दुष्टात्मा

नरकदूत - विद्या, दुष्टात्माओं,
Demonology

Essentials of Demonology " लेखक लैंगटन," Biblical Demonology " लेखक अंगर; और "Angels and Demons" लेख नीढ़म, से ली गई है।

दुष्टात्माओं के अस्तित्व पर विश्व के सभी लोगों का, प्राचीन काल से विश्वास रहा है, जिसका हमें ज्ञान है। आदिवासियों और धर्बर लोगों में ये आत्माएं मृत लोगों की मानी जाती है, जो जीवित लोगों को सताने के लिए लौट आती हैं। जो लोग भूत - प्रेतों को देखने का दावा करते हैं, उन्होंने उनको मानव - रूप तथा पशु और दोनों के मिले - जुले रूप और आकारों में देखा है; साधारणतः भूत - प्रेत अदृश्य आत्माएं होती हैं।

यीशु भूत - प्रेत के अस्तित्व को बिना किसी आपत्ति के स्वीकारता है और मरकुस रचित सुसमाचार, यीशु द्वारा दुष्टात्माओं को निकाले जाने की अनेक घटनाओं का वर्णन करता है।

कुछ लोग यह प्रश्न करते हैं कि क्या आज भी भूत - प्रेतों का अस्तित्व है; मेरा दृढ विश्वास है कि इनका अस्तित्व है।

1. भूत - प्रेतों ( DEMONS ) की उत्पत्ति

बाइबल में इस प्रश्न का उत्तर कुछ धुधला सा है, और हमारे सोच - विचार के लिए अनेक उत्तर प्रस्तुत किए गए हैं; निम्न सिद्धान्तों में से प्रथम सिद्धान्त को अब सामान्यतः स्वीकार किया जाता है।

1 ) शैतान और उसके दूत

जब यशायाह 14:12-20 और यहेजकेल 28:11-19 के अनुसार शैतान ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया; कुछ लोग कहते हैं कि उसने अकेले ही पाप नहीं किया, वरन वह स्वर्गदूतों के एक दल का अगुवा था। जब शैतान पतित हो गया तो उसे और उसके दूतों को निकाल दिया गया और यही गिराए गए दूत भूत - प्रेत बन गए। मत्ती 12:26 में शैतान को एक राजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है, इन दुष्टात्माओं का एक छोटा राज्य है।

2 ) स्वर्गदूत और मानव स्त्रियाँ

कुछ लोग यह बताते हैं कि उत्पत्ति 6:1-6 के अनुसार स्वर्गदूत पृथ्वी पर आकर स्त्रियों से सहवास करते थे। उनसे दानव उत्पन्न होते थे और कुछ लोगों का मत है कि मरने के बाद ये भूत - प्रेत बन गए। दूसरे लोग उस अनुच्छेद का स्पष्टीकरण देते हुए बताते हैं कि यह शेत के भक्त गोत्र और कैन के भक्तिहीन गोत्र में परस्पर विवाह है। यदि ऐसा ही था तो उनके बच्चे दानव कैसे बन गए, वे अतिमानव प्राणी कैसे बनें? उत्पत्ति 6:4

यही अभिव्यक्ति, " परमेश्वर के पुत्र," अय्यूब 1:6 में भी पाई जाती है जहाँ " परमेश्वर के पुत्र " यहोवा परमेश्वर के सन्मुख उपस्थित हुए। शेत के पुत्रों की निश्चित रूप से स्वर्ग तक पहुँच नहीं थी, इससे यह प्रमाणित होता है कि वे स्वर्गदूतों जैसे प्राणी थे।

3 ) आदम से पहले की आत्माएँ

एक तीसरा स्पष्टीकरण यह है कि आदम से पहले पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की आत्माएं ही ये भूत - प्रेत हैं, जो उत्पत्ति 1:1-2 के पहले और दूसरे पद के बीच के काल में नष्ट हो गये थे; इसका वर्णन यिर्मयाह 4:23-26 में मिलता है जहाँ यह कहा गया है, " कोई मनुष्य भी न था, " इससे यह अनुमान लगाया जाता है कि किसी युग में मनुष्य पृथ्वी पर थे।


