स्वर्गदूत
इस सिद्धान्त पर आज बहुत कम ध्यान दिया जाता है, क्योंकि मनुष्य इसको लगभग महत्वहीन समझते स्वर्गदूतों को केवल सोते समय की कहानियों में थोड़ा बहुत महत्व दिया जाता है।
फिर भी हमें स्वर्गदूतों की सेवकाई को कम नहीं आंकना चाहिए, विशेष रूप से संरक्षक स्वर्गदूतों को; हम वास्तव में यह नहीं जानते कि हम उनके कितने ऋणी हैं।
एक मिशनरी की कहानी जो कि एक रात को बाहर सोने के लिए बाध्य हो गया, और डाकू उसका सामान लूटने की योजना बना रहे थे, परन्तु सोलह सैनिकों के कारण भयभीत हो उठे थे जो वहाँ तलवारें लिए खड़े थे। वह मिशनरी यह कहानी सुन कर हंस पड़ा, परन्तु कुछ समय के बाद उसे मालूम हुआ कि उसी रात को 16 व्यक्तियों के समूह ने विशेष रूप से उसके लिए प्रार्थना की थी। स्वर्गदूतों की सेवकाई के लिए परमेश्वर की स्तुति हो।
1. स्वर्गदूतों का अस्तित्व
शब्द " स्वर्गदूत, " सबसे पहले उत्पत्ति 16:7 में पाया जाता है, जहाँ कि प्रभु के स्वर्गदूत ने हाजिरा को दर्शन दिया था, जब सारा ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया था। ( ईस्वी पूर्व 1913)
परमेश्वर ने स्वर्गदूतों की सृष्टि की थी परन्तु उस सृष्टि का समय प्रकाशित नहीं किया गया। कुलुस्सियों 1:16, " क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की देखी हो या अनदेखी।"
मत्ती 4:11, महान परीक्षा के समय स्वर्गदूत यीशु की सेवा करने के लिए आए।
मत्ती 18:10 में यीशु ने संरक्षक स्वर्गदूतों के विषय में कहा, "देखो तुम इन छोटों में से किसी को तूच्छ न जानना; क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि स्वर्ग में उनके दूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुँह सदा देखते हैं। " यीशु का स्वर्गदूतों में विश्वास था और ऐसा ही विश्वास पौलुस का भी था, कुलुस्सियों 2:18 2 थिस्सलुनीकियों 1:7
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Read More: ज्यादा बाइबल अध्ययन के लिए क्लिक करें:2. स्वर्गदूतों का स्वभाव
स्वर्गदूत आत्मिक है। इब्रानियों 1:14, "क्या वे सब सेवा टहल करने वाली आत्माएं नहीं; जो उद्धार पाने वालों के लिए सेवा करने को भेजी जाती हैं?"
भजन संहिता 104:4, " जो पवनों को अपने दूत और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।"
आत्मा होने के नाते स्वर्गदूत प्राकृतिक मानवीय नियमों के बन्धन में नहीं है; स्वर्गदूत बन्द दरवाजों (बन्दीगृहों) में प्रविष्ट हो सकते हैं-प्रेरितों 12:7; बन्दीगृह के द्वार खोल सकते हैं - प्रेरितों 5:19; अग्नि की लौ में ऊपर चढ़ सकते हैं- न्यायियों 13:19,20
स्वर्गदूत बहुत तेजी के साथ दूर क्षेत्रों की यात्रा कर सकते हैं (स्वर्ग से पृथ्वी तक जो अनेक कुछ वर्ष दूर हो सकते हैं), दानिय्येल 10:12,13 तुलना करें-
स्वर्गदूत मनुष्यों से अधिक बुद्धिमान हैं। 2 शमूएल 14:20, "मेरा प्रभु परमेश्वर के एक दूत के तुल्य बुद्धिमान है, यहाँ तक कि धरती पर जो कुछ होता है, उन सबको वह जानता है।"
स्वर्गदूत शक्तिशाली होते हैं। भजन संहिता 103:20, "हे यहोवा (परमेश्वर) के दूतो तुम जो बड़े वीर हो,।"
क) एक स्वर्गदूत ने एक ही रात्रि में 185,000 अश्शूरी सैनिकों को मार डाला। (2 राजा 19:35 )
ख) 2 शमूएल 24:15 16 में एक स्वर्गदूत ने दाऊद के पाप के बाद ही 70,000 इस्राएलियों को मार डाला।
ग) एक स्वर्गदूत ने रोमी शक्ति को चकनाचूर कर दिया, मुहर को तोड़ दिया और कब्र के मुँह पर धरा पत्थर लुढ़का दिया; मत्ती 28:2,4
घ) एक दिन एक स्वर्गदूत शैतान को बांध कर एक हजार वर्ष के लिए बन्दी बना लेगा; (प्रकाशितवाक्य 20:1-2)।
