
मसीहियों के विरुद्ध शैतान के आक्रमण
इस अध्याय की सामग्री " How to Resist Devil ' नामक पुस्तिका से ली गई है, जिसके लेखक एफ ० जे ० पैरीमैन हैं। पिछले अध्याय में हमने पढ़ा था कि शैतान एक वास्तविक, जीवित, क्रियाशील शत्रु है।
1 पतरस 5:8,9, " सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गरजने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किसको फाड़ खाए। विश्वास में दृढ़ होकर, और यह जान कर उसका सामना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में है, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं। " इफिसियों 4:27, " और न शैतान को अवसर दो।"
यदि हम शैतान का प्रतिरोध नहीं करते, तो सब कुछ बिगड़ जाएगा, क्योंकि हम परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंधन कर रहे हैं।
शैतान परमेश्वर के प्रत्येक सच्चे बालक पर आक्रमण करता है, और आप और मैं भी इस नियम का अपवाद नहीं है।" प्रतिरोध "का अर्थ है, विरोध करना, उसके विरुद्ध दृढ़ता से खड़ा होना, यदि आवश्यक हो तो उससे लड़ना। " सचेत रहो " का अर्थ है, स्वस्थ - चित्त होना, मानसिक रूप से आत्मसंयमी होना; चौकस रहना " चौकस " ( जागते रहो ) का अर्थ है, जागरूक रहना, पहरे पर खड़े संतरी के समान चौकस रहना, और शस्त्रु के आने की आहट लेते रहना।
या शैतान झूठा, हत्यारा, पृथक करने वाला, जालसाज, गरजता हुआ सिंह, कहते हैं, " मैं तो केवल प्रभु पर विश्वास रखता हूँ और शैतान की उपेक्षा कर देता हूँ। " परमेश्वर कहता है. " दृढ़ रहो, खड़े हो, अपनी तलवार खींच लो, प्रतिरोध करो. मुकाबला करो और विजय प्राप्त करो। " यह लड़ाई केवल विश्वास के नायकों को ही नही लड़नी है, परन्तु प्रत्येक मसीही व्यक्ति को भी लड़नी है।
परमेश्वर और शैतान के बीच युद्ध जो यशायाह 14 और यहेजकेल 28 में छिड़ा, वह आज भी चल रहा है। उत्पत्ति 3:15 शैतान और मनुष्य के बीच निरन्तर शत्रुता के विषय में बतलाता है। " मैं ऊपर से जन्मा हूँ, पराजित होने के लिए नहीं, परन्तु विजयी होने के लिए जन्मा हूँ। " - पैरीमैन । 1. वे रीतियां जिनके द्वारा शैतान मसीहियों पर आक्रमण करता है; 2 कुरिन्थियों 2:11
1 ) शैतान हमें सुस्त बना देता है : हम पर अकर्मण्यता, भारीपन की आत्मा छा जाती है; मस्तिष्क असाधारण रूप से मन्द, थका हुआ और महत्वाकांक्षा से रहित हो जाता है। शायद इसके लिए हम अनिद्रा, मौसम, आहार या कर्त्तव्य - भार को दोष देते हैं।
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उपरोक्त बातों को ध्यानपूर्वक जांच कीजिए : क्या मुझे प्रर्याप्त नींद आई ? क्या मौसम अब पहले से अधिक गर्म है ? क्या मेरा आहार प्रर्याप्त है ? क्या मैं उससे अधिक व्यस्त हूँ जितना कि मुझे होना चाहिए ? यदि उत्तर नकारात्मक है तो पहचान लीजिए कि यह आक्रमण शैतान की ओर से है और उसे प्रभु के नाम से डांट दीजिए; शैतान आपको छोड़ कर भागने पर बाध्य हो जाएगा।
याकूब 4 : 7 " शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।"
2 ) अनिद्राः यदि शैतान हमको नींद से दूर रखने में सफल हो जाता है, तो हमारी चेतनाएं मन्द पड़ जाती है; हमारी गतिविधियाँ अवरुद्ध और दुर्बल पड़ जाती है, जीवन के सामान्य कार्य को क्षति पहुँचती है । शैतान हमारा रास्ता अवरुद्ध करके हमें कराता है , जिससे हम उत्तेजित हो जाते हैं । उस समय से सचेत रहिए जब अप्रत्याशित भेंट करने वाले या बच्चे हमें क्रुद्ध कर देते हैं ।