2. वर्तमान युग में भूत - प्रेतों (DEMONS) का अस्तित्व

बाइबल की साक्षी से यह स्पष्ट है कि जब उद्धारकर्ता इस पृथ्वी पर था तो भूत - प्रेतों की संख्या बहुत अधिक थी।

आज विज्ञान और ज्ञानोदय के गौरवशाली युग में मनुष्य बाइबल के इस दावे का खण्डन करते हुए कहता है कि यह मात्र आदिम युग के अन्धविश्वास का अवशेष है या एक मनोरंजक मजाक।

नए नियम के लेखकों का भूत - प्रेतों के अस्तित्व में दृढ़ विश्वास था और यूहन्ना, प्रकाशितवाक्य 9:20 में भविष्य - काल के विषय में (महाक्लेश का समय) बताता है जब कि मनुष्य दुष्टात्माओं की पूजा करते रहेंगे।

आज बड़ी संख्या में मूर्तिपूजक लोग आत्माओं के प्रबल पुजारी हैं।
आधुनिक साक्षी के रूप में हम, जो मनीला में रहते हैं, दुष्टात्माओं के अस्तित्व की पुष्टि कर सकते हैं, और प्रेत - ग्रस्त लोगों और ऐसे लोगों के मुख द्वारा प्रेतों को बोलते सुन और देख सकते हैं।

👉 बाइबल का कथन और आधुनिक अनुभव — दोनों ही दुष्टात्माओं के अस्तित्व की पुष्टि करते हैं।


3. भूत - प्रेतों ( DEMONS ) का स्वभाव

भूत - प्रेत आत्मिक प्राणी है; मत्ती 8:16 में यीशु ने दुष्टात्माओं को निकालाः मरकुस 1:23 में प्रेत को " अशुद्ध आत्मा " कहा गया है, भूत - प्रेत और दुष्टात्मा दोनों एक ही चीज है।

पौलुस कहता है कि “ हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस, से नहीं, इफिसियों 6:12, वरन अभौतिक अमूर्त या शरीर रहित और आकाश की अदृश्य शक्तियों से है।” यद्यपि भूत - प्रेत आत्मा है, फिर भी उनका व्यक्तित्व है, और वे बुद्धिमान प्राणियों के रूप में माने जाते हैं। मरकुस 5:10, लूका 4:34, उत्पत्ति 3:1, 2 कुरिन्थियों 11:14

उनमें अलौकिक ज्ञान होने के कारण, मनुष्यों ने अगामी घटनाओं के सम्बन्ध में उनसे पूर्व - सूचना प्राप्त करने का प्रयास किया है; लोग दुष्टात्माओं से भविष्य के विषय में पूछ - ताछ करते हैं।

इनको नैतिक रूप से अशुद्ध माना जाता है: मत्ती 10:1, मरकुस 1:27, रोमियों 6:13, लूका 8:27

ऐसा प्रतीत होता है कि उनमें अतिमानवीय शक्ति होती है, इसलिए दुष्टात्मा से ग्रस्त मनुष्य को पकड़ने और सम्भालने के लिए अनेक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। ये मनुष्यों को गूंगा, अन्धा, पागल बनाती है और आत्म - हत्या के लिए प्रेरित करती है।


4. भूत - प्रेतों ( DEMONS ) के क्रियाकलाप

1 ) वे परमेश्वर का विरोध करते हैं और उसकी इच्छा को असफल बनाने के प्रयल में लगे रहते हैं। शैतान भाइयों पर दोष लगाने वाला है। शैतान एक समय में एक ही स्थान तक सीमित है, उसके सेवक, भूत - प्रेत उसकी क्रियाशील शक्ति होते हैं जो शैतान के लिए सूचनाएं एकत्रित करते हैं; प्रकाशितवाक्य 12:10 प्रकाशितवाक्य 2:13