स्वर्गदूतों के अनेक पद और क्रम है: मीकाएल को प्रधान स्वर्गदूत कहा जाता है, यहूदा 9। बाइबल प्रधान स्वर्गदूत, स्वर्गदूतों, प्रभुताओं, अधिकारों, प्रधानताओं और सिंहासनों के विषय में बताती है- कुलुस्सियों 1:16; दानिय्येल 10:12-21; 1थिस्सलुनीकियों 4:16; 1 पतरस 3:22
स्वर्गदूत अमर है, लूका 20:35, 36; वे भौतिक शरीर से रहित हैं, वे सड़ाहट और मृत्यु से रहित है; यदि यीशु स्वर्गदूत बन जाता तो वह मर नहीं सकता था। स्वर्गदूत यौन से रहित है, उनमें विवाह शादी नहीं होती मत्ती 22:30; लूका 20:35-36
3. स्वर्गदूतों की संख्या
ऐसा प्रतीत होता है कि स्वर्गदूत अनगिनत है, प्रकाशितवाक्य 5:11, "जब मैंने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों के चारों ओर बहुत से स्वर्गदूतों का शब्द सुना जिनकी गिनती लाखों और करोड़ों की थी।" इब्रानियों 12:22,23 "और जीवते परमेश्वर के नगर स्वर्गीय यरूशलेम के पास, और लाखों स्वर्गदूतों की सभा।"
मत्ती 26:53, यीशु ने स्वर्गदूतों की बारह पलटनों के विषय में कहा, ( 3,000 से 6,000 तक एक पलटन में)। 2 राजा 6:17, एलीशा के सेवक ने पर्वतों को अग्निमय रथों से भरा हुआ देखा, जो एलीशा के चारों ओर थे और निःसन्देह ये स्वर्गदूत थे।
4. स्वर्गदूतों का पतन
हमारे प्रभु ने स्वर्गदूतों का वर्णन पवित्र के रूप में किया (निष्पाप और शुद्ध )। मरकुस 8:38 “मनुष्य का पुत्र भी जब वह पवित्र दूतों के साथ अपने पिता की महिमा सहित आएगा।'
स्वर्गदूतों की सृष्टि की गई है, ये पवित्र ही सृजे गए - लूका 9:26; 2 पतरस 2:4; यहूदा 1:6
1 तीमुथियुस 5:21 के आधार पर (चुने हुए स्वर्गदूत, जिनकी पवित्रता की अब पुष्टि हो चुकी है) हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को एक समय के लिए परख अवधि में रखा। जब परीक्षा का समय आया तो कुछ ने कर्त्तव्य त्याग दिया और कुछ ने अपनी निर्दोषता को बनाए रखा और उनके भले होने की पुष्टि कर दी गई भजन संहिता 89:7
2 पतरस 2:4, स्वर्गदूतों के पतन के विषय में बताता है, "उन स्वर्गदूतों को जिन्होंने पाप किया।" स्वर्गदूतों के पतन का सही समय और परख अनिश्चित है; फिर भी इसके कई अनुमान हैं जो केवल सिद्धान्त है:
1 ) उन्होंने विद्रोह कर दिया, जब शैतान ने परमेश्वर के समान बनने का प्रयास किया- यशायाह 14; यहेजकेल 28; प्रकाशितवाक्य 12:7
2 ) यह अभिमान और अनाज्ञाकारिता का पाप था।
3) यह पृथ्वी की स्त्रियों के साथ सहवास करने का पाप था; उत्पत्ति 6:1-4
मत्ती 25:41, शैतान और उसके दूतों" के आधार पर मेरा यह विश्वास है कि उपरोक्त (जो न. 1 में कहा गया वही ) सबसे अधिक सम्भावित उत्तर है।
अपने पतन के फलस्वरूप वे न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यहूदा 6, " फिर जो स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिए अन्धकार में जो सदा काल के लिए है, बन्धनों में रखा है।"
5. स्वर्गदूतों का कार्य
1) स्वर्ग में प्रभु: परमेश्वर का आदर करना, आराधना करना और उसकी सेवा करना; प्रकाशितवाक्य 5:11,12; प्रकाशितवाक्य 8:34।
2) पृथ्वी पर: प्रभु के लिए सन्देश वाहक (क) हाजिरा को जल का कुंआ दिखाना (ख) यहोशू के सन्मुख तलवार खींच कर खड़ा होना (ग) पतरस को जंजीरों से मुक्त करना (घ) बन्दी गृह के दरवाजों को खोलना (च) परमेश्वर की सन्तान को खिलाना, बल देना और उनकी रक्षा करना, आदि।
3) परमेश्वर के न्याय और अभिप्राय को कार्यान्वित करना: (क) विलाम का मार्ग रोक देना; गिनती 22:22, (ख) हेरोदेस को मार डालना; प्रेरितों के काम 12:23, (ग) अन्तिम न्याय के दिन पापपूर्ण लोगों को इकट्ठा करके जला देना; मत्ती 13:41, 421
4) विश्वासियों का मार्गदर्शन करना: एक स्वर्गदूत ने कूश देश के खोजे से मिलने के लिए फिलिप्पुस का मार्गदर्शन किया; प्रेरितों के काम 8:26