3 ) सायुः शैतान शरीर पर आक्रमण करने का प्रयास कर, मानसिक उद्धार प्राप्त नहीं थे । वैसा ही असन्तुलन उत्पन्न कर देता है। यदि वह इसमें सफल हो जाता है तो हमारी दुर्बल स्थिति में वह हमें पाप में सरलता से गिरा सकता है।
4 ) शैतान मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करता है : 2 कुरिन्थियों 4 : 4 , शैतान ने एक बार उन लोगों के मस्तिष्क को अन्धा कर दिया था, आज शैतान मस्तिष्क की लड़ाई लड़कर उस पर फिर अपना नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। शैतान मस्तिष्क में एक कु - विचार, कल्पना या धारणा उत्पन्न करने के द्वारा प्रविष्ट होने का प्रयास करता है जो विचारों के क्षेत्र में आता है। बाइबल कहती है, मनुष्य होता है जैसा उसके विचार उसे बनाते हैं। शैतान हमारे मस्तिष्क में कटुता, ईर्ष्या, निराशा ( प्रेम, स्कूल या व्यापार में ) या घमंड आदि द्वारा भी प्रविष्ट हो सकता है।
5 ) मृत्यु द्वारा शैतान हत्यारा है : वह दुर्घटनाओं द्वारा मानव जीवन पर अपना दावा स्थापित करता है। मृत्यु तथा जीवन की कुंजी परमेश्वर के पास है, तौभी यह अधिकार कभी कभी परमेश्वर शैतान को सौंप देता है; अय्यूब 1:12 में परमेश्वर ने अय्यूब के परिवार को नष्ट करने की शक्ति सौंप दी और इसके फलस्वरूप अय्यूब 1 : 18 , 19 में उसके सात पुत्र और तीन पुत्रियाँ मकान ढह जाने के कारण मर गए।
6 ) आत्म - हत्या द्वाराः शैतान ने मसीह को मंदिर के कंगूरे पर से नीचे छलांग लगा कर आत्म - हत्या करने के लिए प्रेरित करने का प्रयल किया। यह मत्ती 4 : 6 में, महान परीक्षा के अवसर पर हुआ था। पैरीमैन.एक व्यक्ति की कहानी बताता है कि वह अपनी हजामत आप नहीं बना सकता था क्योंकि उसके सामने अपना गला आप काट लेने की प्रबल इच्छा हो उठती थी । निःसन्देह अधिकांश आत्म - हत्याओं का यही स्पष्टीकरण होता है, शैतान ने प्रवेश पा लिया होता है।
7 ) मनोवेग द्वारा ये मनुष्य के लिए सामान्य बातें होती हैं, शैतान परन्तु को इनका लाभ उठाने का अवसर नहीं देना चाहिए। वह इनके द्वारा घातक योजनाएं कार्यान्वित कर सकता है। अपने मनोवेगों के प्रति चौकस रहिए और मसीह के द्वारा उन पर तेजी से और निरन्तर विजय प्राप्त कीजिए।
8 ) धन खर्च करने की आदतः एक स्त्री की कहानी बताई जाती है जो दस वर्षों में सोलह विभिन्न घरों में रही, जिसके लिए नए फर्नीचर की आवश्यकता पड़ी- -यह धन और समय का कैसा दुरुपयोग था। शैतान बहुधा एक भली बात से लाभ उठाता है और उसे अधिकता से करवा कर पाप करवाता है।
9 ) फैशन की होड़ या आदतः परमेश्वर कहता है कि स्त्रियों को शालीन वस्त्र पहनने चाहिए। अधिकांश लोग वस्त्रों के विषय में भूल करते हैं, वे विपरीत लिंग पर प्रभाव की चिन्ता न करते हुए आधुनिक फैशन का अनुसरण करते हैं। कुछ लोगों ने भयानक पाप किए परन्तु बाद में उनको स्वीकार कर लिया, " मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था, परन्तु केवल उस स्त्री के अश्लील वस्त्रों के कारण मैं प्रलोभित हो गया । और मेरी प्रतिरोध की शक्ति जाती रही। "