2 ) वे मनुष्य को दबाव में रखते हैं और उसके कल्याण में बाधा डालने की ताक में रहते हैं; अय्यूब 1:9-12 लूका 13:16 वह स्त्री अट्ठारह वर्षों से शैतान के बन्धन में थी, ( अर्थात शैतान या उसके सेवक प्रेत ) शैतान सर्वव्यापी, सर्वज्ञानी या सर्वशक्तिमान नहीं है, इसलिए उसके विराट् कार्य का अधिकांश भाग भूत - प्रेतों द्वारा ही सम्पन्न किया जाता है। भूत - प्रेत मनुष्य के शरीर और मस्तिष्क दोनों को ही आक्रान्त करके उसे निराश कर देते हैं; मरकुस 1:23-27 मरकुस 5:1-20

3 ) फिर भी भूत - प्रेत परमेश्वर का अभिप्राय पूरा करते हैं। परमेश्वर ने एक झूठ बोलने वाली आत्मा को राजा अहाब को दण्ड देने में प्रयोग किया; 1 राजा 22:23 प्रकाशितवाक्य 16:13-16, भूत - प्रेत हर - मगिदोन पर परमेश्वर के विरुद्ध प्रतिरोध करने वाली सेनाओं को प्रलोभन देंगे।

5. भूत - प्रेतों ( DEMONS ) का संगठन

शैतान सर्वव्यापी लगता है क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि वह एक ही समय में सर्वत्र विद्यमान है, परन्तु वास्तविकता यह है कि वह एक ही समय में एक ही भौगोलिक स्थिति तक सीमित है। शैतान का सिंहासन पिरगमुन में था, प्रकाशितवाक्य 2:13; परन्तु ऐसा लगता है कि तब से उसने अनेक स्थान बदले हैं और आज सम्भवतः वह हॉलिवुड या मास्को में है।

शैतान भूत - प्रेतों के एक सुसंगठित विशाल दल के द्वारा शासन करता है, दानिय्येल 7:19,20 प्रकाशितवाक्य 12:47। शैतान का राज्य मात्र एक असंगठित भीड़ नहीं है, मत्ती 12:26, परन्तु इसको एक उच्च कोटि के सुव्यवस्थित दुष्टों के साम्राज्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

शैतान पतित मनुष्य पर अभिमान, महत्वाकांक्षा, स्वार्थ, शक्ति, लोभ और भोग - विलास की सरकार द्वारा शासन करता है; यूहन्ना 14:30; यूहन्ना 18:36; इफिसियों 2:2; इफिसियों 6:12; 1यूहन्ना 2:15-17। इसी प्रकार वह पतित आत्माओं पर भी दुष्टता के एक संगठित साम्राज्य में शासन करता है।

कुछ पतित स्वर्गदूत अब भी अन्धकार में जंजीर से जकड़े हुए बन्धे हैं; यहूदा 6

6. भूत - प्रेतों ( DEMONS ) का सर्वनाश

शैतान के समान ही भूत - प्रेतों के विनाश पर मसीह ने कलवरी पर छाप लगा दी है। अथाह कुण्ड भूत - प्रेतों के दण्ड का एक मध्यवर्ती स्थान है; प्रकाशितवाक्य 9:11

भूत - प्रेत जानते हैं कि उनका विनाश निकट आ रहा है; मत्ती 8:29 " हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझसे क्या काम ? क्या तू समय से पहले हमें दुख देने यहाँ आया है।"

भूत - प्रेतों का विनाश शैतान के साथ ही अनन्त अग्नि में डाले जाने द्वारा होगा, मत्ती 25:41 " अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई है।"

7. प्रेत सिद्धि के प्रकार

  1. शकुन विद्या (Divination) : परिचित आत्माओं की सहायता से भविष्य को पहले से देख लेना या भविष्य बता देना; लैव्यव्यवस्था 20:227