5 ) सन्तों की सहायता करना, उनको सुरक्षित रखना और बल प्रदान करना (क) एलिय्याह; 1 राजा 19 अध्याय में, (ख) दानिय्येल शेरों की मांद में; दानिय्येल 6:22, (ग) यीशु; मत्ती 4:11 में; लूका 22:43 ( गतसमनी में )।
6 ) वे हमारे प्रभु के लौटने पर उसके संग आएंगे; मत्ती 25:31; 2 थिस्सलुनीकियों 1:7,8। 7) मृत्यु होने पर वे प्रभु की सन्तानों को स्वर्ग में ले जाते हैं; लूका 16:22
8 ) व्यवस्था प्रदान करने में स्वर्गदूतों ने भी भाग लिया था; इब्रानियों 2:2; प्रेरितों के काम 7:53; गलातियों 3:19।
6. स्वर्गदूतों का निवास-स्थान
स्वर्गदूतों का वर्तमान निवास स्थान स्वर्ग में है, मत्ती 22:30, "क्योंकि जी उठने पर ब्याह शादी न होगी; परन्तु वे स्वर्ग में परमेश्वर के दूतों की नाई होंगे।" इफिसियों 3:10; यूहन्ना 1:51; लूका 2:13, 15 भी देखिए।
7. मनुष्यों की स्वर्गदूतों पर श्रेष्ठता
स्वर्गदूतों और हमारे आदि माता-पिता दोनों ही को सिद्ध रचा गया था, स्वर्गदूत आत्मिक प्राणियों के रूप में और आदम- हव्वा, हाड़-मांस के मानव प्राणी के रूप में।
फिर भी आज हम दूसरी बातों में स्वर्गदूतों से श्रेष्ठ हैं:
1) स्वर्गदूतों को सुसमाचार प्रचार करने की अनुमति नहीं दी गई है - यह सेवकाई हमें दी गई है।
"जब मैं उद्धार की कथा का गीत गाता हूँ तो स्वर्गदूत अपने पंखों को बन्द कर लेंगे, क्योंकि उन्होंने कभी भी उस महिमा को नहीं जाना जिस महिमा को मेरा उद्धार लेकर आता है।"
2 ) मनुष्य एक दिन स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे। 1 कुरिन्थियों 6:3, "क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे?" शायद हम केवल पतित स्वर्गदूतों का ही न्याय करेंगे जिनका वर्णन यहूदा 6 में पाया जाता है। यह महान आदर उद्धार प्राप्त लोगों के लिए सचमुच एक महिमामय परन्तु दीन बनाने वाला विचार है। यद्यपि हम पाप में गिर गए, तौभी परमेश्वर ने हमें मसीह में स्वर्गदूतों से भी ऊँचा उठाया है।
सारांश
जब स्वर्गदूतों ने पाप किया तो परमेश्वर ने उनको एक उद्धारकर्ता प्रदान नहीं किया। यह कैसे आश्चर्य की बात है कि उसने हमारी समानता के लिए मरने का अनुग्रह किया। आइए हम संरक्षक स्वर्गदूतों की अथक और विश्वासयोग्य सेवकाई के लिए परमेश्वर को निरन्तर धन्यवाद दें।
मत्ती 18:10 यह सूचना देता है कि बच्चों के लिए स्वर्गदूत नियुक्त है, "स्वर्ग में उनके ( इन छोटों के) दूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुँह सदा देखते हैं।" स्वर्गदूत चाहे कितने भी आश्चर्यजनक हों, हमें कभी भी उनकी उपासना नहीं करनी चाहिए; प्रकाशितवाक्य 22:89; उत्पत्ति 32:1, 2, उत्पत्ति 18:51
पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. स्वर्गदूतों का आरम्भ कब और कैसे हुआ ?
2. स्वर्गदूतों के अस्तित्व के प्रमाण के लिए पवित्र शास्त्र के तीन पद उद्धृत कीजिए ।
3. स्वर्गदूतों के स्वभाव के विषय में छः बातें बताइए ।
4. स्वर्गदूतों के चार ऐसे असाधारण साहसिक कार्य बताइए जो उनकी शक्ति को प्रदर्शित करते हो।
5. कौन सा पद स्वर्गदूतों की संख्या के विषय में संकेत देता है?
6. स्वर्गदूतों के पतन के तीन सम्भावित कारण बताइए ।
7. सात बातें बताइए जो स्वर्गदूतों के कार्य में सम्मिलित है।
8. दो बातें बताइए जिनमें मनुष्य स्वर्गदूतों से श्रेष्ठ है।
9. प्रकाशितवाक्य 22:89 के द्वारा हम स्वर्गदूतों से क्या शिक्षा ग्रहण करते हैं?
10. हम स्वर्गदूतों के विषय में लूका 16:22 से क्या सान्त्वना देने वाली शिक्षा प्राप्त करते हैं?

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