10 ) अन्य - अन्य भाषाओं के अनुचित प्रयोग का प्रलोभन दुष्टात्माओं के प्रवेश के लिए द्वार खोल देता है। कुछ लोग विशेष “ आत्मा की आशिषों " की खोज में अपने को खाली समझने का प्रयास करते हैं, और शैतान इस खाली स्थान को भरने में प्रसन्नता अनुभव करता है। ( कुछ अन्य - अन्य भाषाएं निःसन्देह यथार्थ होती हैं। )
11 ) परमेश्वर की इच्छा का पता लगानाः प्रभु का सन्देश स्पष्ट और विशिष्ट है। शैतान, खोज करने वाली आत्मा के पास अनेक सुझाव लेकर आता है; वह मस्तिष्क में एक धुन्ध या कोहरा उत्पन्न करके एक बड़ा अनिश्चय उत्पन्न कर देता है। अन्तर को पहचानना : परमेश्वर की वाणी सुस्पष्ट होती है जबकि शैतान की वाणी संदेहजनक और धुंधली होती है।
12 ) दिवा - स्वजः यह शैतान के सर्वाधिक फलप्रद क्षेत्रों में से एक है । भले और बुरे दोनों ही प्रकार के दिवा - स्वप्न होते हैं। अपने निष्क्रिय, अनियंत्रित मानसिक चिन्तन के प्रति चौकस रहिए। घोर पाप प्रायः सम्पन किए गए दिवा - स्वप्नों के ही परिणाम होते हैं।
13 ) अनुभूतियाँ : इनके प्रति भी विचारों और मनोवेगों के समान ही चौकस रहना चाहिए भावुक न बनिए कही गई बातों पर ध्यान केन्द्रित न कीजिए, " मैं यही सोच रहा हूँ कि पता नहीं उसका इरादा मुझे अपमानित करने का था या नहीं। " उसने ऐसा कहा क्यों ? " परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास के द्वारा जीवन व्यतीत कीजिए, अनुभूतियों पर नहीं।
14 ) आलोचना : हमें इसे स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए ; हमारी बातों का गलत अर्थ लगाया जा सकता है, हमें गलत समझा जा सकता है। यह हमें पराजित कर सकता है और आत्म - विश्लेषण और निराशा की ओर अग्रसर कर सकता है।
15 ) हतोत्साहित करना : यह शैतान के बड़े हथियारों में से एक है जिसका वह खुल कर प्रयोग करता है।
16 ) वृद्धावस्थाः अपने विश्वासयोग्यता के साथ प्रभु की सेवा की है। शैतान कहता है, “ अब तुम बहुत बूढ़े हो चुके हो इसलिए प्रतिरोध नहीं कर सकते ; अब आराम करो और आराम के साथ जीवन व्यतीत करो। " यह शैतान का झूठ है।
17 ) प्रचारकों के सन्मुख बहुत सी परीक्षाएं हो सकती है, इसलिए उनके लिए बहुत अधिक प्रार्थना कीजिए।
क ) आमन्त्रित करने से पहले शैतान हमें एक मूर्खतापूर्ण मजाक करने का प्रलोभन देता है, और इसलिये पवित्र आत्मा चला जाता है।
ख ) अत्मिकता के अभिमान का प्रलोभन: " उत्तम प्रार्थना, सुन्दर उपदेश, अत्यधिक बधाइक।
ग ) महान परिणामों के दर्शन : " मैं, " महान आत्म - जागृति का केन्द्र; विशाल भीड़; बहुत अधिक लोकप्रियता, सैकड़ों की संख्या में मन - परिवर्तन के निर्णय। डॉ. बिली ग्राहम के लिए प्रार्थना कीजिए।
19 ) शैतान के क्षेत्र में मिश्नरी : " उलझन भरी परिस्थिति, " संघर्ष का दबाव, " " निराशाएं " " हतोत्साह " " मानसिक स्थिति का बिगड़ जाना ", ' आघात पर आघात ", " घबराहट ", और इसके फलस्वरूप मिश्नरी अन्धकार में ढका प्रतीत होता है।
2. शैतान का प्रतिरोध कैसे करें
1 ) बातों को, शैतान के आक्रमण के रूप में पहचानना, याकूब " शैतान का सामना करो। "
2 ) सामना करो, लड़ो, तलवार खींच लो, इफिसियों 6:11 " कि तुम शैतान की युक्तियों के सामने खड़े रह सको। "
3 ) उन हथियारों का प्रयोग कीजिए जो सन्तों के लिए इफिसियों 6 : 10-18 में दिए गए हैं।
