1:16
2 ) परमेश्वर धर्मी है: भजन संहिता 116:5 एज्रा 9:15 भजन संहिता 145:173 यिर्मयाह 12:1
3 ) परमेश्वर दयालु हैः भजन संहिता 103:8 व्यवस्थाविवरण 4:31 भजन संहिता 86:15 रोमियों 9:18
4 ) परमेश्वर प्रेम है : 1 यूहन्ना 4:8-16 ; यूहन्ना 3:16; 1यूहन्ना 3:16 यूहन्ना 16:27
5 ) परमेश्वर विश्वासयोग्य है: 1 कुरिन्थियों 1:9; 2 तीमुथियुस 2:13; व्यवस्थाविवरण 7:9 व्यवस्थाविवरण 32:4
इनके अतिरिक्त परमेश्वर महिमामय है - निर्ग. 15:11 भजन. 145:5
धीरजवन्त: गिनती 14:18 मीका 7:18
करुणामय: 1 राजा 8:23
अथाह: अय्यूब 11:73 भजन संहिता 145:31
भला: भजन संहिता 25:8 भजन संहिता 119:58
अपरिवर्तनीय: भजन संहिता 102:26, 27 याकूब 1:17
सच्चा: यिर्मयाह 10:10
अविनाशी: रोमियों 1:23
भस्म करने वाली आग: इब्रानियों 12:29
अनुग्रहकारी: निर्गमन 34:6 भजन संहिता 116:5
जलन रखने वाला: यहोशू 24:19 नहूम 12
महान: 2 इतिहास 2:5 भजन संहिता 86:10
अदृश्य: अय्यूब 23:8,9; 1 तीमुथियुस 1:17
सीधा: भजन संहिता 25:8 भजन संहिता 92:15
ज्योति: यशायाह 60:19; 1यूहन्ना 1:5
सिद्ध: मत्ती 5:48
अमर: 1 तीमुथियुस 1:17; 1 तीमुथियुस 6:16
अतुल्य: निर्गमन 9:14; व्यवस्थाविवरण 33:26
सारांश
उससे प्रेम करो। उसकी आराधना करो। उसकी सेवा करो। उसकी आज्ञा मानो। उससे डरो।
पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. परमेश्वर के विषय में विश्वासयोग्य जानकारी कहाँ से मिल सकती?
2. जब हम कहते हैं कि परमेश्वर का एक व्यक्तित्व है तो इसका क्या अर्थ है?
3. परमेश्वर का स्वभाव क्या है?
4. परमेश्वर अनेक है या एक? पवित्रशास्त्र से कोई एक पद प्रस्तुत करते हुए सिद्ध करें।
5. ' गुण ' ( Attribute ) शब्द का क्या अर्थ है?
6. परमेश्वर के पाँच स्वाभाविक गुणों की सूची प्रस्तुत कीजिए।
7. पवित्रशास्त्र का एक पद उद्धृत करते हुए प्रमाणित करें कि परमेश्वर अनन्त है।
8. हम क्यों यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर सर्वसामर्थी है?
9. परमेश्वर कैसे सभी स्थानों पर एक ही समय में उपस्थित हो सकता है?
10. सिद्ध कीजिए कि परमेश्वर सब कुछ जानता है।
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