  2. भूत सिद्धि (Necromancy) : यह एक मृतक व्यक्ति से सम्पर्क स्थापित कला है, जैसे शाऊल ने शमूएल से सम्पर्क स्थापित किया था। ओझाई या भूतसाधना करने वाले को मार डाला जाए। 1 शमूएल 28,14,15 यह परमेश्वर की दृष्टि में घृणित पाप है, 2 इतिहास 33:6; लैव्यव्यवस्था 20:61

  3. पूर्वानुमान (Prognostication) : इसका उदाहरण यहेजकेल 21:21 में पाया जाता है, इसमें शकुन विचारना, मूर्तिपूजा और पशु-पक्षियों की अंतड़ियों का निरीक्षण करना सम्मिलित है।

  4. जादूगरी (Magic) : यह मिस्र का महान विज्ञान था; उत्पत्ति 41:8 इसमें विज्ञान (खगोल विज्ञान, फलित-ज्योतिष) और परिचित आत्माओं का मिश्रण था। इसका प्रयोग वर्तमान काल में सम्मोहन-विद्या, मस्तिष्क के उपचार और भविष्य बताने में किया जाता है। ⚠ रहस्यपूर्ण विधि से अपना उपचार करवाने का प्रयास न कीजिए।

  5. जादू-टोना (Sorcery) : इसमें विचित्र फारमूला निहित है, इसमें खगोल विज्ञान, रसायन शास्त्र और परिचित आत्माएं सम्मिलित है; यशायाह 47:9-133 यह प्रेरितों के काम 19:18,19 में उद्धृत है जहाँ जादूगरों ने अपनी सभी पोथियां जला दी थी।

  6. ओझाई (Witchcraft) : यह दुष्टात्माओं के साथ सचेत रूप में सह-अपराध करना है। इसे गलातियों 5:20 में दण्डित कहा गया है। यह आवश्यक रूप से शैतान की पूजा है और इसे विद्रोह गिना जाता है; 1 शमूएल 15:23 इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए "Between Christ and Satan" लेखक कर्ट कोच प्राप्त कीजिए, जो कि इन मामलों के विशेषज्ञ हैं।

सारांश

कोई व्यक्ति भूत-प्रेत से ग्रस्त या प्रभावित है, इसे जानने के लिए चार परीक्षाएं बहुत सहायक होती है।

  1. जो लोग दुष्टात्माओं से जुड़े होते हैं, वे सदा अंधेरे में काम करते हैं।

  2. दुष्ट आत्माएं शैतान के व्यक्तित्व को एक दुष्ट हस्ती मानने से इन्कार कर देती हैं।

  3. उनको प्रभु यीशु ख्रीष्ट के नाम और इस अभिव्यक्ति, "मसीह के लोहू" से अत्यधिक धृणा होती है।

  4. वे इस वास्तविकता से इन्कार करती हैं कि यीशु देहधारी हुआ; 1 यूहन्ना 4:31

🙏 कुछ सुझाव जो दुष्टात्माओं को निकालने में सहायक होते हैं 🙏

  1. प्रभु यीशु ख्रीष्ट के नाम से शैतान का प्रतिरोध कीजिए; उद्धारकर्ता का पूरा नाम लेना उत्तम है।
  2. विश्वास सहित प्रार्थना कीजिए और अपने साथ प्रार्थना के लिए जितने अधिक व्यक्ति मिल सकें, उनको ले लीजिए; अत्यधिक आपात स्थिति के अतिरिक्त कभी अकेले कार्य न कीजिए।
  3. यदि प्रेत हठी है तो उपवास कीजिए। मरकुस 9:29, यह जाति बिना ( उपवास और ) प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।
  4. मसीह के लोहू के विषय में अधिक से अधिक गीत गाइए और बातचीत कीजिए। प्रकाशितवाक्य 12:11, "मेम्ने के लोहू के कारण जयवन्त हुए।"
  5. ऐसे पद उद्धृत कीजिए या पढ़िए जो यह दर्शाते हों कि मसीह ने दुष्टता की समस्त शक्तियों पर विजय प्राप्त की है।

✝ प्रभु में दृढ़ रहिए और विश्वास से जयवन्त बनिए ✝