पद 14 : सत्य से अपनी कमर कस लीजिए।
पद 14 : धार्मिकता की झिलम पहिन लीजिए।
पद 15 : पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन लीजिए।
पद 16 : विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहिए जिससे आप शैतान के जलते हुए तीरों को बुझा सकें।
पद 17 : सिर को उद्धार का टोप पहिन कर सुरक्षित रखिए।
पद 17 : आक्रमक युद्ध के लिए आत्मा की तलवार का प्रयोग कीजिए जो परमेश्वर का वचन है।
4 ) मसीह को पहन लोः रोमियों 13:14, वरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो। मेरे अन्दर विद्यमान मसीह का विजय होना निश्चित है।
5 ) वचन का प्रयोग कीजिए : मत्ती 4 : 1-11 के अनुसार यीशु ख्रीष्ट ने अपनी महान परीक्षा में प्रार्थना नहीं की और अपनी सुरक्षा के लिए स्वर्गदूतों को भी नहीं पुकारा, परन्तु उसने तीन बार शैतान के सन्मुख परमेश्वर के वचन को उद्धृत किया ; पद 4,7 और 10
6 ) आक्रमक बनिए : विजयी जीवन को प्रदर्शित कीजिए।
7 ) यह कह कर अपनी इच्छा या इच्छा - शक्ति का प्रयोग कीजिए : " मैं पाप नहीं करूंगा "; " मैं अन्तर में वास करने वाले मसीह की शक्ति और अनुग्रह द्वारा पाप पर प्रबल और विजयी होने का संकल्प करता हूं।"
8 ) पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन की खोज में रहिए : पवित्र आत्मा हमारा मार्गदर्शन करेगा कि परीक्षा शैतान की ओर से है या नहीं ( उदाहरण के लिए मार्गदर्शन के विषय में )।
9 ) प्रार्थना : इफिसियों 6:18, हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना और विनती करते रहो, और इसलिए जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिए लगातार विनती किया करो।"
10 ) विनती कीजिए कि यीशु ख्रीष्ट का रक्त आपको ढक ले। शैतान सदा ही रक्त की उपस्थिति से भाग जाएगा। प्रकाशितवाक्य 12:11, " और वे मेम्ने के लोहू के कारण उस ( शैतान ) पर जयवन्त हुए।"
सारांश
यदि आप पाप करते हैं तो उसे तत्काल स्वीकार कीजिये और 1 यूहन्ना 1 : 9 के आधार पर क्षमा - प्राप्ति का दावा कीजिए। उठकर खड़े हो जाइए और तलवार उठाकर अधिक उत्साह से लड़िये।
पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. 1 पतरस 5 : 8,9 से मसीही युद्ध के विषय में हम कौन सी पाँच शिक्षाएं प्राप्त कर सकते हैं ?
2. क्या शैतान के विरुद्ध निष्क्रिय युद्ध लड़ना हितकारी हो सकता है ? क्यों ? विरुद्ध आक्रमण करने में करता है।
3. बारह विधियों की सूची बनाइए जिनका प्रयोग शैतान, मसीहियों के
4. शैतान की उन 19 प्रणालियों का पुनरावलोकन कीजिए जिनका वर्णन इस अध्याय में किया गया है, और उनकी अलग सूची बनाइए जिनका प्रयोग शत्रु ने व्यक्तिगत रूप में आपके विरुद्ध नहीं किया है।
5. याकूब 4 : 7 की बहुमूल्य प्रतिज्ञा क्या है ?
6. क्या मनोवेगी होना अनुचित है ? क्यों ?
7. मसीही कार्यकर्ताओं की तीन विशेष परीक्षाएं बताइए।
8. शैतान का प्रतिरोध करने में जिन सात बातों को याद रखना चाहिए उनकी सूची बनाइए।
9. इफिसियों 6 : 10-18 में दिए हथियारों को पहचाने कि वे शरीर के कौन - कौन से भागों की रक्षा करते हैं।
10. प्रकाशितवाक्य 12:11 को उद्धृत कीजिए।
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